RE: Bahu ki Chudai बहुरानी की प्रेम कहानी
“कम्मो बेटा, चूत कायदे से परोसी जाती है लंड के सामने!” मैंने कहा तो उसने असमंजस से मेरी तरफ देखा जैसे मेरी बात उसकी समझ न आई हो.
“देखो बेटा, लंड के स्वागत के लिए अपनी चूत पर अपने दोनों हाथ रखो और उंगलियों से इसका दरवाजा पूरी तरह खोल दो अच्छे से. कल तेरी शादी हो जायेगी और तू पराये घर चली जायेगी इसलिए सब सीख ले पहले ताकि तेरा पति खुश रहे तेरे से!” मैंने कहा तो मेरी बात सुनकर कम्मो की हंसी छूट गयी.
“लो अंकल जी, आप तो मुझे से सिखा पढ़ा कर भेजना ससुराल!” वो बोली और उसने अपनी बुर के होंठों को अपने हाथों से खूब अच्छे से खोल के चूत परोस दी मेरे फनफनाते लंड के सामने.
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अब मैंने अपने लंड को जन्नत का दरवाजा दिखाया और उसे एक हाथ से दबा लिया ताकि वो फिसले न; फिर मैंने कम्मो की आंखों में झांका. डर और आशंका की परछाईयाँ वहां तैर रहीं थीं.
“कम्मो, तैयार?”
“मेरा पहली पहली बार है अंकल जी!” वो बोली.
“बस थोड़ा सा चुभेगा; सह लेना. आवाज नहीं निकालना. ठीक है?”
उसने सहमति में सिर हिलाया और अपना निचला होंठ दांतों से दबा लिया.
मैंने लंड को हल्का सा चूत पर दबाया और कमर को जरा सा पीछे करके फिर पूरी ताकत से लंड उसकी धधकती चूत में धकेल दिया. कम्मो के मुंह से घुटी घुटी सी आवाज निकली लेकिन उसने अपनी बहादुरी का परिचय दिया और लंड का पहला वार झेल गयी अपनी चूत में. फिर मैंने एक बार और उसे अच्छे से अपनी ग्रिप में लिया और एक धक्का और … इस बार पूरा लंड जड़ तक उसकी चूत में धंस गया और मेरी झांटें उसकी झांटों से जा मिलीं.
कम्मो मेहनतकश लड़की थी तो वो दर्द को पी गयी. उसकी आंखों में आंसू छलछला उठे थे पर उसने ज्यादा हाय तौबा नहीं मचाई और जैसे तैसे खुद को संभाले रही.
कुंवारी बुर में लंड आराम से तो कभी घुसने वाला है नहीं जब तक जोर नहीं लगेगा चूत बिल्कुल भी जगह नहीं देगी. इसीलिए कहते हैं कि चूत को मारना पड़ता है, मारा जाता है लंड से तब कहीं जा के वो घुसने देती है लंड को.
कम्मो की चूत बेहद कसी हुई निकली उसकी चूत ने मेरे लंड को इस कदर कसके भींच रखा था कि जैसे किसी शेरनी के जबड़े में पहला शिकार फंसा हो. मैंने लंड को बाहर खींचना चाहा तो चूत लंड को ऐसे दबोचे थी कि पूरी की पूरी चूत ही लंड के साथ खिंच के बाहर की तरफ आने लगती थी. मैंने थोड़ा धैर्य रखना उचित समझा और रुक गया. कम्मो को चूमने पुचकारने दुलारने लगा. मेरे ऐसे प्यार जताते ही उसकी रुलाई फूट पड़ी.
आखिर थी तो कच्ची कली ही.
उसके चेहरे और माथे पर इतनी सर्दी में भी पसीना छलक उठा था. मैंने दुपट्टे से उसका माथा गाल सब अच्छे से पोंछ डाले और उसे अपने सीने से चिपका लिया और उसके बालों में हाथ फेरते हुए उसे छोटी बच्ची की तरह दुलारने लगा.
कम्मो की टाँगे अब दायें बाएं पूरी चौड़ाई में फैलीं हुईं थीं और उसकी चूत में मेरा लंड किसी खूंटे की तरह अडिग गड़ा हुआ था.
“अब कैसा लग रहा है मेरी बिटिया रानी को?” मैंने उसके दोनों मम्में दबोच कर उसके होंठ चूम कर पूछा.
“अंकल निर्दयी हो आप. दया ममता तो है नहीं आपके दिल में बिल्कुल!” वो भरे गले से बोली.
“नहीं बेटा, ऐसे नहीं कहते. मैं आराम से करता तो हो ही नहीं पाता. आई एम सॉरी बेटा!” मैंने उसे सांत्वना दी.
वो कुछ नहीं बोली चुप रही.
थोड़े ही समय बाद मुझे महसूस हुआ कि मेरे लंड पर चूत की पकड़ कुछ ढीली पड़ी है. मैंने धीरे से कोई दो तीन अंगुल लंड को बाहर की तरफ खींचा तो इस बार चूत साथ नहीं आयी. कम्मो का चेहरा भी अब कुछ शान्त नजर आ रहा था और उसकी सांसें भी नार्मल, व्यवस्थित रूप से चलने लगीं थीं.
मैंने लंड को अब अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. कम्मो के मुंह से कामुक कराहें निकलनें लगीं. जाहिर था कि उसे अपनी पहली चुदाई का मज़ा आने लगा था. इस तरह मैं धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करता रहा. थोड़ी ही देर बाद उसकी चूत अच्छे से पनियां गयी और लंड सटासट इन आउट इन होने लगा.
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अब मैंने लंड को अच्छे से बाहर तक निकाल निकाल कर वापिस चूत में पेलना शुरू किया तो कम्मो को भी मज़ा आने लगा और वो अपनी चूत उठा उठा कर मेरे लंड से लोहा लेने लगी. जल्दी ही चुदाई अपने शवाब पर आ गई और चूत लंड में घमासान मच गया. लंड अब बड़े मजे से गचागच, सटासट उसकी चूत में अन्दर बाहर होने लगा था.
“कम्मो बेटा, मेरा लंड खाकर अब तू लड़की से औरत बन गयी अब तो मजा आ रहा है न मेरे लंड का?” मैंने उससे पूछा. वो कुछ नहीं बोली और उसने अपना मुंह मेरे सीने में छुपा लिया और अपनी उंगली से मेरी छाती पर कुछ लिखने लगी.
“तू डर रही थी न मेरे लंड से. अब यही लंड तुझे अच्छा लगने लगा है न!” मेरी बात सुन के कम्मो ने सिर हिला कर हामी भरी.
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