RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
वो शक्स उसके सामने आ कर बैठ गया ....और गौर से उसके चेहरे को देखने लगा ...जहाँ उसे गहरी चिंता की रेखाएँ दिख रही थी.....
वो औरत......मुझे शायद 3-4 दिन के लिए जाना पड़े ......तुम्हारे खाने पीने का इंतेज़ाम करती जाउन्गि ........अपना ध्यान रखना
वो शक्स कुछ कहना चाहता था ....पर चुप ही रहा और गहरी सोच में डूब गया........और खड़े हो कमरे की दूसरी खिड़की पे जा के बाहर दूर तक फैले समुद्र को देखने लगा ....कितने राज छुपे होते हैं इसके गर्भ में .....जिनका कभी पता नही चलता .....उसकी अपनी जिंदगी भी तो एक राज ही बन के रह गयी थी......कितनी कोशिश करता था वो ...पर खुद अपने राज़ ही नही पहचान पा रहा था.......उपर से शांत बिल्कुल उस समुद्र की तरहा ...पर अंदर कयि तूफान करवट ले रहे थे....जो ना जाने कब किसी सूनामी में तब्दील हो जाएँगे ....और उसे इंतेज़ार था ऐसी ही किसी सूनामी का.......ना जाने कब तक उसे इंतेज़ार करना पड़ेगा....आँखों से दो कतरे आँसू टपक पड़े ...पर अब तो इन आँसुओं की एहमियत भी ख़तम हो चुकी थी....
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ये बात तो तय हो गयी थी की रूबी से मिलना है...पर सुनील ये नही चाहता था कि इस बात का विजय को पता चले और वो कहीं कुछ ग़लत ना समझ बैठे.....अब सबसे पहले जो काम करना था वो ये था कि रूबी और मिनी अपने अगले दिन घूमने का प्रोग्राम कॅन्सल करती...ताकि ये लोग आराम से रूबी से बात कर सकते....
सूमी....सुनील तुम विजय को बता दो कि हम आज रूबी से बात करेंगे ...वो बुरा नही मानेगा ....ट्रस्ट मी
सुनील.....ह्म्म्म, ठीक है ......मैं कॉल कर दूँगा
सोनल....मैं रूबी को कॉल कर दूँगी
सुनील...विजय को कॉल करता है ...
सुनील...अंकल हम आज रूबी से मिलने आ रहे हैं...तो प्लीज़ आप कोई प्रोग्राम इनके साथ मत बनाना
विजय ....यार मैने तो स्नोर्केलिंग कन्फर्म कर रखी है......
सुनील...दोपहर तक तो फ्री हो ही जाओगे...हम शाम को मिल लेंगे
विजय....हां ये ठीक रहेगा .......बेटा एक बात बोलूं.....
सुनील...जी कहिए
विजय ...उसके दिमाग़ में बहुत इनसेक्यूरिटी है ....ज़्यादा मत कुरेदना.....उसे सिर्फ़ तीन लोग ही हॅंडल कर सकते हैं इस वक़्त ....सुमन जी ....मैं या आरती ...और मेरे ख़याल से मैं ही उसे ठीक ढंग से हॅंडल कर पाउन्गा......एक बात और मैने अपने दोस्त करण को पूरी फॅमिली के साथ बुला लिया है...दोपहर के बाद किसी भी वक़्त आ जाएगा ....तब उनसे बात करूँगा ....रूबी की इनसेक्यूरिटी को ले कर ....
सुनील...क्या ये ठीक रहेगा ....
विजय....बेटे वो मेरा दोस्त है...मुझे हॅंडल करने दो.....
सुनील...ठीक है अंकल जैसा आप कहें...डॅड मुझे रूबी की ज़िम्मेदारी सोन्प गये थे तो...
विजय.......तेरी बहन है तू उसकी चिंता नही करेगा तो और कॉन......पगले मैं बस ये कहना चाहता था कि उसे ज़्यादा मत कुरेदना...बहुत ही भावुक लड़की है वो
सुनील....जी समझ गया....
विजय...उस से मिल के तुम वापस चले जाना ....और अपनी छुट्टी का पूरा मज़ा लो...बाकी सब मुझ पे छोड़ दो....
सुनील ...जी
दोनो की कॉल ख़तम हो गयी......सुनील ने मोबाइल स्पीकर पे रखा था ताकि सोनल और सूमी भी सब सुन सकें.....
सूमी.....मैं सोच रही हूँ ...सिमिरन और जयंत को बुला लूँ ......
सोनल....नही ये ठीक नही रहेगा ...आप ये क्यूँ भूलती हो ...जयंत उस कमल का खांस दोस्त था जिसने रूबी पे अटेंप्ट किया था...क्यूँ रूबी को फिर से ......उन दिनो की याद दिलाना चाहती हो
सुनील....सोनल ठीक कह रही है यार ....तुम क्यूँ अपनी दोस्ती को ले कर इतना टेन्स हो रही हो......
सूमी......कमल कीचड़ में ही खिलता है ....हमे नही मालूम अभी ..कि क्यूँ रूबी अचानक शादी के लिए हां कर बैठी ......मैं नही चाहती कि वो अपनी जिंदगी का फ़ैसला इतनी जल्दी बिना सोचे समझे ले ....कुछ तो हुआ है ...जो इस तरहा
सोनल....सीधी सी बात है......अगर ध्यान से सोचो ....तो सब समझ में आ जाएगा
सुनील...तो तुम्हारे कहने का मतलब है कि उसके और मिनी के बीच कुछ हुआ ..जिसकी वजह से वो फट से शादी के लिए तयार हो गयी.....
सोनल...मुझे तो यही लगता है......बाकी जब चलेंगे तो पता चल ही जाएगा
सूमी.......मैं कल सिमिरन को फोन कर रूबी के फ़ैसले के बारे में बता दूँगी...ताकि वो आस लगा के ना बैठी रहे..
सुनील....चलो रेडी हो जाओ ...चलते हैं ........सोनल तुम रूबी को फोन कर दो ...कि हम आ रहे हैं..कमरे में ही रहे...
सुनील फटाफट रेडी होता है...सूमी भी तयार होने लगती है....
सोनल पहले रूबी को कॉल करती है और फिर तयार होती है..
तीनो रूबी से मिलने निकल पड़ते हैं
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ये वही रात थी जब रूबी ने विजय के सामने भी हां कर दी थी ...वापस कमरे में आने के बाद वो विजय की बातों को सोचने लगी थी ....क्या वाक़्य में बड़े लोगो में इतनी शक्ति ...इतनी सूझ भूज होती है ..जो जिंदगी के कड़वे सच को आसानी से किसी को समझा सकते हैं
आज विजय में उसे अपना सागर अंकल (ये तो बाद में पता चला था कि सागर ही उसका पिता था) नज़र आने लगा...उसे यूँ लग रहा था जैसे सागर ने दूसरा रूप ले लिया है उसकी जिंदगी में वापस आने के लिए..उसे वो प्यार देने जिसे वो कभी दिया करता था...उसकी हर चिंता हर समस्या का समाधान करने जैसे वो पहले किया करता था......दिल ने कयि बार ये सवाल उठाया था कि जो फ़ैसला उसने लिया ...कहीं वो जिस्म की भूख के आगे झुक कर जल्दबाज़ी में तो नही ले लिया था....जितना वो सोचती ...उतना ही उसे अपना फ़ैसला ठीक लगता .....सारी जिंदगी विजय जैसे अंकल का हाथ सर पे होना...कवि जैसी बहन का बिल्कुल पास होना और तो और राजेश जैसा जीजा जो बिल्कुल सुनील की तरहा था .......इतना सब किस लड़की को मिलता है ....उसे तो अपने नसीब खुलते नज़र आने लगे थे......
सोचते सोचते नज़रों के आगे विमल का अक्स उभरने लगा ....
विमल बिल्कुल उसे राजेश की तरहा लग रहा था...वही खिचाव था चेहरे पे जो किसी भी लड़की को मोहित कर लेता...गथीला बदन ...चौड़ी चाहती...आँखों में शरारत ...किस तरह नोतंकी कर रहा था...कवि के सामने .....सोचते सोचते रूबी के होंठों पे मुस्कान आ गयी ...शायद उसका दिल विमल को कबूल कर चुका था...
बस एक डर था ...क्या विमल सच जानने के बाद उसे अपनाएगा या फिर.....क्या वो खुद इतनी हिम्मत कर पाएगी कि विमल को खुल के अपने अतीत के बारे में बता सके..
सिहर के रह जाती जब भी वो इस बारे में सोचती....फिर उसे विजय की बात याद आई ..कि सब कुछ उनपर छोड़ दिया जाए...वो अपने हिसाब से उसके अतीत को विमल के सामने लाएँगे ....क्या ये ठीक रहेगा....
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