Maa Sex Kahani माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना
08-03-2019, 02:57 PM,
#58
RE: Maa Sex Kahani माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना
अपडेट 58



वह तभी अपनी नज़र घुमा के बाहर देखने लगी.
मैं चेहरे पे एक बदमाश हसि लेकर उनको देखने लगा.
फिर में उनका हाथ वैसे पकड़के रख के फिर सामने की तरफ नज़र घुमाया.
और तभी में मेहसुस किया की माँ अपनी उँगलियाँ को धीरे धीरे मुठ्ठी करके मेरे उँगलियाँ को पकड़ रही है.
मैं हाथ की तरफ देखा की हम दोनों की उँगलियाँ इंटेरटवीनेड होकर मुठ्ठी करके एक दूसरे को पकड़ी हुई है.
मैं उनको देखा. वह बाहर में नज़र रखते हुए भी समझ गए की में उनको देख रहा हु.
वह उसमे और शर्मा के हँसने लगी और होठो में उनके हसि को दबाने लगी.
वह उनके लेफ्ट हैंड की एल्बो को खिड़की के ऊपर रखा के लेफ्ट हैंड की एक ऊँगली फोल्ड करके बार बार अपने होठ को टच कर रही है.
मैं समझ गया की माँ के अंदर शर्म के साथ साथ उनके बेटे के साथ इस नये रिश्ते में धीरे धीरे खुद को खोलना सुरु हो गया है.
खुद को एक पत्नी की तरह मेहसुस करके उनके दिल की सारी ख़ुशी ज़ाहिर कर रही है.
मेरा मन एक अत्यंत सुन्दर ख़ुशी में उछल उछल के नाच ने लगा.
मेरा मन भी उनको पत्नी के रूप में स्वीकार करके एक अद्भुत भाव से बहने लगा.
टैक्सी में बैठके हम दोनों अलग अलग तरफ देख के, एक दूसरे का हाथ पकड़के एक दूसरे को जैसे की यह बता दे रहे है की ज़िन्दगी में कभी किसी भी परिस्थिति में यह हाथ हम छोड़ेंगे नहि.
मैं उनको जितना देख रहा हु, उनको नये तरह से स्वीकार कर रहा हु.
उनकी इस तरह की अदायें में कभी नहीं देखा था. मैं जितनी बार उनको देख रहा हु,
बार बार लग रहा है की यह पल, इस अनुभुति का कभी अंत न हो. उनके कुछ बाल हवा में उड़के मेरे चेहरे पे आके टच करते हुए जा रहै है. मेरा गाल ,
नाक, आंख, सर सब जगह पे उनके बालों के स्पर्श से में बस एक उत्तेजना मेहसुस करने लगा. उनको बाँहों में लेकर प्यार करने की चाहत में मन छट पट कर रहा है.
एकान्त में केवल माँ और में एक दूसरे को अपना बनाके पाने की चाहत में अंदर ही अंदर उबल ने लगे.
पर मेरा मन अचानक एक बात सोचके थोड़ा मायुस हो गया.कल ट्रैन में चड़ने के बाद ,
रात में भी ऐसा मेहसुस हुआ था.
और मन भारी हो गया था. माँ कुछ अंदाजा किया था और मुझे बस प्यार के नज़र से देख के जैसे की यह बोल रहे थे की " अब आप अकेले क्यों दुखी होंगे.
आज से तो सारे सुख, दुःख हम दोनों शेयर करके एक दूसरे की ज़िन्दगी को जीने में और आसन कर देंगे,
और ख़ुशी से भर देंगे. मैं हु न आपके पास, आप के साथ हमेशा के लिये".
मा की आँखों में वह भाषा पड़के मेरा मन तो ठीक हो गया था पर अभी फिर से शेम चिंता घिर ने लगी.
हम नाना नानी के प्रयत्न से और हमारे नसीब के फेरे में आज हम शास्त्र सम्मति से पति पत्नी तो बन गए और माँ भी पत्नी के रूप में खुद को लेजाकर एक नयी खुशहाल ज़िन्दगी का सपना देख रही है.
पर क्या में उनके एक्सपेक्टेशन पे खरा उतार पाउँगा!! मुझे मालूम है माँ एक आदर्ष पत्नी बन जाएगी,
लेकिन क्या में एक आदर्ष पति बन पाउँगा!! क्या में एक पत्नी के दिल में जितनी सारी इच्छा और ख्वाब रहता है,
क्या में वह सब ठीक से पूरा कर पाउँगा!! यह सब चिंता कभी कभी दिल में आजाता है.
मैं जानता हु में माँ को सब से ज़ादा प्यार करता हु और करुँगा,
कभी किसी और लड़की के तरफ देखूँगा भी नहीं उनको छोडकर.
मेरी ज़िन्दगी में वही एक मात्र लड़की बनके रहेगी.
हमारी उम्र का जो फरक है, उसको हम हर तरीके से ओवर कर लेंगे पर जब पति पत्नी के सामान्य लाइफ के बारे में सोचता हु तब ऐसे मायुश हो जाता हु.
मैं जानता हु उनके साथ मेरा हर पति पत्नी की तरह शारीरिक संपर्क होनेवाला है.
हम माँ बेटे के रिश्ते को दिल के अंदर रख के पति पत्नी के रिष्ते में जीएंगे.
वह भी जानती है शादी के बाद उनका बेटा पति के अधिकार से उनके तन्न मन को प्यार करेगा और वह इसके लिए खुद को तैयार भी की है जरुर.
लेकिन में जब सोचता हु मेरा पेनिस के बारे तब मन में एक डर सा मेहसुस होता है.
मेरा पेनिस थोड़ा बड़ा और मोटा तो है हि,
पर जब उत्तेजना से फूल जाता है, तब उनका कैप एक दम बड़ा सा एक बॉल जैसा बन जाता है.
क्या में माँ के साथ ठीक तरह से शारीरिक सम्बन्ध बना पाउँगा!! क्या में उनको बिना दर्द देकर वह प्यार कर पाउँगा जो हर पत्नी अपने पति से चाहती है!!
क्या में उनको एक परिपूर्ण सन्तुष्टि दे पाउँगा!! मैं उनसे बहुत बहुत प्यार करता हु.
मैं उनके साथ छोड़के और किसी के साथ मिलन की कल्पना न कभी किया है, न कभी करुन्गा.
मुझे उनको हर तरीके से खुश करके, ज़िन्दगी का सारा आनंद उनके कदमों के पास लेकर देना चाहता हु.
कल ट्रैन में जब चढ़े तब फुल लोग थे उस कम्पार्टमेंट मे.
सो सारे लोग जल्दी जल्दी डिनर करके सोगये. मेरा और माँ का बर्थ ऊपर नीचे था.
मैं ऊपर जाकर सो गया था.
और माँ नीचे चद्दर ओढकर सो गये शादी के बाद एक पति पत्नी पहली रात एक साथ एक ही जगह रात गुजर रही है,
फिर भी वह अब पति पत्नी जैसे रह नहीं पा रहे थे. ऐसा शायद होता नहीं कभी.
हमारे साथ हो रहा है.
हमारे साथ असल में तो बहुत कुछ हो रहा है जो और कहीं कभी नहीं हुआ.
मैं एक बार नीचे झुक के माँ को देखा.
वह बस मेरे बर्थ की तरफ देखते हुए सो रही थी.
हमारी नज़र मिलते ही वह स्माइल कि. मैं उनको देखते रहा.
वह उनके चद्दर को थोड़ा गले के पास खिचके और गर्मी फील करने लगी और अपनी आँख बंध कर ली.
फिर थोडी देर बाद जब आँख खुली ,
फिर से हमारी नज़र मिली. उनके चेहरे पे एक लाल बिंदी और होंठो पे प्यारी मुस्कराहट उनके रूप को पूरा बदल दिया है.
बस एक कुंवारी लड़की की तरह जिसकी बस पहली बार शादी हुई है,
उस तरह अपने पति को देख रही थी.
फिर वह उनका चेहरा उनके राईट साइड में घुमाके आंख बंध करके सोने की कोशिश कि.
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