Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:26 PM,
#22
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
और आरती अपने कमरे की चली गई जाते हुए भी उसका मन कुछ भी नहीं सोच पा रहा था अपने पति की कही हुई बात उसे याद आ रही थी और अपने पति के स्वार्थी पन का अंदाज़ा वो लगा रही थी वो भी तो उसके लिए एक चीज ही बनकर रह गई थी जो उसका मन होता तो बहुत ही अच्छे से बात करते नहीं तो कोई फिकर ही नहीं जब मन में आया यूज़ किया और फिर भूल गये बस उनके दिमाग में जो बात हमेशा घर किए हुए रहती थी वो बस उनके दिमाग में जो बात हमेशा घर किए हुए रहती थी वो थी पैसा सिर्फ़ पैसा

आरती झल्लाती हुई अपने कमरे में घुसी और चिढ़ती हुई सी बिस्तर पर बैठ गई पर जल्दी ही उठी और बाथरूम में घुस गई वो नहीं चाहती थी कि सोनल को कुछ भी पता चले क्योंकी उसे मम्मी और पापा से कोई शिकायत नहीं होने चाहिए थी वो जल्दी से नहा दो कर तैयार होकर जल्दी से नीचे पहुँची ताकि सोनल को बुलाना न पड़े ।


पर नीचे जब वो पहुँची तो सोनल अब तक नहीं आई थी वो, अरे 10 बज गए मैं भी कहा खोई रहती हूं, और ये लड़की क्या स्कूल नही जाना सोनल को, या चली गयी है आरति सोचते हुए,
सोनल के रूम की तरफ चली गयी और रूम के दरवाजे को थपथपथपथपथप किया, और उधर सोनल सपने में,
तभी आरति रूम में जाकर बोल रही थी कि देख सुबह के 10:00 बज गए और अभी भी सो रही है उठ सोनल, स्कूल नही जाना था तुझे,
और सोनल को उठा दिया और सोनल का सपना वहीं टूट गया क्या मस्त सपना देख रही थी। उठते ही उसके दिमाग में वही सपना चलने लगा कि सपने में किस तरह से प्रेम सर ने उसे चोदा और सोच सोच कर उसकी पुसी गीली हो जा रही थी। उस्की हालत अब बिल्कुल मदहोश सी होने लगी।
सोनल-- मम्मी आज तबियत ठीक नही है, इसलिए नींद आ गयी थी फिर से ,
आरति -- क्या हुआ मेरी गुडिया को।
सोनल-- मम्मी सुबह सर दुख रहा था अब ठीक है।
आरती- ठीक है बेटा, जा जल्दी से नहाकर आ जा खाना खा लेते है

सोनल- जी मम्मी जी,
सोनल को मालूम था कि अगर आज स्कूल गयी तो सर उसके साथ कुछ न कुछ गलत जरूर करेंगे, इसलिए आज वो स्कूल नही गयी।
आरति वापिश अपने कमरे में चली गयी।
पर नीचे जब वो पहुँची तो सोनल अब तक नहीं आई थी वो जैसे ही डाइनिंग रूम में दाखिल हुई उसकी नजर रामू काका पर पड़ गई जो कि बहुत ही तरीके से टेबल को सजा रहे थे जैसे ही रूम में आवाज आई तो उसकी नजर भी आरती की ओर उठ गई थी और रामू और आरती की नजर एक बार फिर मिली और दोनों के शरीर में एक सनसनी सी दौड़ गई आरती जो की अब तक अपने पति के बारे में सोच रही थी एकदम से अपने को जिस स्थिति में पाया उसके लिए वो तैयार नहीं थी


पर रामु काका की नजर जैसे ही उससे टकराई वो सबकुछ भूल गई और अपने शरीर में उठ रही सनसनी को सभालने में लग गई वो वही खड़ी-खड़ी कुछ सोच भी नहीं पा रही थी की इस स्थिति से कैसे लडे पर ना जाने क्यों अपने होंठों पर एक मधुर सी मुस्कान लिए हुए वो आगे बढ़ी और सोनल के आने पहले ही अकेली डाइनिंग टेबल पर पहुँच गई

आरती- क्या बनाया है काका
और टेबल पर पड़े हुए बौल को खोलकर देखने लगी वो जिस तरह से झुक कर टेबल पर रखे हुए चीजो को देख रही थी उससे उसके सूट के गले से उसकी चुचियों को देख पाना बड़ा ही सरल था रामू ना चाहते हुए भी अपनी नजर उसपर से ना हटा सका वो अपना काम भूलकर आरती को एकटक देखता रहा कितनी सुंदर और कोमल सी आरती जिसके साथ उसने कुछ हसीन पल बिताए थे वो आज फिर से उसके सामने खड़ी हुई अपने शरीर का कुछ हिस्सा उसे दिखा रही थी जान भुज कर या अन जाने में पता नहीं पर हाँ… देख जरूर रहा था वो आरती कि चुचियों के आगे बढ़ा और उसकी पतली सी कमर तक पहुँचा ही था कि सोनल के आने की आहट ने सबकुछ बिगाड़ दिया और वो जल्दी से किचेन की ओर चला गया

सोनल - अरे मम्मी आपने जल्दी नहा लिया

आरति- सोचा तुमसे पहले ही आ जाऊ

सोनल- क्या बनाया है रामू दादा ने आज खाने में।
आरति-- तुम्हारी फेवरट आलू छोले और पूरी। जल्दी खा लो फिर बाहर चलेंगे।

पर सोनल का मन बिल्कुल नहीं था , अपनी मम्मीजी के साथ म जाने का पर कैसे मना करे सोचने लगी वो कही भी नहीं जाना चाहती थी पर

आरति - आज कुछ शॉपिंग करके आते है काफी दिन हो गए है तू भी चल क्या करेगी घर में

सोनल- जी पर

आरती- पर क्या थोड़ा बहुत घूम लेगी और क्या में कौन सा कह रही हूँ कि पहाड़ तोड़ना है

सोनल- जी तो फिर

आरती- अरे वहां आसपास्स गार्डेन है तू थोड़ा घूम लेना और में भी ज्यादा देर कौन सा रुकने वाली हूँ वो तो एक शादी आने वाली है अपने यहा इसलिए शॉपिंग करनी है ।

सोनल - जी
और दोनों खाना खाने लगे थे और बातों का दौर चलता रहा आरति और सोनल खाने के बाद उठे और हाथ मुँह दो कर वही थोड़ा सा बातें करते रहे और

आरति - रामू काका टेबल साफ कर दो
और फिर सोनल की ओर मुड़ गई

रामू किचेन से निकला और टेबल पड़े झुटे बर्तन उठाने लगा पर हल्की सी नजर आरती पर भी डाल ली आरती उसी की तरफ चेहरा किए हुए थी और सोनल की पीठ उसके त्तरफ थी

वो चोर नजर से आरती को देख रहा था और समान भी लपेट रहा था आरती की नजर भी कभी-कभी काका की हरकतों पर पड़ रही थी और उसके होंठों पर एक मुस्कान दौड़ गई थी जो कि रामू से नहीं छुप पाई और वो एकटक आरती की ओर देखता रहा पर जैसे ही आरती की नजर उस पड़ पड़ी तो दोनों ही अपनी नजरें झुका के आरती अपने कमरे की ओर और भीमा अपने किचेन की ओर चल दिए

आरती ने अपने कमरे की ओर जाते जाते
आरती- 1 बजे तक तैयार हो जाना टक्सी वाले को बोल दिया है

सोनल- जी, मम्मी
और मुड़कर सोनल की ओर देखती पर उसकी नजर रामू काका पर वापस टिक गई जो कि फिर से किचेन से निकल रहे थे रामू भी निकलते हुए सीढ़ियो पर जाती हुई आरती को देखना चाहता था इसलिए वो वापस जल्दी से पलटकर डाइनिंग स्पेस पर आ गया था वो तो आरती की मस्त चाल का दीवाना था जब वो अपने कूल्हे मटका मटकाकर सीढ़ी चढ़ती थी तो उसका दिल बैठ जाता था और वो उसी के दीदार को वापस आया था पर जैसे ही उसकी नजर आरती पर पड़ी तो वो भी झेप गया पर अपनी नजर को वो वहाँ से हटा नहीं पाया था

उसे आरती की नजर में एक अजीब सी कशिश देखी थी एक अजीब सा नशा था एक अजीब सा खिचाव था जोकि शायद वो पहले नहीं देख पाया था वो आरती को अपनी ओर देखते हुए अपने कमरे की जाते हुए देखता रहा जब तक वो उसकी नजरों से ओझल नहीं हो गई

एक लंबी सी सांस छोड़ कर वो फिर से काम में लग गया और उधर जब सोनल ने उसे पुकार कर कहा तब वो जबाब देते हुए पलटी तो काका को अपनी ओर देखते पाकर वो भी अपनी नजर काका की नजर से अलग नहीं कर पाई थी वो काका की नजर में एक भूख को आसानी से देख पा रही थी उसके प्रति एक भूख उसके प्रति एक लगाव या फिर उसके प्रति एक खिचाव को वो काका की नजर में देख रही थी उसके शरीर में एक आग फिर से आग लग गई थी जिसे उसने अपनी सांसों को कंट्रोल करके संभाला और एक तेज सांस छोड़ कर अपने कमरे की चली गई । आरती कमरे में घुसकर वापस बिस्तर पर ढेर हो गई और अपने बारे में सोचती रही उसे क्या हो गया है जब देखो उसे ऐसा क्यों लगता रहता है वो तो सेक्स की भूखी कभी नहीं थी पर आज कल तो जैसे उसके शरीर में जब देखो तब आग लगी रहती है क्या कारण है क्या वो इतनी कामुक हो गई है की पति के ना मिलने पर वो किसी के साथ भी सेक्स कर सकती है दो जनों के साथ तो वो सेक्स कर चुकी थी

वो भी इस घर के नौकर के साथ भी जिनकी हसियत ही क्या है उसके सामने पर आख़िर क्यों वो काका और मनोज अंकल को इतना मिस करती है क्यों उनके सामने जाते ही वो अपना सबकुछ भूल जाती है अभी भी तो काका उसकी तरफ जैसे देख रहे थे अगर सोनल ने देख लिया होता तो वो अपने आपको संभालने की कोशिश करने लगी थी नहीं यह गलत है उसे इस तरह की बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए वो एक घर की बहू है उसका पति है संपन्न घर है वो सिर्फ़ सेक्स की खातिर अपने घर को उजड़ नहीं सकती

उसने एक झटके से अपने दिमाग से रामू काका को और मनोज अंकल को निकाल बाहर किया और सूट चेंज करने के लिए वारड्रोब के सामने खड़ी हो गई उसने गाउन निकाला और जैसे ही पलटी उसकी नजर कल के ब्लाउस और पेटीकोट पर पड़ गई जो की उसने पहना था काका के लिए

वो चुपचाप उसपर अपनी नजर गढ़ाए खड़ी रही और धीरे से अपने हाथों से लेकर उनको सहलाने लगी पता नहीं क्यों उसने गाउन रखकर फिर से वो पेटीकोट और ब्लाउस उठा लिया और बाथरूम की चल दी चेंज करने को जब वो बाथरूम में चेंज कर रही थी तो जैसे-जैसे वो ड्रेस को अपने शरीर पर कस रही थी उसके शरीर में फिर से सेक्स की आग भड़कने लगी थी वो अपने सांसों को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी उसकी सांसें अब बहुत तेज चलने लगी थी और उसकी चूचियां उसके कसे हुए ब्लाउज को फाड़कर बाहर आने को हो रही थी पेटीकोट और ब्लाउस पहनकर उसने अपने को मिरर में देखा तो वो किसी अप्सरा सी दिख रही थी।
वो अपने हाथों से एक बार अपने को सहलाते हुए अपने को मिरर में देखती रही और पलटकर जल्दी से कमरे में आ गई थी और बिस्तर पर धम्म से गिर गई उसका पूरा शरीर में आग लगी हुई थी पर उसने किसी तरह से अपने को कंट्रोल किया हुआ था उसने चद्दर खींचकर अपने को ढका और सबकुछ भूलकर सोने की कोशिश करने लगी उसने रवि के तकिए को भी चद्दर के अंदर खींच लिया और अपने आपको अपनी बाहों में भर कर सोने की कोशिश करने लगी थी

और उधर रामू अपने काम से फुर्सत हो गया था पर उसकी नजर बार-बार सीढ़ियों पर ही थी उसे आज भी उम्मीद थी कि आरती जरूर उसे बुला लेगी पर जब बहुत देर तक कोई आवाज नहीं आयी तो उसने कई बार बाहर आकर भी देखा । किचेन में ही खड़ा-खड़ा इंतजार करने लगा था पर कोई आवाज़ नहीं आयी वो अपने आपको उस हसीना के पास जाने को रोक नहीं पा रहा था पर अपनी हसियत और अपने छोटे पन का अहसास उसे रोके हुए था पर कभी वो निकलकर सीडियो की ओर देखता और वापस किचेन की ओर चला जाता वो अपने को रोकते हुए भी कब सीढ़ियो की ओर उसके पैर उठ गये वो नहीं जानता था

कहाँ से उसमें इतनी हिम्मत आ गई वो नहीं जानता था पर हाँ… वो अब सीढ़िया चढ़ रहा था बार-बार पीछे की ओर देखते हुए और बार अपने को रोकते हुए उसका एक कान किचेन में और दूसरा कान घर में होने वाली हर आहट पर भी था वो जब आरती के कमरे के पास पहुँचा तो घर में बिल्कुल शांति थी रामू की सांसें फूल रही थी जैसे की बहुत दूर से दौड़ कर आ रहा हो या फिर कुछ भारी काम करके आया हो रामू अपने कानों को आरती के दरवाजे पर रखकर अंदर की आहट को सुनने लगा पर कोई भी आहट नहिहुई थी अंदर


वो पलटकर वापस जाने लगा पर थोड़ी दूर जाके रुक गया क्या कर रही है आरती कही उसका इंतजार तो नहीं कर रही है अंदर। बुला नहीं पाई होगी शायद शरम से या फिर उसे लगता है कि कल ही तो उसने बुलाया था तो आज बुलाने की क्या जरूरत है हाँ शायद यही हो वो वापस मुड़ा और फिर से आरती के कमरे के बाहर आके खड़ा हो गया धीरे से बहुत ही धीरे से दरवाजे पर एक थपकी दी पर अंदर से कोई आवाज नहीं आई और नहीं कल जैसे दरवाजा ही खुला

पर रामू तो जैसे अपने दिल के हाथों मजबूर था उसका दिल नहीं मान रहा था वो देखना चाहता था कि आरती क्या कर रही है शायद उसका इंतेजार ही कर रही हो और वो अपने कारण इस चान्स को खो देगा वो हिम्मत करके धीरे से दरवाजे को धकेल ही दिया दरवाजा धीरे से अंदर की ओर खुल गया थोड़ा सा पर हाँ अंदर देख सकता था अंदर जब उसने नजर घुमाकर देखा तो पाया कि आरती तो बिस्तर पर सोई हुई है एक चद्दर ढँक कर तकिया पकड़कर एक टाँग जो कि चद्दर के अंदर से निकलकर बाहर से तकिये के ऊपर लिया था वो पूरी नंगी थी सफेद सफेद जाँघो के दर्शान उसे हुए उसकी हिम्मत बढ़ी और वो थोड़ा सा और आगे होके देखने की कोशिश करने लगा वो लगभग अंदर ही आ गया था और धीरे-धीरे
आरती के बिस्तर की ओर बढ़ने लगा था उसकी आखों में आरती की जांघे और फिर गोरी गोरी बाहें भी देखने लगी थी चादर ठीक से नहीं ओढ़ रखी थी आरती ने पर वो जो कुछ भी देख रहा था वो उसके शरीर में जो आग लगा रही थी और उसके अंदर एक ऐसी हिम्मत को जनम दे रही थी की अब तो चाहे जो हो जाए वो आरती को देखे बगैर बाहर नहीं जाएगा वो आरती के बिस्तर के और भी पास आ गया था आरती अब तक सो रही थी पर उसकी चद्दर के अंदर से उसके शरीर का हर उतार चढ़ाव उसे दिख रहा था वो थोड़ा सा झुका और अपने हाथों को आरती की जाँघो पर ले गया वो धीरे-धीरे उसकी जाँघो को अपनी हथेली से महसूस करने लगा उसके हाथो में जैसे कोई नरम सी और चिकनी सी चीज आ गई हो वो बड़ी ही तल्लीनता से आरती की जाँघो को उसके पैरों तक और फिर ऊपर बहुत ऊपर तक उसकी कमर तक ले जाने लगा था पर बहुत ही आराम से जैसे
उसे डर था कही आरती उठ ना जाए पर नहीं आरती के शरीर पर कोई हरकत नहीं हुई थी उसकी हिम्मत और बढ़ी और वो धीरे से आरती के ऊपर से चद्दर को हटाने लगा आरती की पीठ उसकी तरफ थी पर वो आरती की सांसों के साथ उसके शरीर के उठने बैठने के तरीके से समझ गया था कि वो सो रही थी उसने हिम्मत करके आरती के ऊपर से चद्दर को धीरे से हटा दिया

उूुुुउउफफफफफफफफफफ्फ़ क्या शरीर था चद्दर के अंदर गजब का दिख रहा था, सफेद ब्लाउस और पेटीकोट था पहने हाँ… वही तो था कल वाला तो क्या आरती उसके लिए ही तैयार हुए थी आआआआअह्ह
रामू के मुख से अचानक ही एक आह निकली और उसके हाथ आरती की पीठ पर धीरे-धीरे घूमने लगे थे उसकी मानो स्थिति उस समय ऐसी थी कि वो चाह कर भी अपने पैरों को वापस नहीं लेजा सकता था वो अब आरती के रूप और रंग का दीवाना था और किसी भी हालत में उसे फिर से हासिल करना चाहता था वो दीवानों की तरह अपने हाथों को आरती के शरीर पर घुमा रहा था और ऊपर वाले की रचना को को अपने हाथों से महसूस कर रहा था उसके मन में बहुत सी बातें भी चल रही थी वो अपने चेहरे को थोड़ा सा आगे करके आरती को देख भी लेता था और उसके स्थिति का जायजा भी लेता जा रहा था सोते हुए आरती कितनी सुंदर लगती थी बिल्कुल किसी मासूम बच्चे की तरह कितना सुंदर चेहरा है और कितनी सुंदर उसकी काया है उसके हाथ अब आरती कि जाँघो को बहुत ऊपर तक सहला रहे थे।
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