RE: Chudai Kahani मेरी कमसिन जवानी की आग
अब तक इस चुदाई की कहानी में आपने पढ़ा कि चाचा ने मेरी गांड में अपना लंड घुसेड़ रखा था और मनोहर ने मेरे मुँह में अपना लंड ठूंस रखा था. नीचे मेरी चुत को दिनेश चाटने में लगा था.
अब आगे..
अब मनोहर ने मेरे मुँह से अपना लंड निकाला, मुँह से लंड निकलते ही मैं चीखने लगी, रोने लगी, बोलने लगी कि चाचा छोड़ दो मुझे, मुझे नहीं करवाना बहुत दर्द हो रहा है, मैं मर जाऊंगी मुझसे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा.
तभी चाचा बोले- अरे मेरी जान संध्या, अभी तो आधा ही घुसा है.. देख तुझे कितना मजा आने वाला है, रो मत थोड़ा सब्र रख.. बस थोड़ी ही देर में तू बहुत इंज्वाय करेगी. आज तेरी मस्त चुदाई करने वाला हूं.. तू अभी से घबरा मत. देख हम तीनों मिलकर कैसे तेरी चुदाई करते हैं, तुम खुद थोड़ी देर बाद हम तीनों से बोलेगी कि फाड़ दो मेरी चूत और गांड. बस पांच सात मिनट थोड़ा दर्द सह ले.
मनोहर ने मेरे पैरों तरफ आकर मेरे पैर के तलवे चाटना शुरू कर दिया. मुझे गुदगुदी होने लगी. फिर मेरे पैर के अंगूठे चूसने लगा. एक अलग ही तरह से मनोहर मुझे प्यार करने लगा. मेरी टांगों को अपने जीभ से नीचे से ऊपर की ओर चाटने लगा. मुझे सच में बहुत अच्छा महसूस होने लगा. मुझे गांड में फंसे चाचा के लंड का दर्द महसूस नहीं हो रहा था. अब मनोहर मेरी जांघों के पास चाटने लगा. जैसे ही मनोहर की जीभ मेरी जांघों में चलने लगी, मैं पूरी की पूरी मदहोश होने लगी.
अब मनोहर मेरी चूत के पास जो हल्के हल्के बाल थे, उनको सहलाने लगा और उसने मेरी चूत में अपना मुँह रख दिया और नाक से अपने चूत को मेरी सूंघने लगा. वो बोला- संध्या, तेरे चूत की क्या मदमस्त करने वाली खुशबू है.. लगता है बस तेरी चूत की उंहहहह ओह सुगंध को सारी उम्र लेता रहूं.
इसके बाद मनोहर ने अपनी जीभ से पहले चूत के पास जो बाल थे, उन्हें चाटा और फिर मेरी दोनों टांगों को चौड़ा किया. जैसे ही मेरी चूत खुली देखी, वो बोला- संध्या, तू मुझसे शादी कर ले, मैं अपनी बीवी को छोड़ दूंगा और तेरी चूत को सारी उम्र देखकर, चाटकर गुजार दूंगा, मैंने आज तक तेरी जैसी खूबसूरत गुलाबी चूत नहीं देखी.
उसकी बातें सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा, पर मैं कुछ नहीं बोली. इसके बाद मनोहर ने अपने कंधे पर मेरी एक टांग उठा कर रख लिया और मेरी चूत को अपने जीभ से इतनी जोर जोर से चाटने लगा कि मैं अब खुद को नहीं सम्हाल पाई. इस वक्त चाचा का लंड मेरी गांड में घुसा हुआ था.
मैं दिनेश को, जो मेरे सामने था उसे पकड़ने लगी और उसको बोली- दिनेश कुछ करो.. मुझसे रहा नहीं जा रहा है.. प्लीज कुछ करो.
मैं दिनेश से लिपट कर दिनेश के होंठों को जमकर चूसने लगी. दिनेश ने भी मेरे होंठों को बहुत दबाकर चूसा. उसने मेरा मुँह खोलकर जीभ को अपने मुँह में डाल लिया और चूसने लगा. मैं बता नहीं सकती कि उस समय मेरा क्या हाल था.
नीचे मनोहर ऐसे रगड़ कर चूत को चाट रहा था और खा रहा था कि बस पूछो मत. ऊपर दिनेश ने अब मेरे एक दूध को पकड़कर इतने जोर से दबा दिया कि मेरी चीख निकल गई. वो उस दूध को और जोर से मसलने लगा.
मेरे होंठों को छोड़ कर दिनेश बोला कि चाचा अब संध्या बहुत ज्यादा चुदासी हो गई है.. और गर्म करना ठीक नहीं है. इसे अब चोदना शुरू करो.चाचा बोले- तू ठीक कह रहा है दिनेश.. ये संध्या चुदाई के लिए पागल हो रही है. इसकी चूत, गांड और मुँह में एक साथ लंड घुसाना है, जिससे इसे आज एक नया अहसास चुदाई का हो.
मुझसे चाचा ने कहा- संध्या बोल.. सारे छेद एक साथ चोदें कि नहीं?मैं बोली- मुझे कुछ नहीं पता चाचा जो मन हो करो.. पर ये मेरी आग को मेरी तड़प को खत्म करो.. इसे मिटाओ.चाचा बोले कि ठीक है, एक साथ तीनों छेदों में लंड डालेंगे.. सह लोगी?मैं फिर से बोली- चाचा मुझे कुछ नहीं पता.. जो भी करना है, बस जल्दी करो.. मुझसे रहा नहीं जा रहा है.
चाचा ने मनोहर को बोला- तुझे संध्या से शादी करना है ना.. चल चूत में लंड डाल और ऐसा चोद कि तेरे अलावा संध्या को किसी का लंड पसंद ही नहीं आए. दिखा दे अपनी मर्दानगी.मनोहर बोला- चाचा संध्या की चूत को जबरदस्त चोदूंगा, चाहे फट क्यों न जाए.
अब मनोहर ने मेरी दोनों टांगों को पूरा फैलाकर अपने कंधे पर चढ़ा लिया और अपने मोटे लम्बे लंड को मेरी चूत में टच कराया.. मतलब मेरी चूत के मुहाने पर मनोहर का लंड रख गया.मुझे ऐसा लगा कि बिना देर किए मनोहर लंड को सीधा घुसा दे.
मनोहर बोला- संध्या, तेरी चूत बहुत चुदासी है और मेरा लौड़ा भी पागल हो रहा है, अब मैं तेरी चूत में लंड घुसा रहा हूं.
उसने तुरंत मेरी चूत में अपना लंड डालना शुरू किया, मेरी चूत बहने लगी थी मतलब बहुत गीली हो चुकी थी. तो मनोहर के लंड का टोपा तो आराम से घुस गया.
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