RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
मैं उसकी बेतरतीब बातें सुनकर मुश्कुरा रहा था।
यह अल्फाज मेरे लिए नये नहीं थे, जो-जो औरत मेरे नीचे आई थी वो ऐसे ही अल्फाज अदा करती थी।
रजनी-“आह्ह… ओह्ह… फक मी हार्ड… अह्ह… राज और जोर से… और जोर से… आई एम कमिंग अह्ह फक मी हार्ड…” और एक बार फ़िर रजनी का जिश्म अकड़ने लगा, और वो तीसरी बार फारिग हो चुकी थी।
मेरा दिल कर रहा था कि मैं उसकी पोजीशन चेंज करूँ, मगर मुझे पता था कि पोजीशन चेंज करने के बाद रजनी को एक बार फ़िर दर्द के माहौल से गुजरना पड़ेगा, तो मैंने सोचा कि आज उसे इसी पोजीशन में करूँगा। और मैंने अपने झटकों में तेजी कर दी। अब मैं भी करीब-करीब था। जैसे-जैसे मैं करीब होता जा रहा था मेरी वहशत बढ़ती जा रही थी। अब मुझे कुछ भी नहीं समझ में आ रहा था। मैंने रजनी की पतली कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और खींच- खींच कर अपने लण्ड पर मारने लगा।
रजनी भी मेरी वहशत देखकर घबरा गई थी। उसे मजा तो आ रहा था। मगर लाल-लाल आँखें देखकर और मेरी ऐसी वहशत देखकर वो मुझे आवाजें देने लगी-“राज… राज मुझे दर्द हो रहा है राज…”
मुझ तक उसकी कोई आवाज नहीं पहुँच रही थी। मैं रिलेक्स होते हुए अक्सर ऐसे ही वहशत अंगेज हो जाता था। मेरे मुँह से अजीब-अजीब आवाजें निकल रही थी और मैं वहशतनाक आवाज के साथ ही फारिग हो गया। मेरा लण्ड अपना पानी छोड़ दिया, मेरा गाढ़ा-गाढ़ा और गरम पानी रजनी ने अपने अंदर महसूस करके एक बार फ़िर ‘अह्ह्ह’ की आवाजों के साथ अपना पानी भी छोड़ दिया। मैं अब बेसूध सा होकर रजनी के ऊपर गिर गया और रजनी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया। और मेरे चेहरे को चूमने लगी और बड़े प्यार से मेरे सिर में उंगलियाँ फेरने लगी।
मैं धीरे धीरे रिलेक्स होने लगा। अब मैं गहरी-गहरी साँसें ले रहा था। रजनी बड़े प्यार से मुझे देख रही थी। मैं एक करवट लेकर रजनी के ऊपर से हट गया और खुद को बेड पर गिरा लिया।
रजनी ने करवट बदलकर मुझे देखा, और मुश्कुराते हुए कहा-“बड़े जालिम हो। क्या हो गया था तुम्हें आखीर में?”
मैंने मुश्कुराकर उसे देखा और कहा-“जब मैं रिलेक्स होने वाला होता हूँ तो मेरा खुद पर से कंट्रोल खतम हो जाता है। तुम्हें बहुत तकलीफ हुई…”
रजनी मुश्कुराकर मुझे देख रही थी-“नहीं बेदर्दी, तुमने तो मुझे वो दर्द दिया है जिस दर्द में सकून है, मजा है, और उस दर्द से मैं आज तक अंजान थी…” और उसने आगे बढ़कर मुझे एक बार फ़िर से चूम लिया, और फ़िर मेरी तरफ देखकर बोला-“मैंने तुम्हें बहुत तड़पाया है राज, अब मैं तुम्हें वो सकून दूँगी जो तुम्हें कभी ना मिला होगा। मैं तुमको दिल-ओ-जान से चाहने लगी हूँ, और अब तुम्हारे बगैर मेरा जीना मुश्किल होगा। मुझे खुद से दूर ना करना राज…”
मैंने भी उसे छूते हुए कहा-“रजनी, तुम मेरी जान हो। मैं तुम्हें खुद से कभी दूर नहीं करूँगा…” हम कुछ देर ऐसे ही बातें करते रहे।
फ़िर मैंने थोड़ा सा उठकर बेड के सिरहने से टेक लगा ली और और साइड पर पड़े अपने कपड़ों में से सिगरेट और लाइटर निकलकर एक सिगरेट जलाया और गहरा कश लेकर धुआँ छोड़ते हुए एक नजर कमरे में चारों तरफ घुमाई। पूरा कमरा मैदान-ए-जंग का मंज़र पेश कर रहा था। चारों तरफ लाशें बिखरी हुई थी।
मुझे इस तरह देखते हुये रजनी ने भी थोड़ा सा ऊपर उठकर अपना सिर मेरे सीने से लगाते हुए, हल्की से हँसी के साथ कहा-“मुझ जैसी औरत की सुहागरात ऐसी ही जगह होनी चाहिए थी। लाशों की सेज पर। तुमने मुझे फतेह किया है। अपनी ताकत के बल पर, जोर-ए-बाजू से। मैं आज से तुम्हारी गुलाम हूँ, राज तुम्हारी अदना कनीज…”
मैंने उसे अपने सीने से लगाते हुए कहा-“नहीं रजनी, तुम इस राज की रानी हो। मेरे दिल की मलिका हो। आई लव यू रजनी, आई लव यू…”
रजनी-“आई लव यू टू राज …” और वो मेरे सीने के साथ जोर से लग गई। देर तक तो मेरे सीने को छूती रही और फ़िर बहुत ही सकून से मेरी अगोश में समा गई। शायद वो थक कर सो चुकी थी।
मैंने उसे सोता महसूस करके बेड के सिरहने से टेक लगा दी, और अपनी आँखें बंद कर ली। मेरी आँखों के पीछे बीते वक्त की यादों की फ़िल्म चलने लगी।
मैं किंग था। अब अंडरवल्डट की दुनियाँ का किंग । एक दुनियाँ जिसके नाम से काँपती थी। अंडरवल्डट का डान, पूरे एशिया में होने वाला कोई भी क्राइम, उसके पीछे किसी ना किसी तरह मेरा ही हाथ होता था। मेरे हाथों कितने लोग मौत के घाट उतर चुके थे, मुझे उस बात का कोई अंदाज़ा नहीं था। मैं एक सीधा-सादा सिंध की सोहनी धरती का रहने वाला, डान कैसे बना? वो पल आज तक मुझे ख्वाबों में तड़पाते रहते थे। आज मेरे अपनों में से कोई मेरे साथ नहीं था। मैं आज एक बेरहम कातिल था। यहाँ तक पहुँचने के लिए मुझे कितनी कठिन मंज़िलो से गुजरना पड़ा था, वो एक-एक पल मुझे याद है। मैं चाहूं भी तो उसे भूल नहीं सकता। क्योंकी अब मैं हूँ ‘किंग डान’
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