RE: Hindi Sex Kahaniya अनौखी दुनियाँ चूत लंड की
'साली रांड देख कितनी बड़ी चुदकड़ है तू अपने बाप के सामने झड़ रही है शर्म नहीं आती तुझे ..अब तुझे सबक सिखाना ही पड़ेगा ' बापू ने मेरी एक टांग को पकड़ के 90 डिग्री के कोण पर उठा लिया और अपने टोपे को चूत के होंठों पर रख एक ज़ोर दार धक्का दिया । दर्द से मेरी तो जान ही निकल गयी मुझे लगा जैसे मेरी पूरी चूत लण्ड से भर गयी हो पर देखती क्या हूँ की अभी तो बस लण्ड का मुँह ही अंदर जा पाया है । मैंने उठने की पर बापू ने एक और झटका दिया इस बार तो लगा जैसे लोहे की सलाख मेरी चूत में घुस गयी हो ।'साले हरामी अपनी ही बेटी की चूत फाड़ दी ....निकाल बाहर ...' दर्द के कारण मैं सब भूल मान मर्यादा भूल गयी थी । 'साली अपने बाप को गाली निकालती है ..अभी तो तेरे साथ नरमी बरत रहा था पर अब असली चुदाई होगी तेरी' बापू ने मेरे गले को दोनों हाथों से पकड़ लिया .अपने लौड़े को चूत से बाहर निकाला और अपनी पूरी ताकत से धक्का लगाया...और नामुमकिन काम को एक ही झटके में कर दिया दर्द से मेरा सारा बदन कांपने लगा मैं अपनी नाभि के पास साफ़ एक उभार को देख सकती थी पर सिर्फ निढाल पड़े रहने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं था । मैंने अपना सारा बदन ढीला छोड़ दिया ...उधर बापू दूसरे वार की त्यारी में था उसने लण्ड को बाहर खिंचा और फिर वैसा ही झटका दिया उसका लण्ड मेरी कसी चूत के सारे विरोध को तोड़ता हुआ मेरी बच्चे दानी से जा टकराया । दर्द के मारे मेरी आँखें ऊपर चढ़ गयी साँसे धौंकनी की तरह चलने लगी । बापू कोई दुश्मन तो था नहीं बाप था मेरा मेरी ये हालत देख बापू का मन भी पसीज गया बापू लण्ड को चूत में ही फसा रहने दिया ,मेरी गर्दन भी छोड़ दी और मुझ पर लेट गया और मेरे गालों को चूमते हुए बोला 'भोली भोली ...मेरी बच्ची बस हो गया मुश्किल काम'
'बापू तूने तो जान ही निकाल दी मेरी ..अब तो छोड़ दे' मैंने जवाब दिया
'बेटी जितना दर्द होना था हो लिया अब तो तेरी मज़ा लेने की बारी है' बापू में मेरे होंठो को अपने होंठों से चूम लिया ..बापू के इस लाड दुलार से दर्द कुछ कम हुआ । मैं भी मज़े लेना चाहती थी आखिर इतनी पीड़ा जो सही थी मैंने कुछ हक़ तो बनता था । बापू ने धीरे -2 अपनी कमर हिलानी शुरू की मज़ा आने लगा मुझे भी दर्द भी कम हो गया । बापू मेरे स्तनों को चूसते हुए हलके हलके धक्के मारते रहे मेरा बदन फिर अकड़ने लगा था पर इस बार मुझे बापू का लण्ड भी फूलता हुआ महसूस हुआ बापू ने मुझे कस के बाँहों में भर लिया और धक्कों की रफ़्तार तेज़ कर दी इधर मैं भी बापू से लिपट गयी मेरा काम होने वाला था बापू ने झटके और जानदार कर दिए ।। और किस्मत का खेल देखो की हम दोनों बिलकुल एक साथ झड़ गए मेरी छूट बापू के गर्म माल से भर गए । हम इतने थक चुके थे की उसी हालत में सो गए । रात को माँ वापस आई और मुझे जगाया मेरी मालिश की गर्म गर्म दूध पिलाया और फिर मुझे बतया की ये सब उन दोंनो की सकीम थीं । उन्हें पता चल गया था की मेरा चक्कर एक शादीशुदा आदमी से चल रहा और अगर मैं ये सब उसके साथ करती तो सारे गांव को पता चल जाता और बदनामी होती , फिर माँ ने कहा जब भी इस ऐसा वैसा मन हो तो बापू है न तुझे कहीं बाहर जाने की ज़रुरत नहीं । रमा अब तू सोच कितनी लड़कियों की ज़िन्दगी खराब होती है । कुछ करें तो बदनामी न करें तो मौत से भी बुरी ज़िंदगी उससे तो अच्छा है माँ बाप ही कुछ करें मज़ा भी पूरा और कोई बदनामी भी नहीं ।" तरन ने अपनी बात खत्म की । तरन ने बेशक झूठ बोला था और ये बात रमा अच्छे से जानती थी क्योंकि तरन की माँ खुद रमा को बता चुकी थी की उसका पति नपुंसक था और तरन एक बाबा का प्रसाद थी जैसे की रमा के तीन बच्चे पर रमा ने तरन से कुछ नहीं कहा क्योंकि अब वो मन बना चुकी थी की चाहे कुछ भी हो जाये वो अपनी चूत की खाज राहुल के लण्ड से ही भुजाये गी । बातें करते हुए 2 कब बज गए दोनों को ही पता नहीं चला था । रमा के तीनों बच्चे शोर मचाते हुए घर में गुस्से।
"ठीक है रमा मैं चलती हूँ पिंकी भी आती ही होगी"
"ठीक है दीदी आज तुमने जो मेरे लिए किया है उसे मैं कभी नहीं भूलूँगी" रमा ने भी नाटक करते हुए कहा ।
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