RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
सोनिया भी अपने भाई की कल्पना में डूबी रही सारा दिन और जब शाम को राजन घर आया तो उस पर टूट पड़ी। वहीं ड्राइंग रूम में ही उसे नंगा करने लगी, बड़ी मुश्किल से राजन जैसे तैसे दरवाज़ा बंद कर पाया।
नेहा अभी वापस नहीं आई थी क्योंकि वो अपने दोस्तों के साथ कॉलेज के बाद फिल्म देखने चली गई थी। सोनिया और राजन दोनों घर में अकेले ही थे। खैर अकेले न होते तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता।
सोनिया तो पहले से ही नंगी थी। राजन के कपड़े उतरते ही सोनिया ने इसका लटका हुआ लंड अपने मुँह में भर लिया। अब क्लीनिक से ट्रैफिक के धक्के खा कर आए हुए आदमी का लंड इतनी आसानी से तुरंत तो खड़ा नहीं हो सकता। सोनिया उसे चूसे जा रही थी और वो नर्म पड़ा 4 इंच का ही उसके मुंह में भरा हुआ था। वैसे तो अभी सोनिया को गले तक लंड लेना नहीं आया था। लेकिन अभी लंड की जो अवस्था थी, उसमें सोनिया ने उसे जड़ तक अपने मुँह में ले रखा था और उसके होंठ राजन के अंडकोष को छू रहे थे।
यह राजन के लिए एक नया अनुभव था और उसके छोटे मियाँ को खड़े होने में देर नहीं लगी। जब वो पूरी तरह खड़ा हो गया तो राजन ने कोशिश की कि वो उसे सोनिया के मुँह से निकाल कर चूत में डाल दे, लेकिन जब सोनिया ने छोड़ने से मना कर दिया तो राजन ने सोनिया को कमर से पकड़ कर उठाया और उसकी जाँघों को अपने कन्धों पर रख कर खड़ा हो गया अब वो खड़े खड़े अपनी बीवी की चूत चाट रहा था और सोनिया उसके कन्धों पर उलटी लटकी हुई उसका लंड चूस रही थी।
तभी नेहा भी घर आ गई थी, उसने हमेशा की तरह अपनी चाभी से दरवाज़ा खोला और सामने जो देखा तो देखती ही रह गई। कुछ देर तक तो वो यूँ ही अवाक् खड़ी उनको देखती रही, फिर जब उसे होश आया तो उसने दरवाज़ा बंद किया और जल्दी से कपड़े निकाल कर अपने भाई के पीछे से जाकर उससे चिपक गई। फिर धीरे से नीचे सरकते हुए भैया के नितम्बों को चूमते हुए उनकी दोनों जाँघों के बीच अपना सर डाल कर नेहा उनके बॉल्स (अंडकोष) चूसने लगी।
शायद इसी वजह से थोड़ी ही देर में राजन, सोनिया के मुँह में झड़ने लगा।
वैसे तो शायद सोनिया उसका पूरा रस चूस जाती लेकिन शायद नेहा के अंडे चूसने की वजह से रस कुछ ज़्यादा ही निकल गया था या फिर उलटे लटके होने की वजह से सोनिया कण्ट्रोल नहीं कर पाई और थोड़ा वीर्य उसके मुँह से छलक कर नीचे बहने लगा जिसको नेहा ने जल्दी से चाट लिया।
यह देख कर सोनिया इतना उत्तेजित हो गई कि वो भी तुरंत झड़ने लगी।
उसके बाद राजन ने उसको नीचे उतारा और सोनिया ने नेहा के होंठों पर लगा राजन का वीर्य चाटना शुरू कर दिया। नेहा ने भी उसके होंठों और गालों पर जो वीर्य लगा था वो चाट लिया।
यह देख कर राजन हंस पड़ा और फिर सब हंसने लगे।
इसके बाद सबने खाना खाया और बैडरूम में सोने चले गए।
आज सोनिया अलग ही मूड में थी- आज तुम दोनों भाई बहन चुदाई करो, मैं बस देखूंगी।
नेहा- क्यों भाभी? ऐसा क्यों?
सोनिया- कुछ नहीं, आज कल्पना में मैं समीर के साथ चुदाई करना चाहती हूँ तो तुमको देख कर मुझे थोड़ी प्रेरणा मिल जाएगी।
और फिर राजन ने नेहा को खूब चोदा और उनको देख देख कर सोनिया ने जी भर के अपने भाई के नाम की चूत-घिसाई की। लेकिन आज नेहा और सोनिया ने एक नया खेल सीख लिया था, मिल बाँट कर लंड का रस पीने का खेल। राजन चूत में झड़े या मुँह में या कहीं और भी झड़े, नेहा या सोनिया उसे चाट कर अपने मुँह में भर लेती और फिर दोनों उसे एक दूसरी के मुँह से चाट कर या चूस कर निकालती और पी जाती।
ननद भौजाई के इस खेल ने उनके रिश्ते हो और मज़बूत कर दिया था, उन दोनों की कोई सगी बहन नहीं थी लेकिन अब वो एक दूसरे को अपनी बहन की तरह ही मानने लगी थी।
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