Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 09:26 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
कविता सिसकी और अपनी जांघे एक दूसरे से चिपका ली...पर राजेश उसकी चूत को ऐसे ही चूमता रहा फिर उसने कविता की पैंटी उतार डाली......

शर्म के मारे कविता का बुरा हाल हो गया ......दिल की धड़कने बढ़ गयी..........जिसमे घबराहट के मारे पसीने पसीने हो गया .........

राजेश ने उसकी जाँघो को फैलाया और उसकी चूत पे ज़ुबान फेरने लगा....

अहह उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ कविता मचलते हुए सिसकने लगी और बिस्तर को खींचने लगी.....



जिंदगी में पहली बार ऐसी ऐसी तरंगे उठ रही थी कवि के बदन में ......जिन्हें समेटना उसके बस में ना रहा और ........मचलते हुए वो अपने पहले चरमोत्कर्ष की और तेज़ी से अग्रसर होने लगी.....

अहह मुझे कुछ हो रहा है है....ओह माआआआआआआआ

कमान की तरहा उसका जिस्म उठ गया और वो राजेश के मुँह पे झड़ने लगी............राजेश उसके प्रेम रस को पीने लगा.....

कविता का जिस्म निढाल हो बिस्तर पे गिर पड़ा.......

राजेश उठ के उसके पास लेट गया और उसे अपनी बाँहों में भर लिया.....

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सुनील का होटेल कुछ ज़्यादा दूर था एक छोटे आइलॅंड पे बना एक बुटीक होटेल जिसके पास एक ही वॉटर बंग्लॉ था जो इनके लिए बुक था और ये बंग्लॉ भी फूलों से सज़ा हुआ था...बस बिस्तर सुहाग सेज की तरहा नही सज़ा था...लेकिन इस बंग्लॉ में एक लिविंग रूम और 2 बेडरूम थे .....विजय कहाँ तक सोचता है ये देख सुनील के चेहरे पे मुस्कान आ गयी .....सुनील के बंग्लॉ में प्राइवेट पूल था जो इस वक़्त लाइट्स से जगमगा रहा था



बंग्लॉ में पहुँचते ही सोनल ने सारी लाइट्स ऑफ कर दी....कुछ बड़ी कॅंडल्स वहाँ कोनो में रखी हुई थी उन्हें जला दिया ...वो पूरी मस्ती में आ चुकी थी.......और थिरकते हुए गाने लगी .....जिसका मज़ा दोनो सुनील और सुमन लेने लगे.....

रात अकेली है, बुझ गए दिए
आके मेरे पास, कानो.न मे.न मेरे
जो भी चाहे कहिए, जो भी चाहे कहिए,
रात अकेली है, बुझ गए दिए
आके मेरे पास, कानो.न मे.न मेरे
जो भी चाहे कहिए, जो भी चाहे कहिए

तुम आज मेरे लिए रुक जाओ, रुत भी है फुरसत भी है
तुम्हें ना हो ना सही, मुझे तुमसे मुहब्बत है
मोहब्बत की इजाज़त है, तो चुप क्यू रहिए
जो भी चाहे कहिए,
रात अकेली है, बुझ गए दिए
आके मेरे पास, कानो.न मे.न मेरे
जो भी चाहे कहिए, जो भी चाहे कहिए

सवाल बनी हुई दबी दबी उलझन सीनों में
जवाब देना था, तो डूबे हो पसीनो. में
ठानी है दो हँसीनों में, तो चुप क्यूँ रहिए
जो भी चाहे कहिए,
रात अकेली है, बुझ गए दिए
आके मेरे पास, कानो.न मे.न मेरे
जो भी चाहे कहिए, जो भी चाहे कहिए...

थिरकते हुए गाते हुए सोनल ने सूमी को भी साथ में खींच लिया और स्ट्रिपटीज़ शुरू कर दी....सूमी ना कर रही थी..पर सोनल मानी नही ...और दोनो थिरकते हुए धीरे धीरे स्ट्रिपटीज़ करती रही जब तक ब्रा और पैंटी में नही रह गयी .......उसके आगे सोनल ने जान भुज के ना अपने इननेर्स उतारे और ना ही सूमी को उतारने दिए ....ये काम उसने सुनील पे छोड़ दिया था.......सुनील ने वहाँ पड़ी शॅंपेन की बॉटल खोली और दोनो पे छिड़कने लगा.

सुनील कभी सोनल के जिस्म से शॅंपेन चाटता तो कभी सूमी के जिस्म से ....सोनल सुनील को धक्का दे बाहर पूल में कूद गयी...सुनील ने फट से अपने कपड़े उतारे और वो भी पानी में कूद गया और इससे पहले सोनल तैर कर आगे भागती ...सुनील ने उसे क़ब्ज़े में ले लिया और दोनो का स्मूच शुरू हो गया...


सुमन भी पीछे से आकर सुनील से चिपक गयी .....सोनल ने सुनील को छोड़ दिया और सुनील ने सूमी को अपने पास खींच लिया ...ये दोनो गहरे चुंबन में डूब गये और सोनल पूल से बाहर निकल गयी ......अपने ब्रा और पैंटी उतार दोनो के उपर फेंक दी और लहराती बल खाती अंदर लिविंग रूम में जा कर शेम्पेन के ग्लास तयार करने लगी..तीन पेग तयार कर वो बाहर आ गयी और दोनो को एक एक पेग पकड़ा खुद वहीं पूल के किनारे अढ़लेटी हल्की हल्की चुस्कियाँ लेने लगी.....

सुनील ने सूमी की ब्रा और पैंटी भी उतार फेंकी ....ये देख सोनल पूल में कूद गयी और सुनील का अंडर वेर खींच उतार डाला......अब तीनो बिना किसी वस्त्र के एक दूसरे से चिपक गये .......कभी सुनील सुमन को चूमता तो कभी सोनल को........पूल के नीचे लगी लाइट्स इनकी मस्ती को और बढ़ा रही थी ........सुनील सोनल को गहरा स्मूच देने लगा तो सूमी पीछे से सोनल के साथ सट गयी और अपनी निपल उसकी पीठ पे रगड़ते हुए उसके उरोज़ मसल्ने लगी ...

कुछ देर यूँ ही पूल में मस्ती करते रहे फिर पूल से बाहर निकल आए क्यूंकी चारों तरफ अंधेरा छा चुका था और ऐसे समय में ज़्यादा देर पूल में रहना भी ठीक नही था....वहीं पास पड़ी लोंग चेर्स पे रखे हुए टवल्ज़ उठाए और तीनो ने खुद को पोन्छा फिर अंदर चले गये....

सोनल ने फिर से पेग बनाए और दोनो को पकड़ा दिए ........

सोनल.....आज कितना खुशी का दिन है.......हर बार पता नही कुछ कुछ हो जाता था...पूरा साल ऐसे ही गुजरा.....चियर्स टू और गुड टाइम्स

सुनील...उसे अपनी गोद में खींचते हुए....वक़्त से डरना चाहिए जानेमन..पता नही कब क्या हो जाए.....

सोनल....देखो ना दीदी कैसी बातें करते हैं...क्या हमे खुश रहने का भी हक़ नही ....

सूमी ...कह तो ये ठीक ही रहा है ना ...जिंदगी दोनो रंग दिखाती है ...कभी खुशी कभी गम

सोनल...मैं आज बहुत खुश हूँ...अब मूड मत ऑफ करना आप दोनो.....कविता सेट्ल हो गयी ...और अंकल ने देखो किस तरहा रूबी और मिनी को घूमने की ज़िम्मेदारी ले कर हमे एक दम अलग कर दिया ताकि हम लोग अपनी एनिवर्सरी अपने ढंग से अकेले मना सके .......

सुनील ...तो इतनी दूर क्यूँ है इधर आ ...........और सोनल को खींच उसके होंठ चूसने लग गया



सूमी...मैं जा रही हूँ सोने.......

सोनल एक दम अलग हुई सुनील से .......आई है ...मैं जा रही हूँ सोने ....कहीं नही जा रही आप....आज हम तीनो की रात है...हमारी एनिवर्सरी की रात है.......

सूमी........मेरी एनिवर्सरी तो निकल चुकी गुड़िया

सुनील..........जान आप ही बताओ ...मैं क्या करता ...जो हालत....

सुमन दौड़ के उसके पास आई और अपनी बाँहों में समेट लिया .....मैं कोई गिला नही कर रही .......बस इतना कह रही हूँ ...ये रात तुम दोनो की है

सोनल.....नही दीदी ...माना देर हो गयी कुछ ...पर ये रात हम तीनो की है .......अब ये भी क्या करते ...एक तरफ कवि.....

सुमन....तू पागल है क्या ....क्या मैं नही जानती ये कितना प्यार करता है मुझ से ....छोड़ो इन बातों को ....चलो बेड रूम में चलते हैं .....यहीं रात गुजारनी है क्या ....

सुनील ....जब रात हमारी है...आस पास कोई भी नही तो फिर खुल के क्यूँ ना इस रात का मज़ा लें ........देखो यहाँ से दूर तक फैला समुद्र और उसपे उछल कूद करती चाँदनी कितना सुहावना मंज़र बना रही हैं

सुनील ने सुमन को भी अपनी गोद में खींच लिया अब उसकी एक जाँघ पे सुमन थी और दूसरी पे सोनल.......

तीनो के होंठ एक साथ एक दूसरे की तरफ बढ़े और और तीनो के होंठों का संगम देखने वाला था...तीनों की ज़ुबाने बाहर निकल एक दूसरे से मिलने लगी और सुनील के हाथ फिसलते हुए दोनो के मम्मो पे चले गये ....एक साथ वो दोनो के मम्मे मसल्ने लगा.

अहह उम्म्म्मम दोनो ही सिसक पड़ी और सुनील के लंड को सहलाने लगी .........काफ़ी देर तक तीनो एक दूसरे को चूमते रहे और दोनो के मम्मे मसलता रहा .......

फिर सोनल और सुमन ने एक साथ सुनील के लंड पे धावा बोल दिया और उसे चाटने और चूसने लगी.....

अब सुनील की बारी थी सिसकने की .....दोनो औरतों के गरम होंठों का अहसास अपने लंड पे पा कर वो मचल उठा ......
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