Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 03:48 PM,
#23
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"आहहहहा उम्म्म अहहहाहा..... प्रेम मेरा बहुत ख़याल रखता है शीना अहाहाहहा...ही ईज़ माइ एल्डर ब्रदर अहहहहा.... देख ना अहहहाआ.. इस चूत को

अहाहहामम्म्मम...कितना ध्यान रखता है अहहहाहा.. प्रेम के नाम से ही अहहहहा.... बहने लगी है अहहहाहा...." स्नेहा शीना से आँखें मिला के बोली और अपनी चूत ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी... शीना ने भी अपने पैरों को खोल दिया और अपनी लाल गीली हो रही चूत में धीरे धीरे कर उंगलियाँ डालने लगी और हल्के से अंदर बाहर करने लगी..





"आहहहा भाभी अहहाहा ससिईईई...उम्म्म्ममम मेरा ख़याल कौन अहहहहः रखेगा अब औहमम्म्ममम अहहहहा...भाभी कुछ अहहहाहा करो ना अहहहहा....प्रेम को बोलो ना अहहहाहा मेरा भी ध्यान रखे अहहाहा सीईईईई ओह यस अहहहहा भाभी, अहहहहः दिस ईज़ सो मच फन अहहहहाआँ भाभी बहुत मज़ा आ रहा है अयीई अहहहाहा सीयी....." शीना को कुछ अंदाज़ा नहीं था वो क्या बोल रही है









"इससे ज़्यादा मज़ा तो अहहाहा म्म्म्महमम चुदवाने में आता है मेरी ननद रानी अहहहाआ..... प्रेम क्यूँ, प्रेम मेरा अहाहहाः भाई है उई अहहहहा... तू अपना ध्यान खुद रख ना अहहहहहाहा मेरे भाई पेउई अहहहाहा नही रख अहहहहः.... हाहाहहा ओह..." स्नेहा ने अपनी गति तेज़ कर दी और शीना का साथ देने लगी




"अहहहहा तो भाभी आप मेरी मदद कीजिए ना अहहहाहा...रिकी अहहहहा भाई से अहहहहाआहह मुझे चुदना है अहहहा.. आइ लव हिम भाभी अहहहहा यस अहहहहहा...ओह माइ गॉड फक्क्क आहहाहह अहहाहा....." कहके शीना ने स्नेहा को अपने पास खींचा और एक बार फिर उसके होंठों को चूमने लगी जंगालियों की तरह..


स्नेहा ने भी उसी गति से उसके होंठों पे प्रहार किया और साथ ही साथ शीना की चूत में भी अपनी उंगली डाल के उसे अंदर बाहर करने लगी



"अहहहाहा फक मी भाभी अहहहहा.. ओह यस अहहहहहाहा , गिव मी अहाआहः उर अहहहहा पुसी भाभी उईयाहाहहाहा" शीना पागलों की तरह चिल्लाने लगी और अपने होंठ स्नेहा के होंठों से अलग करके स्नेहा की चूत में भी अपनी उंगली डाल के उसे रगड़ने लगी. भाभी ननद पागलों की तरह बस एक दूसरे की चुतो को रगड़ने लगी और एक दूसरे का भाइयों के नाम लेती रही




"अहहहाहा प्रेम यस अहहहः फक मी अहहहहहाआ...... ओह उम्माहहहूंम्म्ममम रिकी भाई अहहाहा यस आइ लव यू भाई उम्म्माहहहूंम्म्ममम" दोनो के मूह से बस यही लफ्ज़ निकलते




"अहाहहाः भाभी, आइ एम कमिंग अहहहाहा मैं आ रही हूँ भाभी उम्म यस सहहहहा...."




"अहहहाहा मेरी ननद आहहा, पहला स्टेप है अहाहौईइ उम्म्म्म के अपने भाई के नाम से ही झड़ना सीखो अहाहहा.. प्रेम यस आइ एम कमिंग बेबी अहहहाहा फक मी फास्टर अहहहहा..."





"उम्म्मयस अहहाहा रिकी भाई अहाहहाएस ओह उम्म्म आइ लव अहहहा ओह्ह्ह यस अहहहः आइएम कमिंग रिकी अहहहहहाअ भाइईईईईईईई अहहहा...." शीना की इस चीख के साथ स्नेहा और शीना दोनो झड़ने लगी और झाड़ते ही दोनो बेड पे गिर गयी और एक दूसरे के होंठों को फिर से चूसने लगी... इस हरकत के बाद शीना और स्नेहा दोनो पसीने से भीग चुकी थी, दोनो के शरीर पे देखा जा सकता था के कैसा कोहराम आया था अभी कुछ देर पहले, दोनो ज़ोर ज़ोर से हाँफ रही थी और फिर से दोनो के मन में अलग अलग विचार आने लगे... स्नेहा यह सोच रही थी कि अब शीना को हाथ से जाने नहीं देना है, उसे पल पल यह एहसास दिलाते रहना है के वो सही कर रही है और उसे रिकी के करीब ले जाना है.. वहीं शीना अपनी इस हरकत से काफ़ी दुखी थी, उसे यकीन नहीं था कि वो ऐसी हरकत भी कर सकती है, दुविधा में पड़ गयी थी वो के उसने जो किया अब उसका अंजाम क्या होगा.. लेकिन एक ख़याल उसको यह भी आया कि अब जो हो चुका है वो बदल नहीं सकते, और उसने अपने मन को पक्का कर लिया के अब बहुत दूर रह चुके , भाभी की मदद से ही तो भले वोही, लेकिन अब उसे रिकी के करीब जाना ही है.. करीब 10 मिनट तक दोनो अंदर ही अंदर कुछ सोचते रहे, पर जैसे ही स्नेहा ने शीना को देखा, उसे लगा के शायद शीना अभी भी दुविधा में है, इसलिए उसने तुरंत ही उठ के शीना के पैरो को फिर से खोला और अपनी जीभ उसकी चूत पे रख के सक करने लगी... शीना एक बार फिर वासना की नदी में गोते खाने लगी और उछल उछल के अपनी चूत चटवाने लगी





"शीना,आइ एम सॉरी अगर कुछ ग़लत लगा हो तो, आइ कुडन्ट' कंट्रोल माइसेल्फ, सॉरी अगेन.." स्नेहा ने शीना की आँखों में देख के कहा जब दोनो तक के एक दूसरे के बाजू में सो गये




"कोई बात नहीं भाभी, फ्रॅंक्ली स्पीकिंग आइ एंजाय्ड.. बहुत टाइम बाद किसी के सामने अपने दिल की बात कह सकती हूँ.." शीना ने स्नेहा से आँखें मिला के कहा




"थॅंक यू शीना, कि तुमने मुझे इस लायक समझा... पर वैसे, कब से यह फीलिंग है तुम्हारे अंदर.." स्नेहा ज़्यादा से ज़्यादा जानना चाहती थी रिकी के बारे में




"पता नहीं भाभी, बट जबसे रिकी भाई लंडन गये, तब से उन्हे काफ़ी मिस करने लगी थी, फिर उनके बारे में ही सोचती, जब वो यहाँ होते तो उनके साथ ही टाइम स्पेंड करने में मज़ा आता, जब वो चले जाते तो ऐसा लगता के मैं भी उनके साथ ही चली जाउ, उनके बगैर दिल बस गुम्सुम सा रहता, किसी से बात करने की दिल नहीं होती..हर वक़्त बस रिकी भाई के बारे में ही सोचती रहती थी.. मैने काफ़ी कोशिश की के मैं उनके बारे में ऐसा ना सोचूँ, लेकिन ऐसा नहीं कर पाई.. काफ़ी इग्नोर किया उन्हे, नंबर डेलीट, फ़ेसबुक से डेलीट, लेकिन फिर भी बस उन्ही के ख़याल आते रहते दिल में..जब दिमाग़ हार गया, तब मैने दिल की सुनी और आगे बढ़ती गयी.." शीना ने यह बात आज से पहले किसी से नहीं कही, स्नेहा के साथ अब इतना आगे आ चुकी थी तो यह बात कहने में उसे कोई हर्ज़ नहीं लगा...
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 03:48 PM

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