RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-25
फ़िज़ा : जान क्या कर रहे थे पागल हो गये हो वो गंदी जगह होती है
मैं : तुमको मज़ा नही आया
फ़िज़ा : बात मज़े की नही है लेकिन सिर्फ़ मेरे मज़े के लिए तुम ऐसी जगह मुझे प्यार करो तो मुझे आपके लिए बुरा लगेगा
मैं : मैने क्या पूछा है तुमको मज़ा आया या नही....सिर्फ़ हाँ या ना मे जवाब दो
फ़िज़ा : (हाँ मे सिर हिलाते हुए)
मैं : बस फिर वापिस उल्टी होके लेट जाओ
फ़िज़ा : ठीक है अच्छा आप उंगली से कर लो बॅस लेकिन ज़ुबान नही डालना वहाँ वो गंदी जगह है आपको मेरी कसम है.
मैं : अच्छा ठीक है अब लेट तो जाओ ना...
फ़िज़ा बिना कुछ बोले वापिस उल्टी होके लेट गई ऑर मैं अपनी उंगली को अपने मुँह मे डालकर गीली करके वापिस उसकी गान्ड को खोल कर अपनी उंगली उसके छेद पर उपर नीचे घुमाने लगा जिससे उसको फिर से मज़ा आने लगा.
मैं : जान अच्छा लग रहा है?
फ़िज़ा : हमम्म्म
मैं ऐसे ही काफ़ी देर फ़िज़ा की गान्ड के छेद पर उंगली फेरता रहा ऑर उसकी गान्ड के मोटे-मोटे पहाड़ो को उपर से चूमता रहा जिसके लिए फ़िज़ा ने भी मुझे मना नही किया वो अपनी आँखें बंद किए बस ससस्स ससस्स ऑर आहह ऊओ कर रही थी. ये मज़ा हम दोनो के लिए एक दम नया था. मैं जब भी फ़िज़ा की गान्ड के छेद पर अपनी उंगली फेरता तो कभी वो अपने छेद को सख्ती से बंद कर लेती कभी खोल देती जिसको देखकर मुझे भी अच्छा लग रहा था तभी मैने सोचा क्यो ना इसके अंदर उंगली डाल दूँ इसलिए मैने छेद के खुलने का इंतज़ार किया ऑर जैसे ही उसने अपने छेद को थोड़ा सा ढीला किया तो मैने अपने नाख़ून तक उंगली उसकी गान्ड के छेद मे डाल दी जिससे शायद उससे भी मज़ा आया था उसने ज़ोर आआहह किया ऑर फिर तेज़-तेज़ साँस लेने लगी.
मैं : जान दर्द तो नही हो रही
फ़िज़ा : बहुत मज़ा आ रहा है जान उंगली को हल्का-हल्का दबाओ अच्छा लगता है ऐसे करते हो तो.
मैं उसके बोले मुताबिक अपनी उंगली को हल्के-हल्के दबाने लगा जिससे मेरी उंगली ऑर अंदर तक जाने लगी गीली होने की वजह से मेरी आधी उंगली उसकी गान्ड के अंदर थी जिसको मैं बार-बार अंदर बाहर कर रहा था तभी मुझे लगा जैसे वो नीचे अपना हाथ लेजा कर अपनी चूत मस्सल रही है शायद इसलिए उसको मज़ा आ रहा था. फिर मैं वापिस उसके उपर लेट गया ऑर उसकी गान्ड से अपनी उंगली बाहर निकाल ली. मैने सोचा क्यो ना इसकी गान्ड मे अपना लंड डाल कर देखु कि कैसा लगता है इसलिए मैने ढेर सारा थूक अपने लंड पर लगाया ऑर थोड़ा थूक ऑर उसकी गान्ड पर लगाया ऑर लंड को मैने जैसे ही गान्ड की छेद के निशाने पर रखा फ़िज़ा को एक दम झटका सा लगा ऑर वो फॉरन पलट गई.
फ़िज़ा : क्या कर रहे थे.
मैं : कुछ नही लंड डाल कर देख रहा था अंदर.
फ़िज़ा : पागल हो गये हो ये इतना बड़ा अंदर नही जाएगा
मैं : अर्रे कोशिश तो करने दो पक्का अगर नही जाएगा तो मैं नही डालूँगा ऑर वैसे भी तुमको उंगली से मज़ा आ रहा था ना तो इसलिए (लंड) से भी मज़ा आएगा.
फ़िज़ा : नही जान ये बहुत बड़ा है अव्वल तो अंदर जाएगा नही अगर ज़बरदस्ती करोगे तो मुझे बहुत दर्द होगा मैने पहले कभी पिछे लिया नही.
मैं : बस एक बार कोशिश करने दो पक्का अगर दर्द होगा तो नही करूँगा
फ़िज़ा : वादा करो जब मैं रोकूंगी तो रुक जाओगे.
मैं : वादा (मुस्कुराते हुए)
फ़िज़ा : (बिना कुछ बोले वापिस उल्टी होके लेट ते हुए) हमम्म जान आराम से करना मुझे डर लग रहा है याद रखना आपको कसम दी है
मैं : हाँ हाँ याद है धीरे ही करूँगा
फ़िज़ा : अच्छा करो लेकिन बहुत आराम से
उसका सिग्नल मिलते ही मैने अपने घुटनो पर बैठकर फिर से अपने लंड को निशाने पर रखा ऑर थोड़ा सा लंड पर दबाव दिया लंड फिसल कर उपर को चला गया. शायद फ़िज़ा सच कह रही थी क्योंकि छेद सही मे बहुत तंग था. मैने फिर से लंड को निशाने पर रख कर थोड़ा ज़ोर से दबाव दिया लेकिन छेद बिल्कुल भी नही खुल रहा था. मैं वापिस फ़िज़ा के उपर लेट गया ऑर फ़िज़ा से छेद थोड़ा ढीला करने को कहा उसने हाँ मे सिर हिलाया तो मैं वापिस अपनी जगह पर आके बैठ गया इस बार मैने सोचा क्यो ना झटका लगाया जाए इसलिए मैने फिर से लंड को निशाने पर रखा ऑर गान्ड को अच्छे से दोनो हाथ से फैला दिया अब मैं एक हल्का सा झटका मारा जिससे आधी टोपी लंड की अंदर चली गई ऑर फ़िज़ा को शायद दर्द हुआ जिससे उसके मुँह से एक हल्की सी सस्स्सस्स निकल गई मगर वो फिर भी खामोश रही. अब मैं धीरे-धीरे झटके मारने लगा ऑर लंड का दबाव छेद पर डालने लगा मगर जब भी मैं दबाव छेद पर डालता तो फ़िज़ा छेद को टाइट कर लेती थी जिससे मुझे अंदर डालने मे परेशानी हो रही थी मैं वापिस फ़िज़ा पर लेटा ऑर फ़िज़ा से कहा...
मैं : जान ऐसे तो नही जा रहा तुम थोड़ा ढीला करो छेद को ऑर अब मैं हल्के से झटका दूँगा तुम चिल्लाना मत नही तो सब उठ जाएँगे.
फ़िज़ा : (हाँ मेर सिर हिलाते हुए पास पड़ा अपना दुपट्टा अपने मुँह के पास रख लिया) हमम्म करो लेकिन जान ज़्यादा ज़ोर से झटका ना देना वरना दर्द होगा मुझे.
मैं : अच्छा फिकर मत करो.
मैं अब वापिस अपनी जगह पर आया ऑर लंड पर फिर से ढेर सारा थूक लगाया ऑर लंड को छेद पर रखा फ़िज़ा ने भी इश्स बार छेद को ढीला छोड़ा हुआ था मैने फिर से गान्ड की पहाड़ियो को दोनो तरफ फैलाया ऑर लंड को इस बार ज़रा ज़ोर से झटका दिया जिससे लंड की टोपी अंदर चली गई ऑर फ़िज़ा को एक झटका सा लगा जिससे वो थोड़ा उपर को हो गई ऑर उसने अपना दुपट्टा अपने मुँह पर ज़ोर से दबा लिया उसने अपना हाथ पिछे करके मुझे रुकने का इशारा किया. मैं वैसे ही लंड गान्ड मे डाले कुछ देर के लिए रुक गया ऑर फ़िज़ा के अगले इशारे का इंतज़ार करने लगा. जब उसका दर्द कम हो गया तो उसने अपना मुँह दुपट्टे मे छिपाये ही हाँ मे सिर हिलाया मैने फिर से लंड बाहर निकाला ऑर उस पर थूक लगाके अंदर कर दिया ऑर फिर धीरे-धीरे मैं झटके लगाने लगा फ़िज़ा का मुझे चेहरा नही दिख रहा था लेकिन शायद उसको दर्द हो रहा था क्योंकि वो बार-बार अपना सिर तकिये पर दाए-बाए मार रही थी ऑर चेहरा दुपट्टे से छिपा रखा था इधर मेरा भी आधा लंड उसकी गान्ड मे जा चुका था ऑर मैं अपने आधे लंड को ही फ़िज़ा की गान्ड मे अंदर-बाहर कर रहा था. कुछ देर बाद फ़िज़ा की आवाज़ आई...
फ़िज़ा : जान रूको... अब मैं आपके उपर आती हूँ ऐसे करने मे मुझे बहुत दर्द हो रहा है.
मैं बिना कुछ बोले उसके उपर से हट गया ऑर मेरा लंड पक्क की आवाज़ के साथ उसकी गान्ड से बाहर आ गया. अब मैं नीचे लेट गया ओर फ़िज़ा मेरे उपर आ गई उसका पूरा चेहरा पसीना से गीला हुआ पड़ा था ऑर एक दम लाल हुआ पड़ा था. उसके उपर आते ही हम दोनो ने एक दूसरे को देखा ऑर दोनो ही मुस्कुरा दिया फिर उसने मेरे लंड को पकड़ा जो छत की तरफ मुँह किए पूरी तरह खड़ा था जिसको उसने हाथ से पकड़ कर पहले देखा फिर एक धीरे से थप्पड़ मेरे लंड पर मार दिया ऑर मेरी तरफ मुस्कुराकर देखने लगी. अब उसने मेरे लंड को मुँह मे लेके अच्छे से चूसा ऑर ढेर सारा थूक मेरे लंड पर लगाया ऑर कुछ थूक उसने खुद अपनी गान्ड मे भी लगाया फिर आँखें बंद करके धीरे-धीरे मेरे लंड पर बैठने लगी
उसके चेहरे से सॉफ पता चल रहा था कि उसको बहुत दर्द हो रहा है लेकिन फिर भी वो लंड को धीरे - धीरे अंदर लेने लगी ऑर जब आधे से थोड़ा सा ज़्यादा लंड अंदर चला गया तो उसने एक बार नीचे मुँह करके लंड को देखा ऑर फिर मेरी छाती पर अपने दोनो हाथ रख कर उपर-नीचे होने लगी मुझे उसके ऐसा करने से बे-इंतेहा मज़ा मिल रहा था ऑर मैने मज़े से आँखें बंद की हुई थी तभी कुछ झटको के बाद वो एक दम से मेरे उपर लेट गई ऑर अपने रसीले होंठ फिर से मेरे होंठ पर रख कर चूसने लगी मैं आँखें बंद किए लेटा रहा ओर वो मेरे होंठ चुस्ती रही तभी उसने ज़ोर दार थप्प के साथ अपनी गान्ड को मेरे लंड पर दबाया ऑर वो मेरे लंड पर बैठ गई. जिससे मेरा पूरा लंड उसकी गान्ड मे एक दम से चला गया.
कुछ देर वो ऐसे ही पूरा लंड अपनी गान्ड मे लिए मेरे उपर लेटी रही ऑर मेरे होंठ चुस्ती रही फिर धीरे-धीरे उसने हिलना शुरू किया ऑर अब वो मेरे लंड को टोपी तक बाहर निकालती ऑर फिर से पूरा एक ही बार मे अंदर डाल लेती काफ़ी देर तक वो ऐसे ही करती रही फिर उसकी शायद टांगे तक गये थी इसलिए उसने अपने होंठ मेरे होंठों से हटा कर मुझे उपर आने को कहा तो मैं बिना कुछ बोले उसको कमर से पकड़ कर बैठ गया ऑर फिर उसको ऐसे ही पलट दिया लंड जैसे अंदर था वैसे ही रहा अब मैं उपर था ऑर वो नीचे. अब मैने धीरे -धीरे झटके देने शुरू कर दिए कुछ देर वो झटके बर्दाश्त करती रही फिर शायद उसको दर्द होने लगा था इसलिए उसने खुद ही हाथ नीचे ले-जाकर लंड को गान्ड से बाहर निकाला ऑर अपनी चूत मे डाल दिया. अब उसका इशारा समझते हुए मैने उसकी चूत मे झटके लगाने शुरू कर दिए उसने अपनी दोनो बाजू मेरी गर्दन पर लपेट ली ऑर अपनी दोनो टांगे मेरी कमर पर रख ली जिससे हम दोनो एक दूसरे से चिपक से गये थे कुछ देर बाद ही मेरे झटको मे खुद ही तेज़ी आ गई ऑर उसके मुँह से सस्सस्स सस्सस्स ऊहह आआहह जैसे लफ्ज़ निकलने लग गये कुछ तेज़ झटको के साथ पहले वो फारिग हुई ऑर उसके कुछ ही देर बाद मैं भी उसके अंदर ही फारिग हो गया ऑर उसके उपर ही लेता साँस लेने लगा हम दोनो पसीने से बुरी तरह नहाए हुए थे ऑर दोनो की साँसे बहुत तेज़ चल रही थी. कुछ देर हम ऐसे ही एक दूसरे की आँखो मे देखते रहे फ़िज़ा बार - बार मुझे देखते हुए मेरे होंठों को चूम रही थी.
मैं : जान मज़ा आया...
फ़िज़ा (बिना कुछ बोले आँखें बंद करके मेरे होंठ चूमते हुए) पुच्छने की ज़रूरत है
मैं : बताओ ना पिछे वाले मे आया कि नही...
फ़िज़ा : (अपनी आँखें खोलकर मेरा चेहरा अपने दोनो हाथो से पकड़ते हुए) मज़ाअ....मेरी जान निकल गई थी तुमको मज़े की पड़ी है जानते हो कितना दर्द हुआ था.... अब फिर से करने को कभी मत कहना....जाने कहाँ से ऐसे उल्टे ख्याल तुमको आते है ऑर तुम्हारी फरमाइश पूरी करने के चक्कर मे मेरी जान निकलने को हो जाती है.
मैं : जान हम करते हैं तो ऑर लोग भी तो करते होंगे ना
फ़िज़ा : करते होंगे उनको मरने दो पर हम नही करेंगे.
मैं : (रोने जैसा मुँह बनाते हुए) लेकिन क्यूँ....
फ़िज़ा : (अपना हाथ नीचे ले जा कर मेरा लंड पकड़ते हुए) इसका साइज़ देखा है जो लोग पिछे करते हैं उनके शोहर का ये इतना बड़ा नही होता समझे...
मैं : (उदास मुँह बनके) ठीक है नही करेंगे
फ़िज़ा : (चिड़ते हुए ) जान तुम्हारी यही आदत मुझे पसंद नही या तो तुम्हारी हाँ मे हाँ मिलाओ... अगर ना बोलती हूँ तो गंदा सा मुँह बना लेते हो
मैं : हाँ तो मैने क्या कहा है ठीक है नही करेंगे ना बस बात ख़तम. (गुस्से जैसा मुँह बनाके उठ कर बैठ ते हुए)
फ़िज़ा : (उठ कर मेरी टाँग पर बैठ ते हुए मेरे चेहरा अपनी तरफ करके) मेरी जान मुझसे नाराज़ है
मैं : (ना मे सिर हिलाते हुए) नही....
फ़िज़ा : अच्छा कर लेना जब दिल करे नही रोकूंगी. अब तो हँस कर दिखाओ तुम जानते हो तुम हँसते हुए ही अच्छे लगते हो (मुस्कुराकर)
मैं : (मुस्कुराकर फ़िज़ा के होंठ चूमते हुए) तुम भी हँसती हुई बहुत अच्छी लगती हो.
फ़िज़ा : जान चलो अब बहुत देर हो गई है नीचे चलते हैं.
मैं : रूको ना जान एक बार ऑर करेंगे ना
फ़िज़ा : पागल हो गये हो आज नही...... वैसे भी हम बहुत देर से यहाँ है. जान बात को समझो ना मैं मना थोड़ी करती हूँ बस अब काफ़ी वक़्त हो गया है ऑर वैसे भी तुमने भी तो सुबह खेत पर जाना है ना अगर सोओगे नही तो बीमार पड़ जाओगे इसलिए अब हम दोनो जाके बस सोएंगे ठीक है. (मुस्कुराकर)
मैं : हमम्म ठीक है चलो कपड़े पहन लेते हैं ऑर नीचे चलते हैं.....
उसके बाद हम दोनो ने कपड़े पहने ओर अपने-अपने कमरे मे आ गये फ़िज़ा ने अपने कमरे की कुण्डी खोली ऑर मैं बस उसको अंदर जाते हुए देख रहा था उसने भी एक बार पलटकर मुझे देखा ऑर एक प्यारी सी मुस्कान के साथ अपने होंठों को चूमने जैसे किया जैसे वो मुझे चूम रही हो ऑर फिर जल्दी से अंदर चली गई मैं भी चुप-चाप अपने कमरे मे आया तो बाबा को सोता हुआ देखकर चुप चाप अपने बिस्तर पर आके लेट गया ऑर जल्दी ही मुझे नींद ने अपनी आगोश मे ले लिया.
अगली सुबह मैं उठा ओर रोज़ की तरह तैयार होके खेत चला गया आज मैं अकेला ही खेत मे था क्योंकि नाज़ी की नींद देर से खुली थी रात की दवाई की वजह से इसलिए मैने उसे अपना साथ खेत पर लाना मुनासिब नही समझा ऑर उसको घर पर ही छोड़ आया ताकि वो ऑर फ़िज़ा मिलकर मेरा कमरा तैयार कर सके ऑर नाज़ी भी घर मे रहकर फ़िज़ा के कामो मे मदद कर सके. आज खेत मे मुझे भी कोई खास काम नही था बस नयी फसल उगाने के लिए खेत को पानी लगाने का काम था जो मैने दुपेहर तक मुकम्मल पूरा कर दिया ऑर अब मैं खाली बैठा था इसलिए मैने भी घर वापिस जाने का मन बना लिया ऑर मैं भी जल्दी ही घर आ गया. अभी मैं घर आ ही रहा था कि मुझे दूर से घर के बाहर कुछ गाड़िया खड़ी नज़र आई. जाने क्यो लेकिन उन गाडियो का काफिला देखकर मुझे एक अजीब सी बेचैनी होने लगी ऑर मैं तेज़ कदमो के साथ घर की तरफ बढ़ गया. घर मे जाते ही मुझे कुर्सी पर कुछ लोग बैठे नज़र आए.
(दोस्तो यहाँ से मैं एक न्यू कॅरक्टर का थोड़ा सा इंट्रोडक्षन आप सब से करवाना चाहूँगा ताकि आपको कहानी मुकम्मल तोर पर समझ आती रहे.)
नाम : इनस्पेक्टर. वहीद ख़ान (ख़ान) एज : 43 साल, हाइट : 5.11
एक ईमानदार पोलीस वाला जो ज़ुर्म ऑर मुजरिम से सख़्त नफ़रत करता है इसकी जिंदगी का मकसद सिर्फ़ ऑर सिर्फ़ ज़ुर्म को ख़तम करना है.
ख़ान : (मुझे देखकर) आइए जनाब हमारी तो आँखें तरस गई आपके दीदार के लिए ऑर आप यहाँ डेरा डाले बैठे हैं.
मैं : (कुछ ना समझने वाले अंदाज़ मे) जी आप लोग कौन है ऑर यहाँ क्या कर रहे हैं.
ख़ान : (कुर्सी से खड़े होते हुए) अर्रे क्या यार शेरा अपने पुराने दोस्त को इतनी जल्दी भूल गये ऑर ये क्या मूछे क्यो सॉफ करदी तुमने.... चलो अच्छा है ऐसे भी अच्छे दिखते हो. (मुस्कुराते हुए आँख मारकर)
मैं : जी कौन शेरा किसका दोस्त मैं तो आपको नही जानता
ख़ान : हमम्म तो तुम शेरा नही हो फिर ये कौन है.(टेबल पर पड़ी तस्वीरो की तरफ इशारा करते हुए)
मैं : (बिना कुछ बोले तस्वीरे उठाके देखते हुए) ये तो एक दम मेरे जैसा दिखता है (हैरान होते हुए ऑर अपने चेहरे पर हाथ फेरते हुए)
ख़ान : अच्छा ये नया नाटक शुरू कर दिया. ये तुम जैसा नही दिखता तुम ही हो समझे अब अपना ड्रामा बंद करो.
बाबा : साहब जी मैने कहा ना ये मेरा बेटा नीर है कोई शेरा नही है आपने जो तस्वीरे दिखाई है वो बस मेरे बेटे का हम शक़ल है ऑर कुछ नही ये मासूम बहुत सीधा-साधा हैं कोई अपराधी नही है ये.
ख़ान : आप चुप रहिए (उंगली दिखाते हुए) मैने आपसे नही पूछा
मैं : (ख़ान का कलर पकड़ते हुए)ओये तमीज़ से बात कर समझा.... अगली बार मेरे बाबा को उंगली दिखाई तो हाथ तोड़ दूँगा तेरा.
ख़ान : (हँसते हुए)अर्रे इतना गुस्सा अच्छा भाई नही कहते कुछ आपके बाबा को..... देखो फ़ारूख़ तेवर देखो इसके वही गुस्सा वही नशीली आँखें.... ऑर ये लोग कहते हैं ये शेरा नही है
बाबा : नीर हाथ नीचे करो ये बड़े साहब है तमीज़ से पेश आओ (गुस्से से)
मैं : जी माफ़ कर दीजिए (नज़रे झुका कर हाथ कॉलर से हटा ते हुए)
ख़ान कभी बाबा को ऑर कभी मुझे बड़ी हैरानी से बार-बार देख रहा था ऑर मुस्कुरा रहा था. लेकिन मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था.
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