RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मैं उपर गया तो सोनिया और कविता दोनो रूम मे नही थी मैने साथ वाले रूम मे देखा तो वो वहाँ
भी नही थी फिर मैं उपर भुआ के ड्रॉयिंग रूम मे गया तो वो दोनो घर के फ्रंट गार्डन की तरफ
वाली खिड़की के पास ज़मीन पर मॅट्रेस लगा कर स्टडी कर रही थी,,,मैं रूम मे एंटर हुआ तो सोनिया
ने नखरे से मुझे देखा और वापिस बुक की तरफ देखने लगी,,,लेकिन कविता ने मुझे हंस कर और शर्माके
देखा ,,,,,
जैसे ही मैं आगे बढ़ा सोनिया एक दम से बोली,,,,,,तू यहाँ क्या करने आया है ब्लॅकी,,,
तुझे कितनी बार बोला ब्लॅकी मत बोला कर,,,,और मैं यहाँ स्टडी करने आया हूँ ,,,,तुझे कोई प्रोबलम
है क्या,,,,मैने भी थोड़ा चिढ़ते हुए बोला,,,
नही मुझे नही है लेकिन तुझे होगी,,,,क्यूकी बिना बुक्स के स्टडी करने मे अक्सर प्रोबलम होती है
सोनिया ने इतनी बात मेरे खाली हाथ देख कर बोली और फिर दोनो हँसने लगी,,,,
मैं तो बुक इसलिए नही लेके आया कि कविता के साथ बैठकर एक ही बुक मे स्टडी कर लूँगा,,,मैने इतना
बोला और कविता की तरफ बढ़ गया और कविता मुझे हंस कर देखने लगी जबकि सोनिया थोड़ा चिड गई,,
मैं कविता के पास जाके बैठ गया ,,कविता ने भी खुद को अड्जस्ट किया और मेरे लिए जगह बना कर बुक
को थोड़ा मेरी तरफ खिसका दिया,,,,मैं भी उसके साथ बैठकर स्टडी करने लगा,,,लेकिन मेरा ध्यान स्टडी
मे कम ही था ,,मैं तो उसके पास बैठ कर उसके बदन से आने वाली मस्त ख़ूसबू को अपने सांसो मे
महसूस करने लगा था,,वो भी जानती थी कि मेरा ध्यान बुक पर नही है तभी उसने सोनिया की तरफ देखा
और फिर मेरे को इशारा किया बुक की तरफ और नज़रो ही नज़रो मे मुझे पढ़ने के लिए बोलने लगी,,,मैने
भी उसकी बात मान ली और अपना ध्यान बुक की तरफ कर लिया ,,,मेरी इस हरकत से वो बहुत ज़्यादा खुश हो
गई क्यूकी मैने एक ही बार मे उसकी बात मान ली थी,,,,,
हम लोग करीब 7 बजे शाम तक स्टडी करते रहे,,,माँ अभी तक नही आई थी और डिन्नर का टाइम भी करीब
ही था,,,,
लगता है माँ लेट हो जाएगी,,,,,चल कविता हम दोनो चलके डिन्नर की तैयारी कर देते है,,,माँ आएगी और
डिन्नर बना देगी,,,,सोनिया ने इतना बोला और अपनी बुक रखी और साथ मे कविता को भी बुक रखने को बोला
फिर दोनो नीचे चली गई,,,,कविता का दिल नही था नीचे जाने को ,,वो बड़ी धीरे धीरे उठी थी अपनी
जगह से,,,,हम लोग करीब बैठ कर स्टडी कर रहे थे इतने टाइम से जिस से हम दोनो को बहुत अच्छा लग
रहा था,,,टाइम भी जल्दी से बीट गया था,,,वो रूम से बाहर जाते हुए भी मुझे उदास होके देख रही थी
मैने भी जल्दी से बुक रखी और उन दोनो के पीछे पीछे नीचे चला आया,,,,
तू क्यूँ नीचे आ गया,,,तू उपर जाके स्टडी कर ले सन्नी,,,,ये बात कविता ने हँसते हुए मज़ाक मे मुझे बोली
और सोनिया के साथ नीचे सीडियाँ उतरने लगी,,,,,कविता की बात से सोनिया ने पीछे मूड कर मुझे गुस्से से देखा
लगता है तुम दोनो को मेरा नीचे आना अच्छा नही लग रहा,,,ठीक है फिर तुम दोनो जाओ मैं चला वापिस
स्टडी करने,,,,मैने इतना बोला तो सोनिया हँसने लगी लेकिन कविता फिर से उदास हो गई,,,,वो मुझे उपर जाने
के लिए मज़ाक मे बोल रही थी ,,,लेकिन मैं सच मे उपर की तरफ मुड़ने लगा तो वो उदास हो गई,,,
मैं 2 कदम उपर गया और फिर से वापिस पलटकर नीचे आने लगा,,,,सोनिया और कविता दोनो ने मुझे देखा
और दोनो ही हँसने लगी,,,,कविता समझ गई कि मैने भी उपर जाने का मज़ाक ही किया था,,,
वो दोनो हल्के से हँसते हुए किचन मे चली गई जबकि मैं डाइनिंग टेबल पर बैठ गया,,,,,तभी मुझे
किचन से आवाज़ आई,,ये आवाज़ थी कविता की,,,
सन्नी एक मिंट अंदर आना ,तेरी हेल्प चाहिए हमे,,,,मैं कविता की आवाज़ सुनके किचन की तरफ चलने लगा
तभी किचन से सोनिया की आवाज़ भी आने लगी,,,रहने दे उसको बाहर ही मुझे नही चाहिए उसकी हेल्प,,,वो
थोड़ा नखरे से बोल रही थी,,,,
इतनी देर मे मैं किचन मे पहुँच गया,,,,,,,,,,मैने किचन मे अंदर घुसते हुए देखा कि कविता एक
छोटे टेबल को पकड़ कर खड़ी हुई थी और सोनिया उस टेबल पर खड़ी होके उपर वाली शेल्फ से कोई डिब्बा
उतारने की कोशिश कर रही थी,,,तभी उपर से एक डिब्बा उसके हाथ लगने से नीचे गिरा और गिरते टाइम उसका
ढक्कन भी निकल गया और वो डिब्बा उल्टा होके सोनिया के उपर गिर गया,,,उस डिब्बे मे बैसन था जो सारा सोनिया
के उपर गिर गया,,,,मैं ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा सोनिया की तरफ देख कर और मुझे हँसता देख कविता भी हँसने
लगी,,,,,वैसे कविता नही हँसती क्यूकी वो डरती थी सोनिया से,,,,लेकिन मुझे हँसता देख कविता भी हँसने लगी,,,,
सोनिया का पूरा सर और चेहरा बैसन से कवर हो गया था,,,,,वो जल्दी से टेबल से नीचे उतरी और अपने बालों
को झटक कर अपने सर से बैसन को उड़ाने लगी साथ ही अपने हाथों से भी अपने सर को झटकने लगी,,,उसके
सर से बैसन उड़ता हुआ किचन के फ्लोर पर गिरने लगा,,,,,,जब उसका फेस थोड़ा सॉफ हुआ उसने घूर कर
कविता की तरफ देखा तो कविता जल्दी से चुप हो गई ,,कविता के चुप होते ही उसने मेरी तरफ भी गुस्से से
देखा लेकिन मैं चुप नही हुआ बल्कि और ज़्यादा ज़ोर से हँसने लगा,,,,मैं जानता था मेरी इस हरकत से उसको
और भी ज़्यादा गुस्सा आएगा और ऐसा ही हुआ,,,,वो जल्दी से गुस्से से मुझे घूरती हुई किचन से बाहर चली
गई,,,,
वो मेरे करीब से जल्दी से गुजर कर किचन से बाहर गई और उपर की तरफ भाग गई,,,,उसके जाने के बाद
मैं फिर से हँसने लगा,,लेकिन तभी कविता मेरे पास आ गई,,,,,,,,
क्यूँ हंस रहा है अब,,,,अब तो वो चली गई,,,,कविता ने मुझे डाँट-ते हुए बोला
मैं तो बस ऐसे ही हंस रहा था और अगर वो होती तो भी मैं हँसता,,,,मुझे उसका डर नही ,,जैसे तुझे
है डर उसका,,,,
झूठ मत बोल,,,,मुझे पता है तू भी उस से डरता है,,,मेरे से भी कहीं ज़्यादा डरता है तू उस से,,,ये
झूठ किसी और को बोलना कि तू नही डरता सोनिया से,,,,
नही डरता मैं उस से,,,तूने देखा नही जब वो मुझे घूर कर देख रही थी तब भी मैं हंस रहा था
तेरी तरह एक पल मे ही चुप नही हो गया था,,,,
जानती हूँ,,,तू हँसता रहा और चुप नही हुआ,,,,और ऐसा तूने इसलिए नही किया क्यूकी तू उस से डरता नही ,,
बल्कि ऐसा तूने इसलिए किया ताकि वो और ज़्यादा गुस्सा हो जाए,,,,
हाँ मैने ऐसा इसलिए किया ताकि वो गुस्सा हो जाए,,,,और वो गुस्सा हो भी गई है,,,
तभी वो मेरी बात के बीच मे ही बोल पड़ी,,,,मैं तेरे को अच्छी तरह से जानती हूँ सन्नी,,,जबसे तेरा
उस से झगड़ा हुआ है तबसे ना जाने क्यूँ तू क्यूँ उसको छोटी छोटी बात पर तंग करता रहता है,,,मैने
कयि बार नोटीस भी किया है,,,,,तू जान भूज कर उसको तंग करता है,,,जान भूज कर उसको गुस्सा दिलाता
है,,,,,,,,,क्यूँ करता है तू ऐसा,,,,क्या तुझे मज़ा आता है ये सब करके,,,
हाँ बहुत मज़ा आता है,,,,जब भी उसको गुस्सा करता हूँ मुझे मज़ा आता है,,,,अब खुश ,,यही सुनना था
तूने मेरे से,,,,मैं थोड़ा गुस्से मे बोला कविता को तो वो मेरे करीब आ गई,,,,
तुझे पहले भी बोला है मैने की मेरे सामने तू झूठ मत बोला कर सन्नी,,,मैं जानती हूँ तुझे उसको
गुस्सा करके मज़ा नही आता ,,,अभी भी तुझे मज़ा नही आया बल्कि तुझे खुद पर गुस्सा आया कि तूने अपनी
ही बेहन का मज़ाक उड़ाया है और अपने उस गुस्से को कम करने के लिए तू अब मुझपर गुस्सा कर रहा है
मैं कविता की बात से एक दम चुप हो गया,,,कोई जवाब नही सूझा मुझे,,,,बड़ा अजीब लगा कि ये इतना
सब कैसे जानती है,,,,,ये सच तो सिर्फ़ मैं जानता हूँ,,,,हालाकी मैं सोनिया के सामने मस्ती करता हूँ
और उसको गुस्सा दिलवाता हूँ ताकि वो मेरे से दूर रहे यही गुस्सा उसको मेरे से दूर रखता है लेकिन
जब भी मैं उसको गुस्सा दिलवाता हूँ मुझे खुद पर भी गुस्सा आता है,,,,
मैं चुप छाप ख़ड़ा रहा ,,,कविता के सामने कुछ नही बोल सका
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