Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:32 PM,
#55
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
वो बड़े मुश्किल से अपने सांसों को अपने अंदर थामे हुए थी और निरंतर अपने से लड़ते हुए अपने को सामान्य दिखाने की कोशिश कर रही थी उसने बैठे ही भोला ने उसकी जाँघो में एक प्यार भरी थपकी दी और मुस्कुराते हुए
भोला- हो यह हुई ना बात बड़ी अच्छी लड़की हो तुम
अचानक मेम्साब से लड़की और वो भी अच्छी यह क्या हो रहा है आरती का शरीर अब सनसना रहा था भोला के गरम-गरम और लोहे जैसे कठोर हाथों ने जब उसके जाँघो को थपकी दी तो वो उसके चूड़ीदार को छूकर उसकी जाँघो तक और बहुत अंदर तक एक अजीब सी सिहरन पैदा कर गई थी चूड़ीदार का कपड़ा भी बहुत मोटा नहीं था कि वो भोला के हाथों की गर्मी को उसके स्किन तक ना पहुँचा सके वो तो लगता था कि सिर्फ़ उसकी स्किन को ही छूकर बैठ गया था
आरती एक बार भोला की ओर देखा और बैठकर अपनी नजरें झुका ली भोला बेड पर लेटा हुआ था सीधा हाथ अब उसके सिर के नीचे था और उल्टे हाथ से वो अपनी कमर से लेकर अपने सीने तक को सहलाते जा रहा था काले काले बाल और उसपर सख़्त मसमेशियो में घिरा वो दानव और बीच बीच में कही कही पट्टियाँ और लाल खून के निशान थे उसके शरीर में आरती का दिल बड़े जोरो से धड़क रहा था पर वो कुछ नहीं कर सकती थी वही किसी बुत की तरह से बैठी आने वाले पल का इंतजार करने के सिवा अब उसकी नजर थोड़ी साफ हो गई थी उसने एक बार भोला की ओर देखा वो अब भी उसे ही एक भूखी नजर से देख रहा था वो झेप गई और कमरे में इधर उधर देखने की कोशिश करने लगी थी बेड के पास एक दुनाली बंदूक रखी थी जो शायद उसकी ही थी और जमीन पर कुछ शराब की खाली बोटल थी कुछ छोटे बड़े प्लेट थे जो कि झूठे थे और कुछ में खाने के बाद सब्जी और हल्दी के दाग अब तक साफ देख रहे थे छोटे प्लेट में शायद कुछ नमकीन के आवसेश बचे हुए थे पूरा कमरा एक अजीब सी दुर्गंध लिए हुए था कही से रोशनी नहीं थी खिड़की भी बंद थी और दरवाजा भी उनके बीच से होती हुई कुछ रोशनी अंदर तक आती थी बस वही थी इतने में भोला की आवाज उसे सुनाई दी
भोला- क्या देख रही है मेमसाहब
आरती-
बस सिर हिला दिया ना करते हुए
भोला- मेरा जीवन तो मेमसाहब आप लोगो के लिए है
और एक अजीब सी हँसी से पूरा कमरा गूँज उठा वो अब भी आरती को घूरता हुआ अपने छाती और पेट को सहला रहा था और एक अजीब सी निगाहे आरती की ओर डाले अजीब सी बातें कर रहा था
भोला- कैसे आई थी मेमसाहब यहां गरीब की कुटिया में हाँ…
आरती क्या कहती कि क्यों आई थी वो एक बार भोला की ओर देखा और फिर जैसे-जैसे वो अपने हाथ अपने शरीर पर चला रहा था उस ओर गोर से देखने लगी फिर अचानक ही झेप कर अपनी निगाहे फेर ली

भोला- हाँ… हाँ… ही ही देखिए मेमसाब सब कुछ आपका ही दिया हुआ है और सबकुछ आपका ही है ही ही ही
आरती को अब थोड़ा सा गुस्सा आ रहा था कुछ नहीं कह रही है तो वो बढ़ता ही जा रहा है जो मन में आ रहा था कहे जा रहा था
आरती- फालतू बातें मत करो (
उसके आवाज में कड़कपन था जो की शायद भोला ने भी पहली बार सुना था थोड़ा सा चुप होकर वो फिर से आरती की ओर देखता हुआ मुस्कुराते हुए अपने सीने से हाथों को घिसते हुए पेट तक ले जाने लगा था उसकी नजर कमी अपर ही टिकी थी और पेट के बाद वो अपनी कमर के चारो ओर अपनी हथेलिया को घुमाने लगा था
भोला- तो कहिए मेमसाहब क्या सेवा करू और कैसे हाँ… ही ही ही
आरती- चुप
भोला- क्या मेमसाहब हम कुछ कहते है तो डाट देती है और आप कुछ कहती नहीं
और भोला का सीधा हाथ फिर से एक बार आरती की जाँघो को छूने लगा और धीरे-धीरे सहलाने लगा था वो धीरे-धीरे अपने हाथों को उसकी जाँघो के जाइंट की ओर बढ़ा रहा था और एकटक आरती के चहरे की ओर देखता भी जा रहा था आरती की आखें भोला की हरकतों को अनदेखा नहीं कर पाई जैसे ही उसका हाथ उसकी जाँघो से टकराया आरती का एक हाथ उसके हाथों पर आ गया और जोर लगाकर उसे हटाने की कोशिश करने लगी थी उसके चहरे में भय के भाव साफ-साफ देखे जा सकते थे वो बार-बार भोला की ओर बड़े ही मिन्नत भरे नजर से देख रही थी पर वो राक्षस तो जैसे दीवाना हो गया था

मुस्कुराते हुए अपने हाथों को ठीक से सहलाते हुए वो एकटक आरती के चहरे की ओर ही देखे जा रहा था
आरती का जोर काम नहीं आ रहा था पर वो क्या करती बैठी रही रुआंसी सी होकर उसे देखकर साफ कहा जा सकता था कि अब कभी भी रो देगी पर भोला का हाथ अचानक ही उसकी जाँघो से हट गया और वो सकते में आ गई गई एक बार उसके तरफ देखती हुई वो अपने कुर्ते को खींचते हुए फिर से जगह में बनाने की कोशिश करने लगी भोला अपने हाथ को फिर से माथे के नीचे ले गया और मुस्कुराते हुए देखता रहा अपने दूसरे हाथों को वो अब भी अपने शरीर पर ही चला रहा था हाँ… थोड़ा और नीचे की ओर ले जाने लगा था ढीली बँधी हुई लूँगी ओपचारिकता भर रह गई थी उसके लण्ड के ऊपर का हिस्सा लूँगी से बाहर किया दिख रहा था और घने बालों का गुच्छा तो साफ-साफ वो जान बूझ कर ऐसा कर रहा था बार-बार आरती की ओर देखता हुआ वो ऐसा दिखा रहा था कि जैसे वो उसके शरीर को नहीं बल्कि आरती के शरीर को सहला रहा था उसकी आखें बिल्कुल पत्थर के जैसे हो गई थी और आखों में एक वहशीपन ने जनम लेलिया था आरती का बुरा हाल था वो वहां कैसे बैठी थी वो नहीं जानती थी पर हाँ… उठने की कोशिश तो उसने नहीं की थी सांसों को कंट्रोल करने की कोशिश में ही लगी रही और भोला अपनी कोशिश में लगा था बार-बार अपने कमर के नीचे की ओर उसका हाथ चला जाता था तभी उसने वो किया जिसका की आरती ने सपने में भी नहीं सोचा था एक झटके से अपने बड़े से लण्ड को लूँगी के बाहर निकाल कर अपने हाथों से मालिश करने लगा वो अपनी हथेलियो को बार-बार उसके लंबाई के साथ-साथ ऊपर और फिर नीचे की ओर ले जाता था आरती की नजर जैसे ही उसके लण्ड पर पड़ी जितनी सांसें उसने रोक रखी थी एक बार में ही बाहर आ गई थी घबराहट से या फिर उत्तेजना से यह तो वही बता सकती थी पर भोला के होंठों पर एकलंबी सी मुस्कुराहट दौड़ गई थी

उसका एक हाथ [फिर से आरती की जाँघो तक आ गया था और अपने सिर को तकिये को फोल्ड करके टिका लिया था आरती की सांसें फूलने लगी थी और फिर से वो अपने हाथों के जोर से भोला के हाथों को हटाने की कोशिश करने लगी थी भोला भी कौन सा हटने वाला था चुपचाप अपने काम में लगा था वो बड़ी ही सरलता से अपने हाथों को घुमाकर अपनी सप्नीली रचना को अपने हाथों से सवारने में लगा था कपड़े के ऊपर से भी उसे आरती की नरम और मुलायम सी जाँघो का स्पर्श उसे अच्छा और लुभावना लग रहा था जितनी भी औरत उसकी जिंदगी में आई होंगी वो तो शायद इस कपड़ों से भी ज्यादा खुरदूरी थी या फिर सख़्त थी पर आरती मेडम का तो कोई सानी नहीं थी इतनी चिकनी थी कि हाथ रखते ही फिसल जाते थे भोला किसी तरह से अपने उत्तावलेपन को ढँके हुए और दबाए हुए मेमसाहब की जाँघो को सहलाते हुए एकटक उसकी और देखे जा रहा था और आरती जो की अपने पूरे जोर लगाने के बाद भी जब भोला के हाथ को को नहीं हटा पाई तो अपने पैरों के जोर से उस टीन की चेयर को ही पीछे की ओर धकेला पर वो गिर जाती अगर भोला के दूसरे हाथ ने कस कर उसके कलाईयों को पकड़ नहीं लिया होता आरती अब पूरी तरह से भोला के गिरफ़्त में थी
भोला- क्या मेमसाहब गिर जाती ना
आरती- प्लीज मत करो प्लीज़
उसकी आवाज में एक गुजारिश थी पर मना कही से भी नहीं था वो चाहती थी कि भोला उसे छोड़ दे पर कोशिश नहीं थी उसकी नरम नरम हथेलिया अब पूरी तरह से भोला के हाथों के ऊपर थी और दूसरा हाथ उसकी गिरफ़्त में था वो भोला की तरफ देखती पर क्या देखती वो तो अधनन्गा सा उसे ही घूर रहा था उसके चेहरे में जो वहशीपन था वो जानकर भी उसकी आखों से आखें नहीं मिला पा रही थी मन्नत तो कर रही थी पर जान नहीं थी उसका लण्ड आजादी से बार-बार झटके ले रहा था वो उसे ढकने की कोशिश भी नहीं कर रहा था बल्कि उसके हिलने से उसकी लूँगी और भी नीचे खिसक गई थी

आरती- प्लेआस्ीईईईईई नहियीईई पल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लीीआआआआअसस्स्स्स्स्स्स्सीईईईईई हमम्म्ममममममममममममम
भोला की उंगलियां आरती की जाँघो के जोड़ तक शायद पहुँच गई थी इसलिए मनाही के साथ-साथ एक सिसकारी भी उसके मुख से उस कमरे में गूँज गई थी भोला बड़े ही प्यार से आरती की जाँघो को सहलाते हुए धीरे-धीरे उसकी जाँघो के जाइंट तक पहुँच गया था और अपनी उंगलियों से उसे छेड़ रहा था आरती को उसकी उंगलियों के नाखून जैसे ही टच हुए वो थोड़ा और आगे की ओर हो गई और अपनी जाँघो को खोल दिया ताकि उसे नाखून ना टच हो पर भोला को लगा कि आरती ने उसे रास्ता दिया हैं वो और भी आगे की ओर बढ़ा और धीरे से अपनी उंगलियों से आरती की चुत को छेड़ता रहा एक गीला पन सा उसकी उंगलियों से टकराया वो जानता था कि आरती को बस थोड़ा सा उत्तेजित करने भर की देर है वो मना नहीं कर पाएगी दूसरे हाथ में आरती की नरम नरम हथेलिया अब तक उसकी गिरफ़्त में थी जो की अब वो धीरे-धीरे अपने लण्ड की ओर खींचने लगा था जो की आरती भी लगा रहा था पर वो जार लगाकर अपनी कलाईयो को छुड़ाने की कोशिश भी कर रही थी पर उसमें उतनी जान नहीं बची थी उसके हथेलिया लगभग उसके लण्ड तक पहुँच ही चुकी थी और पीछे की ओर से उसकी हथेलियो पर टच भी हो गये थे वो कुछ ना कर पाई थी और जो कर पाई थी वो था कि अपनी मुट्ठी को कसकर बंद करके अपनी कलाईयों को घुमाने लगी थी कि वो उससे टच ना हो पर भोला की ताकत के सामने वो कहाँ तक टिकती आखिर में वही हुआ जो की होना था भोला अपने मकसद पर कामयाब हो गया था आरती की हथेलिया उसके लण्ड को छू गई थी और वो अपने हाथों के जोर से आरती की हथेलियो को अपने लण्ड पर घिसने लगा था
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