RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
नीचे आके हम दोनो हंसते हुए बातें कर रहे थे,,,,माँ और भुआ ये देखकर बहुत खुश थी
कि हम लोगो मे फिर से बात शुरू हो गयी थी,,,,,,डॅड और मामा नज़र नही आ रहे थे,,,
माँ डॅड और मामा कहाँ है,,काफ़ी दिन से देख रहा हूँ वो लोग सुबह जल्दी चले जाते है और
लेट नाइट घर आते है,,,,,,क्या कुछ प्राब्लम चल रही है क्या,,
तभी भुआ बोली,,,,,नही बेटा अशोक और सुरेंदर ने नया काम शुरू किया है ,,,अशोक ने
बॅंक को जॉब छोड़ दी है और दोनो मिलकर नया काम करने वाले है उसी के चक्कर मे आज कल
सारा दिन बिज़ी रहते है,,,,
मैं खुश हो गया कि सब कुछ ठीक हो गया,,,,,डॅड और मामा मिलकर काम करने वाले है,,अब
तो मामा भी सुधर गया है जो कम करने को तैयार हो गया है,,,,,
तभी सोनिया ने मुझे न्यू गेम की सीडी दी और मैं शुरू हो गया ,,,,,अच्छा टाइम पास हुआ उस
दिन,,,,माँ भुआ और सोनिया अपना काम करती रही और मैं गेम खेलता रहा,,,
दिन अच्छे बीत रहे थे,,,,सुबह कॉलेज जाता तो भुआ की कार ले जाता,,सोनिया साथ मे होती
और जाते जाते हम लोग कविता को भी साथ ले जाते,,,,,,
सूरज ने अपनी माँ से बात करली थी और फिर अशोक और सरिता से भी,,,,हम दोनो की शादी
भी पक्की हो गयी थी,,,बस फाइनल एअर के बाद हम दोनो की शादी हो जानी थी,,अब इस बात
से सोनिया को परेशानी नही थी,,,
दिन बीतने लगे और सब कुछ नौरमल हो गया ,,,मेरे और सोनिया के बीच मे भी,,और बाकी फॅमिली
के बीच मे भी,,,लेकिन फिर आया वो क़यामत का दिन जिसके बारे मे मैने सोचा भी नही था
सर्दियों का मौसम था लेकिन अभी इतनी ज़्यादा सर्दी शुरू नही हुई थी,,,अभी हल्की बारिश
शुरू हो गयी थी जिसके बाद खूब सर्दी पड़ने वाली थी,,,हम लोग कार मे कॉलेज से घर आ
रहे थे,,मैं कुछ उदास था क्यूकी मैं कार मे था,,,,,,यही हाल था सोनिया का भी और
कविता का भी,,,,हम सब सोच रहे थे कि काश हम कार मे नही होते,,,,,काश हम लोग
बाइक पर होते ,,,
कविता को घर ड्रॉप करके मैं और सोनिया भी घर आ गये,,,,,
माँ ने चाइ के साथ पकोडे बनाए थे जो बारिश मे मौसम मे खूब पसंद थे मुझे और
सोनिया को,,,,हम लोग बैठकर चाइ के साथ पकोडे खाने लगे,,,,माँ और भुआ भी पास ही
थी,,,,,,,पकोडे खाने के बाद मैने कुछ पकोडे प्लेट मे रखे और अपने साथ लेके अपने
रूम आ गया,,,,सोनिया भी अपने रूम मे चली गयी,,,,,मैं पकोडे तो ले आया बट चटनी नही
लेके आया साथ मे इसलिए उपर वाले किचन मे चला गया चटनी की बॉटल लेने,,,,जैसे ही
मैं उपर वाले किचन मे जाने लगा मैने देखा कि सोनिया उपर वाले ड्रॉयिंग रूम की खिड़की
के पास खड़ी होके बारिश का नजारा ले रही थी,,,,क्यूकी उसके रूम मे कोई खिड़की नही थी,
मैं भी वापिस आया अपने रूम मे और पकोडे ख़ाता हुआ खिड़की के पास खड़ा हो गया,,ड्रॉयिंग
रूम की खिड़की जहाँ सोनिया खड़ी हुई थी वो घर के सामने की तरफ थी जबकि मेरे रूम की
खिड़की घर के पीछे की तरफ थी,,,,जहाँ से मैं पीछे वाले गार्डन को देख रहा था और
पकोडे ख़ाता हुआ बारिश का नजारा ले रहा था,,,,मैं बारिश मे भीगना चाहता था लेकिन
माँ ने मना किया था,,,क्यूकी सर्दी की बारिश मे भीगता तो बुखार हो जाना था इसलिए माँ
ने मुझे मना किया था,,,,काफ़ी टाइम बारिश होती रही और मैं पकोडे ख़ाता हुआ बारिश का
नजारा लेता रहा,,,,,
रात डिन्नर करने के बाद मैं अपने रूम मे सोने आ गया तो देखा कि सोनिया अभी भी उपर
वाले ड्रॉयिंग रूम मे थी,,,उसने बेड से एक मॅट्रेस उठाकर खिड़की के पास रख लिया था और
वहीं सोने वाली थी,,,क्यूकी अभी भी बारिश हो रही थी,,वो बारिश मे भीग तो नही सकती
थी क्यूकी माँ ने मना किया था लेकिन उसको बारिश बहुत अच्छी लगती थी,,,इसलिए वो बारिश को
देख कर ही मन को तस्सली देना चाहती थी,,,,
मेरा हाल भी सोनिया जैसा था मैं भी उदास था कि बारिश मे नही भीग सकता था क्यूकी
माँ ने मना किया था,,,,,लेकिन अब रात हो चुकी थी सब अपने अपने रूम मे जाके सो चुके
थे अब अगर मैं उपर चला भी गया थोड़ी देर बारिश मे भीगने तो किसी को क्या पता
'चलने वाला था,,,यहीं सोच कर मैं हल्के कदमो से उपर की तरफ जाने लगा,,छत पर
गया तो अंधेरा ही अंधेरा था,,,,बहुत ठंड थी,,,बारिश भी बहुत तेज हो रही थी और बादल
भी बड़ी तेज़ी से गर्रज रहे थे बिजली चमक रही थी,,,,मुझे ठंड तो लग रही थी
लेकिन मुझे बारिश मे कुछ देर तो भीगना ही था,,,फिर चाहे कल बुखार ही क्यूँ ना हो जाए
मैं छत पर आके ठंडी से काँपता हुआ बारिश का मज़ा ले रहा था ,,,सच मे बहुत ज़्यादा
ठंड लग रही थी मुझे,,,मेरा पूरा बदन काँप रहा था दिल कर रहा था नीचे चला
जाउ लेकिन थोड़ी देर बाद ठंड कम लगने लगी और बारिश का मज़ा आने लगा,,,मैं बारिश
का मज़ा लेता हुआ आगे की तरफ बढ़ने लगा ,,तभी मेरे होश गुम हो गये,,,
हल्की सी बिजली चमकी तो मैने देखा आगे पानी की टंकी के पीछे सोनिया खड़ी हुई थी जो
बारिश का मज़ा ले रही थी,,,,,वैसे तो छत पर अंधेरा था लेकिन हल्की हल्की बिजली
चमकती तो रोशनी हो जाती थी और उसी चमकती बिजली की रोशनी मे मैने सोनिया को देखा तो
एक बिजली मेरे उपर भी गिर गयी,,,सोनिया ने वाइट कलर का नाइट सूट पहना हुआ था,एक
वाइट कलर का कुर्ता और साथ मे वाइट पयज़ामी,,,,उसका पूरा बदन भीग गया था,,उसको
शायद ठंड लग रही थी इसलिए वो टंकी के साथ वाली दीवार से चिपक कर खड़ी हुई थी
,,उसने कुर्ते के नीचे ब्रा नही पहनी हुई थी इस बात का अंदाज़ा मुझे तब हुआ जब फिर से
बिजली चमकी,,,,,उसका कुर्ता भीग कर उसके जिस्म से चिपका हुआ था,,उसका जिस्म कुर्ते के
अंदर से भी मुझे नंगा प्रतीत हो रहा था,,,उसके छोटे छोटे बूब्स जो उमर के हिसाब से
थोड़ा आकार ले चुके थे जिन पर अभी तक किसी का हाथ नही लगा था वो बूब्स कुर्ते के
अंदर से सर उठाकर खड़े हुए थे,,,मैं सर्दी के मौसम मे छत पर बारिश का मज़ा
लेने आया था लेकिन सोनिया को देखकर मेरे अंदर का मौसम एक दम गर्म हो गया था,,
तभी उसकी नज़र भी मेरे पर पड़ी तो वो एक दम से घबरा गयी,,,,जैसे मुझे नही पता था
कि सोनिया छत पर होगी वैसे सोनिया को भी नही पता था कि मैं भी छत पर आउन्गा या
नही,,,,,
हम दोनो एक दूसरे को देखकर थोड़ा परेशान हो गये थे,,,डर गये थे,,,,क्यूकी ऐसी हालत
मे हम दोनो का यहाँ होना ख़तरनाक साबित हो सकता था,,,पहले तो मुझे खुद का डर था
लेकिन अब तो सोनिया भी बहकने लगी थी मेरे जिस्म को देखकर,,,,मैं खुद पर क़ाबू करना
चाहता था लेकिन अब बहुत देर हो गयी थी,,,,,,एक बार नज़र भरके देखा था सोनिया को इतने
मे ही दिल मे एक तूफान उठने लगा था,,,,बाहर का मौसम भी काफ़ी बदला हुआ था,,,बारिश
इतनी तेज नही थी लेकिन बदल बहुत तेज गर्रज रहे थे,,बिजली बहुत तेज चमक रही थी,,
हम दोनो पूरी तरह से भीग कर एक दूसरे के सामने खड़े हुए एक दूसरे की तरफ देख रहे
थे,,,,मैं सोनिया से करीब 5-6 कदम की दूरी पर था और वो दीवार के साथ चिपक कर
खड़ी हुई थी,,,,उसकी हालत ब्यान कर रही थी वो बहुत डरी हुई थी,,,ना कि सिर्फ़ मेरी वजह
से बल्कि अब उसको खुद से भी डर लगने लगा था ,,क्यूकी अब वो भी मेरी तरफ आकर्षित
होने लगी थी,,,,,हालाकी कुछ दिनो मे हम दोनो के बीच सब कुछ नौरमल हो गया था लेकिन
अभी इस वक़्त हम दोनो ऐसी हालत मे एक दूसरे के सामने खड़े हुए थे कि दोनो का बहक
जाना कोई बड़ी बात नही थी,,,,,
वो मेरे जिस्म को देख रही थी क्यूकी मेरी टी-शर्ट भी भीग कर मेरे जिस्म से चिपकी हुई
थी और मेरी छाती सोनिया को नज़र आ रही थी,,,,,सोनिया का कुर्ता भी उसके जिस्म से चिपका
हुआ था और उसका उपर का जिस्म नंगा नज़र आ रहा था मुझे,,,,,जब सोनिया को अपनी हालत
का अंदाज़ा हुआ वो कुछ ज़्यादा ही डर गयी,,,,और सर को हिला कर मुझे अपने करीब आने से
रोकने लगी लेकिन अब बहुत देर हो गयी थी मेरे कदम खुद-ब-खुद उसकी तरफ बढ़ने लगे थे
वो समझ गयी थी मैं रुकने वाला नही क्यूकी मेरा खुद पर कोई क़ाबू ही नही था,,मैं बहक
गया था,,,,सोनिया खुद भी बहक गयी थी लेकिन फिर भी वो खुद पर क़ाबू करने की पूरी
कोशिश कर रही थी,,,,,,
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