RE: Bahu ki Chudai बहुरानी की प्रेम कहानी
बहू रानी की बात सुन के मुझे हंसी आ गई- अदिति बेटा, तेरी चूत पराई नहीं है मेरे लिए; पर मेरा लंड इसी स्टाइल में घुसता है चूत में!
मैंने कहा.
“चाहे किसी की जान ही निकल जाये आप तो अपने स्टाइल में ही रहना. मम्मी जी को भी ऐसे ही सताते होगे आप?”
“बेटा, तेरी सासू माँ की चूत तो अब बुलन्द दरवाजे जैसी हो गई है, उसे कोई फर्क नहीं पड़ता चाहे हाथ ही घुसा दो कोहनी तक!”
“तो मेरी चूत भी आप इंडियागेट या लालकिले जैसी बना दोगे इसी तरह बेरहमी से अपना मोटा लंड घुसा घुसा के?” बहूरानी ने मुझे उलाहना दिया.
“अरे नहीं अदिति बेटा, अभी तेरी उमर ही क्या है, तेईस चौबीस की होगी. अभी तेरी चूत तो यूं ही टाइट रहेगी सालों साल तक और किसी कुंवारी लड़की की कमसिन चूत की तरह मज़ा देती रहेगी मुझे.” मैंने बहूरानी को मक्खन लगाया और उसके निप्पल चुटकी में भर के उसका निचला होंठ चूसने लगा.
“हुम्म… चिकनी चुपड़ी बातें करवा लो आप से तो!” बहूरानी बोलीं और मेरे चुम्बन का जवाब देने लगी और उसकी दोनों बांहें अब मेरी गर्दन से लिपट गईं थीं. फिर बहूरानी ने अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसा दी जिसे मैं चूसने लगा. मेरा मुखरस बह बह के बहूरानी के मुंह में समाने लगा फिर बहूरानी ने मेरी जीभ अपने मुंह में ले ली और जीभ से जीभ लड़ाने लगी.
“पापा जी एक बात बताओ?” बहूरानी ने चुम्बन तोड़ कर मुझसे कहा.
“पूछो बेटा?”
“अभी आप मुझसे दूर ड्राइंग रूम में क्यों सोये थे?”
“अदिति बेटा, मैं सुबह से ही देख रहा था कि तुम मेरी नज़रों से बच रही थी, आंख झुका के बात कर रहीं थीं तो मुझे लगा कि हमारे बीच बन गए सेक्स के रिश्ते का तुम्हें पछतावा है और तुम अब वो सम्बन्ध फिर से नहीं बनाना चाहतीं, इसीलिए मैं अलग सो गया था.”
अब तुम बताओ तुम्हारे मन में क्या चल रहा था?” मैंने कहा.
“पापा जी, मैं शुरू से बताती हूँ पूरी बात. मैं शादी के समय भी बिल्कुल कोरी कुंवारी थी. आपके बेटे ने ही सुहागरात को मेरी योनि की सील तोड़ कर मेरा कौमार्य भंग किया था फिर उसके बाद आप मेरे जीवन में अचानक अनचाहे ही आ गए. गुड़िया ननद की शादी के बाद जब आप उस रात छत पर उस एकान्त कमरे में अकेले सो रहे थे और मैं आपके पास आपको अपना पति समझ के पूरे कपड़े उतार कर पूरी नंगी होकर आपके पास लेट गयी थी और आपको सम्भोग करने के लिए मना रही थी, उकसा रही थी. लेकिन आप मुझसे बचने का प्रयास कर रहे थे क्योंकि आप मुझे पहचान गए थे; लेकिन मैं आपको उस अंधेरे में नहीं पहचान पाई और आपका लिंग चूस चूस कर चाट चाट कर आपको मनाती रही उकसाती रही.”
“आप भी कहाँ तक सहन करते वो सब. विवश होकर आप मेरे ऊपर चढ़ गए और मुझमें बलपूर्वक मेरी इस में समा गए जैसे ही आपका विशाल लिंग मेरी प्यासी योनि में घुसा था, मैं समझ गयी थी कि मैं छली जा चुकी हूँ, कि मेरे साथ मेरा पति नहीं कोई और ही है क्योंकि आपके बेटे का लिंग आपसे बहुत छोटा और पतला सा है.”
“फिर आपने जिस तूफानी ढंग से मुझे भोगा, मेरी योनि के कस बल निकाल के जो सम्भोग का चरम का सुख मुझे दिया, जो परम आनन्द आपने दिया वो मेरे लिये अलौकिक और नया था; आपने मेरे साथ प्रथम सम्भोग में ही मुझे कई कई बार डिस्चार्ज कराया; निहाल हो गयी थी मैं तो. आपके सुपुत्र तो चार पांच मिनट में ही सब निपटा के सो जाते थे. मैं भी यही जानती थी कि सेक्स ऐसा ही होता होगा. कभी सोचा या कल्पना तक नहीं की थी उस आनन्द के बारे में जिससे आपने मुझे परिचित कराया, जिससे मैं तब तक अनजान थी.”
“फिर मैं आपसे बार बार सेक्स करने को बेचैन, बेकरार रहने लगी और उसके बाद हमारे बीच कई बार सम्बन्ध बने.”
“पापा जी मेरे बदन को आज तक सिर्फ आपके बेटे ने और आपने ही भोगा है किसी अन्य पुरुष ने कभी गलत नियत से छुआ भी नहीं है पहले. आपसे सम्बन्ध बनने के बाद जब मैं यहाँ आ गयी तो मुझे अपने पति के साथ सहवास में वो आनन्द और तृप्ति नहीं मिली जो आप के साथ मिलन में मिली थी. मेरे संस्कार मुझे धिक्कारने लगे, अपने किये का पछतावा होने लगा मुझे. मन पर एक बोझ सा रहने लगा हमेशा, जैसे कोई महापाप हो गया हो मुझसे. आज आप आये तो सोच लिया था कि अब और नहीं करना वो सब; क्योंकि मन पे पड़ा बोझ बहुत तकलीफ देता है.” बहूरानी बोली.
“बहूरानी, फिर उसके बाद क्या हुआ तुम खुद नंगी होकर मेरे पास आ रही थी?” मैंने पूछा और अपने लंड को उसकी चूत में दो तीन बार अन्दर बाहर किया. उसकी चूत अब खूब रसीली हो उठी थी और लंड बड़े आराम से मूव करने लगा था.
बहु की चूत चुदाई की कहानी आपको कैसी लग रही है?
कहानी अभी जारी रहेगी.
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