non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
06-06-2019, 02:20 PM,
RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
हम दोनों एक-दूसरे से लिपटे हुए थे, एक-दूसरे को चूम रहे थे। मेरा देवर मेरी एक चूची को दबा रहा था, सहला रहा था। दूसरी की निपल को अपने मुँह में लेकर जीभ उसके चारों तरफ फिरा रहा था। फिर उसने अपने मुँह में भर लिया, जितना हो सके उतना उसने भर लिया... पर पूरी चूची थोड़े ही उसके मुँह में समा सकती थी।

मेरे कामरू भैया ने बड़ी मेहनत से हर रोज बिना नागा, दिन-रात, सुबह-शाम, अंदर-बाहर मेरी चूचियों को दबादबा के, सहला-सहला के, चूस-चूसकरके बड़ा किया है। इधर मेरे पति का लण्ड मूंगफली है तो क्या हुआ? चूसते बढ़िया हैं, चूचियों को और चूत को भी। हाँ... सच्ची में। और ये मेरा देवर हमारी सारी रासलीला का चश्मदीद गवाह था। वो भला कैसे नहीं सीखता।।

उसने बढ़िया तरीके से मेरी चूचियों की सेवा की। एक चूची के बाद दूसरी का नंबर भी आया। उसने बड़े प्यार से बिना कोई धोखाधड़ी किए मेरी उस चूची को भी उतना ही प्यार से चूसा, दबाया और सहलाया। मेरी तो चूत पनियाने लगी थी। मेरा पूरा का पूरा बदन काँपने लगा था। मैंने भी देवर का लण्ड सहलाया। मेरी सास ने ना जाने क्या खाकर इन्हें पैदा किया था। काश की वही खाकर मेरे पति को भी पैदा कर देती तो मुझे ये सब नहीं करना पड़ता।

खैर, देवर भी तो पति समान ही होता है। अगर पति से कुछ ना होता हो तो पत्नी को पूरा अधिकार है की वो... वो चीज... वो कार्य अपने देवर को पटाकर, बर्गलाकर, फुसलाकर, धमका कर, अपने जलवे दिखाकर, किसी भी तरीके से करवाए। और मैंने पिछले दो माह यूँ ही नहीं काटे थे। खूब मेहनत की थे अपने देवर पर... हर रात बिना नागा उसके कमरे में जाकर लण्ड को सहलाना, फिर चूसना... यहाँ तक की रविवार रात को भी पति से । संभोग करने के बाद, उनके सोने के बाद चली जाती थी। और आज मेरी सारी मेहनत रंग ला रही थी। मुझे मेरी मेहनत का फल मिलने वाला था।

आज मुझे मेरे सपना सच होता दिखाई दे रहा था। वो लण्ड, जिसकी मैं सपने देखाकरती थी। आज मेरी मुट्ठी में था। और थोड़ी देर के बाद मेरी प्यारी सी, छोटी सी, मखमली सी, सफाचट चूत में घुसकर अपना झंडा फहराने ही वाला था। मैं ये सब सोच ही रही थी की कब देवर मेरी चूचियों को छोड़कर नाभि को चूमते हुए, दोनों जांघों के बीच में चूत के दाने को अपनी जीभ से चाटने लगा, चूमने लगा... मुझे मालूम ही ना पड़ा। वाह... मैं चूत के दाने पर जीभ के लगते ही उछल पड़ी। हाय... ये क्या हो गया?

मैं जब उछल पड़ी तो देवर ने चौंकते हुए मुझे चूमना छोड़ दिया।

मैं (चम्पारानी)- क्या हुआ देवरजी? आपको अच्छा नहीं लगा मेरी चूत चाटना?

देवर- ऐसा नहीं है भाभीजी।

मैं- तो फिर चूमना, चूसना क्यों छोड़ दिया देवरजी?

देवर- आप उछल पड़ी ना तो मैंने सोचा की आपको दर्द तो नहीं हो रहा है? इसीलिए।

मैं- “अरे देवरजी, अभी तो मजा आना शुरू ही हुआ था की आपने शुरुवात में ही सारे मजे में पानी फेर दिया। और रही बात दर्द की तो असल दर्द तो तब होगा। जब आप अपना ये विशाल मूसल को मेरी...”

देवर- आप चुप क्यों हो गई भाभीजी? बताइए ना कब आपको दर्द होगा? जब मैं अपना मूसल आपकी... मूसल बोले तो? और मेरे पास मूसल है ही कहाँ? और मैं उस मूसल को आपके किस चीज में घुसाऊँगा? जरा खुलकर बताइए।

मैं- कुछ नहीं... थोड़ी देर में खुद-बा-खुद समझ में आ जायेगा। आप मेरी चूत को चाटना जारी रखो... या ऐसा करो 69 पोजीशन में आ जाओ।

देवर- 69 पोजीशन? अरे वाह... आपको अँग्रेजी के शब्द भी मालूम हैं?

मैं- अच्छा... ये अँग्रेजी शब्द है? मैं तो सोची थी की कोकशास्त्र में लिखा हुआ है। आपके भैया ने बताया था। वो मेरी फुद्दी चाटते थे। और मैं उनकी मूंगफली।

देवर- इसमें तो दोनों को ही मजा आएगा भाभीजान। चलो, ऐसा ही करते हैं। चूत चाटने का मजा और साथ ही साथ लण्ड चुसवाने का मजा। अरे वाह... मजा आएगा।

मैं- हाँ... देवरजी। मेरे साथ रहोगे, मेरा कहना मनोगे तो ऐसे ही हर रात, हर दिन ऐसे ही ऐश करोगे। वरना मूठ मारते ही रह जाओगे?

देवर- मुझे मूठ नहीं मारना है भाभीजी। मुझे तो असली मजा चाहिए। असली फुद्दी की असली चुदाई मेरे असली लण्ड के साथ।


मैं- “तो देर किस बात की है देवरजी। शुरू हो जाओ। लगा दो जीभ मेरी चूत के दाने पे.. चूसना शुरू कर दो... और अपने मस्ताने लौड़े को सटाड़ो मेरे मुँह के पास ताकी मैं भी चूस-चूसकर खुद भी मजा ले सकें और आपको भी मजा दे सकें...”

और मैंने देवर के लण्ड को पास से देखा। अरे बाप रे... लण्ड की नसें एकदम तनी हुई थी, सुपाड़ा जैसे कोई पहाड़ी आलू हो। हाय... मेरी फुद्दी तो बिना चुदे ही पानी छोड़ने लगी। पर मैं सोचती थी- साली चम्पारानी... आज तेरी फुद्दी की खैर नहीं। साली बहुत खुजलाती थी ना तेरी फुद्दी। आज तेरा देवर अपने विशाल लण्ड से तेरी फुद्दी को जरूर से फाड़ेगा, कचूमर निकाल देगा तेरी बुर का।
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