RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
अब तक आपने पढ़ा कि कैसे समीर ने सोनिया को गलती से नंगी दबोच लिया था लेकिन उसके बाद जिस तरह से सोनिया ने इस बात पर प्रतिक्रिया दी उसे देख कर समीर को लगा कि कहीं ये खुला आमंत्रण तो नहीं?
अब आगे…
समीर ज़्यादा देर तक सोच में डूबा न रह सका, नेहा और सोनिया भी खाना खा कर उठ चुकीं थीं।
नेहा- फिर आज क्या प्लान है कोई फिल्म देखना है या यूँ ही टीवी? या फिर गप्पें लड़ाना है?
सोनिया- नहीं यार, मैं तो नहाने जा रही हूँ, उसके बाद थोड़ी देर सोने का मूड है।
नेहा- क्यों भैया ने रात को सोने नहीं दिया क्या?
सोनिया- सोई तो बेटा तू भी नहीं है और मज़े मेरे ले रही है?
नेहा- हाँ यार! मैं भी सो ही लेती हूँ थोड़ी देर! समीर तुम?
समीर- मैं भी आ गया साथ में तो हो गई तुम्हारी नींद… हे हे हे…
नेहा- ठीक है तो फिर तुम टीवी देख लो।
नेहा सोने के लिए अपने रूम में चली गई। सोनिया भी नहाने चली गई और समीर टीवी देखने के नाम पर फिर अपनी सोच में डूब गया। दीदी चाहती तो अपने गाउन के अंदर कुछ ब्रा-पैंटी पहन सकती थी। कम से कम नेहा के ये कहने पर कि तेज़ रोशनी में अंदर सब दिख रहा है, वो इसे अपनी गलती मान कर गाउन बदल भी सकती थी। लेकिन उसने जो कहा उसका तो सीधा मतलब यही है कि उसे अब फर्क नहीं पड़ता या शायद ये कि सुबह जो हुआ उसके बाद उसकी शर्म ख़त्म हो चुकी है।
ये सब सोच कर समीर को इतना तो समझ आ गया कि अब डरने की ज़रूरत नहीं है। अब उसे कोई दबंग कदम उठा ही लेना चाहिए। वो उठा और उसने निश्चय किया कि अब सोचने का नहीं करने का समय है। पहले समीर नेहा के कमरे की तरफ गया और देखा कि दरवाज़ा बंद था। उसने धीरे से खोलकर देखा तो वो अंदर सो रही थी। दरवाज़े को वापस धीरे से बंद करके समीर बाथरूम की तरफ चला गया।
उसने बाथरूम का दरवाज़ा अंदर से बंद करके लॉक कर दिया ताकि नेहा अगर आये तो उसे लगे कि वो टॉयलेट गया था। फिर उसने आराम से अपने सारे कपड़े निकाले और सुबह की ही तरह शावर की तरफ गया। लेकिन अब उसे न तो कोई जल्दी थी और न कोई ग़लतफ़हमी। उसे साफ पता था कि उस परदे के पीछे कौन है। उसने एक लम्बी सांस ली और धीरे से पर्दे को पूरा खोल दिया।
क्योंकि पर्दा धीरे से खोला गया था, सोनिया को कोई झटका नहीं लगा और शायद उसे ऐसा कुछ होने की अपेक्षा भी थी। उसके एक हाथ में शावर था और दूसरा उसके स्तनों के बीच से होकर दूसरे कंधे को छू रहा था। कुछ देर वो ऐसे ही खड़ी रही। दोनों एक दूसरे की आँखों में आँखें डाले देखते रहे, मानो आँखों ही आँखों में कह रहे हों कि एक न एक दिन तो ये होना ही था।
फिर सोनिया को जाने क्या सूझा कि वो मुड़ी और पीछे लगे सेटिंग वाले पैनल पर कुछ करने लगी। थोड़ी ही देर में उसने शावर को स्टैंड पर लगा दिया और सेटिंग पैनल पर एक बटन दबा कर वापिस समीर की ओर मुड़ गई।
म्यूजिक शुरू हो गया था और साथ ही सोनिया की कमर भी धीरे से लहराने लगी थी। संगीत की धुन से ही समीर समझ गया था कि ये मोहरा फिल्म का गाना था… टिप टिप बरसा पानी… पानी ने आग लगाई…
समीर कमोड के बंद ढक्कन के ऊपर जा कर बैठ गया और अपनी बहन का नंगा नाच देखते हुए धीरे धीरे अपना लंड सहलाने लगा। यूँ तो पहले भी बाथरूम के छेद से पहले भी उसने सोनिया को नंगी नाचते हुए देखा था लेकिन आज ये न केवल आमने सामने था बल्कि साथ में म्यूज़िक था, लाइट्स थी और तरह तरह के शॉवर थे जो म्यूजिक की धुन पर सोनिया पर मस्ती की बारिश कर रहे थे।
नाचते हुए सोनिया अपनी चूची और चूत बराबर रगड़ रही थी। ये नाच दिखाने में उसे और भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था। वैसे भी अभी कुछ दिनों से उसे पहले की तरह दिन रात की लगातार चुदाई नहीं मिली थी।
गाना ख़त्म होते होते उससे रहा नहीं गया और वो नीचे बैठ कर ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत रगड़ने लगी और दूसरे हाथ से उंगली भी करने लगी। जब तक गाने की धुन बंद हुई, सोनिया झड़ चुकी थी।
जब सोनिया को होश आया तो सामने उसे समीर दिखाई दिया। उसके हाथ में अब भी उसका खड़ा हुआ लंड था जिसको हिलना अब वो बंद कर चुका था। सोनिया खड़ी हुए और शावर का पारदर्शी दरवाज़ा स्लाइड करके मुस्कुराते हुए बाहर आई। फिर धीरे धीरे स्टाइल से चलते हुआ समीर के पास पहुंची। समीर तब तक खड़ा हो चुका था। उसने वैसे ही मुस्कुराते हुए समीर का लंड पकड़ा और उसे खींच कर बाहर की ओर चल दी।
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