Kamukta Kahani अहसान
07-30-2019, 12:56 PM,
#14
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-13


अब मैं नीचे लेट गया था ऑर फ़िज़ा फिर से मेरे उपर आ गई थी उसने एक बार फिर से मेरे लंड को थोड़ा सा चूस कर गीला किया ऑर अब मेरे लंड के टोपी पर काफ़ी सारा थूक जमा हो गया कुछ थूक उसने खुद ही अपनी चूत मे लगाया ऑर लंड को अपने हाथो से पकड़ कर अपनी चूत पर सेट किया ऑर साँस अंदर खींच कर धीरे-धीरे लंड पर बैठने लगी अभी आधा लंड ही अंदर गया था कि उसके चेहरे से पता चल रहा था कि उसको लंड पूरा अंदर लेने मे अभी भी परेशानी हो रही है इसलिए जितना लंड उसके अंदर गया था उतने से ही वो उपर-नीचे होने लगी अब हर झटके के साथ वो थोड़ा ज़्यादा लंड अंदर ले रही थी. कुछ ही देर मे उसने पूरा लंड अपने अंदर उतार लिया ऑर उपर नीचे होने लगी साथ ही उसने मेरे हाथ पकड़कर अपने मम्मों पर रख दिए ऑर मैं उसकी निपल्स को अपनी उंगली ऑर अंगूठे से मरोड़ने लगा. अब उसको भी मज़ा आने लगा था इसलिए वो अपनी गान्ड को धीरे-धीरे उपर-नीचे करती हुई वापिस मेरे सीने पर लेट गई ऑर मेरे सीने पर चूमने लगी.

मैं : अब मैं उपर आउ?

फ़िज़ा : हमम्म आ जाओ लेकिन इसको बाहर मत निकलना बहुत मज़ा आ रहा है.
मैं : ठीक है

मैने ऐसे ही बिना लंड बाहर निकाले उसको कमर से पकड़ कर घुमा दिया अब वो नीचे थी ऑर मैं उसके उपर था उसने अपनी दोनो टांगे हवा मे उठाके मेरी कमर पर लपेट दी थी ऑर मैने धीरे-धीरे झटके लगाने शुरू कर दिए उससे शायद अभी भी दर्द हो रहा था इसलिए उसने मुझे गले से लगाए मेरे होंठ चूसने लगी मैं नीचे से झटके लगा रहा था. अब मैने धीरे-धीरे रफ़्तार बढ़ानी शुरू करदी जिससे उसकी चूत भी पानी छोड़ने लगी ऑर लंड अंदर जाने मे ऑर आसानी हो गई धीरे-धीरे अब उसको भी मज़ा आने लगा था इसलिए उसने आँखें बंद किए ही मुझे कहा कि तोड़ा तेज़ करो. मैने अब अपनी रफ़्तार थोड़ी बढ़ा दी थी जिससे पूरे कमरे मे उसकी आहह....आअहह.... ऑर फ़च....फ़च....की आवाज़े आ रही थी जो शायद कमरे के बाहर तक जा रही होंगी. आज फ़िज़ा ऑर मुझे पहली बार से भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था शायद इसलिए हम दोनो ही अपने होश मे नही थे ना ही बाहर आवाज़ जाने की परवाह थी हम दोनो ही बस अपने मज़े मे डूबे लगे हुए थे. कुछ ही देर मे वो फारिग होने करीब आ गई ऑर उसने मुझे ज़ोर से गले से लगा लिया ऑर अपनी गान्ड को उपर उठाना शुरू कर दिया...

फ़िज़ा : अब रुकना मत ज़ोर से करो तेज़्ज़्ज़.....ऑर तेज़्ज़्ज़्ज़....मैं अब करीब ही हूँ.....

कुछ ही जोरदार झटको के साथ वो अपनी मंज़िल पर आ गई उसका पूरा बदन अकड़ गया ऑर उसने अपनी गान्ड हवा मे उठा ली साथ ही उसने मुझे भी उपर को कर दिया कुछ सेकेंड्स वो ऐसे ही आकड़ी रही ऑर फिर एक दम से बेड पर गिर गई ऑर लंबे-लंबे साँस लेने लगी....

फ़िज़ा : आपका हुआ नही अभी तक?

मैं Sadना मे सिर हिलाते हुए)

फ़िज़ा : थोड़ी देर धीरे झटके लगाओ फिर तेज़ कर देना


इसके साथ ही मैं फिर से झटके लगाने लगा ऑर उसकी चूत जो कुछ मिंट पहले ठंडी हो गई थी वो फिर से गरम होने लगी अब उसने भी मेरा फिर से साथ देना शुरू कर दिया. अब मैने उसकी दोनो टाँग हवा मे उठाई ऑर अपने कंधे पर रख ली ऑर ऐसे ही तेज़-तेज़ झटके मारने लगा चन्द जोरदार झटको के बाद मैं भी मंज़िल पर पहुँच ही गया मेरे लंड मे एक अजीब सा उबाल आने लगा ऑर इसी के साथ मेरे लंड ने फ़िज़ा की चूत के अंदर एक झटका खाया जिसको फ़िज़ा की चूत महसूस करते ही फिर से एक बार ऑर फारिग हो गई जिससे फ़िज़ा की चूत अजीब सी सिकुड़न सी आने लगी जैसे वो मेरे लंड को अंदर चूस रही हो वो अहसास ने मुझे इंतेहा मज़ा दिया ऑर फिर मेरे लंड ने लगतार 5-6 झटके खाए ऑर अपनी सारी मानी फ़िज़ा की चूत मे उडेल दी.

हम दोनो की साँस ही फूली हुई थी ऑर हमारा बदन पसीने से नाहया हुआ था लेकिन दोनो को इस वक़्त बहुत सुकून था ऑर शरीर एक दम हल्का महसूस हो रहा था मैं फ़िज़ा के मम्मो के बीच अपना सिर रखे लेटा हुआ था ऑर अपनी सांसो को ठीक करने की कोशिश कर रहा था. फ़िज़ा का हाल भी मेरे जैसा ही था वो भी मुझे गले से लगाए मेरे बालो मे अपनी उंगलियो की कंघी बनाए हाथ फेर रही थी उसके चेहरे पर सुकून था ऑर वो बार-बार मेरे सिर को चूम रही थी साथ मे मेरी पीठ पर हाथ फेर रही थी ऑर मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी. मैने भी उसके चेहरे की तरफ देखा ऑर उसके होंठों को हल्के से चूम लिया ऐसे ही हम दोनो कुछ देर एक दूसरे की आँखो मे देखते रहे ऑर फिर मैं उसके उपर से उठ गया ऑर कपड़े पहन ने लगा. अभी मैं कपड़े ही पहन रहा था कि अचानक किसी के दरवाज़ा खट-खटाने की आवाज़ आई हम दोनो ही घबरा गये थे कि इस वक़्त कौन आया होगा. मैने ऑर फ़िज़ा ने जल्दी से अपने-अपने कपड़े पहने ऑर फ़िज़ा ने मुझे बेड के नीचे घुसने को कहा. मैं बिजली की फुर्ती के साथ बेड के नीचे घुस गया. मेरे नीचे घुसते ही फ़िज़ा ने दरवाज़ा खोला.........

मुझे नीचे से कोई लड़की के पैर ही नज़र आए शायद ये नाज़ी थी जो जल्दी उठ गई थी. मैं नीचे से ही उनकी बाते सुनने लगा.

फ़िज़ा : क्या बात है नाज़ी ख़ैरियत है इतनी रात को

नाज़ी : भाभी रात कहाँ बाहर देखो दिन निकलने वाला है

फ़िज़ा : अच्छा मैं तो सो रही थी आज नींद ही नही खुली

नाज़ी : कोई बात नही मैं बस आपको उठाने ही आई थी

फ़िज़ा : तुम चलो मैं आती हूँ

नाज़ी : ठीक है तब तक मैं नीर को भी उठा देती हूँ आज पता नही वो भी नही उठा अभी तक

फ़िज़ा : (घबरा कर) नीर को....... तुम रहने दो उसको मैं उठा दूँगी तुम जाके नहा लो फिर तुम्हारे बाद मैं भी नहा लूँगी

नाज़ी : अच्छा भाभी....(अंदर कमरे मे झाँकते हुए) अर्रे भाभी रात को चद्दर के साथ कुश्ती कर रही थी क्या (मुस्कुराते हुए)

फ़िज़ा : नही तो क्या हुआ

नाज़ी : आपकी चद्दर कैसे बिखरी पड़ी है

फ़िज़ा : (ज़मीन पर देखते हुए) वो मैं सो रही थी हो गई होगी.

नाज़ी : हाँ भाई अकेले बेड पर आप ही शहंशाहों की तरह सोती हो कैसे भी सो जाओ आपका अपना बेड है (मुस्कुराते हुए)

फ़िज़ा : अच्छा....अच्छा अब ज़्यादा बाते ना बना ऑर जाके नहा ले

नाज़ी : ठीक है मेरी प्यारी भाभी (फ़िज़ा के गाल पकड़ते हुए)


इसके साथ ही नाज़ी नहाने चली गई ऑर फ़िज़ा कमरा बंद करके जल्दी से मेरे पास आई....

फ़िज़ा : नीर जल्दी बाहर निकलो

मैं : क्या हुआ नाज़ी थी ना

फ़िज़ा : हम को पता ही नही चला हम रात भर लगे रहे (मुस्कुराते हुए)

मैं : हाँ

फ़िज़ा : चलो अब तुम भी अपने कमरे मे जाओ नही तो किसी को शक़ हो जाएगा ऑर सुनो जाके कुछ देर बेड पर लेट जाना ताकि थोड़ी देर बाद आके मैं तुमको उठा सकूँ.

मैं : अच्छा जाता हूँ

फ़िज़ा : सुनो नीर रात को कैसा लगा मेरे साथ (मुस्कुराते हुए)

मैं Sadपलट ते हुए) म्म्म्मरममम.... बोल कर बताऊ या करके (हँसते हुए)

फ़िज़ा : अच्छा बदमाश मेरे अल्फ़ाज़ मुझे ही सुना रहे हो...चलो करके ही दिखा दो (फ़िज़ा ने अपना मुँह आगे कर लिया ऑर आँखें बंद)

मैं : चलो फिर तैयार हो जाओ ऑर चीखना मत

फ़िज़ा : हमम्म्म (आँखें बंद किए हुए ही)

मैं : (मैने उसके दाएँ मम्मे पर काट लिया)

फ़िज़ा : आईईईईई.....बदमाश काटा क्यो....मुझे लगा था मेरे होंठों को चूमोगे तुम (अपने मम्मे को मसल्ति हुई)

मैं : मेरी मर्ज़ी जैसे चाहूं वैसे बताऊ (मुस्कुराते हुए)

फ़िज़ा : रात को आना बच्चू तब बताउन्गी

मैं : मैं रात को आउन्गा ही नही (हँसते हुए)

फ़िज़ा : हाए सच मे नही आओगे (रोने जैसी शक़ल बनाके)

मैं : अच्छा अब रोने मत लग जाना आ जाउन्गा बस..... मैं तो ऐसे ही कह रहा था

फ़िज़ा : नही आए तो देख लेना फिर......(अपने दोनो हाथ कमर पर रखकर)

मैं : अच्छा-अच्छा अब जाने दोगि तो रात को आउन्गा ना

फ़िज़ा : लो जी मैं तो भूल ही गई चलो जल्दी जाओ

मैं धीरे से फ़िज़ा के कमरे से निकल कर जल्दी से अपने बिस्तर पर आके लेट गया ऑर रात भर जागने की वजह से मुझे थकावट सी हो रही थी इसलिए मुझे पता ही नही चला कब मेरी आँख लग गई ऑर मैं सो गया.

मैं अभी सोया ही था कि कुछ ही देर मे मुझे कोई कंधे पर हाथ रखकर ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगा जिससे मेरी आँख खुल गई. मैं हड़बड़ा कर उठा मेरी आँखो मे अभी तक रात की नींद थी जिससे मेरी आँखें लाल हो गई ऑर मेरी आँखें ठीक से खुल भी नही रही थी. मुझे नज़र नही आ रहा था कि मुझे कौन उठा रहा है इसलिए मैने अपने दोनो हाथो से अपनी आँखो को मसला तो मुझे कुछ सॉफ नज़र आने लगा ये फ़िज़ा थी जो मुझे उठा रही थी. जिसको देखते ही मुस्कान अपने आप मेरे चेहरे पर आ गई.


फ़िज़ा : नीर क्या हुआ सो गये थे क्या?

मैं : हाँ ज़रा आँख लग गई थी.

फ़िज़ा : अगर रात की थकान है तो तुम आराम कर लो आज मैं ओर नाज़ी ही खेत चली जाएँगी.

मैं : अकेले जाओगी?

फ़िज़ा : तुम्हारे आने से पहले भी तो अकेली ही जाती थी ना कोई बात नही हम चली जाएँगी तुम आराम से सो जाओ वैसे भी मेरे शेर ने रात को बहुत मेहनत की है (आँख मारकर मुस्कुराते हुए)

मैं : नही मैं ठीक हूँ मैं भी चलूँगा तुम दोनो के साथ

फ़िज़ा : रहने दो ना जान नींद पूरी नही होगी तो बीमार पड़ जाओगे.

मैं : तुम्हारी भी नींद पूरी नही हुई बीमार तो तुम भी पड़ सकती हो ना....चलो कोई बात नही दोनो साथ मे बीमार पड़ेंगे फिर तो ऑर भी अच्छा होगा ऑर ये जान क्या नया नाम रख दिया है मेरा

फ़िज़ा : आज से मैं तुमको अकेले में हमेशा जान ही बुलाउन्गी क्योंकि तुम मेरी जान हो इसलिए (मुस्कुराते हुए) अच्छा बाबा कहाँ है?

मैं : पता नही जब मैं कमरे मे आया था तो बाबा यहाँ नही थे.

फ़िज़ा : अच्छा ज़रूर बाहर घूमने गये होंगे इनको कितनी बार मना किया है कि अकेले बाहर ना जाया करो लेकिन सुनते ही नही है किसीकि. (सिर को झाड़ते हुए)

मैं : कोई बात नही जब आएँगे तब मैं समझा दूँगा फिर तो ठीक है (मुस्कुराते हुए)

फ़िज़ा : हाँ ये ठीक है तुम्हारी बात तो मान ही जाते हैं हमारी सुनते भी नही.....अच्छा एक मिंट रूको मैं अभी आती हूँ.

मैं : अब तुम कहाँ जा रही हो मुझे नहाना भी तो है.

फ़िज़ा : बस 1 मिंट अभी आ रही हूँ जाना मत ठीक है

मैं : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) जो हुकुम सरकार का....
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