Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
08-14-2019, 03:57 PM,
RE: Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
गतान्क से आगे.....................

ये उस समय की बात है जब मैं अपने पति के साथ गोआ, अपने ससुराल गई थी कुछ दिनो के लिए. मेरे पति तो चार दिन वहाँ मेरे साथ रहने के बाद वापस देल्ही जाने वाले थे पर मेरा वहाँ कुछ और दिनो तक रुकने का इरादा था. वो बरसात का मौसम था और ये कहानी भी उसी बरसात के मौसम की एक तूफ़ानी रात की है जब बाहर बरसाती तूफान था और अंदर चुदाई का तूफान था.

मैने अपना रात का खाना जल्दी ही अपने सास ससुर के साथ खा लिया था. मेरे पति अपने दोस्तों के साथ बाहर गये थे और बाहर से ही खाना खा कर आने वाले थे.

मैं अपने बेडरूम मे बैठी खिड़की से बाहर देख रही थी. बाहर पूरा आसमान घने काले बादलों से भरा हुआ था. बार बार बिजलियाँ कड़क रही थी और तेज तूफ़ानी हवा चल रही थी. लगता था बहुत ज़ोर से बरसात आने वाली थी. तूफ़ानी बरसात.

मज़े की बार तो ये थी कि बाहर जो मौसम का मिज़ाज़ था, वो हो मेरे दिल मे हो रहा था. मेरे मन मे भी बाहर के बिगड़ते मौसम के साथ चुदाई की चाहत बढ़ती चली गई. मैं अपने पति का इंतज़ार कर रही थी और चाहती कि वो जल्दी ही आए और मेरी चुदाई कर के मेरी प्यास बुझाएँ. एक और भी कारण था चुदाई के लिए बेकरार होने का. मेरे पति अगले ही दिन वापस देल्ही जाने वाले थे और मैं कुछ दिनो के लिए गोआ मे ही रहने वाली थी. अपने पति से दूर, चुदाई से दूर. इसलिए मैं चाहती थी कि आज रात मैं अपने पति से जम कर चुद्वाऊ.

बाहर का मौसम मुझे गरम कर रहा था. मैं जल्दी से जल्दी अपने पति की मज़बूत बाहों मे आना चाहती थी. गुज़रते हुए हर पल के साथ मेरी चुदाई की चाहत बढ़ती चली गई. जल्दी ही बाहर ज़ोर से बरसात शुरू हो गई, तूफ़ानी हवाएँ तो पहले से ही चल रही थी. बड़ी बड़ी पानी की बूँदों और तूफ़ानी रफ़्तार से चलती हवा की आवाज़ें आने लगी.

कुछ देर बाद, मैने अपने पति को घर मे आते देखा तो मैं बेडरूम के दरवाजे की ओर बढ़ी. मैने देखा कि उनकी हालत बहुत खराब थी. वो बुरी तरह बरसात मे भीगे हुए थे और बेडरूम के बाहर ही रुक गये थे, अंदर नही आए. मैं समझ नही सकी कि वो अंदर क्यों नही आ रहे हैं. जब मैं उनके नज़दीक पहुंसी तो उन्होने मुझे भी बेडरूम के दूसरे दरवाजे से, जो बाहर लॉन मे खुलता था, बाहर आने को कहा. मैं समझ गई कि बाहर लॉन मे भीगते हुए प्यार होने वाला है. मैने बेडरूम का घर मे खुलने वाला दरवाजा बंद किया और बाहर लॉन मे खुलने वाले दूसरे दरवाजे की तरफ बढ़ी. जब तक मैं वहाँ पहुँची, मेरे पति भी घर का चक्कर काट कर, बेडरूम के लॉन की तरफ खुलने वाले दरवाजे तक पहुँच गये. उस समय रात के 11.30 बजे थे. मेरे सास ससुर अपने बेडरूम मे सो चुके थे. जैसे ही मैने लॉन मे खुलने वाला दरवाजा खोला, उन्होने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाहर खींच लिया. मुझे भी अपने पति के साथ बरसात मे भीगने मे बहुत आनंद आता है. बाहर की जोरदार बरसात की वजह से मैं तुरंत ही पूरी तरह भीग गई. मेरी साड़ी गीली हो कर मेरे भीगे हुए सेक्सी बदन से छिप गई जैसे की मेरी दूसरी चमड़ी हो. भीगने की वजह से मेरी साड़ी पारदर्शी हो गई थी तथा मेरा ब्लाउस, उसके अंदर की गुलाबी ब्रा और ब्रा के अंदर मेरी गोल गोल, गोरी गोरी चुचियाँ भी नज़र आने लगी थी. जब भी बिजली कड़कती तो रोशनी होती और मैं जानती थी कि उस रोशनी मे मैं अपने पति को उपर से करीब करीब नंगी नज़र आ रही थी.

मैं जानती थी कि अगर हम चाहते तो उस बरसाती और तूफ़ानी मौसम मे, बरसते पानी मे भीगते हुए हम पूरी चुदाई कर सकते थे. पर घर मे हम दोनो अकेले नही थे. बाहर से किसी के देख लिए जाने का डर नही था, पर घर मे मेरे सास ससुर अपने बेडरूम मे सो रहे थे और अगर किसी वजह से उन मे से कोई बाहर आता तो हमको देख लिए जाने का पूरा पूरा ख़तरा था. हम दोनो ने अपने आप पर पूरा काबू रखा और बरसात मे भीगते हुए आपस मे चिपक रहे थे, चुंबन हर रहे थे और एक दूसरे के अंगों को छ्छू रहे थे.

थोड़ी देर तक साथ साथ भीगने के बाद हम वापस अपने बेडरूम मे आए और सीधे बाथरूम मे गये. बाथरूम मे पहुँचते ही हम ने वो करना शुरू कर्दिया जो हम बाहर बरसात मे भीगते हुए नही कर सके थे. हम ने एक दूसरे को कस कर पकड़ा और एक एक कर के हम दोनो ने अपने अपने गीले कपड़े उतार दिए. ह्म ने अपने नंगे बदन को एक दूसरे के नंगे बदन से रगड़ा. हमारे दिल और दिमाग़ हम दोनो को चुदाई की तरफ ले जाने लगे और हम भी तय्यार थे फिर से एक बार, एक शानदार, जोरदार और मज़ेदार चुदाई के लिए. हम दोनो की आँखें मिली और बिना कुछ बोले हम ने बहुत सारी बातें कर ली. हम जानते थे कि हम दोनो के ही बदन चुदाई की चाह मे जल रहे थे. मेरे पति ने मुझे गले लगाया और अपना मूह मेरी गर्दन पर रगड़ने लगे. पता नही वो मेरी गर्दन चूम रहे थे या चाट रहे थे, क्यों कि हम दोनो ही उस समय एक अलग ही दुनिया मे थे. उनका मूह घूमता हुआ मेरे रसीले होठों तक पहुँच और उनके होठों ने मेरे होठों को जाकड़ लिया. उनकी गरम गरम साँसें मेरे चेहरे से टकराने लगी. मेरे पति चुदाई की तरह चुंबन की कला मे भी माहिर है. उनका चुंबन किसी भी लड़की को चुदाई की तरफ ले जा सकता है. उनके मज़बूत हाथ मेरी नंगी पीठ पर रेंगने लगे. हम दोनो मे चुदाई की इतनी गर्मी आ चुकी थी की हमारे बदन को पोंछने के लिए तौलिए की ज़रूरत ही नही पड़ी. हम दोनो का बदन वैसे ही सूख चुका था.
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