Chudai Kahani मेरी कमसिन जवानी की आग
09-05-2019, 01:44 PM,
#1
Lightbulb  Chudai Kahani मेरी कमसिन जवानी की आग
लेखक:-वंध्या/सीड

दोस्तो मैं आपका अपना सीड फिर एक नई कहानी लेकर आया हु यह कहानी लेखिका वंध्याजी की कहानियों का संकलन है जो मैंने एक कहानी में पिरोकर आपके समक्ष प्रस्तुत किया है जो आपको जरूर पसंद आयेगा कहानी को मेरे द्वारा विस्तारित किया गया है जो आपको बहुत पसंद आयेगा
……आपका अपना ……सीड


मेरा नाम संध्या है, मैं सतना जिले के रामपुर के पास एक कस्बे की रहने वाली हूं, हम तीन बहनें और एक भाई है, मुझसे बड़ी दो बहनें हैं दोनों की शादी हो चुकी है. मैं सबसे छोटी हूं, दसवीं कक्षा की छात्रा हूं, सब कहते हैं मैं बिल्कुल हिरोइन अमृता राव जैसी दिखती हूं, मैं अपनी सच्ची बात आज लिखने की बड़ी मुश्किल से हिम्मत जुटा पाई हूं. इसमें लिखी एक एक शब्द एक एक बात सच है.
मैं बहुत स्लिम लड़की हूं, मेरे साइज में मेरी कमर 26″ मेरे ब्रेस्ट 32″ और हिप्स 36″ के हैं. पर मेरे पापा मुंबई में जहाज में काम करते हैं.हम गरीब घर से हैं, ज्यादा पैसा नहीं है मेरे मम्मी पापा के पास, मेरे पापा एक साल के लिए मुंबई चले जाते हैं.

मेरी बड़ी बहन मेरी दीदी के यहां से निमंत्रण आया कि वहां भागवत की कथा है, मुझे दीदी ने बुलवाया, मम्मी से दीदी बोली- संध्या को भेज दो सात आठ दिन के लिए, मेरे काम में हेल्प करायेगी. मम्मी भाई को बोली- जा इसे दीदी के पास पहुंचा दे!और मेरा भाई मुझे दीदी के यहां पहुंचा के चला आया.
दीदी के हसबैंड यानी मेरे जीजा जी चार भाई हैं और दीदी के घर वाले सबसे बड़े हैं भाईयों में… तो उनसे जो तीन छोटे भाई हैं मैं उनको भी जीजा कहती हूं. जो दीदी के हसबैंड हैं उनसे दूसरे नंबर के हैं उनका नाम सतीश है, वो अक्सर मुझसे मजाक करते और मुझे घूरते रहते थे, उनकी नियत मेरे प्रति अच्छी नहीं थी.
दीदी के यहां सब बोरवेल में नहाते थे और शौच के लिए बाहर जाना पड़ता था.एक दिन मैं नहा के आयी, व्हाइट कलर की मैक्सी पहन कर नहाई थी, अंदर ब्लैक कलर की ब्रा और पैंटी थी पानी में भीगने के कारण सब दिख रहा था.
मैं जैसे ही आंगन में नहा कर आई, सतीश जीजा सामने आ गये और उस समय अगल बगल कोई नहीं था तो मुझे बोले- संध्या जी, तुम्हारा सब कुछ दिख रहा है, मेरी नियत मत खराब करो नहीं तो अच्छा नहीं होगा. ऐसे दिखा देती हो तो फिर कंट्रोल नहीं होता है.मैं भी उनसे खूब मजाक कर लेती थी तो मैं बोली- जीजा जी मत देखा करो जब हिम्मत नहीं है तो!
और उन्हें चिढ़ाते हुए बोली- मर्द वो होता है जो बोलता नहीं, करके दिखा देता है. जो बादल गरजते हैं बरसते नहीं जीजा जी.तब वो बोले- संध्या, तुम मेरी साली लगती हो, मतलब आधी घरवाली हो, मेरा हक बनता है तुम पर… फिर भी तुमने मेरी मर्दानगी पर सवाल खड़े कर दिए, अब तो तुम्हें बताऊंगा कि मैं कैसा मर्द हूं.मैं बोली- क्या कर लोगे?जीजा पास आये और बोले- संध्या, मेरी सेक्सी साली पकड़ के लगता है अभी यहीं आंगन में तुम्हें चोद दूं, मेरा लन्ड तुम्हारी बुर में घुसेगा तो सारी गर्मी उतर जाएगी तुम्हारी संध्या… चीखने लगोगी इतना बड़ा मस्त लंड है मेरा, लड़कियां तरसती हैं मुझसे चुदवाने के लिए.
मैं बोली- कोई नहीं तरसता… अपने मुंह से अपनी तारीफ मत करो जीजा, मुझे भी नहीं जानते हो कि मैं कौन हूं? मुझे संध्या कहते हैं, ऐसा कोई मर्द नहीं जो मेरी चीख निकाल दे समझे सतीश जीजा, फ्री में सब कर लोगे क्या मुझसे, सड़क में पड़ा फ्री का माल समझ लिया क्या मुझे आपने जीजा? भला छूकर दिखाओ?
सतीश बोले- वाह संध्या, तुम शहर की हो और तुम्हें शहर का पानी लग गया, शहर की लड़कियां तो सही हैं पैसे के बिना या कुछ लिए नहीं देती.तब मैं बोली- जानते सब हो, जीजा समझदार हो, और समझदार के लिए इशारा काफी होता है.
तब सतीश जीजा बोले- अब साफ साफ संध्या अपना रेट बोलो और मुझे तुम्हें आज ही चोदना है.
मैं बोली- पागल हो गये क्या जीजा? मैं वैसी लड़की नहीं कि पैसे में बिक जाऊं, मैं अनमोल हूं कोई खरीद नहीं सकता, हां प्यार से कोई कुछ भी दे दे चलता है.तब जीजा बोले- चलो फिर सतना कल… जैसी ड्रेस चाहिए दिलवा दूंगा.मैं यह बात सुनकर खुश हो गई और बोली- मजाक तो नहीं कर रहे हो? सच नहीं हो तो मत बोलना.जीजा बोले- पक्का वादा, ड्रेस दिलवाऊंगा!
मैं बोली- कल मैं अपने घर जा रही हूं, आप कल की जगह परसों आओ, मैं मम्मी को बता दूंगी कि सतीश जीजा मुझे ड्रेस दिला रहे हैं. आप आकर कह देना कि मैं संध्या को ड्रेस दिलवाने ले जा रहा हूं फिर घर पहुंचा दूंगा.
सतीश जीजा बोले- अब आप के लिए कल का पूरा कार्यक्रम रद्द करना पड़ेगा, चलो ठीक है परसों तैयार रहना अपनी मनपसंद ड्रेस के लिए… मैं सुबह नौ से दस के बीच आ जाऊंगा.मैं सच में खुश हो गई कि परसों मुझे मेरे पसंद की ड्रेस मिलेगी.
मैं दूसरे दिन अपने घर मम्मी के पास पहुंच गयी और अब सुबह का इंतजार करने लगी, सवेरा हुआ, जल्दी सेतैयार हो गई, मम्मी को पहले ही बता चुकी थी कि सतीश जीजा मुझे सतना ड्रेस दिलाने ले जाने को बोले हैं.मम्मी ने पूछा- तूने तो नहीं बोला?मैं बोली- नहीं मम्मी, वो खुद ही दिला रहे हैं.मम्मी ने बोला- ठीक है, चली जाना, पर उन्हें ज्यादा परेशान मत करना!मैं बोली- ठीक है मम्मी!
मैं इंतजार कर रही थी कि तभी सतीश जीजा जी बाइक लेकर आये ठीक नौ बजे… मैं तैयार खड़ी थी, मैं आसमानी कलर की फ्राक वन पीस पहनी थी, पिंक कलर की लिपस्टिक लगाई थी, जीजा जी मुझे देखने लगे.मैं बोली- जल्दी चलो जीजा!मम्मी बोली- पानी चाय तो पी लेने दे.तब जीजा जी बोले- लौट के आके सब करेंगे आंटी, अभी जाने दो!मम्मी बोली- ठीक है, जाओ! और ये संध्या अगर ज्यादा परेशान करे तो बताना या आप ही डांट देना.
जीजा बोले- अरे इतनी अच्छी साली है, मैं थोड़ी न डांटूंगा.और हम दोनों चल दिए. मैं बाइक पर दोनों पैर एक तरफ करके बैठ गई तो जीजा बोले- टांगों को इधर उधर करके बैठो!तब मैं बोली- अभी यहां से चलो, फ्रांक पहनी हुई है!
जीजा चल दिए, थोड़ी देर में सतना पहुंचे तो जीजा बोले- अभी साढ़े नौ बजे हैं, इतनी सुबह दुकान नहीं खुलती, ग्यारह बजे तक दुकान खुलेगी. तब तक मेरा किराये का कमरा है कृष्ण नगर में वहीं दो घंटे थोड़ा रूकेंगे, नश्ता करेंगे फिर चल के तुमको बढ़िया ड्रेस दिलवाऊंगा.मैं बोली- ठीक है!
काफी हाउस से जीजा ने नाश्ता पैक कराया और कोल्डड्रिंक लिए और चल दिए, रूम पहुंच गए. जीजा ने कमरे का ताला खोला, सिर्फ एक ही कमरा था, उसमें चारपाई रखी थी, उसमें बिस्तर लगा हुआ था.जीजा जी बोले- आराम से बैठ जाओ संध्या बिस्तर में, यही गरीबखाना है जहां रहकर मैं ड्यूटी करता हूं.मैं बोली- अच्छा तो है जरूरत के हिसाब से अकेले रहने के लिए!और मैं बिस्तर में बैठ गई.
तभी जीजा ने अंदर से रूम को लॉक कर दिया.मैं बोली- जीजा, तुमने दरवाजा क्यों बंद कर दिया अंदर से?तो जीजा बोले- अपन अभी नाश्ता कर लें, वैसे भी मैं जब कमरे में आता हूं तो बंद ही कर लेता हूं.मैं कुछ नहीं बोली.
तभी जीजा ने एक प्लेट में इडली निकाली और गलास में कोल्ड ड्रिंक और सामने रखे, मैं बोली- मुझे खाने की इच्छा नहीं!तो जीजा अपने हाथ से लेकर मेरे मुंह में डालने लगे और बोले- मेरी खूबसूरत साली संध्या, तुम यह मेरे हाथ से खाओ!मैं खाने लगी.
तभी जीजा प्लेट रखकर मेरे को बोले- थोड़ा मुंह में होंठ के नीचे यहां पर कुछ लग गया है.मैं बोली- मैं पौंछ लूंगी!लेकिन जीजा ने अपने हाथों से मेरे होठों को अपनी उंगलियों से छुआ और बोला- कितने कोमल होंठ हैं तुम्हारे साली जी!मैं शरमा गई कुछ नहीं बोली.
तभी जीजा ने रुमाल निकाला तो मैंने सोचा कि कुछ पौंछ रहे हैं. कि तभी वो सीधे मेरे होठों को अपने होठों से चूमने लगे.मैं बोली- यह क्या कर रहे हैं जीजा? यह मुझे पसंद नहीं, प्लीज यह मत करिए, मुझे छूना नहीं मैं आप से कितनी छोटी हूं.तभी जीजा बोले- परसों अपनी बात हो गई थी, संध्या तुमसे क्या बात हुई थी? तब तुम बोली थी कि फ्री में कुछ नहीं होगा तब मैं बोला था कि कितना लोगी तो तुमने कहा था कि मैं पैसे नहीं लेती, तो मैं पूछा क्या पसंद है चलो मैं तुम्हें अच्छी सी ड्रेस दिला दूंगा और आज मैं अपना वादा पूरा करने तुम्हें ले आया, अब तुम अपना वादा पूरा करो संध्या!मैं बोली- नहीं जीजा, वह मजाक था, मैं तो ऐसे ही मजाक में सब कह रही थी.तो जीजा बोले- मजाक था तो तुम सतना यहां ड्रेस के लिए क्यों चली आई? यह उसी मजाक में ही तो यह बात हुई थी.
तब मैं कोई जवाब नहीं दे पाई. लेकिन असल में तो मैं जानती थी कि मैं अपनी मर्जी से यहा जीजा के साथ अपनी बुर चुदवाने ही आई हूँ. मैंने सोचा कि अब मैं इस जीजा को पूरा तड़पाऊँगी अपनी बुर चुदाई करवाने से पहले! खूब मजा लूंगी, फिर बुर चुदाई की मजा लूंगी. खूब नखरे करूंगी, रोऊंगी, गिदागिदाऊँगी, पूरा विरोध करूंगी फिर आखिर में मैं अपनी बुर चोदने दूंगी.
जीजा मेरे बगल से बैठ गए चारपाई में और मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया, मैं छुड़ाने लगी, तो जीजा बोले- मैं बोला था ना कि चैलेंज मत करो संध्या डार्लिंग, तुम मेरी साली हो और साली आधी घरवाली होती है, मान जाओ तुम इतनी सेक्सी तो हो फिर क्यूं नाटक करती हो.मैं उनके हाथ जोड़ने लगी, बोली- छोड़ दो मुझे, जाने दो, मुझे आपसे ड्रेस नहीं चाहिए जीजा, प्लीज मुझे जाने दो, नहीं तो मैं चिल्लाऊंगी, सबको बता दूंगी, दीदी को भी बता दूंगी, मुझे जाने दो.
जीजा बोले- नाटक मत करो संध्या, तुम अब छोटी नहीं हो, मैंने तुम्हें देखा है तुम्हारे हुस्न और जिस्म को अच्छी तरह से सब देखा है, मैं चोरी से तुम्हारे पीछे पीछे ही लगा रहता था, जब तुम लैट्रिन के लिए लोटा लेकर बाहर जाती थी, मैं पीछे-पीछे आता था और झाड़ी के पीछे छुपकर लेट्रिन करते हुए तुम्हारी नंगी गांड, बहुत टाइट थी और बहुत बड़ी है अच्छे से देखा, छुप कर लेट्रिन कर जब तुम कपड़े पूरे उतार कर नंगी हो कर फिर सही वाले कपड़े पहनती थी तब जिस पीछे वाले कमरे में बदलती थी वहीं तख्त के नीचे मैं दौड़कर पहले से घुस जाता था और जब तुम कपड़े उतारने लगती, तब मैं तुम्हें नंगी देखकर वहीं मुट्ठ मारता रहा हूं, कई बार तो लगा था कि तुमसे लिपट जाऊं और तुम्हें जमके चोद दूं. तुमने दो तीन बार नंगी होकर अपनी बुर फैलाकर उसे अपनी उंगली से साफ कर रही थी, क्या मस्त बुर थी तुम्हारी संध्या, उस समय तो कैसे सम्हाला अपने आप को मैंने… मैं ही जानता हूं. जब तुम नहाने जाती थी तब मैं रोज देखता था कि कैसे अपने जिस्म को रगड़ रगड़ कर साफ किया करती रही हो, भीगे होंठ, भीगे गाल, भीगा सीना उठा हुआ, भीगा चिकना पेट और उसमें कयामत सी दिखने वाली नाभि तुम्हारी संध्या, पानी में तुम्हारा पूरा बदन वाह माई गॉड, पागलपन था संध्या! तुम क्या जानो संध्या कि तुम कितनी मस्त माल हो गई हो, इसलिए झूठ बोलना बंद करो कि तुम कोई छोटी लड़की हो. आज तुम्हें मैं बहुत मजा दूंगा, तुम जन्नत में पहुंच जाओगी.
मैं बोली- कितने गन्दे हो, छी मुझे लेट्रिन करते देखा… थू!


दोस्तो और एक कहानी चालू की है प्लीज बताये की यह भी इस फोरम पर किसी और नाम से है या नही तो आगे कहानी पोस्ट करता हु यह एक कहानी नही अलग अलग कहानियों का संकलन है जो मैंने एक सूत्र में पिरोया है पर मेरे किसी और मित्र ने भी यह प्रयास किया हो सकता है
तो मेरे लिये प्लीज् बताने की कृपा करें प्लीज् मुझे यह बताये की मैं आगे कहनिया पोस्ट करू या सिर्फ कहनिया पढनेके काम करु.... सीड

साली की चुदाई की कहानी जारी रहेगी.
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