Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
08-18-2019, 01:18 PM,
#12
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू

ऐसा नही था कि मैने एश से पहले कोई खूबसूरत लड़की नही देखी थी, लेकिन जो कशिश उसमे थी वो आज तक मुझे किसी भी लड़की मे महसूस नही हुई थी, उस वक़्त हम दोनो किसी मॅगनेट के नॉर्थ-साउत पोल की तरह थे, जो हमेशा एक दूसरे को अट्रॅक्ट करते है.....इसी बीच फर्स्ट टाइम उसने मुझे देखा लेकिन मेरी नज़रे एका-एक दूसरी तरफ हो गयी, दिल की धड़कनो ने एक बार फिर बुलेट ट्रेन की स्पीड पकड़ ली.....
"क्या हुआ बे..."मुझे दूसरी तरफ देखते हुए देखकर अरुण ने पुछा...
"कुछ नही, बस उसने मुझे देख लिया...."
"तो, यही तो मौका था , आँख मार देता उसे उसी वक़्त..."
"फाटती है मेरी इन सब कामो से..."
"तब तो वो सेट हो चुकी तेरे से...."अरुण ने एश की तरफ देखा...
"अबे अरमान, एश तुझे ही देख रही है...."
"क्या...."दिल एक बार फिर तेज़ी से धड़का...और मैने एश की तरफ देखा, अरुण सच बोल रहा था वो मेरे तरफ ही देख रही थी...उस वक़्त मुझे ऐसा लगा जैसे की वक़्त ठहर गया हो, उस वक़्त मुझे ऐसा लगा कि वहाँ उस क्लास रूम मे मेरे और उसके सिवा कोई नही है....
"टू आइज़ इंटरक्ट वित ईच अदर अट कोन्स्टत टाइम "अरुण बोला और बोलने के तुरंत बाद मेरे कंधे को पकड़ कर ज़ोर से हिलाया"रिसेस ख़तम हुआ प्यारे, अब अपनी क्लास की तरफ चले या इस बार भी यही इरादा है कि नेक्स्ट पीरियड का टीचर तुझे बाहर निकाल दे...."
"रिसेस ख़तम हो गया..."
"बिल्कुल और तू पिच्छाले 20 मिनट. से उसको घूरे जा रहा है बिना पलके झपकाए...."
_____________________
अरुण और मैं एश की क्लास से बाहर आए, क्लास तो लग चुकी थी लेकिन टीचर अभी तक लापता था.....अपनी सीट पर बैठकर मैं कुछ देर पहले जो कुछ भी हुआ, उसको याद करने लगा और हाथो मे पेन पकड़ कर डेस्क पर उसका नाम लिखने लगा.....
"एश....."इस नाम को सामने वाली डेस्क पर पेन से लिखने के बाद मैं उसे अपने हाथो से छुने लगा,
वो नाम मैने नॉर्मल पेन से लिखा था, उस नॉर्मल पेन के नॉर्मल स्याही से लिखा था, लेकिन जो 4 अक्षर वहाँ उभरे थे, वो मेरे लिए नॉर्मल नही था,...उन चार अक्षरो से एक लगाव सा हो गया था....लेकिन उस वक़्त मैं ये भूल गया था कि मेरे बगल मे मेरा सबसे कमीना खास दोस्त अरुण बैठा है, जो मुझे एक पल के लिए भी चैन से साँस लेने नही देगा....मेरी इस हरकत वो मुझपर चिल्लाया...
"अबे ये क्या कर रहा है..."
उसके इस तरह से अचानक बोलने से मेरा ध्यान टूटा और जिन 4 अक्षरो से मुझे लगाव था ,उन्हे मैं मिटाने की कोशिश करने लगा....लेकिन स्याही सूख चुकी थी, इसलिए नाम मिटना थोड़ा मुश्किल था......
"हाथ हटा..."
"नही..."मैने एश के नाम के आगे ऐसे हाथ रख कर खड़ा था जैसे की मेरी हाथ हटाते ही मेरी इज़्ज़त लूटने वाली हो....
"देख अरमान, मुझे दिखा दे कि क्या लिखा है डेस्क पर तूने, वरना पूरी क्लास को बता दूँगा...."
"तेरी तो"क्या करता, मजबूरी मे हाथ हटाना ही पड़ा...
"तेरी हेडराइटिंग तो सॉलिड है..."ये बोलकर अरुण पीछे मुड़ा तो मैने वापस एश के नाम को अपने हाथो से ढक लिया...
"बोतल है..."अरुण पीछे बैठे किसी लड़के से बोला...
"पानी की बोतल..."
"नही दारू की बोतल....अबे क्लास मे हूँ तो पानी की बोतल ही माँगूंगा ना...."
"तो सीधे से बोल ना...."अरुण ने जिससे पानी का बोतल माँगा था वो बोला...
"अबे घोनचू ऐसे मे क्या खाक इंजिनियर बनेगा, साले ने 12थ का एग्ज़ॅम पक्का ओपन से पास किया होगा...अब ला दे बोतल"उसके हाथ से बोतल लेकर अरुण ने पानी की कुछ बूंदे डेस्क पर डाली और एश का नाम मिटाकर मुझसे बोला...
"ये आशिक़ी का जो भूत सवार है ना, उसको संभाल कर रख वरना लेने के देने पड़ जाएँगे...."
"साले तू मुझे बत्ती दे रहा है..."
"यही तो प्यार है पगले"
हफ्ते मे 3 दिन हमारा लॅब रहता था, और हर एक लॅब दो-दो पीरियड्स के बराबर था, हम सभी अपने बाकी के काम लॅब क्लास मे ही निपटाते थे, शुरू के आधे घंटे मे लॅब वाले सिर आकर हमे एक्सपेरिमेंट और एक्विपमेंट्स को कैसे उसे करना है, ये बता कर अपनी सीट पर विराजमान हो जाते और उसके बाद का पूरा समय हम एसएमएस भेजने मे, असाइनमेंट कंप्लीट करने मे यूज़ करते थे, हमारे कॉलेज के टीचर्स की एक बहुत ही खराब आदत ये थी कि वो छोटी सी छोटी बात पर या तो अटेंडेन्स कट कर देते थे, या फिर सीधे क्लास से बाहर ही भगा देते थे...उस दिन फिज़िक्स का लॅब था और लॅब मे मैं सीएस का असाइनमेंट कर रहा था और इस काम मे अरुण भी बखूबी मेरा साथ दे रहा था कि तभी कुर्रे सर की आवाज़ पूरे लॅबोरेटरी मे गूँजी....
"जो स्टूडेंट रीडिंग और फाइनल रिज़ल्ट दिखाएगा , मैं उसी को आज का अटेंडेन्स दूँगा...."
"लग गयी तब तो...."एक दर्द भरी गुस्से से भरपूर आवाज़ मे अरुण धीमे से बोला....
"अब क्या करे..."
"मालूम नही..."
तभी मुझे अपने स्कूल के दिनो की याद आ गयी, जब मैं लॅब से अक्सर पास आउट हो चुके स्टूडेंट्स की कॉपी मारकर छाप दिया करता था.....
"हम दोनो को प्रॅक्टिकल का मनुअल नही मिला है ना..."मैने अरुण से पुछा....हम दोनो का रोल नंबर. आगे पीछे था, इसलिए एक्सपेरिमेंट भी सेम था....
"कुर्रे दे रहा था, लेकिन मैने लिया ही नही....और वैसे भी इसको रीडिंग दिखानी है...."
"तू रुक मैं जुगाड़ जमा के आता हूँ..."
ये काम मैं पहले भी बहुत बार कर चुका था, इसलिए डर तो नही लग रहा था लेकिन फिर थोड़ी सी घबराहट हो रही थी....
"सर, हमारे पास मनुअल नही है..."लॅब वाले सर के पास खड़े होकर मैं मासूमियत से बोला...
उसके बाद कुर्रे ने बहुत माथापच्ची की, हमारा रोल नंबर. पूछा, और उसके बाद साले ने एक्सपेरिमेंट्स के बारे मे मुझसे पुछा....उस वक़्त तो साला एक्सपेरिमेंट का ऑब्जेक्ट क्या है मुझे ये तक नही मालूम था तो फिर बाकी उसका प्रिन्सिपल कैसे बताता......
"सर, यदि कोई पुरानी कॉपी मिल जाती तो थोड़ा आइडिया मिल जाता...."अपना रामबान मैने फैंका...
जहाँ कुर्रे बैठा हुआ था, वहाँ से बाई तरफ थोड़ा अंदर एक छोटा सा रूम था...उसने पहले 5 मिनट. तक मेरी शकल देखी और फिर मुझे अंदर जाने के लिए बोला....
"वो अंदर बैठी हुई है, उनसे माँग लो...."
"थॅंक यू सर...."
आधा काम तो निपटा लिया था, बस आधा काम और बाकी था, पहले मैने सोचा कि अंदर जिस रूम मे मैं जा रहा था वहाँ कोई कुर्रे की एज का ही टीचर होगा, यानी की 40 से 45 उम्र का, लेकिन मैने जैसे ही मैं अंदर घुसा आँखे बाहर आ गयी ये देखकर की अंदर दीपिका मॅम बैठी हुई है......
"मॅम, वो पुरानी प्रॅक्टिकल कॉपी चाहिए थी...."उस रूम के चारो तरफ देखते हुए मैं बोला....
"सर से पुछा है..."वो टेबल पर ऐसे बैठी थी, जैसे कि वो इस कॉलेज की प्रिन्सिपल हो....
"जी मॅम, उन्होने ही कहा है कि मैं अंदर जाकर अपना काम कर सकता हूँ..."मैने जान बुझ कर ऐसा कहा....
"कैसा काम..."चेयर पर सीधी होते हुए उसने मेरी तरफ निगाह डाली....
"वही वाला....."मैं बोला, फ्लर्टिंग करना मेरे लिए कोई नयी बात नही थी, मैं अक्सर मौका मिलने पर ये सब काम कर दिया करता था पर अफ़सोस की आज तक किसी लड़की ने मेरे अरमानो को ठंडा नही किया था......
"मकेनिकल फर्स्ट एअर राइट...."
मैने हां मे सर हिलाया तो दीपिका मॅम ने एक तरफ इशारा कर दिया...जहाँ पास आउट स्टूडेंट्स की प्रॅक्टिकल कॉपीस जमा की हुई थी, मैं वहाँ पहुचा एक दो कॉपी को खोलकर पढ़ने का नाटक करने लगा, लेकिन इस बीच मेरा ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ दीपिका मॅम पर था कि वो मुझे देख तो नही रही है....दीपिका मॅम इस समय अपने मोबाइल मे बिज़ी थी, और यही मेरे लिए सही मौका था...मैने चुपके से एक प्रॅक्टिकल कॉपी को अपने शर्ट के नीचे पेट के पास फँसा लिया और उसके कुछ देर बाद तक मैं वही खड़ा रहा....
"ठीक है मॅम, मैं चलता हूँ...."
मुझे पूरी उम्मीद थी कि दीपिका मॅम ने मुझे नही देखा था, और मैं अपनी स्मार्टनेस पर खुद को प्रेज़ करता हुआ वहाँ से जा ही रहा था कि दीपिका माँ ने पीछे से आवाज़ दी...
"रूको..."
"जी मॅम..."दिल मे घबराहट एक बार फिर पैदा हो गयी....
"यू थिंक दट ऑल दा स्टाफ ऑफ कॉलेज आर फूल..."
"मतलब...?"
"मतलब ये कि..."वो अपनी चेयर से उठकर मेरे पास आई और सीधा मेरे पेट पर हाथ फिराती हुई बोली"ये तुम्हारे सिक्स पॅक्स इतने मजबूत है या लॅब की कॉपी चुरा कर ले जा रहे हो...."
इसके आगे बोलने की मेरी हिम्मत नही हुई,मैं किसी अपराधी की तरह वहाँ खड़ा दीपिका मॅम के अगले आक्षन का इंतज़ार कर रहा था....
"तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं कि मैं यही से पास आउट हूँ और मुझे मालूम है ये फंडे...इसलिए मेरे सामने होशियार बनने की कोशिश मत करना..."ऐसा बोलते हुए उसने प्रॅक्टिकल कॉपी निकाल ली और बोली"तुम्हारे जाने के बाद कुर्रे सर यहा आएँगे और वो मुझसे पुछेन्गे कि मैने कहीं कुछ उठा तो नही लिया, और फिर जब तुम बाहर जाओगे तो तुम्हारी चेकिंग भी होगी...."
" सालो ने कोहिनूर हीरा छुपा रखा है क्या यहाँ..."
"तुमने कुछ बोला..."
"सॉरी मॅम,..."
"अब जाओ..."उसके अगले पल ही दीपिका मॅम ने वो हरकत की जिसके कारण मेरा दिल लेफ्ट साइड से राइट साइड मे शिफ्ट होने वाला था, 1000 वोल्ट्स का झटका दिया दीपिका मॅम ने मुझे....उसने मेरा हाथ पकड़ा और सीधे अपनी गरम चूत से टच करा दिया और बोली "पसंद आया हो तो दोबारा बताना....."

मैं, उस रूम से बाहर निकला,वहाँ से आने के बाद मेरी सिट्टी पिटी गुम हो गयी थी, ऐसा लगने लगा था जैसे की किसी ने मेरे हाथ मे कुछ देर पहले करेंट का वाइयर पकड़ा दिया हो.......
"क्या हुआ ? लाया प्रॅक्टिकल कॉपी ?"मुझे अपने बगल मे चुपचाप बैठा देखकर अरुण ने मुझसे पुछा....
"अभी कुछ देर बात मत कर ,सदमे मे हूँ...."
"क्या हुआ....किसी ने चोरी करते हुए देख लिया क्या ? "
"मेरी चोरी पकड़ी भी गयी और उसकी सज़ा भी दे दी गयी..."मैं अब भी सदमे मे था.....
"आख़िर हुआ क्या..."
"कुछ नही, अब मैं ठीक हूँ..."मेरे दिल-ओ-दिमाग़ मे , मेरे पूरे जहाँ मे सिर्फ़ वही नज़ारा घूम रहा था, जब दीपिका मॅम ने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे हाथ को अपनी चूत से टच करा दिया....
"आइ वाज़ ट्रेंबल्ड..."मैं बड़बड़ाया...
"ऐसा क्या देख लिया तूने..."
"कुछ नही..."
दीपिका मॅम ने जो किया उसपर मुझे यकीन नही हो रहा था, कोई भी लड़की बिना जान पहचान के ऐसे कैसे कर सकती है, ये जानते हुए भी कि मैं उसकी कंप्लेंट कर सकता हूँ, शायद मैने ही दीपिका मॅम को बढ़ावा दिया था ऐसा करने के लिए...ना मैं डबल मीनिंग मे उससे बात करता और ना ही वो मेरा हाथ पकड़ती और ना ही... अभी तक जो कुछ भी मेरे साथ हुआ था वो सब अनएक्सपेक्टेड था, मैने कभी नही सोचा था की मैं एक लड़की के पीछे पागल हो जाउन्गा और ना ही मैने ये सोचा था कि शुरुआत के कुछ दिनो मे ही मुझे वो छुने को मिल जाएगा......उस दिन के बाद दीपिका मॅम से जैसे मैं नज़र ही नही मिला पा रहा था, वो जब तक क्लास मे रहती मैं अपना सर झुकाए रहता और चुपके से उनकी तरफ देखता तो वो मंद-मंद मुस्कुराती नज़र आती....
"साला मैं कितना शर्मिला हूँ..."
मुझे मेरी ज़िंदगी के 18 साल बीत जाने के बाद ये मालूम चला कि, मैं भी उन लड़को मे से हूँ ,जिनकी लड़कियो को देखकर कुछ बोलने की हिम्मत नही होती.....एश कुछ दिनो से कॉलेज नही आई थी, मैं जब भी उसके क्लास मे जाकर अरुण के दोस्त से पुछ्ता तो वो ना मे सर हिला देता,...दिल बेचैन रहता था उसके बगैर , हर दिन रिसेस मे मैं अरुण को लेकर उसकी क्लास मे उसके दोस्त के पास जाता था और जहाँ वो बैठा करती थी, उस जगह को इस आस मे देखता था कि शायद वो लेट आई हो,लेकिन हर दिन उसकी जगह कोई और लड़की ही वहाँ बैठी हुई मिलती और हर दिन मैं उसके क्लास से उदास ही लौटता था....
अभी तक तो मैं बहुत सी अनएक्सपेक्टेड चीज़ो को झेल चुका था, लेकिन इन सबके आलवा भी कुछ और था जो कि मेरी ज़िंदगी मे पहली बार होने वाला था और सबसे बड़ी बात तो ये थी कि मुझे इस बात की भनक तक नही थी....


कुछ दिन बीतने के बाद मेरी कुछ और लड़को से दोस्ती हो गयी और हर दिन की तरह हम आज भी रिसेस मे अपनी क्लास के बाहर खड़े आस-पास से गुजरने वाली लड़कियो का मज़ा ले रहे थे.....एश के लिए मेरा इंटेरेस्ट कम होता जा रहा था, मैं अब हर खूबसूरत लड़की को देखकर इसी ख़याल मे डूब जाता कि मैं उसे अपने हॉस्टिल के रूम मे चोद रहा हूँ, एक अजीब सा बदलाव आ रहा था मुझमे दीपिका मॅम की उस हरकत से....
"सब लाइन मे खड़े हो..."किसी ने गला फाड़ कर कहा, और जब मेरी नज़र उस तरफ पड़ी तो देखा कि दो सीनियर्स हमे लाइन मे खड़े रहने के लिए कह रहे थे.....उनका कहना था कि हम सब लाइन मे खड़े हो गये....
"आँख नीचे कर बे...अपने बाप से आँख मिलाता है साले बीसी..."किसी एक को उसने चमकाया....
"क्या है बेटा , विश नही करते तुम लोग सीनियर्स को...गान्ड मे डंडा डाल के याद दिलाना पड़ेगा क्या...."उन दो मे से एक ने बॅग टाँग रखा था यानी वो रिसेस के बाद वो बंक मारने के प्लान मे था और दूसरा अपनी हथेलियो को रगड़ रहा था....
"चलो इधर आ जाओ और क्लास मे जितने लड़के है उन्हे भी बुलाओ..."जिसने बॅग टाँग रखा था वो बोला...
क्लास मे जितने लड़के थे उन सबको बुला लिया गया, मैं दिल ही दिल मे ये चाह रहा था कि कही से कोई टीचर आ जाए....लेकिन साला कोई नही आया, सब अपना पेट भरने मे लगे हुए थे.....
"तेरा नाम क्या है...."मुझे उपर से नीचे देखते हुए वो बोला....
"ज..ज..जी..."मैं हकलाया...सच तो ये था कि वहाँ खड़े हर लड़के की बुरी तरह से फट चुकी थी...
"नाम क्या है इंजिनियर साहेब आपका..."
"अरमान..."मैने एक पल के लिए उसकी तरफ देखा और जवाब देकर वापस अपनी गर्दन नीचे कर ली....
"दिल के अरमान आँसुओ मे बह गये...."वो गाते हुए मेरे पास आया और बेल्ट के पास पैंट को पकड़ कर ज़ोर से हिलाता हुआ बोला "यहाँ क्या करने आता है..."
"पढ़ने..."
"तो फिर कल से फॉर्मल ड्रेस मे आया कर, वरना यही से नीचे फैंक दूँगा...समझा"
"ज...ज...जी सर..."(तेरा बाप देगा पैसा फॉर्मल ड्रेस खरीदने का , बे साले चूतिए...)
"चल रिलॅक्स हो जा..."बेल्ट छोड़ कर मेरा कंधा सहलाते हुए वो बोला"मेरा नाम जानता है...."
"नही...."
"मैं हूँ बाजीराव सिंघम....समझा, कल से स्टूडेंट्स की तरह दिखना..."
उन दो चूतियो को मैं अकेला ही दिखा था क्या जो साले मेरी लेके चले गये, उनके जाने के बाद मालूम चला कि वो दोनो माइनिंग ब्रांच के थे.....
"ये तो माइनिंग के थे, इसका मतलब मेकॅनिकल वाले भी कुछ दिनो मे अपने दर्शन देंगे..."
हर कॉलेज मे अलग-अलग फंडा चलता है, हमारे यहाँ रॅगिंग तब होती थी, जब कुछ हफ्ते निकल जाते थे...सिटी मे रहने वाले तो फिर भी बच जाते थे, लेकिन हॉस्टिल वालो की ऐसी तैसी हो जाती थी....
उस दिन रिसेस के बाद हम सबके मन मे यही सवाल घूम रहा था कि इन सबसे कैसे बचा जाए, और उस दिन के बाकी के पीरियड्स इसी ख़ौफ़ मे निकल गये,...
मैं और अरुण कॉलेज की छुट्टी के बाद हॉस्टिल की तरफ ही जा रहे थे कि हॉस्टिल से थोड़ी दूर पर भीड़ दिखाई दी.....
"ये साले बीसी, यही चालू हो गये..."अरुण वही रुक गया और मुझसे बोला"इस रास्ते से मत जा, सामने सीनियर्स खड़े है...."
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RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू - by sexstories - 08-18-2019, 01:18 PM

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