Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 09:37 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
ब्रेकफास्ट करते हुए ये डिसाइड हो गया कि कवि वापस देल्ही ही जाएगी और कुछ दिनो में राजेश आ जाएगा..फिर ये देल्ही वाले फ्लॅट में शिफ्ट हो जाएँगे....

रूबी के बारे में सोच कवि थोड़ा उदास थी...

विजय और आरती उसी दिन वापस चले गये.....राजेश और कवि रुक गये अभी कुछ दिन और मस्ती करने के लिए....

सोनल को एक ज़रूरी प्रेज़ेंटेशन देनी थी ...कॉलेज में इसलिए वो रूबी को साथ ले वापस चली गयी....सुनील और सुमन कुछ दिन के लिए और रुक गये..इनका प्रोग्राम अब राजेश और कवि के साथ हो गया वापसी का...

सोनल जाते जाते...सुमन के कान में बोल गयी ...दीदी प्रेग्नेंट हो कर ही आना फिर जशन मनाएँगे...

कवि को ऑक्वर्ड महसूस ना हो .......सुनील और सुमन की माजूदगी उसी होटेल में होने से...इसीलिए सुनील ने होटल बदल लिया क्यूंकी वो भी सुमन के साथ अकेले में वक़्त गुज़ारना चाहता था...

उधर मिनी नहाने के बाद कमरे से बाहर आने में कतरा रही थी..उसे बहुत शर्म आ रही थी..कैसे नज़रें मिलाएगी वो सुनेल से ..कहीं वो उसे ग़लत ना समझ बैठे.....

उसकी कॉफी ले कर सवी कमरे में आ गयी .....

सवी....क्या हुआ बाहर क्यूँ नही आई....

मिनी कुछ नही बोली बस चेहरा झुकाए बैठी रही.

सवी...शरमाने की ज़रूरत नही ...जो पहले नही हुआ वो अब होगा...मैं तेरी शादी करवाउन्गी..सुनेल से.....बस उसकी यादश्त वापस आ जाए...

मिनी.......उपरवाले ने चाहा तो वो जल्द अपनी यादश्त वापस पा लेंगे...

सवी उसके साथ ही बैठ कॉफी पी रही थी...आज उसने सुनेल को काफ़ी खुश देखा था...

सवी...तू अगर चाहे तो सुनेल के कमरे में शिफ्ट हो सकती है..

मिनी...क्या कह रही हो माँ...शादी के बिना...मैं कैसे...

सवी...जब तुम पहले ही एक दूसरे के हो चुके थे जो होनी ने अपनी करामात दिखा तुम्हें अलग कर दिया ....तो वही होनी आज फिर तुमको करीब ले आई है...शायद तेरे और भी करीब जाने से सुनेल पे कुछ ज़्यादा असर पड़े...रही बात तुम दोनो की शादी की..तो उसकी ज़िम्मेदारी मेरी है...

मिनी...पर माँ अगर इनकी जिंदगी में कोई और निकली तो.......जिसका पता इनके ठीक होने के बाद चला तो तो मैं तो कहीं की नही रहूंगी...

सवी....कुदरत पे भरोसा रख...अगर ऐसा कुछ हुआ होता..तो वो तुम दोनो को फिर से नही मिलाती...और मैं तुझे वचन देती हूँ...चाहे दुनिया इधर की उधर हो जाए...तू इस घर की बहू थी और बहू ही रहेगी...चल मेरे साथ....

सवी मिनी को खींच बाहर हॉल में ले आई...जहाँ सुनेल बैठा कॉफी पी रहा था...

सवी ...सुनेल बेटा क्या तुझे मिनी पसंद है ....शादी करेगा मेरी बेटी से...

सुनेल......मिनी बहुत अच्छी है...मैं क्या कोई भी तयार हो जाएगा इससे शादी करने के लिए...पर ...जब मैं खुद को ही नही जानता ...मैं ये ज़िम्मेदारी कैसे उठा पाउन्गा..कल..कहीं...

सवी...तेरा दिल क्या कहता है......

सुनेल ....सवी को देखने लगा...मिनी वहीं सर झुकाए खड़ी रही...

सुनेल....माँ अगर मिनी को कोई इतराज़ नही ..तो मुझे तो खुशी होगी...

सवी ...वहाँ टेबल पे पड़े चाकू को उठा सुनेल के अंगूठे में चुबा देती है...खून निकलने लगता है...

सवी..भर दे इसकी माँग फिर अपने खून से...ताकि ये बंधन जन्मों तक सलामत रहे...

मिनी हैरानी से सवी को देखने लगी..उसकी आँखें नम हो चुकी थी..

सुनेल उठ के मिनी के पास आ गया......उसके चेहरे को उठा उसकी आँखों में झाँकने लगा ....जिनमें एक तड़प थी...एक आस थी....और सुनेल उसकी माँग अपने खून से भर देता है...मिनी की रुलाई निकल पड़ती है...

सवी उसे अपनी बाँहों में भर लेती है...ना बेटी अब रोना नही ...बस खुशियों के दिन ज़्यादा दूर नही...

आरती और विजय घर पहुँच गये थे ....आरती विजय को दिखा नही रही थी पर अंदर से वो बहुत परेशान थी...सवी का घर में ना रहना उसे और भी चोट पहुँचा गया था.....

विजय ने उसके लिए अपने प्यार की कुर्बानी दे डाली..ये वो जानती थी....काश उस वक़्त उसका अबॉर्षन हो पाता...तो आज विजय अपने प्यार के साथ होता...

रिश्ते कैसे बदलते हैं ...वो इस बात से भी हैरान थी....उसका भाई उसका पति बन गया ...और उसके भाई का प्यार आज उसकी सम्धन बन गयी थी....

कैसे मिलाऊ इन दोनो को आरती अब हर वक़्त बस यही बात सोचती रहती थी...सवी कहाँ गयी होगी....पहले तो सुनेल की ज़िम्मेदारी थी उसपे...अब मिनी भी उसकी ज़िम्मेदारी बन चुकी थी...अकेली नितांत असहाय कैसे झेल रही होगी सब.

सोचते सोचते उसका दिमाग़ पलक की तरफ घूम गया......और उसने करण की वाइफ को फोन लगा दिया...

आरती....भाभी पलक का क्या कर रही हो...किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाया या नही...

******

आरती...क्या...आप लोग पागल तो नही हो गये......लगता है विजय को ही करण से बात करनी पड़ेगी......क्यूँ इतनी अच्छी लड़की की जिंदगी बर्बाद करने पे तुले हो..

*******

आरती ...हां वो शाम तक आ जाएँगे ....तब फोन करवाउन्गी...

इसके बाद आरती फोन रख देती है...

विजय ऑफीस में बैठा सोच रहा था कि कैसे वो सवी की मदद करे.......मदद तो बाद की बात है पहले उसे ढूंडना पड़ेगा....

विजय एक प्राइवेट डीटेक्टिव को बुलाता है....सारी बात उसे समझाता है और एक पुरानी फोटो जो उसके पास सवी की थी...वो उसे देदेता है...और ज़ोर शोर से सवी को ढूँडने के लिए बोलता है.....तभी उसे याद आता है कि राजेश की शादी की फोटोस में मिनी की फोटोस भी हैं...वो मिनी की फोटो भी निकाल के डीटेक्टिव को देदेता है.....अगर मिनी का पता चल गया तो सवी का अपनेआप चल जाएगा...

यहाँ मालदीव में.........

राजेश और कविता एक वॉटर बंगलो मे बैठे ...टीवी के चॅनेल सर्फ कर रहे थे......

कविता....आप पलक से अब दूर रहना.....

राजेश...भाई कभी बहन से दूर रहता है क्या

कविता..पर वो आपको भाई कहाँ समझती है.....अगर मैने उसकी वो हरकत ना देखी होती तो पता नही क्या बवाल मच जाता

राजेश....वो बेवकूफ़ है...समझ जाएगी वक़्त के साथ

कविता...हैरानी से उसकी तरफ देखती है ...और गुस्से में उठ के बाहर चली जाती है...

राजेश...अरे नाराज़ क्यूँ हो रही हो...

उठ के उसके पीछे जाता है...

राजेश कविता के पीछे जा उसके साथ चिपक जाता है...

कविता बिदक के अलग हो जाती है......

कविता...जब तक मेरा कोर्स पूरा नही होता...आप देल्ही मत आना ...पहले अपनी बहन को संभाल लो...

राजेश ....अरे क्यूँ नाराज़..

कविता...नही मैं नाराज़ नही हो रही ...जो होना चाहिए वो बोल रही हूँ........

राजेश....तुम क्यूँ उस बेवकूफ़ को इतना सीरीयस ले रही हो...

कविता...बेवकूफ़...वो बेवकूफ़ नही हज़ार लोमदियों का दिमाग़ रखती है...........मैं आज ही वापस जा रही हूँ....जब पलक का मसला हमेशा के लिए सॉल्व हो जाए तब बुला लेना...तब तक मेरा कोर्स भी पूरा हो जाएगा...पैर पटकती हुई अंदर चली गयी और अपनी पॅकिंग करने लगी...

राजेश को गुस्सा तो बहुत चढ़ा ...पर चुप रहा ....वो दिल से पलक को बहन मानता था ....और कविता का इस तरहा से रिएक्ट करना उसे खल रहा था...

कविता ने सुनील को फोन कर दिया.....भाई मैं आज ही वापस जाना चाहती हूँ.......मेरी टिकेट पे आज की डेट चेंज करवा दो...

सुनील उसकी इस बात से बोखला सा गया....क्या झगड़ा हो गया इसका अब राजेश से...

सुनील....****

कविता ...नही भाई कोई झगड़ा नही हुआ ....अभी ये पहले पलक को संभालेंगे ...फिर मुझे लेने आएँगे ....अगर इनकी मर्ज़ी हुई तो......मैं एरपोर्ट के लिए रवाना हो रही हूँ...

सुनील बोलता रह गया...पर कविता फोन काट चुकी थी....होटेल की रिसेप्षन पे फोन कर अपने लिए एरपोर्ट जाने का इंतेज़ाम कर लिया...

राजेश ...कवि क्या है ये सब.....

कविता......कुछ नही ...अभी आपकी बहन को आपकी ज़्यादा ज़रूरत है....

तभी सुनील का फोन आता है राजेश के मोबाइल पर....

दोनो में कुछ देर बात होती है और राजेश कवि का बॅग अंदर पटक उसे अपनी बाँहों में भींच लेता है.....'बीवियों को इतना गुस्सा नही करना चाहिए...जान निकल जाती है आदमियों की...जो तुम चाहती हो वही होगा...पर उसके इलाज़ में तो विमल की मदद कर सकते हैं ना...'

कविता...आप डॉक्टर हो...जितना उसके सामने जाओगे उतना उसका बुखार वैसे का वैसा रहेगा...ये काम मम्मी पापा का है उन्हें करने दो...

ओके ओके ओके ....अब मुँह तो मीठा कर दो...इतनी देर से डाँट लगाती रही हो...
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