Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
08-18-2019, 01:21 PM,
#19
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू

"मंदिरो मे तुझको पाने की लाख मन्नते भी कर लेता मैं....
यदि मिल जाती तू मुझको.....
मस्जीदो मे बैठ कर सुबह-शाम आदाब भी कर लेता मैं....
यदि वहाँ दिख जाती तू मुझको....
बड़ी दिलकश और दिल्चश्प निकली तेरी गम-ए-जुदाई.....
ना तू मिली और ना ही मैं मंदिर गया.....
ना तू दिखी और ना ही मैं मस्जिद गया.....
लेकर हाथो मे पैमाना तेरे इश्क़-ए-शराब का....
मैं वापस महफ़िल मे आकर बैठ गया......
"थोड़ा बरफ डाल, साला बहुत कड़वा है...."वरुण ने अपनी ग्लास खाली करके कहा"ये क्या बे, तू तो सेनटी कर रहा है मुझको अपने ये स्टोरी सुनकर, खैर आगे सुना..."
.
.
उसकी और मेरी मोहब्बत की बड़ी अजीब दास्तान है...
उधर ना उसका दिल खिला , इधर मेरा दिल भी रेगिस्तान है.....
उस दिन ना जाने मुझे क्या हो गया था , एश को गौतम के इतने करीब देखकर मैं अपना आपा खो बैठा था...उस दिन मैं नवीन के रूम पर नही रुका, अरुण का बहुत मन था लेकिन मेरी वजह से , मेरे हॉस्टिल वापस आने की ज़िद की वजह से नवीन ने मुझे और अरुण को शाम के समय हॉस्टिल छोड़ दिया....
"आइ वॉंट टू नो मोर अबाउट देम की उनका रिलेशन्षिप कब से और कैसे शुरू हुआ था...."हॉस्टिल के अंदर घुसते ही मैने अरुण से कहा....
" मैं सबकी जनम कुंडली लेकर नही बैठा हूँ, जो तू सबके बारे मे मुझसे पूछता फिरे...."अरुण खिसिया कर बोला....
"कुछ जुगाड़ नही है..."
"सॉलिड जुगाड़ है....यहाँ से कुछ दूरी पर दारू भट्टी है वहाँ से एक बोतल ला और पीकर एश और अपनी बेमतलब की लोवे स्टोरी का दा एंड कर दे....समझा..."
"सीधे-सीधे बोल ना कि तेरी फट गयी है..."
"जैसा तू समझ...."
मैं समझ गया था कि अरुण नाराज़ है और उसकी नाराज़गी की वजह शायद ये थी कि मैं ना तो खुद नवीन के रूम मे रुका और ना ही उसे रुकने दिया...
"अरमान का रूम यही है क्या..."मैं अपने बिस्तर पर और अरुण अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था ,तभी मुझे ये आवाज़ सुनाई दी, मेरे रूम के बाहर कोई था जो मेरे बारे मे पुछ रहा था, मैं खुद बाहर जाने के लिए उठा ही था कि दनदना के तीन सीनियर्स मेरे रूम मे आ धम्के....
"तुम दोनो मे से अरमान कौन है..."
"मैं हूँ..."मैने उनसे कहा और अंदर ही अंदर शपथ ले ली कि यदि ये कुछ उल्टा सीधा करेंगे तो मैं बिना कुछ सोचे इनसे भिड़ जाउन्गा......
"इसे पहचानता है..."उन तीनो मे से एक के हाथ मे एक फोटो थी ,जिसे दिखा कर वो मुझसे पुछ रहे थे...उनके हाथ मे उसी शक्स की फोटो थी जिसने वरुण और उन पाँच चुदैलो के साथ मिलकर मेरी रॅगिंग ली थी.....
"हां...."
"इसने वरुण के साथ मिलकर तेरी रॅगिंग ली थी...."
"निशान अभी तक मेरे पीठ मे है...."
"तू सुन..."एक ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मेरी तरफ देख कर बोला"ये साला सबसे बड़ा चूतिया है और वरुण उससे भी बड़ा, एक सीनियर हॉस्टिल वाला जूनियर हॉस्टिल वाले की रॅगिंग ले तो वो चलता है क्यूंकी हॉस्टिल वाले सीनियर का ये जन्मसिद्ध अधिकार है....लेकिन यदि कोई सिटी वाला हॉस्टिल वाले की रॅगिंग ले तो फिर उनकी बॅंड बजानी पड़ती है....इसको तो हमने बहुत मारा , अब ये तेरे पास भूल के भी नही भटकेगा और रही बात वरुण की ....तो कल सुबह रिसेस मे बाइक स्टॅंड पर मिलना....."
"थॅंक यू सर...."मैं खुशी खुशी नाचना चाहता था,लेकिन मैने खुद को कंट्रोल किया....
"एक बात बता..."वापस जाते हुए उनमे से एक ने कहा"तूने आज उन पाँचो चुदैलो को छेड़ा था क्या..."
"हल्का सा मज़ाक किया था उनके साथ...लेकिन आपको किसने बताया..."
"मुझे किसने बताया वो छोड़ और यदि वो कल कॉलेज के पीछे वाले गेट के पास दिखे तो हल्का मज़ाक नही थोड़ा ज़्यादा कर लेना...."
"अरुण ये कौन था...."उन तीनो के जाने के बाद मैने अरुण से पुछा....
"अबे इसको नही जानता..."
"ना...कौन है..."
" वरुण का सबसे बड़ा दुश्मन , सामने का नाम नही मालूम लेकिन इसका सरनेम सीडार है और सब इसे सीडार ही कहते है....."
सीडार को हॉस्टिल मे रहने वाले मशीहा के नाम से भी पुकारते थे...कहते है कि जब सीडार फर्स्ट एअर मे था तो उसकी किसी सीनियर ने जम कर रॅगिंग ली थी, लेकिन उसके बाद उसने एनएसयूई का एलेक्षन जीता और सारे कॉलेज मे हाइलाइट हुआ और जब वो थर्ड एअर मे आया तो जिस सीनियर ने उसकी रॅगिंग ली थी उसे उसने कुत्तो की तरह मारा था.....अब वो फोर्त एअर मे था और हॉस्टिल के स्टूडेंट्स को परेशान करने वालो की खटिया खड़ी कर देता था.....हॉस्टिल वालो की यूनिटी का सबसे बड़ा पहलू शायद सीडार ही था.....लेकिन कुछ चूतिए रहते है जो खुद को तीस मार ख़ान समझ कर होशियारी मारते है....मेरी रॅगिंग हॉस्टिल के जिस सीनियर ने ली थी वो भी उन चूतियो मे से था और हमेशा सीडार के खिलाफ जाता था , यदि वरुण के साथ मिलकर उसने मेरी रॅगिंग ना ली होती तो शायद सीडार उसे छोड़ भी देता और बात दब भी जाती....लेकिन जब मैने कल उन 5 चुदैलो को छेड़ा तो वो पूरे कॉलेज मे गॉसिप का मॅटर बन गया और वही से ग्राउंड पर मेरी रॅगिंग की खबर सीडार को लगी......

एक बार फिर से मुझे कल का इंतजार था, मैं चाहता था कि एक बार फिर से वो पाँचो चुड़ैल कॉलेज के पीछे वाले गेट के पास खड़ी रहे और मेरी मुलाकात उनसे हो जाए......
______________________________

उस दिन की बात ही अलग थी, दो शेर आमने सामने थे, फरक सिर्फ़ इतना था कि एक असलियत का था तो दूसरा प्लास्टिक का बेजान.....एक शेर तो मैं था और दूसरा शेर वो पाँचो चुड़ैल खुद को मान रही थी , वो उस वक़्त कॉलेज के पीछे वाले गेट के पास खड़ी होकर इस धुन मे मगन थी कि उनके बाय्फ्रेंड मेरी अच्छी खबर लेंगे, लेकिन उससे भी अच्छी खबर तो मेरे पास थी.....वो पाँचो भी शायद कॉलेज के पीछे वाले गेट पर मेरा ही इंतज़ार कर रही थी.....
"ला सिगरेट दे, धुआ उड़ाते हुए जाउन्गा...."झाड़ियों मे घुसे हुए मैने कहा"और वहाँ मेरी बेज़्जती कर देना, मैं जो कहूँ उसे करना और ऐसे रिएक्ट करना जैसे मैं तेरा बाप हूँ..."
"पकड़ के हिला ले फिर..."
"मज़ाक कर रहा था, चल आजा..."
सिगरेट के कश मारते हुए मैं उनकी तरफ तैश से बढ़ा , आँखो मे काला चश्मा और उंगलियो मे सिगरेट फिराता हुआ मैं उनके पास पहुचा....
"क्या हाल है बंदरियो, उस दिन का याद नही जो आज यहाँ फिर मरने आ गयी...."अपना चश्मा नीचे करके मैने सिगरेट का कश लिया और उन पाँचो की तरफ फेक दिया....
"ज़्यादा ओवर आक्टिंग मत कर"अरुण मेरे कान मे फुसफुसाया....
"ऐसा क्या..."धीमी आवाज़ मे मैने कहा"चल अब देख..."
"अच्छा ये बताओ, तुम पाँचो चुड़ैल यहाँ क्या सोच कर खड़ी हो...."
पहले बंदरिया और फिर चुड़ैल....अपने लिए ऐसे वर्ड सुनकर उनका पहले से ही सब कुछ लाल हो गया था तभी विभा ने मुझे धमकी दी कि वरुण विल फक यू.....
"क्यूँ तू कम पड़ गयी क्या या फिर वो पहले से ही ऐसा है..."
"आज तुझे घसीट-घसीट का मारेंगे हमारे बाय्फरेंड्स...."
"माँ कसम बहुत बेकार डाइलॉग था...."अपने जेब से रजनीगंधा का पॅकेट निकाल कर मैने मुँह मे डाला और फिर बोला"मुँह मे रजनीगंधा....कदमो मे लौंडिया, ऐसे डाइलॉग मारा कर...."
ना जाने वो क्या सोच कर आज यहाँ खड़ी होकर मेरा इंतज़ार कर रही थी...खैर मैने अपना प्रोग्राम जारी रखा और सबसे पहले विभा के सीने पर नज़र डाली...
"यार, अरुण आजकल टेन्निस बाल बड़े महेंगे हो गये है और इनको देखो दो दो लटका के घूम रही है...."
"यू बस्टर्ड, युवर काइंड ऑफ बॉय ईज़ लाइक माइ पिस, गो फक युवरसेल्फ आंड युवर फॅमिली, "झल्लाते हुए विभा बोली....
"आंड युवर काइंड ऑफ गर्ल्स आर लाइक माइ लवदा का सफेद पानी, जस्ट शॅग आंड फ्लो इंटो टाय्लेट बाइ अप्लाइयिंग बर्नूली'स थिरेम आंड दा एनर्जी प्रोड्यूसस बाइ मी फॉर दिस वर्क ईज़ ईक्वल टू दा युवर सकिंग पवर ऑफ डिक,....."
"व्हाट...."वो अपना सर गुस्से से खुजाते हुए बोली....
"मतलब कि दिल के अरमान आँसुओ मे बह गये "
"तू रुक , अभी वरुण को बुलाती हूँ...."पाँव पटक कर विभा वहाँ से चली गयी और उसके पीछे -पीछे बाकी की चुड़ैल भी चल दी....
"क्या गाली दी है भाई...."उनको जाते हुए देखकर अरुण ने कहा..."वैसे बर्नूली थिरेम का फ़ॉर्मूला क्या है ,मुझे याद नही आ रहा..."
"वो तो मुझे भी नही मालूम "मैं बोला" और पहले तो विभा की गान्ड से अपनी नज़र हटा...."
"वो तो बस मैं......क्यूंकी आइ लाइक पिछवाड़ा "
"ये मत भूल कि अभी हम भी कॉलेज के पिछवाड़े मे खड़े है, जल्दी चल वरना क्लास के लिए देरी हो जाएगी...."
.
पंगा तो आज होना ही था, क्यूंकी वरुण और उसके दोस्त मुझपर पहले से ही भड़के हुए थे और उपर से आज मैने उनकी आइटम्स को भी छेड़ा था, और जहाँ तक मेरा अंदाज़ा था उसके अनुसार वो पाँचो फिर से मेरी शिकायत करेंगी और उसके बाद वरुण अपनी पूरी गॅंग के साथ मुझे मारने आएगा लेकिन उसके और मेरे बीच सीडार खड़ा था.....

"यदि सीडार नही आया तो...."मेरी धड़कने लाइट की वेलोसिटी से भी तेज चलने लगी, जब मेरे दिल मे ये ख़याल आया....क्यूंकी मैं जनता था कि यदि सीडार नही आया तो वरुण और उसके चम्चे मेरा बहुत बुरा हश्र करेंगे, मैने खुद को कयि बार समझाया कि ये सब मेरे बेतुके ख़याल है, सीडार मेरा साथ ज़रूर देगा लेकिन जब दिल नही माना तो मैने अपने मोबाइल निकालकर सीडार का नंबर डाइयल किया और उधर से तुरंत रेस्पोन्स मिला...
"हेलो..."
"सर मैं अरमान...."
"अरमान...."उसने मेरा नाम ऐसे लिया जैसे कुछ याद करने की कोशिश कर रहा हो और फिर बोला"हां बोल, अरमान..."
"वो सर, मैने आज फिर उन लड़कियो को छेड़ा , जो कॉलेज के पीछे वाले गेट पर खड़ी रहती है...."
"गुड, लेकिन अभी कॉल क्यूँ किया...."
"सर, वो विभा बोल के गयी है कि वो मुझे देख लेगी और उसका इशारा सॉफ था कि वो मुझे वरुण से...."
"डर मत, आज रिसेस मे कॉल करना"मेरी बात काट कर सीडार ने कहा और कॉल कट कर दी....
मोबाइल जेब मे रखकर मैने टाइम देखा, रिसेस होने मे चन्द मिनट. ही बाकी थे और मेरी साँसे तेज हो चली थी.....टीचर ने 10 मिनट. पहले ही क्लास छोड़ दी थी लेकिन ये हिदायत दी थी कि जब तक रिसेस का टाइम नही हो जाता कोई भी क्लास से बाहर नही निकलेगा.....किताबो से तो दुश्मनी हो गयी थी इसलिए पढ़ाई के बारे मे सोचना मैने मुनासिब नही समझा और एक बार फिर सीडार के बारे सोचने लगा.....

सीडार जहाँ एक तरफ इस साल एनएसयूआइ के एलेक्षन मे प्रेसीडेंट के पोस्ट के लिए खड़ा हुआ था वही दूसरी तरफ वरुण भी प्रेसीडेंट पोस्ट के लिए एक मज़बूत उम्मीदवार के रूप मे सीडार के खिलाफ था, इसलिए दोनो मे अनबन एक नॉर्मल सी बात थी....लेकिन ये अनबन इस साल से नही बल्कि बहुत पुरानी थी....पिछले साल वरुण ने कॉलेज के मेन गेट के पास हॉस्टिल वाले एक लड़के का शर्ट फाड़ दिया था और उसे बहुत मारा भी था और जब ये बात सीडार को मालूम चली तो वो पूरे हॉस्टिल वालो को समेट कर दूसरे दिन वरुण को उसी की क्लास मे यानी कि 4त एअर की क्लास मे घुसकर सबके सामने वरुण को औकात मे रहने की हिदायत दी थी....वरुण ना तो उस वक़्त सीडार का कुछ कर पाया और ना ही उसके बाद सीडार का कुछ उखाड़ पाया.....सीडार के पास जहाँ एकतरफ हॉस्टिल मे रहने वाले 200 लड़को का सपोर्ट था वही कॉलेज स्टाफ भी उसके साथ था, कॉलेज स्टाफ का सीडार के साथ होने की सबसे बड़ी वजह शायद ये थी कि वो अपने क्लास का टॉपर था , उपर से फुटबॉल का एक शानदार प्लेयर भी था.....
"मल्टी टॅलेंटेड लौंडा..."कुल मिलकर सीडार को यही बोल सकते है.....
रिसेस मे मैने एक बार फिर सीडार को कॉल किया और उसने मुझे बताया कि आगे क्या करना है.....मैं, अरुण के साथ क्लास से बाहर आया और बाइक स्टॅंड की तरफ बढ़ने लगा....ये जानते हुए भी कि वहाँ इस वक़्त वरुण की मंडली जमा होगी....लेकिन हमारे प्लान के मुताबिक मुझे बाइक स्टॅंड पर जाना ही था.....
"कॉलेज मे जाकर पढ़ाई करना बे, लौंडिया बाज़ी मे बिज़ी मत रहना और ना ही इस चक्कर मे पड़ना..."मेरे भाई की इस पहली अड्वाइज़ की मैने कल ही धज्जिया उड़ाई थी....क्यूंकी यदि एक लड़का किसी लड़की से मिलने हॉस्पिटल मे जाता है वो भी बिना जान पहचान के तो इसे हिन्दुस्तान के लोग लौंडियबाज़ी ही कहते है.....या फिर उसकी शुरुआत.

"दारू, सिगरेट इन सबको छुआ भी तो सोच लेना...."भाई की इस अड्वाइज़ का हाल पहले वाली अड्वाइज़ की तरह था....
.
"और यदि लड़ाई झगड़े की एक भी खबर घर पर आई तो उसी वक़्त तेरा टी.सी. निकलवा दूँगा समझा..." और अब मैं अपने भाई की इस आख़िरी अड्वाइज़ की धज्जिया उड़ाने जा रहा था.......
"वरुण वो देख...."मुझे देखकर बाइक स्टॅंड पर बैठे एक भारी भरकम शरीर वाले ने मेरी तरफ इशारा किया....
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RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू - by sexstories - 08-18-2019, 01:21 PM

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