Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
08-21-2019, 08:08 PM,
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
ना जाने कितनी देर से दोनो एक दूसरे के होंठ चूसने में लगे हुए थे और एक दूसरे को छुड़ाने का नाम ही नही ले रहे थे. हालत यहाँ तक आ पहुँची कि साँस घुटने लगी और तड़प कर दोनो को एक दूसरे से अलग होना पड़ा. विमल सुनीता के गले पे अपने होंठ टिका कर अपनी साँसे दुरुस्त करने लगा उसके एक हाथ में अभी भी सुनीता का उरोज़ था जिसे वो आराम से सहला रहा था.

‘ओह माँ तुम कितनी अच्छी हो, आइ लव यू माँ, आइ लव यू’

‘आइ लव यू टू विमू’

‘माँ आज अपना दूध पिलाओगी ना?’

सुनीता सिहर जाती है, विमल किस तरहा एक एक कर के शर्म के सारे पर्दे फाड़ रहा था और उसे बेशर्म बना रहा था. सुनीता भी उसका दिल रखते हुए बेशर्म बनने पे उतारू हो गई. बरसों बाद जिस बेटे से मिली थी, आज वो उसकी सारी इच्छा पूरी करना चाहती थी, चाहे उसे रंडी की तरहा ही क्यूँ ना अपने आप को उसके सामने लाना पड़े.

सुनीता खुद अपने कपड़े उतार देती है और सिर्फ़ ब्रा और पैटी में रह जाती है, फिर वो विमल के सारे कपड़े उतार कर उसे सिर्फ़ अंडरवेर में रहने देती है. जहाँ एक तरफ सुनीता उसका चौड़ा बदन देखने लगी वही विमल सुनीता का सुडोल कामुक बदन निहारने लगा.

‘माँ का दूध पीना है ना – आ खोल अपनी माँ की ब्रा और निकाल मेरे मम्मे बाहर – फिर पी जितना पीना है.

विमल फट से उसकी ब्रा उतार देता है और और बढ़े प्यार से उसके दोनो उन्नत उरोजो को सहलाने लगता है, सुनीता भी उसकी चौड़ी छाती पे अपना हाथ फेरने लगती है.

सुनीता एक हाथ से उसके सर को अपने उरोज़ पे दबाती है और विमल उसके एक निपल को अपने मुँह में भर चूसने लगता है.

अहह ऊऊऊऊहह म्म्म्मoमममाआआआ

सुनीता ज़ोर से सिसक पड़ती है. उसके निपल से लहरें सीधा उसकी चूत पे आक्रमण कर रही थी, सुनीता की बेचैनी बढ़ जाती है, वो अपनी जांघों को आपस में रगड़ने लगती है.

विमल उसे बिस्तर पे लिटा देता है और एक एक कर उसके निपल्स को चूस्ता है और अपनी उंगलियों में उमेठता है.

सुनीता भावनाओं में बह जाती है
‘अहह पीले बेटा जितना पीना है पीले – कब से तड़प रही थी तुझे अपना दूध पिलाने के लिए’
‘हां माँ आज खूब पियुंगा तुम्हारा दूध’

विमल ज़ोर ज़ोर से सुनीता के निपल को चूसने लग गया

आह आह उम्म्म्मम उूउउफफफफफफफफ्फ़ हाआंन्न्ननणणन् प्प्प्प्प्पीईईईईईईईईईईईईई
और प्प्प्पीईईईईईईईई अहह आआआआअरर्र्र्र्र्ररराआाम्म्म्ममममम सस्स्स्स्स्स्स्सीईई


विमल अब निपल को छोड़ देता है और सिर्फ़ ज़ुबान फेर कर सुनीता के जिस्म के अंदर छुपी हुई तारों को छेड़ने लग ता है.


उूुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ कययययययययाआआआआ कर रहा है


विमल पूरे उरोज़ पे अपनी ज़ुबान फेरने लग गया निपल के पास आता पर फिर दूसरी तरफ से उरोज़ पे ज़ुबान फेरने लगता, और दूसरे उरोज़ को हल्के हल्के दबाने लग गया.


सुनीता को लगता अब निपल मुँह में लेगा अब लेगा, पर विमल उसे तड़पाने लग गया


उफफफफफफफफफफफफ्फ़ ककककककचहुउऊउउस्स्स्स्स्स्सस्स न्न्मुँणन्नाआआआअ
‘क्या चुसू माँ?’
विमल सुनीता को पूरा खोलना चाहता था.

‘उफ़फ्फ़ कमीना पूरा बेशर्म बनाएगा क्या मुझे? चूस मेरी चुचि चूस, खा जा मेरी चुचि, मसल डाल मेरे मम्मे – खुश अब.

और विमल कभी उसके निपल चूस्ता तो कभी पूरे मम्मे को चाट्ता. विमल की ज़ुबान सुनीता के जिस्म में उन तरंगों को उठा रही थी जिससे वो अंजान थी, उसने कभी भी इतनी उग्र उत्तेजना को महसूस नही किया था जो विमल उसके जिस्म में धीरे धीरे सुलगती हुई आँच की तरहा भड़का रहा था.

अहह हहाआआआऐययईईईईईईईईई म्म्म्मरमममममाआआआआआआअ कककक्क्क्यययययययययययाआआआ कककककककााआअरर्र्र्र्र्र्ररर र्र्र्र्ररराआआआहहााआआ हह

सुनीता विमल के सर को ज़ोर से अपने उरोज़ पे दबा देती है, पर विमल उसे वैसे ही छेड़ता रहता है. सुनीता की चूत में खलबली मच चुकी थी और विमल बस उसके उरोज़ के साथ ही खिलवाड़ कर रहा था.

सुनीता से और सहा नही जाता और वो विमल को अपने उपर खींच कर पागलों की तरहा उसके होंठ चूसने लगती है और अपना एक हाथ नीचे ले जाकर उसके लंड को पकड़ लेती है जो खंबे की तरहा खड़ा हुआ था.

विमल सुनीता से अलग होता है और अपने सारे कपड़े उतार फेंकता है. विमल का लंबा लंड सुनीता की आँखों के सामने होता है और वो हैरान हो जाती है, कल यही लंड उसने तीन बार लिया था, इतना मोटा और लंबा बाप रे, आज तो उसकी खैर नही क्यूंकी कामया ने वो दवाई लगा कर सुनीता की चूत को सिकोड के रख दिया था.

विमल फटाफट सुनीता के भी सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी कर देता है और विमल की नज़रें सुनीता की चूत पे जम जाती हैं जो बेचैन हो कर कुलबुला रही थी, अपने होंठ खोलती और बंद करती .

विमल सुनीता को बिस्तर पे लिटा कर अपना हाथ उसके जिस्म पे फेरता है और फिर उसकी नाभि में अपनी ज़ुबान डाल कर चाटने लगता है. एक हाथ से उसके उरोज़ को मसलता है और दूसरे को उसकी चूत पे फेरने लगता है.

सुनीता की तड़प और बढ़ जाती है, अब उससे रुका नही जाता और बोल पड़ती है

‘अब नही रहा जाता, डाल दे अंदर मुझे बहुत खुजली मच चुकी है’

‘क्या डाल दूं माँ ?’ विमल उसकी आँखों में आँखें डाल कर पूछता है.

सुनीता मुस्कुरा देती है

‘बेशर्म – अपना लंड मेरी चूत में डाल दे और चोद डाल मुझे – खुश अब’
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