RE: Chudai Kahani मेरी कमसिन जवानी की आग
और तभी जीजा का एक हाथ जो खाली था, उससे बूब्स को दबा रहे थे, मेरे दोनों बूब्स ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगे, मैं अब कुछ बोल ही नहीं पा रही थी, मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था और मैं बिल्कुल मचलने लगी.जीजा बोले- क्या मस्त माल हो संध्या… तुम अभी तक कितने लन्ड ले चुकी हो?मैं बोली- यह क्या बोल रहे हो जीजा, आज तक मुझे किसी ने छुआ भी नहीं है, आप भी मत करो. मुझे बहुत डर लग रहा है, ना जाने मुझे क्या होने लगा है, मैं छोटी हूं, मुझे कुछ नहीं पता.
तभी जीजा जोर से मेरे होठों को चूमने लगे और बोले- संध्या, तुम बहुत बड़ी वाली हो, झूठ बहुत बोलती है. मैं अभी तुम्हारे चूत में उंगली कर रहा हूं वह शट-शट अंदर बाहर जा रही है, तुम चुप ही रहो भले ही ना बताओ!मैं थोड़ी सी अकड़ कर बोली- अपने मन से कुछ भी मत बोलो जीजा, आज तक मुझे किसी ने छुआ भी नहीं, करना तो दूर की बात है.हालांकि मैंने यह झूठ बोला, कमलेश सर पहले मर्द हैं जिसने मेरे बदन को छुआ और मेरे चूत को चाट चुके थे पर उन्होंने भी मुझे चोदा नहीं था.
तभी जीजा मेरे होठों को फिर से कस के चूम लिया अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, जीजा मेरे मुंह को खुलवाने लगे और जैसे ही मैंने अपना मुंह खोला, मेरे जीभ को अपने होठों से पकड़कर चूसने लगे और चाटने लगे.मैं अब बिल्कुल मचलने सी लगी, जाने कैसे मेरे हाथ जीजा के पीठ में चले गए और मैं हांफने लगी, तभी जीजा बोले- संध्या तुम बहुत मस्त माल हो, तुम मेरी रखैल बनना.
मेरी हालत अब ये हो गई कि मैं अब कुछ नहीं करने की स्थिति में पहुंच गई थी.
तभी जीजा बिस्तर से उठे और अपने कपड़े उतारने लगे, मैं उठकर बैठने लगी तो जीजा बोले- संध्या, अब नाटक किया तो उठा कर पटक दूंगा, तुम्हारा मन है बहुत चुदवाने का है फिर ऐसा क्यों कर रही हो.मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्योंकि आज के पहले सिर्फ कमलेश सर ने मुझे छुआ, वह भी मेरे ही घर में मुझे छुआ था, तो मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी, पर जीजा ऐसा बोले तो मैं बिस्तर में ही रह गई.
अब जीजा मेरी सामने अपनी शर्ट पैंट उतार के पहले अंडरवियर बनियान में आए, मैं उनको देख ही रही थी, मेरे सामने अपना बनियान उतारा उनकी नंगी छाती देखी और फिर जैसे ही अपनी अंडरवियर नीचे खिसकाने लगे, कमर से नीचे करते ही जीजा का लन्ड बहुत लंबा और मोटा मेरे सामने तना हुआ खड़ा था.
अपनी अंडरवियर उतार फेंक कर जीजा पूरे नंगे हो गए, उनके लन्ड के पास बहुत सारे बाल थे, नंगे होकर जीजा मेरे बिस्तर पर चढ़ आए, मेरा सीना जोर जोर से धक धक करने लगा, मेरी सांसें बहुत तेज़ हो गई अब मुझे बहुत घबराहट होने लगी.
बिस्तर में आकर मेरे सीने में हाथ रखकर मुझे बोला- सीधी हो जाओ संध्या!मैं वैसी ही लेटी रही तो जीजा ने खुद पकड़ कर मुझे सीधा लिटा दिया और मेरी फ्रॉक को खींच कर ऊपर किया और गर्दन से उतार बाहर कर दी, अब मैं जीजा के सामने ब्रा और पैंटी में लेटी थी.जीजा बोले- ओहहह गाड… संध्या तुम तो कयामत हो, क्या मस्त लौंडिया हो क्या माल हो! मैंने आज तक तुमसे मस्त माल नहीं देखा, इतनी हिरोइन फिल्मों में देखी, इतनी लड़कियां देखी, कोई भी लड़की तुम्हारे आस पास भी नहीं! संध्या तुम बहुत मस्त माल हो, क्या गजब की चिकनी टांगें हैं तुम्हारी, क्या मस्त सेक्सी गहरी नाभि है, और क्या कड़क बूब्स लग रहे हैं, मुर्दे के सामने ऐसे चली जाओ संध्या तो वो भी खड़ा हो जाए, कितने मस्त मस्त प्यारे लाल सुर्ख होंठ हैं, और उसमें प्यारी सी तुम्हारी सेक्सी नाक है, आंखों का तो कहना ही क्या… है लगता है बिल्कुल चुदवाने का इशारा कर रही हैं.
जीजा की यह बातें मेरे को अंदर से अच्छी लगी.
इतने में जीजा मेरी पेंटी को धीरे से पकड़कर उतारने लगे, मैं बोली- जीजा मत करिए… हाथ जोड़ती हूं मुझे छोड़ दो, बहुत डर लग रहा है कभी नहीं करवाया.पर जीजा कहां मानने वाले… उन्होंने पैंटी को उतार फेंका अब मेरे बदन पर सिर्फ ब्रा बची थी, जीजा ब्रा के ऊपर से ही दोनों बूब्स अपने दोनों हाथों से पकड़ कर जोर से दबाने लगे.मैं चीख उठी, जैसे चीखी जीजा ने मेरे होठों को चूम लिया और बोले- इस तड़प और दर्द में बहुत मजा होता है संध्या!
फिर जीजा ने मेरी ब्रा के हुक पर हाथ रखकर ब्रा को खींच दिया, हुक टूट गई, ब्रा अलग हो गयी, मैं बोली- मेरा ब्रा तोड़ ड़ी!तभी जीजा बोले- तुझे आज 4-5 ब्रा खरीदवा दूंगा, चिंता मत कर!
अब मैं जीजा के सामने बिस्तर में पूरी नंगी लेटी थी, जीजा भी पूरे नंगे थे, इस तरह पहली बार आज कोई मर्द मेरे ऊपर मुझे पूरी नंगी करके और मेरे ऊपर पूरा नंगा होकर लेट गया.
जीजा मेरे ऊपर चढ़ गये, फिर मुझसे चिपक गए, मेरा अब हाल बहुत बुरा था, मैं कुछ सोच नहीं पा रही थी कि यह सब क्या है?जीजा का शरीर बहुत गर्म होकर तप रहा था, उनका सीना मेरे सीने से चिपक गया, मेरे होंठ पर अपने होंठ रख दिए, नीचे उनका लन्ड मेरी चूत में रगड़ खा रहा था.
जीजा बोले- संध्या, तुम्हारा जिस्म तो आग की भट्टी की तरह बहुत गर्म है, तुम प्यासी हो, बहुत चुदासी हो!मैं यह बात समझ नहीं पा रही थी.
तभी जीजा उल्टे हो गए, उन्होंने अपने पैर मेरे मुंह तरफ कर दिए और अपना मुंह मेरे पैरों तरफ…मैं बोली- जीजा छोड़ दो, जाने दो!मेरे मुंह से सिर्फ यही सब निकल रहे थे, जीजा को इन बातों से कोई मतलब नहीं था कि मैं क्या बोल रही हूं, मेरी क्या हालत है?
उल्टा लेटने के कारण उनकी कमर मेरे मुंह की तरफ हो गई और जीजा ने अपना मुंह मेरे पैरों तरफ करके मेरी टांगों को फैलाया और सीधे अपना मुंह मेरे चूत में रख दिया और अपने होठों से जैसे मेरी चूत को चूमा मैं उछल पड़ी और मेरे मुंह से उंहहह निकल गया!
मेरी पहली चुदाई की स्टोरी जारी रहेगी.
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