RE: Chudai Kahani मेरी कमसिन जवानी की आग
यह कह कर सीड ने अपना लन्ड मेरे मुंह से निकाल कर उठ कर मेरे पैरों तरफ बैठ गया.
अब राज मुझे दिखा, वो अपना लन्ड हाथ में लिये हिला रहा था, राज बोला- सच बोल रहा है सीड तू! क्या मस्त माल है ये संध्या… तेरा लौड़ा कैसे मस्त चूस रही थी, मैं देख कर ही पागल हो रहा था, पहले थोड़ा बुरा लगा जब तूने इसको पहले चोरी से चोद दिया और फिर जब अभी दोबारा इसकी चूत चाटना शुरू किया.पर जब मैंने संध्या को देखा कि ये कैसे मस्त सेक्सी सेक्सी चेहरे के इम्परेशन दे रही थी और जबरदस्त चूत तुमसे चटवा रही थी, इसे मस्त चुदासी देख कर मेरा लौड़ा भी सख्त हो गया. और ये कुतोया एकदम से मुंह में भर कर तेरा लन्ड पागलों की तरह चाटने लगी… सच बोलूं सीड, मुझे उतना मजा तब भी नहीं आया मुझे जब अभी थोड़ी देर पहले इस संध्या की चूत मैंने चाटी और इसने मेरा लन्ड चूस कर लंड रस पिया था.मुझे जितना मज़ा तुम दोनों का ओरल सेक्स, यानि चूत चटाई और लंड चुसाई देख कर आया, पहले कभी नहीं आया. और जब संध्या तेरा लौड़ा मुंह में लेकर चूसने लगी, चाटने लगी और तू सीड इसकी चूत चाटने लगा, और फिर इसके बूब्स दबाकर चूसना शुरू किया… ये सब देखकर मैं पागल हो गया था और बहुत एक्साइटेड हुआ, संध्या को करने से ज्यादा देखने में मजा आया.
मैं भी राज की बात सुनकर खुश हुई कि मस्त मर्द है ओपेन माइंड का, ऐसा ही पति होना चाहिए.
राज सीड को बोला- यार सीड, अब देर मत कर भाई, जमकर चोदो तुम, मुझे भी संध्या को चुदते मस्त देखना है!तब राज और सीड ने हाथ मिलाया और सीड ने राज को थैंक्स बोला, फिर कहा- तू मस्त है भाई! अब देख कैसे तेरी होने वाली बीवी को आज चोदता हूं.
तभी राज बोले- यार सीड, तेरा लन्ड मेरे लन्ड से तीन गुना बड़ा है. कैसे किया इतना बड़ा अपना लन्ड? कुछ दवाएं लेता है क्या?सीड बोला- नहीं, कोई दवाई नहीं लेता, बस जैतून के तेल से मालिश करता हूं लन्ड की हर रोज!राज बोला- कल से मैं भी करूंगा.
यह बात बिल्कुल सच है कि मेरे होने वाले पति से दो गुना, तीन गुना ज्यादा बड़ा है सीड का लन्ड!
अब सीड मेरे ऊपर तरफ आने लगा और राज मेरे सामने खड़ा हो गया, सीड ने मेरी दोनों टांगों को पकड़ लिया और बोला- क्या सेक्सी गीली रसीली चूत है तेरी संध्या! चल फैला टांगें अपनी! मैंने अपनी जांघें खोल कर फैला ली और कमर से ऊपर उठा दिए अपने पैर, तो सीड ने पहली बार मेरी गान्ड के छेद पर अपना मुंह रख दिया और मेरे गांड में अपनी जीभ डाल दी.
सीड बोला- यार अभी तक ध्यान ही नहीं दिया कि इसकी गांड कितनी मस्त है. संध्या बोल तेरी गांड में डालूं अपना लन्ड?फिर बोला- कुतिया तू ऐसा कर कि अपने होने वाले पति राज से गांड की सील तुड़वा ले!
मुझे बात बिल्कुल सही लगी कि कुछ तो होने वाले पति से अब करवा लूं. नहीं तो पता चला कि उसमें भी पहली बार सीड ने अपना लन्ड डाल दिया.तो मैं तुरंत बोली- ठीक है!और राज को बोली- आप आ जाओ!राज बोला- बहुत चुदक्कड़ हो!मैं बोली- आज जवाब दे ही दूं आपकी बात का!
मैं बोली- तुम आज मेरा पति नहीं हो, होने वाले हो…
सच बताऊं कि सब मर्दों की नजर ने मिल कर बिगाड़ दिया मुझे! कैसे? जानते हो… घर में करीब से करीब रिश्तेदार, घर के बगल से पड़ोसी, स्कूल, टयूशन टीचर, भाई के दोस्त, पापा के दोस्त सब को बस एक ही चीज चाहिए कि कैसे भी संध्या के साथ सो जाऊं और उन्हें मैं अपनी चूत चोदने को दे दूं! बहुत लोग तो यही चाहते हैं कि थोड़ा ही सही बूब्स दबाने और चूसने को दे दूं, कुछ नहीं तो उनका लन्ड चूस लूं और वो भी नहीं तो अपनी गांड ही में उनका लन्ड डलवा लूं.
आज कल तो कोई ना रिश्ता मानते… ना उम्र की कोई लिहाज करते!
मम्मी कसम सच बोल रही हूं… साठ पैंसठ साल के बुड्ढे भी, मेरे सगे रिश्तेदार भी दूसरों की तो बात ही क्या करना… सब मेरे साथ सोना और सेक्स करना चाहतें हैं!ऐसे में कैसे बचाऊं खुद को बताओ राज?
जब मैं समझदार हुई, मेरे घर में मेरी मम्मी के कारण घर में यही सब चलते देखा, मम्मी के कई लोगों से शारीरिक संबंध थे जो मम्मी के लिए आते थे. जब मैं जवान होने लगी थी, तभी से उनकी निगाहें मेरी तरफ गंदी हवस भरी होने लगी थी.
पापा के स्कूल टाइम के सबसे अच्छे करीबी दोस्त कमलेश अंकल ने मुझे की सेक्सी कहानियों की एक बुक दी और बोले- इसे अकेले में पढ़ना, कोई ना देखे!और फिर गंदी गंदी सेक्स करते की फोटो वाली मैगजीन दिये. वो मेरे स्कूल में टीचर भी थे. बुक में लिखी कहानियों को मैंने पचास साठ बार पढ़ा, उसके बाद कभी मेरा पढाई में मन नहीं लगा और जब घर में कोई ना हो तो वो मैगजीन की फोटो देखती तो मुझे बहुत कुछ होने लगा था और फिर मेरा बहुत मन करता था कि कोई आके चोद दे.
जब कोई मर्द घर आता तो मम्मी मुझे कुछ खरीदने या खेलने के बहाने से बाहर भेज देती थी, अब मैं बड़ी हो गई थी तब भी बाहर भेज देती थी, पर मुझे बड़ी बेचैनी होने लगी जब से वो कहानियों की किताब पढ़ी… मुझे लगने लगा कि मैं घर पर ही रहूं और देखूँ कि मम्मी और अंकल क्या करते हैं, कैसे करते हैं.पर मैं उनको नहीं देख पाती थी.
इसलिए जब पापा छुट्टी पर मुंबई से आते तब जब भी मम्मी पापा अंदर होते तो दरवाजे के होल से चुदाई करते देखती थी. मम्मी पापा की चुदाई देख कर मैं खुद को सम्भाल नहीं पाती थी. मैं मम्मी के कमरे में चारपाई के नीचे चुपके से घुस जाया करती थी. एक बार जब पापा के दोस्त धनंजय चाचा और दूसरे बार जब कमलेश अंकल आये थे, तब मैं चारपाई के नीचे थी इसलिए देख कुछ नहीं पायी थी पर बातें, आवाज सब सुनी. उसी समय से मेरा मन भी अपने अंदर घुसवाने करने लगा था.
मेरी चुदाई की नंगी कहानी जारी रहेगी. मेरी स्टोरी में सब कुछ सच है.
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