RE: Incest Kahani माँ बेटी की मज़बूरी
मैं बेड के उपर बैठ गया और सुशीला मेरे ऊपर चढ़ के फिर से चिल्ला चिल्ला कर चुदवाने लगी ‘आह सस्स हाँ आह …’
कुछ देर के बाद मानसी झड़ गई और दीपक से चिपक गयी. दीपक इसी मौके की तलाश में था, उसने अपना लंड मानसी की चूत से निकाला और सीधे सुशीला के ऊपर झपट पड़ा.
सुशीला कुछ समझे उससे पहले वो मेरे ऊपर झुक चुकी थी और दीपक का लंड उसकी गाण्ड में तीन इंच तक घुस चुका था.
“आह … उम्म्ह… अहह… हय… याह…” सुशीला बोली- इसे निकालो। मैंने पहले कभी गाण्ड में नहीं चुदवाया।
दीपक- चुप साली रंडी, तब तो बहुत अच्छा हुआ। तेरी गाण्ड की सील आज मैं तोड़ता हूँ।
और उसकी गाण्ड में और एक जोर का धक्का लगाया … आधा से ज्यादा लंड सुशीला की गांड में घुस गया, सुशीला फिर चिल्ला उठी.
मैं उसके मुँह पर मुँह डाल दिया और उसके होठों को चूसने लगा, जीभ मुख के अंदर तक घुसाने लगा और उसकी जीभ को चूसने लगा। साथ में मैं उसकी चूचियाँ भी मसलता जा रहा था।
दीपक ने फिर एक जोर का धक्का लगाया तो सुशीला की आँखों से आँसू निकल आये. अब दीपक का लंड पूरा सुशीला की गाण्ड के अंदर था मगर सुशीला तड़प रही थी.
इधर मैं नीचे से धक्का दे रहा था … वो हिल ही नहीं पा रही थी क्योंकि लंड उसकी गाण्ड में जकड़ गया था. दीपक तो रुकने वाला नहीं था, उसने थोड़ा लंड बाहर निकाल के फिर धक्का लगाना शुरु कर दिया.
सुशीला सिसकारियां भर भर के तड़पने लगी … दो बडे बड़े लंड उसके दो छेदों में थे। मानसी देख रही थी कि उसकी माँ को दो मर्द रगड़ रगड़ कर चोद रहे हैं.
मैं नीचे से सुशीला को गर्म कर रहा था, अब उसे भी मजा आने लगा था मगर दीपक उस पर थोड़ा भी रहम नहीं कर रहा था और उसे चोदता जा रहा था.
दो तरफ के धक्के से वो जैसे घायल होने लगी थी ‘आहह हह हहहाआ…’ की आवाज हर वक्त उसके मुँह से निकल रही थी।
थोड़े धक्कों के बाद वो भी हमारा साथ देने लगी. अब वो चिल्ला चिल्ला कर दोनों से मजा लेने लगी थी।
दीपक- क्या गर्म औरत है यार … चोद के मजा आ गया।
और वो धक्के की स्पीड बढ़ाता गया और कुछ देर बाद वो उसकी गाण्ड में ही झड़ गया.
“आहस शस्स …” मैं भी सुशीला की चूत में झड़ गया. हम वैसे ही वहीं ढेर हो गये। मैं … मेरे ऊपर सुशीला … उसके ऊपर दीपक!
थोडी देर बाद मैं बोला- उठ मादरचोद साली रंडी … अच्छा गद्दा पाया है। मैं नीचे दब रहा हूँ।
दीपक ने आहिस्ते से लंड को निकाला सुशीला की गाण्ड से और ढेर हो गया बेड पर … बोला- साली मेरी कमसिन नर्सों से तो ज्यादा ये साली गर्म है.
मैं- साले डॉक्टर, कितनी नर्स को चोद चुका है?
दीपक- कोई गिनती नहीं … लेकिन अभी तो सिर्फ दो हैं.
मैं- मुझे भी उनका स्वाद चखा यार!
दीपक- जरूर … कल इसका पेट साफ करेंगे तो वहीं उनसे मिल लेना.
सुशीला और मानसी हैरान हो रही थी हमारी बात सुन के!
दीपक- साली, खड़ी क्यों है? आ खड़ा कर मेरे लंड को चूस के … तेरी माँ को फिर से चोदना है.
दीपक की बात सुनकर मानसी उसके लंड पे जाकर झुक गई और उसे मुँह में लेकर चूसना शुरु कर दिया। मैंने भी अपना लंड धीरे से सुशीला के मुंह में पेल दिया. सुशीला धीरे धीरे मेरा लंड चूसने लगी. कुछ ही देर में मेरा लंड भी पूरा रॉड के जैसा टाइट हो चुका था. उधर मानसी ने भी दीपक का लंड चूस कर पूरा खड़ा कर दिया था।
अब दीपक उठ कर सुशीला के तरफ आया और सुशीला को कुतिया बनाकर चोदने लगा. मैंने भी मानसी को फर्श पर कुतिया बना दिया और उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया. अब हम दोनों मां बेटियों को रंडियों की तरह कुतिया बनाकर पेल रहे थे।
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