Kamukta Kahani अहसान
07-30-2019, 12:53 PM,
#4
RE: Kamukta Kahani अहसान
रात को फ़िज़ा मेरे लिए खाना लेके आई ऑर चेहरे पर अपनी सदाबहार मुस्कान के साथ. लेकिन मैं इस मुस्कान के पिछे का दर्द जान गया था इसलिए शायद फ़िज़ा की हालत पर उदास था फिर भी मैं नही चाहता था कि उसको मेरी वजह से किसी क़िस्म का दुख हो इसलिए उसको कुछ नही कहा. लेकिन ना चाहते हुए भी मेरे मूह से यह सवाल निकल गया.

मैं: आपके शोहर आ गये?

फ़िज़ा: हंजी आ गये तभी तो आज मैं बोहोत खुश हूँ.(बनावटी मुस्कुराहट के साथ)

मैं:अच्छी बात है मैं तो चाहता हूँ आप सब लोग हमेशा ही खुश रहें.

फ़िज़ा: मैं आपके लिए खाना लाई हूँ जल्दी से खाना खा लो नही तो ठंडा हो जाएगा

मैं: आपने खा लिया

फ़िज़ा: हंजी मैने क़ासिम के साथ ही खा लिया था

मैं: मेरा तो आपको देखकर ही पेट भर गया अब इस खाने की ज़रूरत मुझे भी नही

फ़िज़ा: (चोन्कते हुए) क्या मतलब?

मैं: आपने मुझसे झूठ क्यो बोला था क़ासिम के बारे मे... माफ़ करना लेकिन मैने आपके कमरे मे झाँक लिया था.

फ़िज़ा यह सुनकर खामोश हो गई ऑर मूह नीचे करके अचानक रो पड़ी. मेरी समझ मे नही आया कि उसको चुप कैसे करवाऊ इसलिए पास पड़ा पानी का ग्लास उसके आगे कर दिया. कुछ देर रोने के बाद फ़िज़ा चुप हो गई ऑर पानी का ग्लास हाथ मे पकड़ लिया.

मैं: जब आपको पता था कि क़ासिम ऐसा घटिया इंसान है तो आपने उससे शादी ही क्यो की?

फ़िज़ा: हर चीज़ पर हमारा ज़ोर नही होता मुझे जो मिला है वो मेरा नसीब है

मैं: आप चाहे तो मुझसे अपनी दिल की बात कर सकती है आपके दिल का बोझ हल्का हो जाएगा

फ़िज़ा: (नज़रे झुका कर कुछ सोचते हुए) इस दिल का बोझ शायद कभी हल्का नही होगा. शादी के शुरू मे क़ासिम ठीक था फिर उसकी दोस्ती गाव के सरपंच के खेतो मे काम करने वाले लोगो से हुई उनके साथ रहकर यह रोज़ शराब पीने लगा जुआ खेलने लगा इसके घटिया दोस्तो ने क़ासिम को कोठे पर भी ले जाना शुरू कर दिया. क़ासिम रात-रात भर घर नही आता था. लेकिन मैं सब कुछ चुप-चाप सहती रही कहती भी तो किसको मुझ अनाथ का था भी कौन जो मेरी मदद करता. वक़्त के साथ-साथ क़ासिम ऑर बुरा होता गया ऑर वो रोज़ शराब पीकर घर आता ऑर कोठे पर जाने के लिए मुझसे पैसे माँगता. हम जो खेती करके थोडा बोहोट पैसा कमाते हैं वो भी छीन कर ले जाता. एक दिन क़ासिम ने मुझसे कहा कि मैं उसके दोस्तो के साथ रात गुजारू जब मैने मना किया तो क़ासिम ने मुझे बोहोत मारा ऑर घर छोड़ कर चला गया. कुछ दिन बाद क़ासिम ने चौधरी के गोदाम से अपने दोस्तो के साथ मिलकर अनाज की कुछ बोरिया चुराई ऑर बेच दी अपने रंडीबाजी के शॉंक के लिए. सुबह पोलीस इसको ऑर इसके दोस्तो को पकड़ कर ले गई ऑर इसको 5 महीने की सज़ा हो गई. अब यह बाहर आया है जैल से तो अब भी वैसा है मैने सोचा था शायद जैल मे यह सुधर जाएगा लेकिन नही मेरी तो किस्मत ही खराब है (ऑर फ़िज़ा फिर से रोने लग गई)

मैं: (फ़िज़ा के कंधे पर हाथ रखकर) फिकर मत करो सब ठीक हो जाएगा. अगर मैं आपके किसी भी काम आ सकूँ तो मेरी खुश-किस्मती समझूंगा.

फ़िज़ा: (मेरे कंधे पर अपने गाल सहला कर) आपने कह दिया मेरे लिए इतना ही काफ़ी है

मैं: पहले जो हो गया वो हो गया लेकिन अब खुद को अकेला मत समझना मैं आपके साथ हूँ

फ़िज़ा: कब तक साथ हो आप.... तब तक ही ना जब तक आपकी याददाश्त नही आती उसके बाद?

मैं: (कुछ सोचते हुए) अगर यहाँ से जाना भी पड़ा तो भी जब भी आप लोगो को मेरी ज़रूरत होगी मैं आउन्गा यह मेरा वादा है

फ़िज़ा: (हैरानी से मुझे देखते हुए) चलो इस दुनिया मे कोई तो है जो मेरा भी सोचता है...(मुस्कुराते हुए)शुक्रिया!!!

उसके बाद कोठरी मे खामोशी छा गई ऑर जब तक मैं खाना ख़ाता रहा फ़िज़ा मुझे देखती रही. फिर वो भी मुझे दवाई लगा कर नीचे चली गई. आज भी मैं सिर्फ़ एक कंबल मे पड़ा था अंदर जिस्म नंगा था मेरा. मैं अब नीचे फ़िज़ा को बिस्तर पर अकेले लेटा हुआ देख रहा था. शायद क़ासिम आज भी घर नही आया था इस बार जो फ़िज़ा ने क़ासिम के बारे मे बताया था वो सही था. फ़िज़ा अभी भी जाग रही थी ऑर बार-बार रोशनदान की तरफ देख रही थी शायद वो कुछ सोच रही थी लेकिन उसे नही पता था कि मैं भी उसको देख रहा हूँ. ऐसे ही काफ़ी देर तक मैं उसे देखता रहा फिर मुझे नींद आने लग गई ऑर मैं सोने के लिए वापिस अपने बिस्तर पर लेट गया कुछ ही देर मे मुझे नींद आ गई.

आधी रात को जब मैं गहरी नींद मे सो रहा था कि अचानक किसी के धीरे से कोठरी का दरवाज़ा खोलने से मेरी नींद खुल गई. लालटेन बंद थी इसलिए मैं अंधेरा होने के कारण यह देख नही सकता था कि यह कॉन है इससे पहले कि मैं पूछ पाता उस इंसान ने मेरे पैर को धीरे से हिलाया. मुझे कुछ समझ नही आया कि ये कौन है ऑर इस वक़्त यहाँ क्या कर रहा है. मैं यह जानना चाहता था कि ये इस वक़्त यहाँ क्या करने आया है इसलिए खामोश होके लेटा रहा. फिर मुझे मेरी टाँगो पर उस इंसान के लंबे बाल महसूस हुए. इससे मुझे इतना तो पता चल ही गया था कि यह कोई लड़की है. यह या तो फ़िज़ा थी या फिर नाज़ी क्योकि इस वक़्त घर मे यही 2 लड़किया मोजूद थी. मगर मेरे दिल मे अभी यह सवाल था कि यह यहाँ इस वक़्त क्या करने आई है.


मैं अभी अपनी ही सोचो मे गुम था कि अचानक वो लड़की मेरे साथ आके लेट गई ऑर मेरे गालो को सहलाने लगी. अंधेरा होने की वजह से मुझे कुछ नज़र नही आ रहा था. फिर अचनाक वो हाथ मेरी गालो से रेंगता हुआ मेरी छाती पर आ गया ऑर मेरी छाती के बालो को सहलाने ल्गा ऑर हाथ नीचे की तरफ जाने लगा मैने हाथ को पकड़ लिया तो शायद उस लड़की को यह अहसास हो गया कि मैं जाग रहा हूँ इसलिए कुछ देर के लिए वो रुक गई ऑर अपना हाथ पिछे खींच लिया. मैने धीरे से पूछा कि कौन हो तुम ऑर इस वक़्त क्या कर रही हो. तो हाथ फिर से मेरे सीने से होता हुआ मेरे होंठो पर आया ऑर एक उंगली मेरे होंठो पर आके रुक गई जैसे वो मुझे चुप रहने का इशारा कर रही हो. मेरी अभी भी कुछ समझ मे नही आ रहा था कि वो लड़की जो अभी मेरे साथ बैठी हुई थी धीरे से उसने कंबल एक तरफ से उठाया ऑर खिसक कर कंबल मे मेरे साथ आ गई उसके इस तरह मुझसे चिपकने से ऑर उसके गरम शरीर के अहसास से मेरे शरीर मे भी हरकत होने लगी ऑर मेरे सोए हुए लंड मे जान आने लगी यह एक अजीब सा मज़ा था जो मैं ना तो समझ पा रहा था ना ही कुछ बोल पा रहा था. फिर उसकी एक टाँग मेरी टाँगो को सहलाने लगी ऑर उस लड़की का हाथ मेरे गले से होता हुआ छाती ऑर पेट पर घूमने लगा ऑर अचानक वो लड़की मेरे उपेर आ गई ऑर मेरे गालो को धीरे-धीरे चूमना शुरू कर दिया. मज़े से मेरी आँखे बंद हो रही थी उस लड़की के होंठो का गरम अहसास मेरे लिए बेहद मज़ेदार था उसके होठ मेरी गर्दन ऑर गालो को चूस ऑर चूम रहे थे. साथ मे नीचे मेरे लंड पर वो लड़की अपनी चूत रगड़ रही थी जिससे मेरा लंड लोहे जैसा कड़क हो गया था. मैं मज़े की वादियो मे खो रहा था कि अचानक एक मीठी सी लेकिन बेहद धीमी आवाज़ मेरे कानो से टकराई. तुम मुझे पहले क्यो नही मिले नीर मैं जाने कब से प्यासी हूँ मेरी प्यास बुझा दो. आज मुझे खुद पर काबू नही है मैं एक आग जल रही हूँ मुझे सुकून चाहिए मुझे आज प्यार चाहिए.

मैं बस इतना ही कह पाया कि क्या करू मैं. तो उस लड़की ने मेरा चेहरा अपने हाथो मे थाम लिया ऑर धीरे से अपने निचले होठ से मेरे दोनो होंठो को छू लिया ऑर कहा प्यार करो मुझे तुमने कहा था ना कि जब भी मुझे तुम्हारी ज़रूरत होगी मेरी मदद करोगे तो आज मुझे तुम्हारी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है मैं जल रही हूँ मेरे अंदर की आग को बुझा दो. यह बात मेरे लिए किसी झटके से कम नही थी क्योकि यह बात मैने फ़िज़ा को कही थी. इससे पहले कि मैं कुछ बोल पाता फ़िज़ा ने अपने गरम होठ मेरे होंठो पर रख कर उन्हे चूम लिया ऑर मेरे सूखे हुए होंठो पर अपनी रसीली जीभ से उन्हे गीला करना शुरू कर दिया. मैने भी अपने दोनो हाथ उसकी कमर के इर्द-गिर्द बाँध लिए ऑर अपनी आँखे बंद कर ली ऑर अपने तपते होठ उसके होंठो से मिला दिए जिसे फ़िज़ा ने चूमते हुए धीरे-धीरे चूसना शुरू कर दिया.
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