RE: Desi Sex Kahani निदा के कारनामे
फिर उसने एक तेल की शीशी से मेरी घुटने पर थोड़ा सा तेल गिराया, मेरी टाँग को सीधा करते हुये जैसे ही उसने मेरे घुटने पर हाथ रखा, दर्द की वजह से बे-इख्तियारी तौर पर मैंने अपने दोनों हाथों से बेड या किसी और चीज को पकड़ने के बजाय, पहलवान की ही दोनों टांगों को मजबूती से पकड़ लिया। वो पहले धीरे-धीरे मेरे घुटने के इर्द गिर्द मालिश करता रहा, उसका हाथ मेरी रान पर काफी ऊपर तक जा रहा था, मगर उस समय मुझे। इतना होश कहाँ था।
कुछ ही देर में उसने मेरे घुटने को एक झटका दिया, तो दर्द से मैं बिलबला उठी। मेरा दायां हाथ अचानक ही उछला और जब वापिस किसी चीज को टकराया तो मैंने उसे बहुत जोर से भींच दिया। मुझे तो तब होश आई,
जब पहलवान की चीख मुझे सुनाई दी। मैंने आँखें खोलकर देखा की मेरा दायां हाथ उसके लण्ड को काफी । मजबूती से दबोचे हुये था। मैं शर्म से पानी पानी हो गई। अपना हाथ तो मैंने उसके लण्ड से हटा लिया था, मगर उसकी शलवार में एक तंबू सा खड़ा हुवा देख रही थी।
अब तो पहलवान ने मेरे घुटने के साथ साथ मेरी पिंडली और रान की भी अच्छी तरह मालिश शुरू कर दी थी और मुझे भी मजा आने लगा था पर दर्द की वजह से मैं कुछ कर नहीं पा रही थी। पहलवान मुझे लगातार । मालिश करता रहा कुछ ही देर बाद मेरा दर्द धीरे-धीरे कम होना शुरू हो गया और आखिर में बिलकुल खतम हो गया। पहलवान मुसलसल अपने खुरदरे हाथों से मेरी नाजुक और बालों से पाक टांग से भरपूर इंसाफ कर रहा था। तकलीफ का असर गायब होने के बाद मैं अपने हवास में लौटी लेकिन पहलवान के इस तरह मालिश करने से मेरे अंदर की छुपी हुई सेक्सी ओरत ने सर उठाना शुरू कर दिया था। पहलवान बहुत प्यार से मालिश कर रहा था।
वो मेरे पाँव से शुरू करता और फिर पिंडली और रान को इन्वॉल्व करता हुवा अपने हाथ 0 नुकीले से कुछ दूर तक ले आता। पहलवान का अकड़ा हुवा लण्ड ऐसे दिख रहा था जैसे अभी शलवार को फाड़ते हुये बाहर निकल आएगा। मेरी निगाहों ने फौरन भाँप लिया की पहलवान का लण्ड काफी तगड़ा है। पहलवान के चेहरे पा मुख़्तलिफ रंग आ जा रहे थे और खुद मेरी हालत भी नागुफ्ता (बेचैन, बीमार) थी।
लेकिन मैं इस समय मज़ा के मूड मैं कतई ना थी। हालांकी पहलवान ने मुझे काफी गरम कर दिया था और मेरी पैंटी भी भीग गई थी। लेकिन मुझे अपने छोटे भाई की भी फिकर थी जो अपनी बहन के इंतजार में घुल रहा था। तो मैंने जल्दी से कहा की पहलवानजी मेरा दर्द खतम हो गया है आपसे ईलतजा है की पट्टी कर दें अब। पहलवान के हाथ, मेरी गोरी रान पर चलते चलते रुक गये। उसने इस बात में सर हिलाया और पट्टी करने लगा। पहले उसने मेरे घुटने के नीचे एक तख़्ती नुमा लकड़ी की बनी हुई मुराबी शकल की स्लेट रखी। फिर पट्टी उठाई और बाँधने लगा। थोड़ी देर में पट्टी हो गई। फिर उसने मुझे शलवार पहनाई।
|