RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
समीर को होश आया कि उसने पेशाब का बहाना बनाया था तो वो ज़्यादा देर नहीं रुक सकता था, उसने जल्दी से अपने शॉर्ट्स ऊपर किये और बाहर आ गया।
नेहा- क्या कर रहे थे?
समीर- पेशाब करने गया था यार बहुत समय से नहीं की थी इसलिए इतना टाइम लग गया।
नेहा- तुम्हारा ये तो कुछ और ही कह रहा है।
नेहा ने समीर के शॉर्ट्स में बने तम्बू की तरफ इशारा करते हुए कहा।
समीर ने तुरंत अपने खड़े लंड को दोनों हाथों से छुपाया और सकपका कर वहीं बैठ गया।
नेहा- टेंशन मत ले यार, ये काम हमने भी किये हैं। अभी ही तो बताया था न तुझे…
नेहा ने माहौल को हल्का करने की कोशिश करते हुए कहा।
समीर धीरे से- इसीलिए तो सोचा, मैं भी आज़मा के देख लूँ।
और फिर दोनों हंसने लगे।
तब तक सोनिया भी वापस आ गई थी। वो डाइनिंग टेबल पर अपने खाने की तैयारी में लग गई और इधर सोफे पर नेहा और समीर की खुसुर-फुसुर शुरू हो गई।
नेहा- वैसे जितना तम्बू अभी देखने को मिला उस हिसाब से तुम्हारा हथियार भैया से कम तो नहीं होगा।
समीर- मुझे क्या पता उनका तो तुमने ही देखा है।
नेहा- तुमने भाभी को आज आज पहली बार देखा है या… इतना कह कर नेहा ने एक शैतानी मुस्कराहट के साथ अपनी भवें उछालते हुए सवाल किया।
समीर शरमाते हुए- पहले भी देखता था घर पर।
नेहा- क्या बात है दोस्त फिर तो हम एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हुए। और बताओ न कुछ… कैसे देखते थे? उनको कभी पता चला या नहीं? बताओ बताओ…
नेहा ने ये सारा खेल समीर से ये सारी बातें उगलवाने के लिए ही रचा था। वो ये सब पहले से जानती थी लेकिन प्लान के हिसाब से उसे ये सब समीर से ही उगलवाना था। समीर ने अपनी पूरी कहानी बता डाली की कैसे शुरुवात सोनिया ने ही की थी लेकिन बाद में उन दोनों को पता चल गया था कि वो एक दूसरे को नहाते हुए देखते हैं। फिर वो एक दूसरे के लिए नहाते वक़्त सेक्सी हरकतें भी करने लगे थे और मुठ भी मारते थे, लेकिन उससे आगे बढ़ने की कभी हिम्मत नहीं हुई।
इससे पहले की बात आगे बढ़ती, सोनिया अपना खाना ख़त्म करके आ गई और समीर के दूसरे बाजू में बैठ गई।
सोनिया- चलो तो आज फिर कौन सी फिल्म देखनी है?
नेहा- रंगरसिया कैसी रहेगी?
सोनिया- ओये होये! किसके रंग की रसिया हो रही हो आज? चलो ठीक है, मैंने भी नहीं देखी है, मुझे भी देखनी थी वो।
और ठीक कल की तरह समीर बीच में बैठा था और नेहा-सोनिया उसके दोनों तरफ। सब कल की ही तरह फिल्म देख रहे थे, लेकिन आज नेहा का हाथ समीर की जांघ पर रखा था और समीर भी कन्धों से नीचे नेहा की बाँहें अपनी उंगलियों से सहला रहा था। उधर जैसे वो उसकी बांह सहलाता वैसे ही नेहा की उंगलियाँ समीर की जांघ पर थिरकती थीं। थोड़ी हिम्मत करके समीर 1-2 उंगलियों से नेहा के स्तन के बाजू में छूने और कुरेदने लगा। नेहा ने भी अपना हाथ थोड़ा ऊपर कर लिया और वो अब उसके लंड के काफी करीब थी।
तभी फिल्म में वो सीन आया जिसमे हीरो-हीरोइन नंगे एक दूसरे से लिपटे हुए एक दूसरे को रंगों से सरोबार कर रहे थे और नंगे ही काफी तरह की मस्तियाँ कर रहे थे। समीर का लंड खड़ा तो पहले से ही था लेकिन ये देख कर और कड़क हो गया और उसने नेहा के स्तन को पूरी तरह से पकड़ का भींच दिया और उसे मसलने लगा। नेहा भी उस सीन से काफी उत्तेजित हो चुकी थी, उस पर समीर की हरकत ने उसे हरी झंडी दिखा दी और उसने भी समीर का लंड पकड़ कर उसे ज़ोर से दबा दिया।पर लंड पकड़ते ही वह चौंक गयी समीर का लंड उसके भाई के लंड से बहुत मोटा और लंबा था उसकी चुत में सुरसुराहट होने लगी
आम तौर पर लंड को इतनी ज़ोर से दबाने पर किसी भी लड़के की दर्द से चीख निकल सकती थी लेकिन वो इतना कड़क हो चुका था कि समीर को ज़्यादा फर्क नहीं पड़ा। जब सीन ख़त्म हुआ और समीर को थोड़ा होश आया तो उसने देखा कि सोनिया फिल्म को नहीं बल्कि इन दोनों को ही देख रही थी और मुस्कुरा रही थी।
समीर थोड़ा झिझक गया और उठ कर पानी पीने चला गया।
फिल्म ख़त्म होते होते राजन भी वापस आ चुका था। राजन बाथरूम में फ्रेश होने गया और नेहा अपने रूम में किसी काम से गई तो सोनिया ने समीर को पास बुला कर कहा- मैंने सोचा था नेहा के साथ रह कर तुम लड़कियों से बात करना सीख जाओगे लेकिन तुम तो…
समीर- सॉरी दीदी, अब बस हो गया और वो भी तो साथ दे रही थी ना।
सोनिया- अरे मेरा वो मतलब नहीं था, मेरी तरफ से तो पूरी छूट है, जो करना है कर। अगर तू कहेगा तो मैं तो इससे तेरी शादी तक करवा सकती हूँ। जिस काम से तुझे ख़ुशी मिले उससे तो मैं खुश ही होऊँगी ना।
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