Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
08-18-2019, 01:59 PM,
#74
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
"आक्सिडेंट हो गया है मेरा और मैं जल्द ही एड्स की बीमारी से मरने वाला हूँ...."

"ऐसा क्यूँ बोल रहे हो..."

"मुझे ये ही...बाइ..हाउ आर यू...जैसे सेंटेन्सस से नफ़रत है.."

"क्क्क...मेरा लास्ट मेस्सेज मिला ,जो मैने आज सुबह किया था..."

"हां मिल गया..."
.
"अब कहाँ मर गयी..."जब कुच्छ देर तक निशा का रिप्लाइ नही आया तो मैने मेस्सेज सेंड किया...

"यही हूँ,..."

"तो फिर इतना शांत क्यूँ है..."

"मैने सोचा कि तुम कुच्छ बोलोगे..."

"ज़्यादा मत सोच...और वैसे मुझे सच मे कुच्छ कहना था..."

"क्या..."

"चुम्मि देगी क्या...."

मैने जैसे ही ये लिखकर सेंड बटन को क्लिक किया अरुण "एसस्स" बोलते हुए ज़ोर से हवा मे कुदा...

"तू क्यूँ खुश हो रहा है बे "

"कुच्छ नही यार,भाई है तू मेरा..."

.
"हमारे मिलने का कोई चान्स नही अरमान "

निशा के इस रिप्लाइ पर मैने बिस्तर से वरुण का गॉगल्स उठाया,जो शायद वो अपने साथ ले जाना भूल गया था और उसे पहनकर टाइप किया"वेल,आइ हॅव आ प्लान तेरे घर मे नींद की कयि गोलिया होंगी...राइट"

"रॉंग...कल ही ख़तम हो गयी.."

"डायन कही की...कोई एक्सपाइर्ड मेडिसिन है..."

"हां...लेकिन ये तुम क्यूँ पुच्छ रहे हो.."

"क्यूंकी मैं तुमसे अब नागपुर के बेस्ट हॉस्पिटल मे मिलने वाला हूँ..."

"मैं कोई एक्सपाइरी टॅब्लेट्स या मेडिसिन नही लेने वाली...समझे..दिमाग़ खराब है क्या तुम्हारा"

"तेरे दिमाग़ का फ्यूज़ उड़ गया है क्या...एक्सपाइरी मेडिसिन तुझे नही तेरे बाप को...सॉरी अंकल जी को खिलानी है...ताकि उनकी तबीयत खराब हो और जब वो हॉस्पिटल मे अड्मिट होंगे तब अपुन दोनो का टांका भिड़ेगा...क्या बोलती ,सॉलिड आइडिया है ना..."

"एक दम बकवास आइडिया है...तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो...."

" दिमाग़ से "जमहाई लेते हुए मैने आगे टाइप किया"अरे टेन्षन मत ले..ऐसी गोली,दवाई से कुच्छ नही होता...मैने खुद पर बहुत बार एक्सपेरिमेंट किया है...."

"आआववववव...."

"क्या आआवववव "

"तुमने अभी कहा कि तुमने खुद पर एक्सपेरिमेंट किया है..."

"हां, जब भी एग्ज़ॅम मे मेरे कम मार्क्स आते या फिर मुझसे कोई ग़लती हो जाती तो घरवालो की डाँट से बचने के लिए मैं यही करता था..क्यूंकी मैं तब कुच्छ घंटो के लिए बीमार हो जाता था..जिसके बाद कोई कुच्छ नही बोलता था...यकीन मान अंकल जी का ज़्यादा से ज़्यादा सर दर्द करेगा या फिर बेहोश हो जाएँगे..."

"सच..."

"अब खून से लिख कर दूं क्या.."

"ठीक है...लेकिन मेरे डॅड को मेडिसिन देगा कौन..."

"मैं दूँगा...मैं तेरे घर आउन्गा और तेरे बाप से...सॉरी अंकल जी से कहूँगा कि ससुर जी मैं आपका दामाद हूँ...उसके बाद मैं अपने ससुर जी के साथ खाना खाउन्गा और चुपके से मेडिसिन उनके खाने मे मिला दूँगा...सिंपल.."

"क्या तुम सच मे ऐसा करोगे, मुझे तो ये डेंजरस लग रहा है...लेकिन कोई बात नही ,मैं तुम्हारे आने का इंतेजार करूँगी..."
.
निशा का ये मेस्सेज पढ़ते ही मैने गॉगल्स निकाल कर बिस्तर पर फेका और ज़ोर से चिल्लाया"हे भगवान,तूने लड़कियो को दिमाग़ क्यूँ नही दिया...यदि तूने इनको दिमाग़ दिया होता तो ये हम मासूम लड़को का दिमाग़ नही खाती...."

मैने गुस्से मे अपने सर के बाल भी नोचे और फिर वापस जाकर कंप्यूटर के सामने बैठ गया...

"देख निशा...मैं अब जो बोल रहा हूँ ठीक वैसा ही करना और प्लीज़...प्लीज़...प्लीज़ अपना दिमाग़ मेरे इस प्लान मे मत लगाना सबसे पहले तो कोई एक्सपाइरी मेडिसिन ढूँढ और अपने बाप...सॉरी यार, मतलब अंकल जी के खाने पीने मे दबाई से मिला देना और हां ज़्यादा मत डाल देना..."

निशा के ऑफलाइन होने से पहले मैने उसे अपना नंबर भी दे दिया और कहा कि जब उसके डॅड की तबीयत खराब हो जाए तो वो आंब्युलेन्स वालो को कॉल करे देन मौका मिलते ही मेरे नंबर पर कॉल कर दे और उसी कॉल के दौरान आगे क्या करना है,मैं उसे बताउन्गा....
.
"एक बात बता..."जब मैने कंप्यूटर शट डाउन किया तो अरुण बोला"तूने बीच मे गॉगल्स क्यूँ पहना...वीडियो चॅट तो तुम दोनो कर नही रहे थे फिर बाबा आदम के जमाने की टेक्स्ट चाटिंग मे तूने गॉगल्स क्यूँ पहना..."

"मैं तो तुझे लाइन मार रहा था..वो क्या है कि मैं तुझे पटा कर ठोकना चाहता हूँ ...जो काम मैं चार साल मे नही कर पाया ,वो मैं अब करने वाला हूँ... चल चलती क्या 11 से 12 के शो मे..."घड़ी की तरफ देखते हुए मैं बोला"आक्च्युयली अपुन जब भी गॉगल्स पहनता है तो एक दमदार फीलिंग्स आती है...मुझे ऐसा लगता है जैसे कि मैं कुच्छ भी कर सकता हूँ..."
"अपनी गान्ड भी मार सकता है ,क्यूँ "
.
अरुण ने खाना बनाया और मैने खाना खाया...एक घंटे पहले मैने निशा को जो प्लान बताया था उसमे रिस्क था,क्यूंकी यदि कही मेडिसिन ने निशा के बाप पर रियेक्शन कर दिया तो बहुत बड़ी दिक्कत हो सकती थी और इन सबका दोषी मैं होता...मुझे अब भी यकीन नही हो रहा था कि मैने निशा के बाप की जान सिर्फ़ एक किस के लिए दाँव पर लगा दी थी...खैर ये सच था और ये कारनामा करने का आइडिया मेरा ही था इसलिए मैं इस समय अब अपने प्लान के बॅक अप के बारे मे सोच रहा था....लेकिन दिमाग़ था कि फ्यूचर मे होने वाले हॉस्पिटल के उस सीन की इमॅजिनेशन कर रहा था ,जब मैं और निशा

"साला मेरे को अब भी यकीन नही हो रेला है कि मैने सिर्फ़ एक किस के लिए इतना सब कुच्छ किया..."

"अब क्या कर दिया बे तूने...आजा दारू पिएगा..."

"वैसे तो आइ लव दारू मोर दॅन गर्ल्स...लेकिन इस समय ये फ़ॉर्मूला चेंज करना है..इसलिए नो दारू, दो चखना.."

अरुण को देखकर और निशा के बाप के बारे मे सोचकर मुझे कॉलेज के दिनो का मेरा एक एक्सपेरिमेंट याद आया जब मैने अरुण के नये शर्ट और जीन्स पहनने के लिए उसे एक्सपाइरी टॅब्लेट्स खिला दी थी साला सुबह से शाम तक सर पकड़ कर रोता रहा था....
.
"अरमान मैने डॅड को मेडिसिन दे दी है...वो इस समय बेहोश है और मोम बहुत परेशान है..."

"गुड...रेप्स आडेड "

"मुझे बहुत डर लग रहा है अरमान..मुझे अब ना जाने क्यूँ ऐसा लग रहा है कि हमे ये नही करना चाहिए था..."

"मुझे भी अब यही लग रहा है "

"क्य्ाआ...पर तुमने तो कहा था कि..."

"चल बाइ..ससुर जी को लेकर हॉस्पिटल पहुच ,मैं भी उधरिच मिलता हूँ..."
.
कॉल डिसकनेक्ट करने के बाद मैने वरुण की बाइक उठाई और हॉस्पिटल के लिए निकल पड़ा...वैसे मैने निशा से हॉस्पिटल का नाम नही पुछा था लेकिन मुझे 101 % मालूम था कि निशा का रहीस बाप नागपुर के सबसे बेस्ट हॉस्पिटल मे अड्मिट होगा और मेरी ये सोच एक दम सही निकली...
.
जिस रूम मे निशा के डॅड अड्मिट थे वहाँ का नज़ारा बिल्कुल जाना पहचाना था..जैसा की अक्सर होता है,निशा का बाप बेड पर बेहोश पड़ा था ,उसके हाथ मे ग्लूकोस की एक बोतल सुई छेद्कर चढ़ाई गयी थी...और निशा अपनी माँ के साथ बेड के आस-पास उदास बैठी हुई थी....
.
"क्या हाल है अंकल का..."निशा को कॉल करके मैने कहा...

कॉल रिसीव करने के बाद निशा मुझे बात करने मे थोड़ा हिचकिचा रही थी जिसकी वजह उसके पास बैठी उसकी माँ थी...

"मोम, आपने नीचे जाकर फॉर्म भर दिया क्या..."कॉल होल्ड मे रख कर निशा ने अपनी माँ से पुछा...

"नही..."

"आप जाइए मैं यहाँ बैठी हूँ..."
.
"अरमान तुमने बिल्कुल ग़लत किया...तुम्हे ज़रा सा भी अंदाज़ा है कि डॅड की हालत क्या है..वो पिछले दो घंटे से बेहोश पड़े है..."
"डॉन'ट वरी, मैं भगवान हूँ ,मेरी इज़ाज़त के बिना इस दुनिया का एक पत्ता भी नही हिल सकता..."

"ये मज़ाक का वक़्त नही है...वैसे तुम हो कहा"

"बाहर खड़ा हूँ..."
.
जब निशा की माँ लिफ्ट से नीचे चली गयी तो मैं उस रूम के अंदर आया जहाँ निशा के पप्पा जी बिस्तर पर एक्सपाइर हो चुकी गोली खाकर अपनी नींद पूरी कर रहे थे....अंदर घुसते ही मैने दरवाजा लॉक किया और पर्दे को खिसका दिया ताकि यदि बाहर से कोई टपोरी अंदर नज़र मारे तो उसे कुच्छ ना दिखे....
"डॅड ,जाग जाएँगे तो प्राब्लम हो जाएगी..."जब मैने निशा को कसकर पकड़ा तो वो बोली...

"इसका भी जुगाड़ है..."बोलते हुए मैने निशा का एक हाथ पकड़ा और उसके लंबे-लंबे नाख़ून से उसके डॅड के तलवे पर खरोंच मारी...

"ससुर जी सो रहे है..."निशा के डॅड के शरीर पर कोई हल चल ना देख कर मैने कहा और निशा के होंठो को अपने होंठो से जकड लिया...
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