Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
07-11-2019, 12:28 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
ये घर चाचा जी के घर से करीब 200 मीटर दूर था लेकिन सबसे करीबी घर यही था
बाकी के घर तो ऑर भी ज़्यादा दूर थे,,,,,,हम लोग अंदर गये तो देखा कि ये घर बहुत
अच्छा बना हुआ था,,,घर मे एक बड़ा सा हाल था जो काफ़ी खुला था जबकि रूम सिर्फ़ 2 ही थे
उपर भी कुछ बना हुआ था लेकिन अभी तक मैं उपर नही गया था,,,,ये घर चाचा जी के
घर से एक दम अलग था जैसे सहरी घर होते है,,,,जहाँ गाँव के घर मे एक तरफ 4 रूम
थे ओर एक खुला आँगन था जहाँ से आसमान सॉफ नज़र आता था,,,वहीं ये घर एक दम से
बंद था चारो तरफ से हॉल तो बहुत बड़ा था लेकिन सारे घर मे छत थी कहीं भी खुली
जगह नही थी गेट के उपर भी जंगला लगा हुआ था कहीं से भी ताजी हवा आने का कोई रास्ता
नही था,,,चाची हमको हमारे रूम मे ले गई,,,,,,,,,,,

ये लो बेटा ये तुम लोगो का रूम है,,साथ वाला रूम केवल का है,,,,

चाची ये घर तो बहुत अच्छा बना हुआ है,,,,,,,,,,मैने चाची से कहा,,,,

क्या खाख अच्छा बना हुआ है,,मुझे तो चिड़ीखाना लगता है हर तरफ से घुटन होने
लगती है,,,,ऑर भला अकेले को ही रहना था तो इतना बड़ा क्यू बनाया एक ही कमरा बना लेता
काफ़ी था,,,,खुद तो यहाँ रहने आ जाता है लेकिन परिवार अभी भी शहर मे है,,वो लोग
नही आते कभी गाँव शहर का कुछ ज़्यादा की असर हो गया है उन लोगो पे ये तो केवल भी
तेरे चाचा जी की वजह से आता है यहाँ,,,,वैसे तो ये भी 1 -1 साल मुँह नही दिखाता अपना,,
चलो अब तुम लोग आराम करो थक गये होगे रात के सफ़र से,,,,,

हम लोग अपने रूम मे गये तो चाची अपने घर को चल पड़ी वापिस,,,,,,,रूम काफ़ी अच्छा था,
बड़ा सा बेड लगा हुआ था एसी भी था रूम मे जबकि चाचा के घर तो चाचा के रूम मे
एक पंखा भी नही था उन लोगो को बिना पंखे के ही नींद आ जाती थी वैसे भी गाँव मे
तापमान सहर के मुक़ाबले काफ़ी कम होता है कम से कम 8 % डिग्री का फ़र्क होता है ये
मुझे भी महसूस हो रहा था,,,इस रूम मे ऑर चाचा के घर जब बैठ कर चाइ पी
रहे थे तब भी इतनी गर्मी का एहसास नही हुआ था,,,जबकि शहर मे तो बिना एसी के कुछ
पल मे ही बुरा हाल हो जाता है,,,,

चाची चली गई ओर सोनिया बेग से अपने कपड़े निकालने लगी ऑर फ्रेश होने बाथरूम मे चली
गई जबकि मैने बेग को बेड पर रखा ऑर घर देखने के लिए रूम से बाहर आ गया नीचे तो
2 रूम ऑर एक किचन के अलावा कुछ नही था तो सोचा क्यू ना घर की छत पे चला जाए तो
मैं उपर की तरफ़ चला गया उपर वाले फ्लोर पर भी कुछ नही बना हुआ था जस्ट एक बड़ा सा
हॉल था ऑर एक सोफा सेट पड़ा हुआ था ऑर कुछ नही था,,,,,मैं वहाँ से भी उपर चल पड़ा
ऑर छत पे चला गया छत भी पूरी खुली थी बस एक रूम था जो सीडियों के उपर ही बना
हुआ था ऑर उसपे लोहे का गेट लगा हुआ था लेकिन जैसे ही मैं छत पर एक तरफ आगे को गया
तो दिल खुशी से झूम उठा,,,,,हर तरफ़ हरे भरे खेत थे दूर दूर तक जहाँ भी नज़र
जाती खेत ही खेत थे वैसे भी जहाँ मैं इस टाइम खड़ा हुआ था ये घर गाँव के सभी
घरों से उँचा था जहाँ से गाँव का एक दम अलग ऑर खुश कर देने वाला नजारा देखने
को मिल रहा था,,मैं बहुत खुश था ये सब देख कर,,,इतनी शांति थी गाँव मे कि यहाँ
खड़े होके एक अजीब सा सकून मिल रहा था दिल को एक अजीब सी खुशी हो रही थी ,शहर के
शोर शराबे से दूर एक शांत जगह आके बड़ा मज़ा आ रहा था,,,,मैं करीब 20-25
मिनट से यहाँ खड़ा हुआ गाँव के शांत ऑर खूबसूरत नज़ारे से दिल को खुश कर रहा था'
तभी सोनिया भी छत पर आ गई ऑर मेरे करीब खड़ी होके छत से गाँव के नज़ारे लेने
लगी,,,,,उसके चेहरे से लग रहा था कि वो भी गाँव आके बहुत खुश थी,,,,,,,

थॅंक्स भाई,,,,,,,,सोनिया ने बड़े ही प्यार भरे अंदाज मे बोला

इसमे थॅंक्स्क्स की क्या बात है,,,,,,,मैने भी उसको जवाब दिया,,,

मुझे यहाँ लेके आने के लिए,,आपको नही पता मैं कितनी खुश हूँ यहाँ आके ऑर मेरे
से भी ज़्यादा खुश है चाचा जी हमारे यहाँ आने से,,,,,चाची मुझे बोल रही थी कि तुम
लोगो के यहाँ आने से आज कितने दिनो या पता नही महीने बाद ही चाचा जी के चेहरे पर
खुशी नज़र आई है,,वो बार बार चाचा जी की वजह से मुझे गले लगा कर शुक्रिया अदा
कर रही थी ऑर बोल रही थी कि हम लोग कुछ दिन यहाँ रुक जाए ताकि चाचा जी को आखरी दिनो मे
कुछ खुशी नसीब हो जाए,,,,,,,,ये सब आपकी वजह से हुआ भाई ना आप मुझे यहाँ लेके
आते ऑर ना चाचा चाची इतने खुश होते,,,,थॅंक्स्क्स्क्स भाई,,,,

इतना बोलते ही सोनिया मेरे गले लग गई ,,,,,गाँव की ठंडी हवा ऑर उपर से सोनिया जैसी लड़की मेरे
गले लगी तो ना जाने एक दम से कितने झटके लगे मेरे बदन को एक ही पल मे एक अजीब सी आग
भड़कने लगी मेरे अंदर दिल मे बेचैनी से भरे तूफान उठने लगे,,उसकी बाहें मेरे
गले मे थी ओर उसके छोटे छोटे बूब्स मेरी छाती से दबने लगे थे ऑर मुझे पागल करने'
लगे थे मेरा दिल चाहा कि कस्के उसको अपनी बाहों मे भर लूँ लेकिन मेरी हिम्मत नही
हुई ,,क्यूकी अगर मैं उसको प्यार से अपनी बाहों मे भर लेता तो पता नही वो क्या करती कहीं
गुस्सा ही ना हो जाती ,,वैसे भी अगर मैं उसको बाहों मे भरता तो शायद होश मे ना रह
पाता ऑर मदहोशी मे कुछ ऐसी वैसी हरकत कर देता इसलिए मैने उसको शोल्डर से पकड़ा ऑर
एक ही झटके मे अपने से दूर कर दिया,,,,,वो दूर होते ही अजीब नज़रो से मुझे देखने लगी
मुझे डर लगने लगा था उसके ऐसे देखने से ओर मैं ज़्यादा बेचैन होने लग जाता था जब
भी वो ऐसे मुझे देखती थी,,,,,,
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