RE: Incest Kahani पहले सिस्टर फिर मम्मी
ऐसा करने से पीछे से उसकी मांसल और मोटी जांघे पूरी तरह से नंगी हो गई और उसकी काले रंग की, नायलोन की जालीदार पैन्टी का निचला भाग दिखने लगा। पैन्टी के साथ में, उनमें कसे हुए मदमस्त चूतड़ों की झलक भी मुझे मिल गई। मेरी बहन की इस हरकत ने आग में घी का काम किया, और अब बरदाश्त करना मुश्किल हो चुका था। मैं तेजी से दो-दो सीढ़ियां फलान्गते हुए, सेकंडों में ही अपनी प्यारी दीदी के पास पहुँच गया और हम दोनों भाई-बहन हँसते हुए अपने कमरे की ओर भागे। हम दोनों के बदन में आग लगी हुई थी,
और हम बेचैन थे कि, कब हम एक-दूसरे की बांहों में खो जाये।
इसलिये हमने दरवाजे को धक्का देकर खोला और अपने बैग और किताबों को एक तरफ फेंक कर, जूतों को। खोलकर, सीधे ही एक-दूसरे की बांहों में समा गये। दरवाजा हालांकि हमने बंद कर दिया था, पर हम दोनों में से किसी को उसको लोक करने का ध्यान नहीं रहा। वासना की आग ने, हमारी सोचने-समझने की शक्ति शायद । खतम कर दी थी। मैंने जोर से अपनी प्यारी बहन को अपनी बांहों में कस लिया, और उसके पूरे चेहरे पर चुंबन की बरसात कर दी।
उसने भी मुझे अपनी बांहों में कसकर जकड़ लिया था, और उसकी कठोर चूचियां मेरी छाती में दब रही थीं। उसकी चूचियों के खड़े निप्पल की चुभन को, मैं अपने छाती पर महसूस कर रहा था। उसकी कमर और जांचें मेरी जांघों से सटी हुई थीं, और मेरा खड़ा लण्ड मेरे पैन्ट के अंदर से ही उसकी स्कर्ट पर, ठीक उसकी बुर के ऊपर ठोकर मार रहा था। मेरी प्यारी दीदी अपनी चूत को मेरे खड़े लण्ड पर, पैन्ट के ऊपर से रगड़ रही थी।
हम दोनों के होंठ एक-दूसरे से जुड़े हुए थे और मैं अपनी प्यारी बहन के पतले, रसीले होंठों को चूसते हुए, चूम रहा था। उसके होंठों को चूसते और काटते हुए, मैंने अपनी जीभ को उसके मुँह में ठेल दिया था। उसके मुँह के अंदर जीभ को चारों तरफ घूमते हुए, उसकी जीभ से अपनी जीभ को लड़ाते हुए, दोनों भाई-बहन एक-दूसरे के। बदन से खेल रहे थे।
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