RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
अभी वो बोल ही रही थी तभी सोनिया रूम मे आ गई,,,,,उसके आते ही कविता एक दम से चुप हो गई,,,,और
जल्दी से उसने अपनी टी-शर्ट भी सही करली,,,,
हो गई फ्रेश तू,,,,चल जल्दी चल माँ ने नाश्ता लगा दिया है,,,,सोनिया ने इतना बोला और कविता के कुछ
बोलने से पहले उसका हाथ पकड़ा और उसको अपने साथ नीचे ले गई,,,,,सोनिया जब रूम से बाहर जा रही थी
तो मुझे गुस्से से घूर रही थी ,,मुझे डर लगने लगा था क्यूकी अभी सोनिया के साथ-साथ कविता भी
'मुझे उतने ही गुस्से से घूर रही थी,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन मुझे कुछ समझ नही आ रहा था वो सब कैसे
हुआ ,,,मैं तो नींद मे सपना देख रहा था,,,,,,,मुझे कुछ पता नही चल रहा था लेकिन उसके
शोल्डर पर बने दाँतों के निशान कुछ और ही कह रहे थे जैसे वो सपना नही था हक़ीक़त थी,,,,
मैं बेड से उठा और खुद को संभालने की कोशिश करता हुआ बाथरूम मे घुस गया,,,बाथरूम मे
जाके मैने शवर ऑन किया लेकिन शवर से बहुत कम पानी निकल रहा था ,,,,आइ थिंक इसलिए सोनिया डॅड को
बाथरूम मे टॅब और शवर ठीक करवाने को बोल रही थी ,,शवर से भले ही पानी कम निकल रहा था
लेकिन अभी मुझे शवर से निकलने वाले पानी की नही कविता की टेन्षन थी,,,,मैं नींद मे सपना देख
रहा था और सपने मे मैने कविता के शोल्डर पर काट भी दिया था लेकिन निशान तो सच्ची मे थे उसके
शोल्डर पर मेरे दाँतों के,,,,तो क्या वो सब सच मे हुआ था,,,लेकिन कब हुआ कैसे हुआ,,मुझे पता
क्यू नही चला,,,,मैं तो सब कुछ सपना ही समझ रहा था लेकिन मेरे दाँतों के निशान जो कविता के
शोल्डर पर थे वो चीख चीख कर बता रहे थे कि वो सब सपना नही था,,,,
मैं फ्रेश होके नीचे की तरफ जा रहा था तभी मैने सोनिया और कविता की बातें सुनी सीढ़ियों मे जाते
टाइम,,,,,
सोनिया,,,,,,नही मुझे नही जाना कविता ,,मुझे एग्ज़ॅम की तैयारियाँ करनी है,,तू चली जाना,,,
कविता,,,,,तू भी चल ना 1 दिन की तो बात है,,नेक्स्ट डे वापिस आ जाना है हम लोगो ने,,,,,
सोनिया,,,,नही मेरा मूड नही जाने का प्ल्ज़्ज़ मुझे फोर्ज़ मत कर,,तुझे पता है अगर मेरा दिल होता तो
मैं चली जाती,,,,
जैसे ही मैं नीचे पहुँचा वो दोनो एक दम से चुप हो गई,,,,,डाइनिंग टेबल पर वो दोनो ही थी,,,मोम
और डॅड नही थे,,,,,,वो दोनो पास पास बैठी हुई थी,,,,मैं भी जाके डाइनिंग टेबल पर बैठ गया,,,
सोनिया ने मुझे गुस्से से देखा लेकिन मुझे अभी उसके गुस्से से नही कविता के गुस्से से डर लग रहा था
क्यूकी आज वो भी पूरे गुस्से मे घूर रही थी मुझे,,,,,
मैं जाके बैठा तो सोनिया ने मेरा नाश्ता लगा कर प्लेट मेरे पास रख दी लेकिन वो कुछ बोली नही
बस वापिस अपनी चेयर पर बैठकर नाश्ता करने लगी,,,,,,वो दोनो ही मुझे गुस्से से घूर रही थी इसलिए
मैं भी चुप चाप सर झुका कर नाश्ता करने लगा,,,,,
नाश्ता करके वो दोनो उठी और बर्तन किचन मे रखकर सोफे पर जाके बैठ गई और टीवी ऑन कर दिया साथ
ही दोनो हल्की आवाज़ मे बातें भी करने लगी,,,,मुझे उनकी बातें तो सुनाई नही दे रही थी लेकिन इतना
पता चल रहा था कि कविता सोनिया को कहीं जाने को कह रही थी लेकिन सोनिया बार बार ना मे सर हिला
कर उसको मना कर रही थी,,,,
कुछ देर बाद मैने भी नाश्ता ख़तम किया और अपने बर्तन किचन मे रखके वापिस बाहर आ गया तो
देखा वो दोनो बहुत ज़्यादा खुश लग रही थी ,,,,बहुत ज़ोर से हँसने लगी थी,,,,पता नही क्या हो गया था
इन लड़कियों को पहले तो चुप थी बातें भी बड़ी स्लो आवाज़ मे कर रही थी लेकिन एक दम से पता नही
क्या हो गया इनको,,,,लेकिन थोड़ा आगे गया जब मैं उनकी तरफ तो पता चल गया उनकी खुशी का राज़ ,,वो
दोनो टीवी पर टॉम आंड जेर्री देख रही थी इसलिए इतना खुश थी,,,,
लेकिन मुझे करीब आते देख दोनो गुस्से से मुझे घूर्ने लगी,,,,,,,मैं मोम को घर पर नही देख
कर थोड़ा परेशान था इसलिए मैने हल्की आवाज़ मे पूछ लिया,,,,,
माँ कहाँ है,,,,,,मैने किसी का नाम नही लिया बस ऐसे ही पूछ लिया,,,सोचा कोई तो जवाब देगा और
शायद जवाब कविता देगी,,,,लेकिन मैं ग़लत था इस बार जवाब सोनिया ने दिया,,,,,
माँ डॅड के साथ अलका आंटी के घर गई है,,,,शाम को आएगी वापिस,,,,,इतना बोलकर वो वापिस टीवी देखने
लगी,,,,
मैं भी उपर गया और चेंज करके वापिस नीचे आ गया,,,,,फिर उन लोगो को बोला कि मैं भी बाहर जा
रहा हूँ काम से ,,,शाम को वापिस आउन्गा,,,,,,मेरी बात सुनके सोनिया तो मुझे गुस्से से देख रही थी
लेकिन कविता थोड़ा उदास हो गई थी,,,,,,,,,,साला इन लड़कियों का कुछ समझ नही आ रहा था मुझे,,,कभी
तो गुस्से से देखती है और कभी मेरे जाने की बात सुनके उदास हो जाती है,,,,लेकिन मैं भी क्या करता
आज दोनो मुझे इतना घूर रही थी की मुझे अपने ही घर मे डर लगने लगा था इसलिए मैं जल्दी से
घर से निकल जाना चाहता था,,और ऐसा ही हुआ,,,,मैने बाइक लिया और घर से निकल आया,,,मेरे बाहर जाते
ही कविता गेट बंद करने के लिए बाहर आई थी,,,,,वो मुझे ऐसी उदास नज़रो से देख रही थी मानो बोल
रही हो कि सन्नी मत जाओ,,वो मुझे रोक रही थी लेकिन मैं नही रुका क्यूकी मुझे डर लग रहा था,,,,
घर से निकल तो आया था लेकिन जाना कहाँ था कुछ नही पता,,,,,चुदाई का दिल नही था वर्ना करण के
घर चला जाता क्यूकी माँ भी वहीं गई हुई थी,,,या फिर कविता के घर उसकी भाभी कामिनी के पास
लेकिन वहाँ भी जाने का दिल नही था ,,पता नही क्या हो गया था ,,,,सब कुछ अजीब लगने लगा था एक
सपने की वजह से जो सपना नही हक़ीक़त था,,,
तभी पायल भाभी की याद आ गई,,,लेकिन अब तक तो वो शायद अपने घर वापिस चली गई होगी,,,,क्यूकी वो
बोल रही थी वो अपनी बेहन की वजह से यहाँ आई थी,,,,लेकिन पायल की याद आते ही मुझे रितिका और करण की
याद आ गई,,,,और तभी दिमाग़ मे एक आइडिया आया और मैं अमित के घर की तरफ चल पड़ा,,,,,
मैं अमित के घर पहुँचा तो उसका घर भी काफ़ी बड़ा था,,,जैसे सुरेश का घर था,,,गेट पर करीब
6-8 लोग बंदूक लेके खड़े हुए थे,,,,,मैने जैसे ही गेट पर नॉक किया तो एक बंदे ने मुझे पहचान
लिया,,,,और जल्दी से गेट खोल दिया ,,,,,,
साहब से मिलने आए हो,,,,उसने इतना बोला और मेरी तलाशी लेने लगा फिर उसने टेलिकॉम से किसी को फोन
किया और मुझे अंदर भेज दिया,,,,,
मैं अंदर की तरफ चलने लगा और घर को देखने लगा,,,इतना बड़ा गार्डन था घर मे ,,,और गेट से
घर की दूरी इतनी थी कि मुझे काफ़ी टाइम लगा वहाँ तक चलके जाने मे,,,,जैसे ही मैं घर के मेन
डोर तक पहुँचा तो अमित बाहर की तरफ आ रहा था,,,,,उसने आते ही अपने अंदाज़ मे बोला ,,,,
आ गया तू,,,,,अकेले ही आया है,,तेरा हरामी दोस्त कहाँ है,,,,,अमित अपने घर मे कुत्ता भी शेर होता है
वाली कहावत पर खरा उतरता था,,,,,
मैने तुझसे पहले भी कहा था अमित भाई मैं उसके बारे मे तेरे से नही तेरे पापा से बात करूँगा,
मैने ये बात बड़े प्यार से बोली थी,,,,,क्यूकी ये घर उसका था और यहाँ मैं गुस्से से नही बोल सकता
था एक तो अकेला था ,,और शायद थोड़ा डरा भी हुआ था मैं,,,,लेकिन फिर भी थोड़ी बहुत हिम्मत तो थी,,,
ठीक है बेटा आजा अंदर,,,और मेरे बाप से ही बात करले,,,,,वो आगे चलने लगा और मैं उसके पीछे ,,तभी
वो मुझे एक बड़े से हाल रूम मे ले गया,,,,जिसके बाहर 2 लोग खड़े हुए थे बंदूक लेके ,,,उन लोगो
ने दरवाजा खोला तो मैं अमित के साथ उस हाल रूम मे एंटर हो गया,,,अंदर गया तो देखा कि अमित
का बाप और सुरेश का बाप बैठे हुए पेग लगा रहे थे,,,,और साथ साथ बातें भी कर रहे थे,,,
अमित का बाप>>>कैसा है अब सुरेश,,,,घर पर आराम कर रहा है क्या,,,,,तबीयत कैसी है उसकी,,
सुरेश का बाप>>>अब ठीक है भाई साहब वो,,,,पहले से बेहतर है,,,,लेकिन मुझसे मेरे बेटे की हालत
देखी नही जाती,,,,जिस ने भी उसका ये हाल किया है उसको जब तक उसके किए की सज़ा नही दूँगा मुझे चैन
नही मिलने वाला,,,,,
अमित का बाप,,,,,,,तू फ़िक्र मत कर,,,,वो साला जहाँ भी होगा ढूँढ लूँगा मैं उसको,,,,सुरेश सिर्फ़ तेरा
बेटा नही है ,,वो मेरा बेटा भी है,,,,,मेरे लिए भी वो अमित के बराबर है,,,,,,,,
तभी उन दोनो की नज़र मेरे और अमित पर पड़ी तो वो दोनो चुप हो गये,,,अमित आगे बढ़ कर अपने बाप के
पास बैठ गया और टेबल पर पड़ा हुआ पेग उठा कर एक ही बार मे पी गया,,,,,,
अरे सन्नी बेटा ,,,आओ आओ बेटा,,कैसे हो,,,,,आओ बैठो यहाँ,,,अमित के बाप ने बड़े प्यार से मुझे
सोफे पर बैठने को बोला,,,,,
मैं ठीक हूँ अंकल जी,,,आप सूनाओ,,,,,,फिर मैं सोफे पर बैठने लगा और बैठते टाइम सुरेश के बाप
को भी हेलो बोल दिया,,,,,लेकिन उसने मुझे बड़े अजीब ढंग से हेलो बोला,,,,तभी अमित के बाप ने उसको
इशारा किया ,,,,,,
आज यहाँ कैसे आना हुआ सन्नी बेटा,,,,,सुरेश के बाप ने बड़े प्यार से पूछा मेरे से,,,शायद ये अमित
के बाप के इशारे की वजह से हुआ था जो सुरेश का बाप मेरे से प्यार से बात करने लगा था,,,,
आपने ही तो कहा था मुझे कि कुछ बात करनी है ,,,और यहाँ आने को बोला था,,,,भूल गये क्या उस दिन
पार्टी मे,,,,,
अरे हां हां बेटा ,,याद है मुझे,,,,,और सूनाओ ड्रिंक लोगे,,,,
जी नही शुक्रिया अंकल जी मैं अभी नाश्ता करके आया हूँ,,,,वैसे भी मैं शराब नही पीता
,मैने बड़े प्यार से जवाब दिया,,,,
तभी अमित के बाप ने अमित को बोला मेरे लिए जूस लेके आने को और जैसे ही अमित उठा अमित के बाप ने
मुझे उसकी जगह अपने पास आके बैठने को बोला,,,,,,,,अमित उठा और वहाँ से चला गया और तभी मैं भी
उठा और अमित की जगह पर उसके बाप के पास जाके बैठ गया,,,,
और सूनाओ सन्नी बेटा,,,,उस सुमित के बारे मे कुछ पता चला कि नही,,,,,सुना है तुम्हारा अच्छा दोस्त है
वो,,,,अमित के बाप ने इतनी बात मेरे शोल्डर पर हाथ रखते हुए बोली,,,,,
जी अंकल वो मेरा अच्छा दोस्त है,,,,,सिर्फ़ वो ही नही कॉलेज का हर स्टूडेंट मेरा अच्छा दोस्त है,,,आपका बेटा
और सुरेश भी मेरे अच्छे दोस्त है,,,,,,
अच्छा अगर वो तेरे दोस्त है तो तूने उनसे झगड़ा क्यूँ किया था पहले,,सुरेश का बाप फिर गुस्से मे बोला
लेकिन तभी अमित के बाप ने उसको चुप रहने का इशारा किया और वो चुप हो गया,,,,
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