RE: Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
अब उन्होने फिर से अपनी उंगलियों से मेरी चूत की मालिश शुरू कर दी. वो अपनी उंगलियाँ मेरी चूत के बीच घुमा रहे थे, मेरी चूत का दाना मसल रहे थे, बीच बीच मे अपनी उंगली मेरी चूत के अंदर भी डाल रहे थे. और इस बीच मैं लगातार उनके लंड से अपनी गंद मरवा रही थी. गंद मरवाते हुए और उनके हाथों का कमाल मेरी चूत पर मुझे फिर से अपने झड़ने की तरफ ले जा रहे थे. मेरी नसें खींचने लगी, मेरी साँसें तेज हो गई और मेरा बदन झड़ने के लिए अकड़ने लगा.
मेरी गंद मारते हुए वो लगातार मेरी चूत से खेल रहे थे. उनका लंबा लॉडा मेरी गोल गोल गंद के अंदर बाहर हो रहा था. जब मेरी गंद मारते उनके लंड का सूपड़ा मैने अपनी गंद मे गंद मरवाते हुए फूलता महसूस किया तो मुझे पता चल गया कि अब उनके लौडे से भी पानी निकलने मे ज़्यादा देर नही है. वो भी झड़ने के करीब थे और उनकी मेरी गंद मारने की रफ़्तार बढ़ गई थी. मैं तो पहले से झड़ने के करीब थी ही, वो भी अपने लौडे का पानी मेरी गंद मे बरसाने को तय्यार थे. मुझे उनसे अपनी गंद मरवाने मे बहुत ही मज़ा आ रहा था क्यों कि मेरी चूत तो रोज़ ही चोदते है, दिन मे दो बार से ज़्यादा चोदते है, लेकिन मेरी गंद का नंबर तो साप्ताह मे एक बार ही आता है. इसलिए मैं अपनी गंद मरवाने का पूरा मज़ा ले रही थी.
उन्होने जैसे ही अपना लॉडा एक जोरदार झटके से मेरी गंद के अंदर तक डाल कर धक्का लगाना बंद किया, मैं फिर से एक बार उनके हाथों का कमाल मेरी चूत पर और गंद मरवा कर झाड़ चुकी थी. और लगभग उसी समय, उनके लौडे ने अपने प्रेम रस की बरसात मेरी गंद के अंदर करनी शुरू कर दी. उन का लॉडा नाच नाच कर मेरी गंद के अंदर अपना लंड रस बरसा रहा था.
अपना लॉडा मेरी गंद मे डाले ही, लंबी लंबी साँसें लेते हुए वो मेरे उपर लेट गये. मैं उनके दिल की धड़कनें अपनी चुचि पर सॉफ सॉफ महसूस कर रही थी.
हम दोनो ने उस अंधेरे कमरे मे बहुत शानदार चुदाई की थी. उन्होने मेरी चूत को तो हमेशा की तरह चोदा ही था, मेरी गंद भी मार कर मेरा चुदाई का मज़ा दोगुना कर दिया था, मुझे पता नही था, लेकिन आज पता चल गया था कि अंधेरे मे भी चुदाई करने का एक अलग मज़ा है.
फिर जब उन्होने अपने नरम पड़ते लौडे को मेरी गंद के बाहर निकाला तो उनके लौडे से निकला बहुत सारा रस मेरी गंद से निकल कर गंद के नीचे लगे तकिये पर गिर गया था. मेरी गंद के नीचे लगा तकिया काफ़ी गीला हो गया था, पहले मेरी चूत से निकले रस से और अब मेरी गंद से निकले उनके लंड रस से.
हम दोनो वैसे ही, एक दूसरे से लिपटे हुए, नंगे ही, काफ़ी देर तक बारें करते रहे और और फिर हम एक शानदार चुदाई के थके हुए गहरी नींद मे सो गये. अगले दिन शनिवार था, उनकी छुट्टी थी, इसलिए सुबह उठने की जल्दी नही थी.
अगले दिन, शनिवार को सुबह 8.00 बजे मेरी आँख खुली. मैने उनकी ओर देखा. सुबह की रोशनी खिड़कियों पर लगे पर्दों के बावजूद बेडरूम मे पहुँच रही थी और मैने देखा कि अपने होठों पर प्यारी सी मुश्कान लिए वो गहरी नींद मे सो रहे थे. उन के नंगे बदन को देख कर मुझे बहुत गर्व हुआ कि मेरे पति इतने सुंदर, इतने मज़बूत और चुदाई को मेरी तरह प्यार करने वेल इंसान है. मैं बहुत ही भाग्यशाली हूँ कि मुझे ऐसा जीवन साथी मिला है. मैने अपनी नंगी चुचियों को उनकी चौड़ी छाती पर रगड़ा. तुरंत ही उनकी आँख खुल गई और उन्होने मेरे नंगे बदन को अपनी बाहों मे ले कर अपने नंगे बदन से चिपका लिया. बिना मूह सॉफ किए ही हम ने एक दूसरे को काफ़ी देर तक चूमा.
उन्होने अपने हाथ मेरी गोल गोल नंगी गंद पर फिराए. वही गंद जिसको रात को उन्होने मारा था. उन के हाथ मेरी चुचियों और तनी हुई निप्पल्स से खेलने लगे. नीचे हो कर उन्होने मेरे पेट का चुंबन लिया और मैने उनका हाथ अपनी नंगी फुददी पर महसूस किया.
उनकी उंगलियाँ काफ़ी देर तक मेरी चूत पर बाहर ही फिरती रही और फिर उन्होने अपनी बीच की उंगली मेरी गीली हो चुकी चूत के गीले होठों के बीच डाल दी. मेरे मूह से एक सिसकारी निकली. हमेशा की तरह, हम दोनो सेक्सी और चुड़क्कड़ जोड़े के बीच एक और चुदाई का खेल होने जा रहा था. हम दोनो ही चुदाई का कोई भी मौका अपने हाथ से नही जाने देते. उनके हाथ और उंगली के खेल से मेरी चूत पूरी तरह गीली हो कर चुद्वाने के लिए तय्यार हो गई.
फिर वो ड्रेसिंग स्टूल पर बैठ गये और उन्होने मुझे अपने पैरों के बीच, ज़मीन पर बैठने को कहा. मैने तुरंत ही नीचे बैठ कर उनके लौडे को पकड़ कर अपने मूह मे ले लिया. मैं उनके लंड का सूपड़ा अपने मूह मे ले कर उसको चूसने लगी. उनके हाथ मेरे सिर के बालों मे फिर रहे थे और वो मेरे मूह को अपने लौडे पर दबाने लगे. मैं इतने सेक्सी तरीके से उनके लौडे को चूस रही थी की उत्तेजना से उनकी गंद हिलने लगी.
उन का लंड इतना लंबा है कि वो मेरे गले तक पहुँच गया था और फिर भी आधा तो मेरे मूह से बाहर ही था. उन्होने मेरे सिर को पकड़ा और अपना लॉडा मेरे मूह मे अंदर बाहर करने लगे जैसे हमेशा मेरी चूत मे डाल कर अंदर बाहर करतें हैं. वो अपने लौडे से मेरा मूह चोद्ने लगे. मैं भी मज़े ले कर उनके लौडे से अपना मूह चुद्वाते हुए उनके लंड को चूस रही थी. सुबह सुबह उनके लंड की चुसाइ हो रही थी. लंड और मूह का ये खेल काफ़ी देर तक चलता रहा.
मैं बिस्तर पर अपनी पीठ के बल लेटी हुई थी और वो मेरे सेक्सी मालिश कर रहे थे. वो एक बहुत शानदार चुड़क्कड़ होने के साथ ही बहुत शानदार मालिश भी करते थे. मुझे हमेशा उनसे अपने सेक्सी बदन पर मालिश करवा कर बहुत मज़ा आता है. काफ़ी देर तक उन्होने मेरे पैरों की मालिश की. मेरे पैरों की मालिश करते वक़्त मेरे पैर उनके तने हुए लंबे लौडे पर टिके हुए थे. मुझे पता था कि उनके लौडे को भी मेरे पैरों का मज़ा आ रहा होगा. वो इसी तरह काफ़ी देर तक मेरे नंगे सेक्सी बदन की मालिश करते रहे. मुझे पता था कि जल्दी ही वो अपने मालिश करने की फीस मेरे सेक्सी बदन से, मेरी चूत से वसूल करने वाले थे. मेरी चूत उनकी सेक्सी मालिश की वजह से गीली हो कर रस बहाने लगी.
फिर उन्होने मुझे नीचे खींचा, मेरी गंद के नीचे तकिया लगाया और मेरे पैर चौड़े कर दिए. इस तरह मेरी गीली फुददी खुल कर उनके सामने आ गई थी.
उन्होने मेरी नंगी झांघों को चूमा . फिर उन्होने मेरी गीली चूत को चूमना शुरू किया. उनको अपनी शेव किए हुए 12 घंटे से ज़्यादा हो गये थे इसलिए उनके मूह पर थोड़ी थोड़ी दाढ़ी – मूँछ ऊग आई थी जो मेरी जाँघो पर, मेरी चूत पर चुभ कर मुझे और भी गरम कर रही थी. उन्होने अपने हाथ से मेरी चूत के मूह को खोला. मेरी चूत से लगातार रस निकलता जा रहा था. फिर उन्होने मेरी चूत से निकलते रस को चाटना शुरू कर दिया.
मेरी चूत का रस चाटने साथ ही वो मेरी चूत का दाना भी चूसने लगे और अपनी जीभ बार बार मेरी चूत के अंदर डाल देते. मेरी गंद उत्तेजना से उपर नीचे होने लगी और मैं फिर एक बार, उस सुबह के पहली बार झड़ने की तरफ बढ़ने लगी. वो मेरी चूत चूस्ते रहे, मेरी चूत का दाना चूस्ते रहे और मैं अपनी गंद हवा मे उठाने लगी. ये देख कर उन्होने मेरी चूत को, चूत के दाने को ज़ोर ज़ोर से चाटना शुरू किया. मेरे लिए तो इतना ही बहुत था और मैं चूत चटवा ही बहुत ज़ोर से झाड़ गई. मैं झाड़ गई थी, मेरी चूत से रस निकल रहा था और वो अभी भी मेरी चूत चाट रहे थे. फिर वो मेरी चूत पर से अपना मूह हटा कर, उपर आ कर मुझे मेरे होठों पर चुंबन दिया तो मैने अपनी खुद की चूत के रस का स्वाद उनके होठों पर से लिया.
वो मेरे खुले हुए पैरों के बीच मे बैठे, मेरे पैर उठा कर अपने कंधों पर रखे और अपने तनटनाते हुए लौडे का निशाना मेरी चूत के दरवाजे पर लगा कर मेरी खुली हुई चूत मे अपने लंड का अगला भाग घुसा दिया. कुछ ही धक्कों के बाद उनका लंबा लॉडा मेरी चूत मे समा गया. फिर उन्होने मेरी गंद पकड़ कर, अपना लॉडा मेरी चूत मे अंदर बाहर करते हुए बकायदा मुझे चोद्ना शुरू कर दिया. मुझे चोद्ते हुए वो मेरे उपर झुके तो मैं करीब करीब दोहरी सी हो गई. उनका मूह मेरे मूह से कुछ ही दूर था और वो अपने लंड को मेरी चूत मे घुसाए, अंदर बाहर करते हुए तेज़ी से और ज़ोर ज़ोर से मुझे चोद्ने लगे. उनके लंड के मेरी चूत मे जोरदार धक्कों की वजह से मेरा पूरा बदन हिलने लगा था पर वो लगातार मेरी चुदाई करते जा रहे थे.
उनके लौडे से पानी निकलने मे बहुत वक़्त लगता है, इसलिए बीच मे उन्होने अपना लॉडा मेरी चूत से बाहर निकाला, थोड़ी देर उसको पकड़ कर खुद मूठ मारी और फिर मैने भी उनके लौडे को पकड़ कर मूठ मारी. फिर उन्होने अपना लंड वापस मेरी चूत मे डाल कर मुझे चोद्ना शुरू किया. इस तरह उनके लौडे से पानी निकालने मे आसानी होती है. वो लगातार मुझे चोद्ते रहे और मैं तो उनके लौडे से पानी निकलने से पहले ही झाड़ गई थी पर मैने उनको लगातार धक्के लगाने को कहा. वो चोद्ते रहे और मैं चुद्वाती रही.
फिर उनके लंड ने मुझे ने चोद्ते हुए मेरी चूत के अंदर अपना लंड रस बरसाना शुरू कर दिया. मैं बहुत खुश थी कि मैने उनके लौडे का पानी अपनी चूत मे निचोड़ लिया है. उनका लॉडा नाचता हुआ मेरी चूत मे लंड रस की धार पर धार फेंकता जा रहा था.
फिर वो अपना लॉडा मेरी चूत मे ही डाले मेरे उपर लेट गये.
वो शनिवार की सुबह थी और हम दोनो ही जानते थे कि दो दिनो की छुट्टी मे हमारे बीच इस तरह की चुदाई कई बार होने वाली है.
जब वो मेरे उपर से उतरे तो उनका नरम पड़ता लॉडा भी मेरी चूत से बाहर निकल आया और उनके लंड से निकला ढेर सारा रस मेरी चूत से निकल कर तकिये को और भी गीला कर गया.
हमेशा की तरह साथ साथ नहाने के लिए हम बाथरूम मे आ गये.
क्रमशः..................................
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