RE: Adult Kahani छोटी सी भूल की बड़ी सज़ा
में उठ कर अमित के रूम में चली गयी…..अमित कपड़े पहन चुका था….”कब जाना है तुम्हे” मेने अमित से रूखे अंदाज़ में पूछा… और अमित ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा और बोला, दोपहर को जाउन्गा…इतने में सोनिया रूम के बाहर अमित के लिए नाश्ता लेकर खड़ी हो गयी…मेने जाकर सोनिया से नाश्ते की प्लेट ली, और अमित के रूम में बेड पर रख दी……और फिर में बाहर आकर अपना काम करने लगी…….
अमित नाश्ते के बाद ऊपेर छत पर चला गया…..क्योंकि सर्दियों का मौसम था इसलिए बाहर धूप में बैठना सब को अच्छा लगता था…..सोनिया अपने रूम में कुछ काम कर रही थी….नज़ाने क्यों मेरे मन में बार-2 यही आ रहा था कि, मुझे उसे ऐसे करने से रोकना चाहिए……फिर मन में आता में कॉन होती हूँ, उसकी जिंदगी में दखल देने वाली…….
पर नज़ाने क्यों में अपने मन के हाथों मजबूर होकर, ऊपेर छत पर चली गयी…..वहाँ अमित चटाई बिछा कर नीचे लेटा हुआ था..में उसके पास जाकर बैठ गयी….
में: अमित एक बात कहूँ ?
अमित: मेरी तरफ देखते हुए) हां आंटी जी कहो ना क्या बात है ?
में: देखो अमित वैसे तो मुझे तुम्हारी निजी जिंदगी में दखल देने का हक़ मुझे नही है………पर फिर मुझे लगता है, कि तुम्हारे और जो नीता के बीच में है, वो सही नही है…..अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है…..वो तुम्हारा इस्तेमाल कर रही है…..एक दिन तुम अपनी जिंदगी उसके चक्कर में खराब कर लोगे…….
मेने एक ही साँस में मेरे दिल में जो आया वो बोल दिया……मेरी बात सुन कर अमित खामोश हो गया. फिर थोड़ी देर बाद उसने चुप्पी तोड़ते हुए बोला….
अमित: आंटी जी में अब आपको कैसे बटाऊ…….आप तो जानती है कि में अनाथ हूँ….और मेरा इस दुनियाँ में कोई नही है…जो मुझे अच्छा बुरा समझा सकता. पर नीता आंटी से मेरा सिर्फ़ वही रिश्ता नही है…..उन्होने मेरा हर मुस्किल वक़्त में साथ दिया है…में आप को बता नही सकता कि, किस कदर उन्होने ने मेरे हर कदम पर मदद की है, आज अगर में खुद कमा कर खा रहा हूँ, तो ये सिर्फ़ उनकी बदोलत है……उन्होने ने ही मुझे मेरे पैरो पर खड़ा किया है….
में अमित के बात सुन कर चुप हो गयी…..पर फिर भी मेरा मन उसकी बातों को मानने के लिए तैयार नही था……
में: ठीक है पर मुझे नही लगता ये सब ठीक है……
और फिर में नीचे चली आई…….अमित दोपहर को घर से चला गया……रामा तो पहले सी ही अपनी ससुराल में थी, और अमित के जाने के बाद घर और सुना सा लग रहा था…..रात हुई, और फिर सुबह, फिर रात हुई….पर अमित अभी तक वापिस नही आया था.मुझे उसकी थोड़ी चिंता होने लगी थी…..पर मेरे पास ना तो नीता का कोई फोन नंबर था, और ना ही अमित का……
में रात को सो रही थी कि, बाहर डोर बेल बजी……में आँखें मलते हुए बेड से उठी, और दीवार पर लगी घड़ी की तरफ देखा…रात के 12 बज रहे थे…में अपने रूम से बाहर आई, और गेट के पास जाकर पूछा कि कॉन है….तभी बाहर से अमित के लड़खड़ाती हुई आवाज़ आई…..
अमित: में हूँ में हम अमित आंटी जी….
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