RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मैं तो साला डर ही गया कि ये सब क्या हो गया,,,,कैसे हो गया,,,,,मैने तो ऐसा कुछ भी नही सोचा था,,,ऑर ना ही मेरा मूड
था ऑर ना ही हॉंसला था कि मैं कविता के साथ ऐसी वैसी कोई हरकत कर सकता,,,लेकिन मुझे ये सोच कर खुशी हुई थी कि
कविता की उंगली भी मेरे मूह मे हिलने जुलने लगी थी,,शायद उसको ये सब अच्छा लगा था,,,,मैं अभी सोच ही रहा था कि माँ
की आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी,,,,,,,
किस सोच मे डूब गया सन्नी बेटा ,खाना जल्दी ख़तम करो,,,,,मैं जल्दी से प्लेट की तरफ ध्यान करके खाना खाने लगा,,
कुछ देर मे कविता बाथरूम से बाहर आ गई,,जब तक मैं अपने हिस्से का खाना खा चुका था,,,,,कविता आके माँ के पास
दूसरे बेड पर बैठ गई ओर माँ का साथ देने लगी सोनिया के सर पर गीले टवल रखने मे,,,,,अरे बेटी पहले खाना तो ख़तम
कर लेती ये सब तो बाद मे भी हो जाएगा,,,,,,,
मैने जितना खाना था खा लिया आंटी जी,,,,,तभी माँ ने प्लेट की तरफ देखा जिसमे अभी भी खाना पड़ा हुआ था,,,,माँ ने
मुझे हल्के गुस्से मे बोला,,,,,तेरे को कितनी बार बोला है झूठा नही छोड़ते सन्नी बेटा,,,चल जल्दी प्लेट खाली कर,,,
लेकिन माँ मैं तो अपने हिस्से का खा चुका हूँ बाकी तो कविता का है,,,,,माँ ने कविता की तरफ देखा तो कविता मेरी
तरफ देखने लगी लेकिन मेरे से आँख नही मिला पाई ऑर जल्दी से माँ से बोली,,,,,आंटी जी मेरा पेट भर गया मैं ऑर नही
खा सकती,,,,
इतनी जल्दी पेट भर गया तेरा,,,तभी तो इतनी दुबली पतली हो गई है,,,,1 रोटी भी नही खाई तूने पूरी,,,,माँ ने कविता को बोला ऑर
मुझे प्लेट ख़तम करने को बोला,,,,,,मैने जैसे तैसे प्लेट का खाना खा लिया ओर बाथरूम मे जाके हाथ धो आया,,
तभी कविता वो खाली प्लेट लेके खड़ी हुई थी,,,,
तू रहने दे कविता मैं इसको नीचे रख दूँगा,,,,,नही सन्नी तुम बैठो मैं बर्तन नीचे रख कर आती हूँ,,,,,
मैने बोला ना तू रहने दे,,,,,,,मैं अभी बोल ही रहा था कि माँ उठी ओर कविता के हाथ से बर्तन ले लिए,,,,,तुम पता नही
कब बड़े होगे ,,जब देखो छोटी छोटी बात पर लड़ते रहते हो,,अब प्लेट की वजह से लड़ रहे हो,,,,छोड़ो मैं बर्तन
नीचे रखके आती हूँ तुम दोनो सोनिया की पट्टियाँ करो तब तक,,,,,,
कविता फिर वापिस बेड पर बैठ गई ओर मैं माँ की जगह पर बैठ गया,,,,,अब सोनिया सो चुकी थी गहरी नींद मे इसलिए
मुझे उसका डर नही था,,,,,,मैं माँ की जगह पर बैठ गया ओर कविता मुझे टवल गीला करके देने लगी,,,,एक दो बार तो
उसने थोड़ा बचके मुझे टवल पकड़ाया लेकिन एक बार उसका हाथ मेरे हाथ को टच कर गया,,,,वो नीचे टेबल के पास
पड़े पानी के बर्तन को देख रही थी लेकिन मेरे हाथ से उसका हाथ टच होते ही वो सर उठा कर मुझे देखने लगी,,,
हम दोनो की नज़रे मिली तो हम एक दूसरे को देखते रह गये तभी मैने उसके हाथ को अपने हाथ मे पकड़ लिया ऑर हल्के
से दबा दिया,,,उसने अपने हाथ को पीछे करने की कोशिश की लेकिन मैने उसके हाथ को कस्के अपने हाथ मे पकड़ लिया ऑर
उसको अपने करीब खींचने लगा तभी वो जल्दी से बेड से उठ गई ओर मेरे से हाथ छुड़वा कर अपना बॅग उठा कर वहाँ
से जाने लगी,,,,,मैने पीछे से उठकर जल्दी से उसके बॅग को हाथ मे पकड़ लिया ,,उसने पीछे मूड कर मेरे हाथ से अपना बॅग
छुड़वाने की कोशिश की तो मैने आगे बढ़ कर उसके हाथ को फिर से पकड़ लिया,,,मैने उसको अपने करीब कर लिया लेकिन तभी
मुझे सीडियों मे माँ की आवाज़ आई तो मैने जल्दी से उसके हाथ को छोड़ दिया लेकिन मेरे दूसरे हाथ मे उसका बॅग अभी
भी पकड़ा हुआ था,,,,,,,
तभी माँ अंदर आ गई,,,,,,,अरे तू जा रही है कविता बेटी,,,,,,,मैं ऑर कविता माँ को देख कर डर गये,,,,,,,,मुझे लगा कि अब
मैं क्या करूँ लेकिन आते ही माँ ने कविता के जाने की बात की तो मैने भी माँ की बात को आगे बढ़ा दिया,,,,,,
हाँ देखो ना माँ इसकी बेस्ट फ्रेंड बीमार है ऑर ये घर जाने का बोल रही है,,,,मैं इसको रोक रहा था बट पता नही क्यू
नही रुक रही ये,,,,तभी उसने मुझे पीछे मूड कर देखा ऑर उसका मूह खुला हुआ था वो हैरान रह गई मेरी बात सुनके,,
क्यू जा रही हो बेटी रुक जाओ थोड़ी देर,,,,,,,,,माँ ने कविता से बोला,,,,,,,
आंटी जी मैं कहीं नही जा रही मैं तो बस आपको बोलने आ रही थी कि पानी अब ठंडा नही रहा आप थोड़ी आइस लेके आना
उपर आते टाइम,,,,,उसने माँ को उस बर्तन की तरफ इशारा किया जिस मे हम टवल गीला कर रहे थे,,,,वो पानी अब ठंडा
नही रहा,,,,,,
श अच्छा ठीक है तुम रूको मैं आइस लेके आती हूँ,,,,,,तभी कविता मेरे को देख कर डर गई,,,,,नही आंटी जी आप रूको मैं
लेके आती हूँ,,,,आप यहीं बैठ जाओ,,,,,
माँ अंदर आके बैठ गई ऑर मैं भी ,,,,,कविता नीचे चली गई,,,,,मैं समझ गया कि ये भी काफ़ी तेज है,,,मेरी चाल पर अपनी
चाल चल गई,,,,,,,
मैं माँ के साथ बैठ गया वो नीचे से बर्फ लेके आ गई,,,ओर मुझे वहाँ से उठने को बोला ऑर खुद मेरी जगह बैठ कर
माँ की हेल्प करने लगी,,,,,
उसके बाद कुछ खास नही हुआ ओर करीब 30-40 मिनट बाद कविता अपने घर भी चली गई ,,,,,लेकिन जाते जाते वो मुझे
ऐसे अंदाज़ से देख कर गई कि मैं समझ नही सका उसकी नज़रो मे क्या है,,,,,प्यार है,,नफ़रत है या गुस्सा,,,,
उस दिन मैं ऑर माँ डिन्नर टाइम तक सोनिया के सर पर कोल्ड वॉटर की पट्टियाँ करते रह ऑर जब माँ नीचे खाना तैयार करने
गई तो मैं अकेला इस काम मे लगा रहा,,,
मैं सोनिया के सर पर ठंडे पानी का टवल रख रहा था लेकिन उसका माथा इतना ज़्यादा गर्म था कि ठंडा टवल कुछ पल
मे ही गर्म हो जाता,,उसको अभी भी कम से कम 104 या 105 बुखार था,,मुझे खुद पर गुस्सा आ रह था क्यूकी मुझे लग
रहा था कि मेरी ग़लती की वजह से उसको बुखार हुआ है क्यूकी मेरी उसी हरकत के बाद से सोनिया की तबीयत बिगड़ी थी,,,,,
खैर मैं अपने काम मे लगा हुआ था तो कुछ देर बाद डिन्नर तैयार करके माँ उपर आ गई ओर साथ मे शोबा दीदी भी थी,,,
शोबा पास आके बेड पर बैठ गई ऑर सोनिया के माथे पर हाथ लगा कर बुखार चेक करने लगी,,,,,हयी राम माँ इसका
तो माथा बहुत ज़्यादा गर्म है,,,,,डॉक्टर को बुलाया था या नही,,,,,
हाँ बेटी बुलाया था ,,,,डॉक्टर ने इसको मेडिसिन भी दी थी,,,बोल रहा था कि गर्मी का बुखार है मेडिसिन से ज़्यादा इसको आराम
की ज़रूरत है,,,ऑर जब तक ये आराम करती रहे तब तक इसके सर पर ठंडे पानी के टवल रखने है जिस से बुखार जल्दी ठीक
होगा,,,,,लेकिन एक बात की टेन्षन है इसने सुबह से हल्का नाश्ता किया है बस उसके बाद कुछ नही खाया,,,कविता भी बता
रही थी कॉलेज मे भी इसने कुछ नही खाया ,,,,अब जबसे डॉक्टर मेडिसिन देके गया है तभी से सो रही है,,,,पता नही कब
तक उठेगी ओर कब खाना खाएगी,,,,,
तभी शोबा ने अपने फोन से डॉक्टर का नंबर डाइयल किया,,,,रूको माँ मैं अभी पूछ लेती हूँ डॉक्टर अंकल से,,,,
शोबा ने फोन कान पर लगा लिया ऑर बात करने लगी,,,,,
शोबा,,,,हेलो डॉक्टर अंकल,,,,
डॉक्टर,,,,हेलो शोबा बेटी,,,हाउ आर यू,,,,
शोबा,,मैं ठीक हूँ अंकल ,,,लेकिन ये सोनिया ठीक नही है,,,,आपको तो पता ही है,,,
डॉक्टर,,,हाँ बेटी मैं मेडिसिन देके भी गया था,,,,,1 -2 दिन मे ठीक हो जाएगी,,,बस तेंडे पानी की पट्टियाँ करते रहो उसके
फॉरहेड पर,,,,
शोबा,,,,,,वो तो कर रहे है अंकल लेकिन ये अभी तक सो रही है,,,,,माँ को टेन्षन हो रही है इसने सुबह से कुछ नही खाया
है,,,,क्या अभी इसको उठाकर खाना खिला सकते है,,,,,,
डॉक्टर,,,,,,नही बेटी अभी इसको सोने दो उठना मत इसको,,,ये अपने आप उठ जाएगी ,,,,,ऑर हाँ इसको खाना मत खिलाना अभी क्यूकी
गर्मी के बुखार मे बॉडी कुछ ज़्यादा ही गर्म हो जाती है जिस वजह से भूख नही लगती,,,अभी इसको उठा भी दोगे तो भी
ये खाना नही खाएगी,,,आप बस ठंडे पानी की पट्टियाँ करते रहो ताकि बॉडी ठंडी होने लगे ऑर बुखार उतर जाए फिर
जब ये उठेगी तो अपने आप खाना खा लेगी,,,तब तक इसको सोने दो आराम से ,,वैसे मैं कल सुबह आउन्गा तो देख लूँगा,,,,
शोबा,,,,ठीक है डॉक्टर अंकल मैं समझ गई लेकिन माँ टेन्षन ले रही है,,,,,,इसने कुछ खाया जो नही है,,,,चलो मैं
माँ को समझा देती हूँ,,,,, ऑर आप सुबह आ जाना प्ल्ज़्ज़ ,,मुझसे इसकी ये हालत देखी नही जाती,,,,,
डॉक्टर,,,,,तुम बेफ़िक्र रही बेटी मैं टाइम पर आ जाउन्गा,,,,ऑर ज़्यादा टेन्षन मत लो,,वो ठीक हो जाएगी,,,,ओके बेटी,,,,
शोबा,,ओके अंकल ,,,,बयए
शोबा फोन कट करके माँ ऑर मुझे सब बात बता देती है,,,,,
|