non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
06-06-2019, 01:34 PM,
RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
सुमनलता- अरे, जियो बेटे... कितना सोचता है मेरे बारे में। तो अब क्यों नहीं सोच रहा है?
रामू- क्या हुआ? बोलिए?
सुमनलता- अरे मेरी फुद्दी तड़फ रही है। तुझे जरा भी खयाल नहीं है इसका की मेडम की चूत की खुजली मिटाऊँ और अपना इनक्रीमेंट बढ़ाऊँ।
रामू- पर मेडम, अभी तो मेरी नौकरी लगी भी नहीं है और आप इनक्रीमेंट बढ़ाने की बात करने लग गई।
सुमनलता- बस पहले लण्ड घुसा दे बेटे। हाँ हाँ... अरे एक साथ मत घुसा बेटे... अरे मार डाला रे... बेटे तूने तो मेरी फुद्दी फाड़ डाली रे.. तेरी नौकरी कैंसिल साले... मरवा दिया रे.. अरे रुक क्यों गया... नौकरी कैंसिल तो मजाक में बोल रही हूँ। नौकरी पक्की मेरे बेटे... नौकरी पक्की। बस मत रुक हाँ... लगा धक्का।
रामू- मैं जानता हूँ मेडम कि अब मेरे सितारे बुलंदी पे हैं।
सुमनलता- हाँ बेटे, और तेरे साथ चुदाई करवा के मेरे भी भाग खुल गये। बस धक्का मारते रह मेरे बेटे।
रामू- “ले साली ले... महा-चुदक्कड़ हो गई है तू... ओहह... सारी सारी... मेडम...”
सुमनलता- कोई बात नहीं बेटे। गालियां देने से चुदाई में मजा दोगुना बढ़ जाता है। बस धक्का लगाते रह।
रामू- आप मेरे हर धक्के का जवाब चूतड़ उछालते हुए जो दे रही हैं तो मजा आ रहा है मेडम।
सुमनलता- हाँ बेटे, बहुत दिनों की खुजली आज मिट रही है। मेरा तो निकलने ही वाला है बेटे.. अपना धक्का बंद नहीं करना... मार धक्का... देख चुदाने में कितने मजा आ रहा है।
रामू- मान गये मेडम। आपके चू-दाने खाने में और आपकी चूत चुदाने में दोनों में ही आज तो मजा आ गया। मेरा भी निकलने ही वाला मेडम। कहाँ निकालें अपना पानी। पहली बार की तरह अपने मुँह में लेना चाहोगी या?
सुमनलता- अरे बेटे क्यों घबराता है, मेरी माहवारी बंद हो चुकी है। पेट फूलने का कोई डर भी नहीं है। चूत की असली खुजली वीर्य से ही मिटती है बेटे। निकाल दे अपना सारा पानी... भर दे मेरी बुर को... निक... ल दे... मेरा भी निकलने वाला है। अरे मैं तो गई रे... बेटे, आज तो वर्षों की प्यास बुझ गई बेटे।
रामू- मेरा भी निकल रहा है मेडम। लो मैंने भर दिया आपकी बुर को अपने पानी से। देखो, कैसी फकच-फकच की आवाजें निकाल रही है आपकी फुद्दी, रस से भरकर।
सुमनलता- हाय... मैं तो आज पूरी खुश हो गई बेटे।
दोनों एक-दूसरे से लिपट गये। दस मिनट तक लिपटे रहे। दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे। कोई भी अलग नहीं होना चाहता था, और एकाएक फोन की घंटी बज उठी। दोनों हड़बड़कर एक-दूसरे से अलग हो गये।
सुमनलता- हेलो, कौन? हाँ बेटी, क्या बात है? हाँ, मैं भी आ रही हूँ। वो रामू का इंटरव्यू ले रही थी। हाँ हाँ कल से जान करेगा। अरे, उसको गये आधे घंटा हो चुके हैं। मैं आफिस अभी नहीं आऊँगी। थोड़ा बदन दर्द दे रहा है। एक घंटे के बाद आऊँगी। हाँ हाँ... बाइ बाइ।
रामू कपड़े पहनते हुए- तो मेडम, तो मेरी नौकरी?
सुमनलता- “तेरी नौकरी पक्की बेटे... पक्की। कल से ड्यूटी जान कर लेना। मेरी बेटियां आपको काम समझा देंगी। लेकिन खबरदार उनके ऊपर डोरे नहीं डालना। वो पहल करें तब भी नहीं। हर शाम आफिस बंद करने के बाद मेरे साथ मेरे फार्महाउस पर जाएंगे और ऐश करेंगे। ठीक है...”
रामू- ठीक है मेडम। तो मैं चलूं, कल आफिस में मिलेंगे। बाइ बाइ।
सुमनलता- बाइ बाइ बेटे... कल मिलेंगे।
* * * * *
* * * * *
उधर दीदी के घर में दीदी, सासूमाँ, और चम्पारानी तीनों लगे हुए हैं।
दीदी- हाँ तो चम्पारानी, कोई ऐसा वाकया सुना की सुनकर मजा आ जाए। चड्ढी गीली हो जाए।
चम्पा- सुनते ही चड्ढी गीली हो जाए... पर भाभीजी, आपने तो चड्ढी पहनी ही नहीं है तो कहाँ से गीली हो जाए? पहले पैंटी पहन लीजिए, फिर गीली करने की कोशिश पक्का करूंगी।
सासूमाँ- रहने दे, रहने दे... पहले पैंटी पहनवायेगी, फिर गीली करेगी, फिर उंगली घुसाएगी, फिर चाटेगी। क्या फायदा? तू तो बस शुरू हो जा, मैं उंलगी कर रही हूँ तेरी चूत में।
* * * * *
* * * * *
चम्पा- अरे नहीं अम्मा, अब तो भाभी को करने दीजिए। आप भाभी की चूत में उंगले करिए और मुझे भाभी की फुद्दी में उंगली करने दीजिए।
तो बात उन दिनों की है। मेरे भाई कामरू की नई-नई शादी हुई थी। कामरू का एक बचपन के दोस्त थे जिनका नाम था भादरू बचपन में दोनों साथ-साथ पढ़े थे। कामरू की पढ़ाई तो बस पाँचवी तक ही हुई पर भादरू... पाँचवी के बाद शहर में पढ़ने लगा पर दोनों की दोस्ती बनी रही। दोस्ती समय के साथ गहरी होती गई। गाँव में भादरू का मुहल्ला अलग था पर दोनों साथ-साथ ही गाँव के तालाब में नहाने जाते थे और कमाल की बात ये हुई की दोनों की शादी एक ही गाँव में हो गई। ये मैं पहले ही कह चुकी हूँ की भादरू पढ़ा-लिखा था जब की मेरा भाई कामरू कम पढ़ा-लिखा था।
सासूमाँ- कम पढ़ा-लिखा था। तू तो ऐसे बोल रही है जैसे उसे चोदना भी नहीं आता हो। कामरू ने अपनी बीवी को चोदा तो था ना... की तेरी भाभी उंगली ही पेलती रही। जैसे अभी बहूरानी मेरी बुर में उंगली में पेल रही है।
चम्पा- अरे नहीं अम्मा जी, आप भी क्या बात करती है। चुदाई का पढ़ाई से क्या संबंध है भला। मेरा भाई तो ऐसी मस्त चुदाई करता है की क्या बोलँ। जान गले में अटक जाती है, दिल हथेली पर आ जाता है, आज भी उनके साथ हुई अपनी पहली चुदाई को याद करती हूँ तो... हाँ... ह... ... भाभी, मेरा तो पानी ही निकल गया।
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