RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
अब तक आपने पढ़ा कि कैसे भाई बहनों के दो जोड़ों ने रक्षाबंधन के प्यार भरे त्यौहार को अपने जैसे वासना में भीगे हुए परिवारों के हिसाब से ना केवल पुनः परिभाषित किया बल्कि उसे एक उत्तेजक रूप और एक नया
नाम भी दिया- चुदाईबंधन! इसके साथ ही कहानी अपने आखिरी मोड़ पर है।
अब आगे…
चुदाईबंधन के इस अनोखे त्यौहार को मनाने के बाद चारों बहुत थक गए थे। रात भर की चुदाई के बाद सुबह से भी कम से कम दो बार सबने बहुत अच्छे से चुदाई कर ली थी। सबको ज़ोरों की भूख लगी थी इसलिए सबने ज्यादा बातें ना करते हुए पूरा ध्यान खाने पर लगाया और पेट भर खाने के बाद सबको नींद सताने लगी। रात भर की नींद भी बकाया थी और वैसे भी त्योहारों पर खाना ज्यादा खाने के बाद नींद आने लगती है।
खाने के बाद सब जा कर बेडरूम में सो गए लेकिन इस बार व्यवस्था थोड़ी अलग थी। सोनिया समीर के साथ नेहा के कमरे में सोई और नेहा अपने भैया राजन के साथ उनके बेडरूम में। यूँ तो सब नंगे ही थे लेकिन अभी चुदाई से ज्यादा नींद की ज़रुरत महसूस हो रही थी। लेकिन फिर भी दोनों भाई बहन एक दूसरे से नंगे लिपट कर ही नींद के आगोश में गए थे।
तीसरे पहर तक तो किसी ने करवट तक नहीं बदली। फिर धीरे धीरे होश आना शुरू हुआ तो कभी भाई ने बहन स्तनों को सहला दिया या कभी बहन ने भाई का लंड पकड़ लिया ऐसे उनींदे छोटी मोटी हरकतें करते करते पाँच, साढ़े पाँच तक नींद खुली और फिर शुरू हुआ चुम्बनों और आलिंगनों का सलोना सा खेल। ये मासूम सा खेल धीरे धीरे कब चुदाई में बदल गया पता ही नहीं चला।
हर चुदाई का अंत होता है इनका भी हुआ। दो अलग कमरों में दो बहनें एक बार फिर अपने भाइयों से चुद गईं थीं, लेकिन कल रात से इतनी चुदाई हो चुकी थी कि अब आगे और करने की कशिश बाकी नहीं रह गई थी।
लेकिन इतनी चुदाई के बीच बातें करने का मौका कम ही मिला था।
सोनिया- एक बात पूछूँ?
समीर- हम्म…
सोनिया- अगर तुम्हारी पहले से ही कोई गर्लफ्रेंड होती, जैसे अभी नेहा है, तो फिर भी क्या तुम मुझे बाथरूम के छेद से देखते?
समीर- पता नहीं! अब तो ये कहना मुश्किल है, लेकिन शुरुआत तो आपने ही की थी ना। आप ने वो छेद बनाया ही ना होता और मुझे देखना शुरू ना किया होता तो मुझे शायद ये बात दिमाग में ना आती।
सोनिया- हाँ, लेकिन फिर भी अगर उस वक़्त तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड होती तो क्या करते?
समीर- शायद मैं वो छेद बंद कर देता। हो सकता है मम्मी पापा से शिकायत भी करता। लेकिन आप ये क्यों पूछ रही हो?
सोनिया- इसलिए कि उस रात जब मैंने खिड़की से तुमको मुठ मारते हुए देखा था तो मैं अन्दर तक हिल गई थी। मैं भाई बहन का रिश्ता भूल गई थी और मुझे बस तुम्हारा लंड नज़र आ रहा था। मुझे लगता है अगर मैंने तुम्हारा लंड उस दिन ना देखा होता तो ये सब कुछ नहीं होता।
समीर- हम्म… मुझे तो वैसे भी इस सब की उम्मीद नहीं थी। मेरा काम तो बाथरूम के छेद से ही चल रहा था।
सोनिया- हाँ, इस से याद आया… तू क्या अब मम्मी को देखने लगा है, उस छेद से?
समीर- उम्म्म… हाँ, तुम चली गईं तो समझ नहीं आया क्या करूँ इसलिए…
सोनिया- अब कल जाने के बाद भी करोगे?
समीर- पता नहीं।
उधर दूसरे कमरे में राजन और नेहा ने भी कई दिनों के बाद अकेले में चुदाई की थी। लेकिन उनका मन भी काफी हद तक भर गया था इसलिए वो भी अब चुदाई के बाद बतियाने लगे।
राजन- समीर और तुम पढ़ाई पूरी करके पक्का शादी करने वाले हो ना?
नेहा- अब तो और भी पक्का हो गया है?
राजन- ‘अब तो…’ मतलब?
नेहा- एक तो मुझे पहले ही लगा था कि समीर और मैं एक दूसरे के लिए ही बने हैं, लेकिन अब हम चारों के बीच जिस तरह का रिश्ता बना है उसको देखते हुए समीर से बेहतर लड़का मिल ही नहीं सकता। किसी और के साथ रही तो अपना रिश्ता छिपा कर रखना पड़ेगा और फिर वो सब टेंशन लेकर जीने का क्या फायदा?
राजन- हाँ वो तो है। मतलब तुम शादी के बाद भी मेरे साथ रिश्ता बना कर रखना चाहती हो?
नेहा- अब हमारा कोई ‘वन नाईट स्टैंड’ जैसा तो है नहीं कि एक बार चोदा और भूल गए। खून का रिश्ता है, और दिल का भी, तो आगे भी साथ तो रहेगा ही। और जो शेर एक बार आदमखोर हो जाए वो आगे जा के सुधर जाए ऐसा तो होता नहीं ना?
राजन- अरे वाह, मेरी शेरनी! क्या बात कही है!
इस बात पर दोनों खिलखिला कर हँस पड़े।
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