RE: Bahu ki Chudai बहुरानी की प्रेम कहानी
ऐसा कम्मो ने जानबूझ कर किया था या यूं ही उसका हाथ मेरे लंड पर पड़ गया था, मैं कुछ समझ नहीं पाया. पर मेरे मन में खलबली जरूर मच गयी थी. मैं कम्मो को कल से वाच कर रहा था जब वो उन लड़के लड़कियों के साथ मस्ती कर रही थी और ऐसा लगता था कि उसकी उमड़ती भरपूर जवानी उसे चैन नहीं लेने दे रही है और उसकी चूत चीख चीख कर लंड मांग रही है. छोरियों की ये कमसिन उमर होती ही ऐसी है न इन्हें उठते चैन न बैठते चैन और इनके बूब्स में हल्का हल्का मीठा मीठा दर्द हमेशा बना रहता है जिसे किसी मर्द के हाथ ही दूर कर सकते हैं और इनकी चूत का दाना पैंटी से रगड़ रगड़ कर चूत में खुजली किये रहता है और इन्हें चैन नहीं लेने देता.
इस बार मैंने थोड़ी हिम्मत करने की सोची और …
“अच्छा कम्मो चलो अब जरूरी काम की बात करते हैं; ये बताओ तुम्हें फोन कौन सा चाहिये?” मैंने पूछा और उसकी पीठ पर हाथ रख कर अपना मुंह उसके मुंह के पास ले जा कर मध्यम स्वर में पूछा.
“अंकल, अच्छा वाला लूंगी मैं तो!” वो थोड़ा इठला कर बोली.
“अरे अच्छे से अच्छा ही दिलवाएंगे तुझे, मेरे कहने का मतलब तेरे फोन में तुझे क्या क्या देखना है?” ऐसा कहते हुए मैंने अपने हाथ की उँगलियों से उसकी पीठ पर हारमोनियम सी बजाई. बदले में वो स्ट्रेट हो कर बैठ गयी और मेरा हाथ अपनी पीठ से हटा दिया.
“अंकल जी ऐसे गुदगुदी मत करो मुझे बस!” वो थोड़ा रोष से बोली.
“अरे तो क्या हो गया, तू मेरी प्यारी प्यारी छोटी नन्ही मुन्नी सी गुड़िया है न. मेरा हक़ है तुझपे, अरे जब तू इत्ती सी थी न, तब तू पूरी नंगी मेरी गोद में खेला करती थी. याद है न?” मैंने सरासर झूठ बोलते हुए इत्ती सी कह के अपने हाथों से इशारा करके उसे बताया.
“मुझे कुछ याद नहीं अंकल जी … आप मुझे बना तो नहीं रहे न?” कम्मो ने असमंजस से मेरी तरह देखा. वो खुद श्योर नहीं थी कि मैं सच कह रहा था या झूठ.
“अरे बेटा, मैं काहे को झूठ बोलूंगा. तुझे न मानना हो तो मत मान!” मैंने थोड़ी रोनी सी सूरत बना के कहा.
“अच्छा अच्छा ठीक है अंकल जी. मुझे विश्वास है आपकी बात पर!” वो जल्दी से बोली. जाहिर था मेरी रोनी सी सूरत देख के वो मुझपर भरोसा कर गई थी.
“तो फिर तू पहले की तरह बैठ न मेरे बिल्कुल पास, इतने सालों बाद मिली है आज!” मैंने कहा और उसकी कमर में हाथ लपेट कर उसे अपने से चिपका लिया. उसका मेरी तरफ वाला मम्मा मुझसे आ लगा. नर्म गर्म मुलायम बूब के स्पर्श से मुझे रोमांच सा हो आया. जवान लड़की के नाजुक अंगों का किसी मर्द से स्पर्श लड़की को भी बेचैन कर ही डालता है सो वही अनुभूति कम्मो को भी जरूर हुई होगी तभी वो मुझसे एक मिनट बाद ही दूर खिसक गयी.
“अंकल जी, ये सब बाते लालकिले में करेंगे. अभी तो आप फोन की बात कर रहे थे न वही बताओ?”
“हां, अच्छा ये बता कि तुझे अपने फोन में क्या क्या चाहिये?” मैंने पूछा.
“अंकल, गाने बजना चाहिये और वो फेसबुक और भाटइसएप भी चाहिये मुझे. गाँव में मेरी कई सहेलियों के फोन में भाटइसएप है और वो सब अपनी फोटू खींच खींच कर सबको भेजती हैं.” वो बड़ी मासूमियत से बोली.
“अरे भाटइसएप नहीं पगली, वहाट्सएप्प कहते हैं उसे!” मैंने उसे समझाया.
“हां हां मतलब वही. वो तो जरूर चाहिये मुझे!”
“हां हां व्हाट्सएप्प भी होगा तेरे फोन में. तुझे चलाना तो आता है न?”
“हां आता है न अंकल जी. गांव में मेरी सहेलियों के फोन से मैंने भाटइसएप खूब चलाया है. आपके फोन में भी होगा न आप दिखाओ मुझे अच्छा?” कम्मो बोली.
मैंने अपना फोन निकाला और उसे अनलॉक करके कम्मो को दे दिया. कम्मो फोन की स्क्रीन देखने लगी. व्हाट्सएप्प का आइकॉन सामने ही था.
“देखो अंकल जी ये हरा वाला गोला जिसमें फोन का निशान है यही है न भाटइसएप?” वो खुश होकर बोली.
“हां कम्मो यही है, तू तो बड़ी होशियार है री!” मैंने हंस कर कहा.
“और ये रहा फेसबुक!” उसने मुझे दिखाया.
“अरे तू तो सब जानती है. चल तुझे इससे भी बढ़िया फोन दिला देता हूं.” मैंने कहा.
“ठीक है अंकल जी. मैं आपका फोन देखूं थोड़ी देर?” उसने पूछा.
“हां हां देख ले. इसमें पूछना क्या?” मैंने उसे कहा.
“ठीक है अंकल जी मैं तो भाटइसएप चला कर देखूंगी अभी!” वो बोली और उसने व्हाट्सएप्प पर टच करके उसे ओपन कर दिया और मेरे कॉन्टेक्ट्स के कन्टेन्ट्स देखने लगी.
मैं टैक्सी की खिड़की की तरफ खिसक गया और बाहर देखने लगा पर मेरा ध्यान फोन पर भी था क्योंकि मैं अपने कुछ दोस्तों से एडल्ट कंटेंट्स भी शेयर करता था. लड़कियों के नंगे फोटो, वीडियो, अश्लील जोक्स वगैरह. मैं यही चाह रहा था कि कम्मो वो सब देख ले तो मेरा मिशन और आसान हो जाएगा.
और कम्मो ने वही किया. उसने मेरे एक ऐसे ही दोस्त का मैसेज खोल दिया. फोन की स्क्रीन पर देसी नंगी जवान लड़की अपने पैर खोले एक हाथ में फुट भर लम्बा काला मोटा डिल्डो लिए चूस रही थी और दूसरे हाथ की उँगलियों से उसने अपनी चिकनी चूत खोल रखी थी.
वो फोटो खुलते ही कम्मो थोड़ी घबरा सी गयी और उसने फोन की स्क्रीन को अपने हाथ से छुपा लिया. इधर मैंने जानबूझ कर बाहर देखना चालू रखा, जैसे मुझे पता ही न हो कि कम्मो क्या देख रही है.
कम्मो भी टैक्सी की दूसरी ओर की खिड़की के पास खिसक गयी और मजे से वो सब क्सक्सक्स नंगे फोटो और चुदाई के वीडियो देखती रही. कोई तीन चार मिनट बाद ही कम्मो ने अपनी पैर अच्छी तरह से खोल दिये जिससे उसकी जांघें खूब चौड़ी हो गयीं फिर उसने मेरी तरफ कनखियों से देखा कि कहीं मैं उसे वाच तो नहीं कर रहा. फिर उसने मेरे मोबाइल में देखते हुए अपनी टांगों के बीच हाथ ले जाकर जल्दी जल्दी कहीं खुजाया और कुछ देर अपना हाथ वहीं रखे रही; मैं समझ गया कि वो अपनी चूत का दाना मसल रही थी या चूत से खेल रही थी.
मैं टैक्सी के बाहर देख जरूर रहा था पर मेरा ध्यान कम्मो पर ही था कि वो क्या क्या कर रही है.
कोई पंद्रह बीस मिनट तक हो यूं ही मेरा फोन खंगालती रही. फिर उसने फोन वहीं सीट पर रख दिया और सामने वाली सीट से सिर टिका कर आँखें मूंद कर गहरी गहरी सांसें लेने लगी. सांस के उतार चढ़ाव के साथ उसके बूब्स भी जैसे उठ बैठ रहे थे. उसकी चूत भी जरूर पक्का गीली हो चुकी होगी.
मैंने जानबूझ कर उससे कोई बात नहीं की. मैं चाहता था कि वो सामान्य महसूस करने लगे तब उससे कुछ कहूं.
फिर थोड़ी देर बाद …
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