RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
* * * * * * * * * * दूसरे दिन सुबह
कामरू- अच्छा बाबूजी, अम्माजी... हम तो कमलावती को लेने आए थे।
कमलावती के बाबूजी- अरे बेटा, अभी कमलावती की भाभी को बच्चा होने वाला है तो दस पंद्रह दिन और छोड़ देते तो मेहरवानी होती।
कामरू- जैसा आप ठीक समझे बाबूजी। पर पंद्रह दिन बाद तो मुझे छुट्टी नहीं मिलेगी।
सासूमाँ- कोई बात नहीं बेटे। कमलावती मेरे साथ चाली आएगी और इसी बहाने मैं भी थोड़े दिन तुम लोगों के साथ रह नँगी। पर हाँ फिर हमें यहाँ छोड़ने भी आना पड़ेगा।
कामरू- ठीक है अम्मा जी। अच्छा मैं अपने दोस्त भादरू के ससुराल जाता हूँ कुछ सामान लाने जाना है।
सास- अरे बगल में ही तो है। जा, कमलावती को भी संग ले जा।
आधे घंटे बाद। भादरू के ससुराल में।
कमलावती की सहेली- अरे, जीजाजी नमस्ते।
कामरू- नमस्ते भाभीजी।
सहेली- अरे जीजाजी, आप हमें भाभी क्यों कहते हो। हम तो आपकी साली लगती हैं।
कामरू- अरे, आपकी शादी मेरे दोस्त के साथ हुई है ना।
सहेली- पर हम आपकी बीवी की सहेली भी तो हैं। तो हो गई ना साली। हम तो आपको जीजाजी ही कहेंगे।
कामरू- सोच लो भाभी? ओहो... हाँ साली... साली आधी घरवाली होती है।
सहेली- तो क्या हुआ? हम तो तैयार हैं। अगर मेरी सहेली को कौनो ऐतराज ना हो तो।
कमलावती- अरी... साली तू भी ना पता नहीं क्या-क्या अंट शंट बोले जा रही है।
सहेली- अरे, जीजाजी जो कह रहे हैं, उसपर मैं बोल रही थी। वैसे तुम कब जा रही हो?
कमलावती- मैं तो दस पंद्रह दिन तक और नहीं जाऊँगी।
सहेली- फिर मेरे जीजाजी का क्या होगा? इतने दिन तो मूठ मार लिए। कल रात कुछ हुआ की नहीं?
कमलावती- साली तूने जो झाँटें साफ कर दिया था। रात भर पेलते रहे। अभी तक दर्द हो रहा है। फूलकर गुलाबजामुन बन गई है फुद्दी मेरी।
सहेली- पर अब ये दस पंद्रह दिन कैसे रहेंगे तुमरे बगैर?
कामरू- इसीलिये तो कह रहा हूँ भाभी। ओह्ह... साली संग में चलो, मजा आ जाएगा।
सहेली- मैं, ना जाने वाली अभी से। फिर तो आप दोनों दोस्त मिलकर मेरी अच्छे तरह से बजा दोगे।
कमलावती- क्या? दोनों दोस्त? इसका मतलब ये तुमको पेल चुके हैं?
सहेली- अरे नहीं रे... क्या मैं इतनी गिरी हुई हूँ की अपनी प्यारी सहेली के भाग्य को ही खा जाऊँ... मैं तो अपने जीजाजी से मजाक कर रही थी।
कमलावती- फिर ठीक है, वरना मैं तो सोच रही थी की कहीं तुम दो-दो लण्ड से मजा लूट रही हो और मुझे एक से काम चलाना पड़ रहा है।
कामरू- अच्छा भाभी।
सहेली- अरे जीजाजी, फिर भाभी... मैं साली हैं आपकी साली।
कामरू- अच्छा ठीक है साली... वो भादरू, आते समय आपसे कुछ फेमली वेमली बोलकर कुछ कह रहा था। दे देना मैं आज शाम को ही निकलने वाला हूँ।
सहेली- फेमली वेमली... वो क्या होता है?
कामरू- मुझे क्या मालूम की फेमली वेमली क्या होता है। आपके पति ने कहा है सो कह दिया। मुझे दे दीजिए ताकी मैं लेजाके उसे दे दें। वरना साला वो मेरा दोस्त कहेगा की ससुराल गया तो वहीं का होकर रह गया। एक फेमली लाने को कहा था वो भी नहीं किया।
सहेली- अरे, वो जाते समय तो कुछ भूले भी नहीं थे। हाँ... बुरुस और जीभी भूल गए थे। हम तो जीजा दातुअन करते हैं। वो करते है बुरुस।
कामरू- अरे नहीं, वो तो तालाब में रोज बुरुस जीभी लेकर करता है।
सहेली- फिर उन्होंने नया खरीद लिया होगा।
कामरू- पर फेमली फेमली तो दे दो। ले जाऊँ उसकी फेमली।
तभी सहेली के भाई ने कमरे में प्रवेश किया। वो भादरू के जैसे ही कामरू को भी जीजा ही कहता था और कमलावती को जीजी।
जुगनू- अरे जीजी.. जीजाजी... नमस्ते, आप कब आए?
सहेली- अरे भैया जुगनू, कल आए थे। आज ही शाम को जा रहे हैं। पर एक समस्या आ गई है। तुमरे जीजा ने कुछ फेमली वेमली करके कुछ चीज मंगाई है। तुझे पता है क्या? क्या होता है फेमली?
जुगनू- फेमली वेमली मुझे तो नहीं पता।
सहेली- अरे तुमरे जीजाजी ने मंगाया है। फेमली इनके हाथ भेजनी है, वरना वो नाराज हो जाएंगे।
जुगनू- रुको... रुको, मुझे याद आया। जीजाजी जब यहां आए थे तो मेले से मैंने उनके लिए सुंदर सा तबला खरीदा था, और वो जाने के समय भूल गये। शायद उसी को अँग्रेजी में फेमली कहते होंगे।
सहेली- चलो, भगवान का लाख-लाख शुक्र है की फेमली मिल गई। जीजाजी, आप ले जाना फेमली को संभाल करके और उन्हें दे देना, उनकी फेमली।
कामरू- अरे साली तुम चिंता ना करो। अपने दोस्त की फेमली है, सो मेरी फेमली। है। इसे अपनी फेमली सोचकर मैं इसे सीने से लगाए हुए गाँव तक ले जाऊँगा और बड़ी हिफाजत के साथ मेरे दोस्त की फेमली को दोस्त के शुपुर्द करूंगा। ठीक है साली... फिर गाँव में ही मिलते हैं। पंद्रह दिन बाद तुमरी सहेली अपनी अम्मा के साथ आएगी तो तुम भी आ जाना।
सहेली- ठीक है जीजाजी... तो नमस्ते, मिलेंगे आपसे फिर गाँव में।
जुगनू- अच्छा जीजाजी, ये लीजिए मेरे जीजाजी की अमानत, उनकी फेमली। उन्हें कह देना की मैंने आठ दस दिन उनकी फेमली को अच्छी तरह बजा दिया है।
कामरू- “अच्छा, ला भाई... मेरे बस का टाइम हो गया..” और इस तरह से कामरू अपने दोस्त की फेमली को लेकर अपने गाँव लौट आया।
अब पाँच दिन बाद तालाब पर।
कामरू- अरे भादरू... कब आया शहर से?
भादरू- मैं तो रात को ही आया हूँ। तू कब वापस आया ससुराल से?
कामरू- मैं तो दूसरे ही दिन आ गया था। तेरी भाभी तो आई नहीं। सलहज को बच्चा होने वाला है। 15 दिन बाद मेरी सास उसे यहाँ छोड़ देगी।
भादरू- अरे यार, तुझे कहा था कि मेरी परिवार लेते आना। क्यों नहीं लाया। देख नहीं रहा उसके बगैर सूख के काँटा हो गया हूँ। हाथ से काम चलना पड़ता है।
कामरू- अरे, तू बोले और तेरा काम ना करूं, ऐसा कभी हुआ है?
भादरू- क्या मतलब? तू मेरी परिवार?
कामरू- हाँ... दोस्त, मेरी बीवी तो आई नहीं। तेरी फेमली को ले आया हूँ।
भादरू- क्या तू मेरी परिवार को ले आया है ससुराल से।
कामरू- हाँ मेरे दोस्त, मैं तेरी फेमली को तेरी ससुराल से ले आया हूँ।
भादरू- पर मेरे घर में तूने मेरी परिवार को नहीं छोड़ा।
कामरू- हाँ... यार... जिस दिन यहाँ पहुँचा, रात काफी हो गई थी। तो मैंने तेरी परिवार को अपने घर में ही रखना मुनासिब समझा। तेरी भाभी तो थी नहीं सो मैंने तेरी फेमली को अपने सीने से चिपका के अपने साथ पलंग पर सुलाया।
भादरू- क्या? सारी रात, अपने सीने से चिपका करके पलंग पे सुलाया।
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