Kamukta Kahani अहसान
07-30-2019, 12:55 PM,
#9
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-8

अगले दिन सुबह जब मैं उठा तो मेरे बिस्तर के पास 2 नयी जोड़ी कपड़े पड़े थे अब बात मेरी समझ मे आ गई कि नाज़ी ने रात भर जाग कर मेरे लिए नये कपड़े सिले हैं मैं वो कपड़े उठाए बाहर आया ऑर नाज़ी को शुक्रिया कहा. तो उसने सिर्फ़ इतना ही कहा कि अब देखती हूँ तुम पर कौन हँसता है.मैं आज बहुत खुश था ऑर नये कपड़े पहनकर खेत के लिए निकल रहा था. आज कोई मुझ पर नही हँस रहा था लेकिन आज फ़िज़ा ऑर नाज़ी मुझे देख कर बहुत खुश थी. शायद कल गाँव वालो का मुझ पर हँसना उनको बुरा लगा था इसलिए उन्होने मेरे लिए नये कपड़े सिले थे. ऐसे ही मैं नाज़ी ऑर फ़िज़ा तीनो पूरा दिन खेतो के काम मे लगे रहे.

दिन गुज़रने लगे रोज़ मैं नाज़ी ऑर फ़िज़ा के साथ खेत जाता ऑर उनकी मदद करता. क़ासिम रोज़ दिन भर अपने आवारा दोस्तो के साथ घूमता रहता ऑर रात को कोठे पर पड़ा रहता. बाबा मेरे काम से मुझसे बहुत खुश रहते थे लेकिन क़ासिम मुझसे नफ़रत करता था इसलिए मेरी मोजूदगी मे बहुत कम घर पर रहता. लेकिन एक नयी चीज़ जो मैने महसूस की थी वो ये कि अब फ़िज़ा मुझसे दूर-दूर रहने लगी थी लेकिन नाज़ी मेरा बहुत ख़याल रखने लगी थी किसी पत्नी की तरह. जब कभी पास के खेतों मे काम करने वाली कोई औरत मुझसे हँस कर बात कर लेती तो नाज़ी का चेहरा गुस्से ऑर जलन से लाल हो जाता ऑर बिना वजहाँ मुझसे झगड़ने लग जाती. कुछ ही दिन मे हमने मिलकर सारी फसल की कटाई कर दी थी अब फसल बेचने का वक़्त था. इसलिए मैने नाज़ी से पूछा कि अब इस फसल का क्या करेंगे तो उसने कहा कि हम सब गाँव वाले अपनी फसल गाँव के बड़े ज़मींदार को बेचते हैं.

फ़िज़ा: ज़मींदार हर साल अपने हिसाब से फसल की कीमत लगाता है ऑर खरीद लेता है ऐसे ही हम सब का किसी तरह गुज़ारा हो जाता है.

मैं: लेकिन अगर तुम किसी ऑर को ये फसल बेचो तो हो सकता है कि तुमको ज़्यादा पैसे मिले.

नाज़ी: ये बात हम सब जानते हैं लेकिन उसके लिए हम को शहर जाना पड़ेगा जो हमारे लिए मुमकिन नही क्यो कि हम लड़कियाँ अकेली कैसे शहर जाए ऑर ज़मींदार ये बात कभी बर्दाश्त नही करेगा कि गाँव का कोई भी अपनी फसल बाहर बेचे वो अपने गुंडे भेज कर उस किसान को बहुत बुरी तरह से मारता है.

मैं: (ये सुनकर जाने क्यो मुझे गुस्सा आ गया ऑर मेरे मुँह से निकल गया) मर गये मारने वाले...शेर की जान लेने के लिए फौलाद का कलेजा चाहिए.

नाज़ी: (हैरान होती हुई) ऐसी बोली तुमने कहाँ से सीखी?

मैं: पता नही जब तुमने मार-पीट का नाम लिया तो खुद ही मुँह से निकल गई


ऐसे ही बाते करते हुए हम घर आ गये देखा फ़िज़ा कमरे मे बैठी रो रही थी. हम भागकर उसके पास गये ऑर पूछा कि क्या हुआ रो क्यो रही हो.

फ़िज़ा: क़ासिम अभी आया था उसने कहा है कि इस बार सारी फसल बेचने वो जाएगा

मैं: तो इसमे रोने की क्या बात है ये तो अच्छी बात है ना वो घर की ज़िम्मेदारी उठा रहा है

फ़िज़ा: नही वो अगर फसल बेचेगा तो सारा पैसा जूए ऑर शराब ऑर कोठे मे उड़ा देगा फिर साल भर हम सब क्या खाएँगे. कुछ भी हो जाए ये फसल क़ासिम को मत बेचने देना नीर मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ.

मैं: तुम घबराओ मत जैसा तुम चाहती हो वैसा ही होगा लेकिन रोना बंद करो

इतने मे क़ासिम कुछ आदमियो के साथ घर आया ऑर आनाज़ की बोरिया उठवाने लगा तो बाबा ने उसको मना किया लेकिन वो उनकी बात को अनसुनी करते हुए बोरिया उठवाने मे उन आदमियो की मदद करने लगा. मैं ये सब कुछ बैठा देख रहा था. इतने मे बाबा ने मुझे आवाज़ लगाई ऑर क़ासिम को बोरिया लेजाने से रोकने का कहा तो मैं खड़ा हुआ ऑर दरवाज़े के पास जाके रुक गया,

मैं: क़ासिम जब बाबा मना कर रहे हैं तो तुम क्यों फसल बेच रहे हो बाबा खुद अपने हिसाब से बेच लेंगे ना इन आदमियो को यहाँ से जाने का कहो.

क़ासिम: बकवास मत कर कमीने आया बड़ा दलाल साला अब तू मुझे सिखाएगा कि क्या करना चाहिए ऑर क्या नही पहले मेरे घर पर कब्जा कर लिया अब इस अनाज के पैसे पर कब्जा करेगा ऐसा कभी नही होने दूँगा मैं बुढ्ढा तो पागल है. चल मेरे काम मे दखल ना दे नही तो यही ज़िंदा गाढ दूँगा तुझे.

मैं: देखो क़ासिम प्यार से कह रहा हूँ मान जाओ बाबा की बात मुझे गुस्सा ना दिलाओ

क़ासिम: तू ऐसे नही मानेगा ना रुक तेरा इलाज करता हूँ मैं

उसने उन आदमियो को आवाज़ लगाई तो उन लोगो ने आके मुझे दोनो बाजू से पकड़ लिया ऑर क़ासिम ने ऑर एक ऑर आदमी ने मुझे मारना शुरू कर दिया. मेरे पेट मे ऑर मुँह पर घूसों की जैसे बरसात सी हो गई. मेरे मुँह से खून निकल रहा था आँखें बंद हो रही थी कि अचानक एक लोहे का सरिया मुझे मेरे कंधे पर लगा शायद किसी ने पिछे से मुझे सरिया से मारा था. दर्द की एक तेज़ लहर मेरे पूरे बदन मे बह गई ऑर मुँह से बस एक आअहह ही निकल पाई ऑर मैं ज़मीन पर नीचे गिर गया ऑर सब लोग मुझे देख कर हँस रहे थे. नाज़ी ऑर फ़िज़ा को भी 2 आदमियो ने पकड़ रखा था वो दोनो रो रही थी ऑर क़ासिम को रोक रही थी लेकिन क़ासिम किसी की भी बात सुनने को तैयार नही था. अचानक मेरी आँखे बंद होने लगी ओर मेरी आँखो के सामने एक तस्वीर सी दौड़ गई जिसमे मैं एक साथ कई लोगो को पीट रहा हूँ ये देख कर मैने अचानक से आँखे खोली तो मुझे एक लात मेरी छाती की तरफ बढ़ती हुई महसूस हुई. मेरे हाथ अपने आप उस पैर के नीचे चला गया ऑर मैने अपने दोनो हाथो से उस पैर को ज़ोर से गोल घुमा दिया वो आदमी एक तेज़ दर्द के साथ ज़मीन पर घूम कर गिर गया उसका पैर गिरने के बाद भी वैसा ही उल्टा था शायद उसका मैने पैर पूरी तरह से तोड़ दिया था.

अब मैने अपनी दोनो टांगे हवा मे गोल घुमा के अपने हाथ के सहारे एक झटके से खड़ा हो गया. इतने मे एक ऑर आदमी जिसके हाथ मे सरिया था वो मुझे मारने के लिए मेरी तरफ लपका मैने अपनी एक टाँग हवा मे उठाकर उसके मुँह पर मारी तो वो वही गिर गया ऑर उसके मुँह से जैसे खून का फव्वारा सा निकल गया. जैसे ही मैने पलट कर बाकी आदमियो की तरफ नज़र घुमाई तो सब अपने-अपने हथियार छोड़ कर भाग गये. क़ासिम वही खड़ा मेरे सामने काँप रहा था मैं उसकी तरफ बढ़ा तो नाज़ी ऑर फ़िज़ा बीच मे आ गई ऑर मुझे उसको मारने से मना किया. मैने अपनी उंगली उसके मुँह के पास लाके नही में इशारा किया ऑर फिर नीचे ज़मीन पर पड़ी तमाम अनाज की बोरियो को उनकी जगह पर वापिस रख दिया ऑर वापिस अपने कमरे मे आके बाबा के पास बैठ गया. क़ासिम तेज़ कदमो के साथ घर से बाहर निकल गया अब पूरे घर मे एक शांति सी छा गई कोई कुछ नही बोल रहा था थोड़ी देर मे नाज़ी के साथ फ़िज़ा भी कमरे मे आ गई सब मुझे हैरानी से देख रहे थे.


बाबा: बेटा तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया आज तुम ना होते तो मेरी बच्चियों की साल भर की मेहनत जाया हो जाती

मैं: आपने मुझे बेटा कहा था ना तो ये कैसे हो सकता है कि एक बेटे के होते उसके घरवालो की मेहनत जाया हो जाए

बाबा: (मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए) तुम सदा खुश रहो बेटा. फ़िज़ा बेटी देखो नीर के कितने चोट लगी है इसको दवा लगा दो

नाज़ी: कोई बात नही बाबा दवा मैं लगा देती हूँ.

फ़िज़ा: (मेरी तरफ देखते हुए)लेकिन आपने ऐसा लड़ना कहाँ सीखा?

मैं: पता नही जब वो लोग मुझे मार रहे थे तो पता नही मेरे सामने एक तस्वीर सी आई जिसमे मैं बहुत सारे लोगो को एक साथ मार रहा था बस उसके बाद क्या हुआ तुमने देखा ही लिया है.

नाज़ी: वैसे कुछ भी कहो मज़ा आ गया क्या मारा है....वाआहह अब वो लोग कम से कम 6 महीने बिस्तर से नही उठेंगे

फ़िज़ा: चल पागल कहीं की तुझे मज़े की आग लगी है मुझे तो अब ये डर लग रहा है कि ज़मींदार क्या करेगा नीर ने उसके आदमियो को मारा है.

मैं: आप फिकर ना करो अब इस घर की तरफ कोई उंगली भी उठाके नही देख सकता ज़मींदार तो क्या उसका बाप भी अब कुछ नही कर सकता.मैं हूँ ना.

फ़िज़ा: लेकिन हम को आपकी भी तो फिकर है ना...आपको कुछ हो गया तो.... देखो आज भी आपको कितनी चोट लग गई है कही कुछ हो जाता तो....वो तो गुंडे मवाली है उनका ना आगे कोई ना पिछे कोई लेकिन आपका अब एक परिवार है.

मैं: अर्रे आप लोग फिकर क्यो कर रहे हो कुछ नही हुआ मुझे थोड़ी सी खराश आई सब ठीक हो जाएगा कुछ दिन मे.
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Kamukta Kahani अहसान - by sexstories - 07-30-2019, 12:53 PM
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