RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
नफ़ीसा सिसकते हुए बोली, “आअहहह चुप कर साली ओहहह हाय अल्लाह आँहहह गाँड मरवाने का असली मज़ा तो ऐसे मूसल जैसे अनकटे लंड से ही आता है... इस दर्द में भी लज़्ज़त है मेरी जान... अभी थोड़ी देर में मेरी गाँड का ढोल नहीं... पियानो बजता सुनायी देगा तुझे कुत्तिया!” सुनील का अभी आधा लंड ही नफ़ीसा की गाँड में उतरा था और नफ़ीसा को मस्ती और दर्द की तेज लहर अपनी गाँड में महसूस होने लगी थी। सुनील धीरे-धीरे अपना आधा लंड ही नफ़ीसा की गाँड के अंदर बाहर करने लगा। “सुनील यार... ऐसे मज़ा नहीं आयेगा हमारी नफ़ीसा को.. एक नंबर की गाँडमरी है ये... जोर से चाँप साली की गाँड को... फिर देख कैसे इसकी गाँड से पादने की आवाज़ें आती हैं!” रशिदा गिलास में से अपना खुद का मूत सिप करते हुए बोली। नफ़ीसा रशीदा की तरफ़ देखते हुए थोड़ा चिढ़ कर बोली, “तू क्यों फ़िक्र कर रही है कुत्तिया... तेरी गाँड का ढोल भी आज फटेगा सुनील के लंड से..!”
“ओहहह भोंसड़ी की... तू इसका लौड़ा छोड़े तब ना... तू ही मरवा ले पहले अपनी गाँड!” रशीदा बोली और गिलास में बचा अपना मूत गतक-गटक पी कर खाली गिलास साइड में रख दिया। सुनील अब नॉर्मल स्पीड से नफ़ीसा की गाँड के छेद में अपना लंड अंदर-बाहर कर रहा था। नफ़ीसा की गाँड अब सुनील के मोटे लंड के मुताबिक एडजस्ट हो गयी थी और उसका दर्द का एहसास बिल्कुल खतम हो चुका था। नफ़ीसा ने भी अपनी गाँड को पीछे की तरफ़ ढकेलना शुरू कर दिया। “आहहहहह ओहहहह येस्स्सऽऽऽ सुनीऽऽऽऽल... और तेज़ मार मेरी गाँड... पूरा का पूरा घुसा दे अपना लौड़ा.... ओहहहह... मैं भी देखूँ कि कितनी अकड़ है तेरे लौड़े में... आहहह सुउउऽऽनीऽऽऽऽल आँआहहहहहह...!” सुनील अब पूरी ताकत के साथ अपना मोटा मूसल जैसा लंड नफ़ीसा की गाँड के छेद में अंदर तक पेलने लगा और नफ़ीसा भी किसी मंझी हुई रंडी की तरह अपनी गाँड को पीछे की तरफ़ सुनील के लंड पर ढकेलने लगी।
सुनील ने नफ़ीसा की गाँड को चोदते हुए एक दम से अपने लंड को पूरा बाहर निकला तो उसने देखा कि नफ़ीसा की गाँड का छेद और आसपास का हिस्सा एक दम सुर्ख हो चुका था और अगले ही पल उसने फिर से अपने लंड को एक ही बार में नफ़ीसा की गाँड के छेद में पेल दिया। जैसे ही सुनील के लंड का मोटा सुपाड़ा नफ़ीसा की गाँड के छेद के अंदर की तरफ़ हवा को दबाते हुए बढ़ा और जड़ तक अंदर घुसा तो हवा गाँड के छेद से पुर्रर्र की आवाज़ करते हुए बाहर निकली जिसे सुनते ही नफ़ीसा की गाँड और फुद्दी में सरसराहट दौड़ गयी। “ऊऊऊहहह आआओहहह सुनीईईल तूने तो कमाल ही कर दिया... आहहह मार मेरी गाँड और जोर-जोर से... आँआँहहह ओंओंओंहहहह हाँआआआ ऐसे ही... शाबाश मेरे शेर ओअहहह और तेज... पाद निकाल दे... सुनील... फक मॉय ऐस ओहहहह ओंओंहहह!”
सुनील अब बिना किसी परवाह के नफ़ीसा की गाँड में अपना लंड तेजी से अंदर-बाहर कर रहा था और बीच-बीच में नफ़ीसा की गाँड में से हवा बाहर निकल कर पुर्रर्र-पुर्रर्र की आवाज़ करती और सुनील की जाँघें नफ़ीसा के मोटे चूतड़ों के साथ टकराते हुए ठप-ठप की आवाज़ करती जो कमरे के अंदर नफ़ीसा की मस्ती भरी सिसकियों के साथ गूँजने लगी। थोड़ी ही देर में नफ़ीसा को अपनी गाँड और चूत के छेद में सरसराहट बढ़ती हुई महसूस हुई और फिर नफ़ीसा की चूत ने अपना लावा उगलना शुरू कर दिया। नफ़ीसा आगे की तरफ़ लुढ़क गयी और सुनील का गंदा सना हुआ लंड नफ़ीसा की गाँड से बाहर आकर हवा में झटके खाने लगा।
इस दौरान रशीदा ये सब देखते हुए अपनी चूत को रगड़ रही थी और जैसे ही उसने नफ़ीसा का काम होते देखा तो उसने नफ़ीसा की गाँड में से निकला और गंदगी से सना हुआ लंड लपक कर अपने मुँह में भर लिया और बड़े मज़े से उसे चूस कर साफ़ करने लगी। रशीदा की ये हरकत देखकर सुनील भौंचक्का रह गया लेकिन सुनील ने सोचा कि ये चुदैल मुसल्ली औरतें जब पेशाब पी सकती हैं तो फिर ये हर्कत भी उनसे अप्रत्याशित तो नहीं है। चार-पाँच मिनट में ही रशीदा ने उसका लंड चूस-चूस कर और चाटते हुए बिल्कुल साफ़ कर दिया। जितने मज़े और बेसाख्तगी से रशिदा ने नफ़ीसा की गाँड में से निकला गंदा लंड चूस कर साफ़ किया था उससे साफ़ ज़हिर था कि ये उसके लिये कोई नयी बात नहीं थी। सुनील का लंड वायग्रा के असर के कारण अभी भी अकड़ा हुआ था। सुनील पीठ के बल लेटा हुआ था और रशीदा भूखी कुत्तिया की तरह सुनील के ऊपर चढ़ गयी और जोशीले अंदाज़ में सुनील के लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर टिका दिया और गप्प से सुनील के लंड पर अपनी चूत को दबाते हुए बैठ गयी। एक ही पल में सुनील का लंड नफ़ीसा के चूत की गहराइयों में समा चुका था।
“ओहहहह हाऽऽय अलाहऽऽ तेरा लौड़ा तो सच में बहोत बड़ा है सुनील... कमीना नाफ़ तक पहुँच गया महसूस हो रहा है!” रशीदा जोर से सिसकते हुए बोली। “क्यों आपको अच्छा नहीं लगा...” सुनील ने पूछा तो रशीदा उसकी आँखों में झाँकती हुई बोली, “ओहहहह सुनीईईल... ऐसा लौड़ा हासिल करने के लिये ना जाने कितनी मुद्दत से तरस रही थी... काश कि तू दस साल पहले ही मेरी जवानी में मिला होता... ओहहह सुनील... तेरे जैसे अनकटे लंड वाले लड़के से चुदने का मज़ा ही कुछ और है...!”
“तो अब आप कौन सा बुड्ढी हो गयी हो... एक दम सैक्सी और हॉट हो आप!” सुनील बोला तो रशीदा ने कहा, “अरे मेरी जान... तेरी उम्र का मेरा बेटा है...!” रशीदा ने अपने हाथों को सुनील की चौड़ी छाती पर रखा और अपनी गाँड को ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया। सुनील का लंड रशीदा की पनियाई हुई चूत में रगड़ खाता हुआ अंदर-बाहर होने लगा। अपनी चूत और गाँड दोनों चुदवा चुकी नफ़ीसा अपनी सहेली रशीदा के पेशाब से भरा गिलास होंठों से लगा कर सिप करती हुई अपनी नशीली आँखों से उन दोनों को देख कर फिर से सुरूर और मस्ती में आने लगी थी। सुनील रशीदा की चूत में अपना लंड पेलते हुए उसकी गाँड को अपने हाथों से दबा-दबा कर मसलने लगा। नफ़ीसा ने गिलास में भरा रशीदा का सारा मूत पीने के बाद खाली गिलास साइड-टेबल पे रखा और अपने होंठों पे ज़ुबान फिराती हुई वो रशीदा के पीछे आ गयी और बोली, “सुनील चल इस साली राँड की गाँड को खोल दे तो मैं इसकी गाँड को नरम कर दूँ... फिर इसकी गाँड का ढोल भी तो बजाना है..!”
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