RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
इतने में कामरू उसकी फुद्दी को चाटने लगा तो वो सिहर गई। हाय... हाय... आज तो उसे कुछ नया सा, कुछ अलग सा आनंद आ रहा था। उसके पति ने तो उसकी फुद्दी को आज तक चूमा भी नहीं था। और ये... और ये तो उसे चाट भी रहा है। हे भगवान्... इतना आनंद... तेरा लाख-लाख सुकर है की इसे मेरे पास भेजा, और ऐसा आनंद प्रदान किया। है। इसने तो मेरी फुद्दी में उंगली भी घुसेड़ डाले। अरे रे... रे... ये तो उंगली से ही फुद्दी को चोदने लगा। मेरी चूत के दाने के ऊपर जीभ से... हाय... हाय... मेरी फुद्दी तो बिना चुदाए ही छूटने लगी। है रे.. हे... मैं तो ये गई... ये गई... और रश्मि पलंग पर शांत होकर पसर गई।
कामरू समझ गया की ये तो गई। अब उसने थोड़ी देर के बाद उसकी चूचियों को दबाना और चूसना जारी रखा। रश्मि उससे लिपट गई और बोली- वो देवरजी, आपने तो हमें बिना कुछ किए ही आनंद दे दिया। पता नहीं... जब अपना लण्ड घुसेड़ोगे तब लगता है आनंद की अधिकता से कहीं में मेरे दिल की धड़कन ही बंद ना हो जाए।
कामरू- कुछ नहीं भाभीजी... आपको ऐसा आनंद दूंगा की फिर आप मेरे इस लण्डराज की दीवानी हो जाएंगी। आज तो आपने हमसे रूपए ले लिये पर आगे से बिना रूपए के ही टांगें फैलाएंगी।
रश्मि- मैं नहीं फैलने वाली टाँगें। वो तो आपने हमें चुम्मी के एक हजार का लालच देकर हँसा दिया। वरना मैं आजतक किसी दूसरे के सामने अपनी फुद्दी तो क्या फुद्दी का झांट तक का दर्शन नहीं करवाया है।
कामरू- वैसे भाभीजी... फुद्दी की झाँटों का दर्शन तो आपने मुझे भी नहीं करवाया।
रश्मि- अरे देवरजी, वो... मैं अपनी फुद्दी को एकदम सफाचट रखती हूँ की काश किसी रोज तो मेरे पति इसे चाट-चाटकर मजा देंगे। और देवरजी आपने हमें ये मजा दे दिया। जो मेरा शादी से पहले का सपना था।
कामरू- अरे भाभीजी, अभी आगे-आगे देखो, क्या होता है? कामरू ने अंडरवेर खोल दिया।
रश्मि चौंक गई- “हाय... देवरजी, आपका लण्ड तो बिशाल है, एकदम मोटा, एकदम लंबा, मेरे पति के लण्ड से एकदम डेढ़ा है। आज मेरी खैर नहीं, मेरी बुर की खैर नहीं है। मैं नहीं चुदवाने वाली।
कामरू- अरे भाभीजी, आप अभी से क्यों घबरा रही हो? आप तो लण्ड अपनी फुद्दी में न जाने कितनी बार ले चुकी हो। तो फिर नई नवेली दुल्हन की तरह क्यों डर रही हो?
रश्मि- डरने की बात ही है देवरजी। ये देखो... मेरे हाथ लगते ही ये कैसे फुदक रहा है, और जब मैं इसे... देखो, मैं अपने मुँह में लेकर चूस के बताऊँगी।
कामरू- हाँ हाँ... अरे भाभीजी। मजा आ रहा है। लगता है कि आज आपको दिया हुआ पाँच हजार फालतू में जाया नहीं जाएंगे। आप भरपूर मजा देंगी। वाह भाभी, आप तो फिल्मी हेरोयिन की तरह ही लण्ड चूस रही हैं। बस-बस रुक जाइए। हाँ... भाभी, अब बस करो।
रश्मि लण्ड को मुँह से निकलते हुए- बस देवरजी, इतना ही... लण्ड पकड़ रखे हो दस इंची, और दस मिनट भी ठहर नहीं सकते हो।
कामरू- क्या करूँ भाभी? आप ऐसे मजेदार ढंग से चूस रही हैं। लग रहा है की मेरा लण्ड किसी के मुँह में नहीं किसी फुद्दी के अंदर-बाहर हो रहा है। बस भाभी, बस अब लाइट जाओ और टाँगें फैला लो।
रश्मि- अरे देवरजी, थोड़ी देर और चुसवा लेते।
कामरू- अरे भाभी... थोड़ी देर और चूसोगी तो मेरा आपके मुँह में ही चूत जाएगा, और मेरा सारा मजा किरकिरा हो जाएगा। चूसने के लिए तो सारी रात पड़ी है। चाहे जब चूस लेना।
रश्मि- क्या? आपके कहने का मतलब क्या है? चूसने के लिए तो सारी रात पड़ी है, चाहे जब चूस लेना। भाई मैं पाँच हजार ली हूँ पचास हजार नहीं। एक बार चुदवाऊँगी, रात भर नहीं। वो तो मेरा लण्ड चूसने का बचपन से शौक था मेरा... पर मेरे पति कभी चुसवाते नहीं। सोचा मन की कर लेती हूँ वरना हमें भी कोई मजा आता नहीं।
कामरू- अरे भाभीजी... आप तो नाराज हो गई, चलो चूस लो।
रश्मि- “हमें नहीं चूसना, आपका ये बदबूदार लण्ड..." रश्मि अपने होंठों पर अपनी जीभ फिराती हुई बोली।
कामरू- अरे भाभी, सारी... चलो, जो आपके मर्जी हो वैसे ही करूंगा।
रश्मि- जो आपके मर्जी हो वैसे ही करूँगा। साले, यहाँ क्या अभी तुमसे भजन करवाऊँगी? चलो। अपना लण्ड पेलो फुद्दी में। और खबरदार... मेरी फुद्दी का पानी निकलने से पहले अगर अपना माल मेरी फुद्दी में छोड़े तो गाण्ड में लात मारकर दरवाजे से बाहर नंगा ही निकाल देंगी। गली के कुत्ते दौड़ाएंगे, उनसे बच गया तो शराबी तेरी गाण्ड में थूक लगा-लगाकर अपना लण्ड पेलेंगे। उनसे बचते बचाते घर जाएगा तो दरवाजा खुलते ही तेरी अम्मा... टाँगें फैला देगी तेरी... हाय... रे... ये क्या घुसेड़ दिया फुद्दी में? हाय निकाल साले।
कामरू- साली, मेरी अम्मा तक बात ले गई। साली, आज तेरी और तेरी इस निगोड़ी फुद्दी की खैर नहीं। फाड़ दूंगा।
रश्मि- तो फाड़ ना साले... और क्या मैं यहां तेरे लण्ड से अपनी बुर में मरहम पट्टी करवाने आई हूँ। फाड़ दे साले... हाय... तूने सचमुच ही फाड़ दिया। अबे साले निकाल मेरी फुद्दी से अपना लण्ड, मुझे नहीं... है अम्मा... बचाओ... अरे पड़ोसियों... कोई तो आकर बचालो... अरे सभी अपनी-अपनी बहनों को चोद रहे हो क्या सालों... अरे मेरे सैंया, आप ही आकर बचा लो। देखो तुम्हारा दोस्त... मेरी बुर फाड़ डाला, अपने बिशाल लण्ड से। अरे मुझे नहीं चुदवाना... मुझे नहीं चाहिए तेरे पाँच हजार... उठ साले... निकाल अपना लौड़ा फुद्दी से... अभी अलमारी में से तेरा दिया हुआ पाँच हजार तेरे इस खड़े लण्ड के खड़े हुए आलू जैसे सुपाड़े पे दे मारती हूँ।
कामरू- क्यों भाभी, दर्द हो रहा है?
रश्मि- नहीं देवरजी, यहाँ तो कामेडी सर्कस का महा-मुकाबला चल रहा है।
कामरू- तो फिर अपने हाथों को मेरी पीठ पर क्यों सहला रही हो। अपने दोनों पैरों को कैंची जैसे मेरी कमर के चारों तरफ क्यों लगा रखी हो। नीचे से अपना चूतड़ क्यों उछाल रही हो भाभी?
रश्मि- वो तो मुझे मजा मिल रहा है ना ईसीलिए... और तुम रुक क्यों गये? साले धक्का लगाओ ना... अपनी अम्मा को चोद रहे हो क्या जो धीमे-धीमे धक्का लगा रहे हो? साले जाम कर पेलो। हाँ ऐसे ही... मैं भी नीचे से चूतड़ उछाल-उछालके तुम्हारे हर धक्के का जवाब दे रही हूँ। देवरजी आपका लण्ड तो मेरे बच्चेदानी को धक्का मार रही है। हाय... कल फुर्सत देखकर दोनों डाक्टर के पास जाएंगे। तुम्हरा लण्ड बहुत लंबा है देवरजी।
|