RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
परिवार में चुदाई की इस कहानी में अब तक आपने पढ़ा कि समीर ने नेहा को न केवल चोदा बल्कि ऐसा चोदा कि इतनी अनुभवी नेहा भी उससे प्यार करने लगी
अब आगे:
सुबह के 11 बजे थे, राजन क्लिनिक के लिए बहुत पहले निकल गया था; समीर अपनी कल्पना में कुछ ऐसे खोया था कि उसे याद ही नहीं रहा कि वो नंगा ही लेटा था और उसने चादर तक नहीं ओढ़ी थी। यूँ तो वो रात भर से ऐसा ही था, लेकिन अभी अभी नेहा के जाने के बाद से, दरवाज़ा बंद नहीं किया गया था। यह बात उसके कल्पनाओं की दुनिया में घूम रहे दिमाग से अभी परे थी। लेकिन हर सपना कभी न कभी तो टूटता ही है।
सोनिया- ये ले मेरे कुम्भकर्ण भाई, गरमा-गरम चाय… उईई… सॉरी…!!!
सोनिया जब समीर को चाय देने आई तो उसने नहीं सोचा था कि समीर उसे पूरी तरह नग्न अवस्था में मिलेगा। वैसे तो सोनिया समीर को छिप कर हज़ार बार नंगा देख चुकी थी लेकिन ये पहली बार था जब ऐसा आमने-सामने हुआ था इसलिए वो थोड़ा हड़बड़ा गई और जल्दी से बेडसाइड-टेबल पर चाय रख कर जाने लगी।
सोनिया- ये यहाँ रखी है, पी लेना…
समीर- ओह्ह! सॉरी दीदी…
इतना कहते हुए समीर ने जल्दी से चादर ओढ़ ली। तब तक सोनिया की हड़बड़ाहट भी जा चुकी थी इसलिए वो जाते जाते दरवाज़े पर रुकी और पीछे मुड़ कर शरारती अंदाज़ में बोली- मुबारक हो! लगता है तेरे सांप को बिल मिल ही गया आख़िर! ही ही ही…
खिलखिला कर हँसते हुए सोनिया तो चली गई लेकिन समीर की नींद तो बिना चाय पिए ही उड़ गई थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे इस बात से चिंतित होना चाहिए या खुश? आखिर उसने भी अपने कपड़े पहने और चाय का कप लेकर बाहर आ गया।
बाहर डाइनिंग टेबल पर नेहा अपनी चाय लगभग खत्म कर चुकी थी।
जब समीर अपने चाय का कप लेकर वहां बैठा तो नेहा अपनी चाय की आखिरी चुस्की लेते हुए उठ खड़ी हुई।
नेहा धीरे से- मैं नहाने जा रही हूँ चाहो तो आ जाना!
समीर को आँख मारते हुए नेहा चली गई। समीर की बड़ी तमन्ना थी किसी लड़की के साथ नंगे नहाने की। उसने जल्दी जल्दी अपनी चाय ख़त्म की और बाथरूम में चला गया। शॉवर का पर्दा पहले से बंद था समीर ने बाथरूम का दरवाज़ा लगभग बंद सा कर दिया ताकि आते जाते कहीं दीदी की नज़र न पड़ जाए और फिर अपने कपड़े निकल कर नंगा हो गया।
समीर ने शॉवर के दरवाज़े को सरकाया और देखा वो पूरी नंगी अपने अभी अभी निकाले हुए कपड़ों को रख रही थी। तुरंत अंदर जा कर समीर ने उसे पीछे से पकड़ लिया। एक हाथ से उसके स्तनों को जकड़ा और दूसरे से उसके पैरों के बीच उस चिकनी मुनिया को टटोलने लगा। उसके लिंग ने भी नितम्बों के बीच की दरार में अपना स्थान बनाना शुरू कर दिया।
लेकिन ये क्या?
आईईईऽऽऽ…
घबरा कर चीखते हुए सोनिया पलटी और सोनिया को देख कर समीर भी सकते में आ गया।
समीर- ओह्ह नो! मुझे लगा नेहा…
तभी नेहा अपना बाथरोब लिए शावर के दरवाज़े पर आ गई। सोनिया ने तुरंत अपने स्तन एक हाथ से छिपा लिए और दूसरे से अपनी चूत।
नेहा- समीर…! भाभी…!
समीर- मुझे लगा तुम हो…
समीर ने बड़ा ही असमंजस भरी शकल बनाते हुए कहा।
सोनिया की शकल देखने लायक थी जैसे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है।
सोनिया- यार, ये क्या है? मेरे तो कुछ समझ नहीं आ रहा। अब मुझे नहीं नहाना… मैं जा रही हूँ। तुमको जो करना है करो।
इतना कह कर सोनिया नंगी ही वहां से चली गई। नेहा अब तक सब समझ गई थी और उसकी तो हंसी ही नहीं रुक रही थी।
नेहा- क्या बात है समीर! आखिर दीदी को फेस-टू-फेस नंगा देख ही लिया।
समीर- वैसे तो उन्होंने मुझे देखा था सुबह बैडरूम में, अभी तो कुछ ज़्यादा ही हो गया।
नेहा- ऐसा क्या हो गया, मुझे भी तो पता चले?
तब तक नेहा ने भी अपने कपड़े निकाल लिए थे। समीर ने उसे ठीक वैसा करके दिखाया जैसा उसने सोनिया को नेहा समझ कर किया था। नेहा ने समीर को उस ही पोजीशन में खड़े रहने को कहा और फिर शॉवर चालू करके बोली।
नेहा- अब मुझे नेहा नहीं बल्कि अपनी दीदी ही समझो और ऐसे ही चोदो।
समीर- वाओ! नेहा,मजा आयेगा।
और समीर वैसे ही खड़े-खड़े नहाते हुए नेहा को चोदने लगा। अभी उसके मन में अपनी दीदी के नंगे जिस्म के स्पर्श की अनुभूति एकदम ताज़ा थी इसलिए उसके लिए ये कल्पना कर पाना मुश्किल नहीं था कि वो सोनिया को चोद रहा था। इस कल्पना ने दोनों को इतना उत्तेजित कर दिया कि दोनों जल्दी ही झड़ गए। फिर दोनों ने एक दूसरे को साबुन लगाया और अंग से अंग लगा कर खूब मस्ती करते हुए नहाए।
फिर जब दोनों कपड़े पहन रहे थे…
समीर- तुम्हारे साथ तो मेरी मस्त गुज़रेगी यार। तुम तो मुझे, मुझ से भी बेहतर समझती हो। मुझसे ज़्यादा ये तुमको पता होता है कि मुझे क्या उत्तेजित करेगा।
नेहा- तुम इतने उत्साहित हो तो मुझे लगता है कि मुझे तुमको एक बात बता देना चाहिए।
समीर- क्या?
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