RE: Hindi Sex Kahaniya अनौखी दुनियाँ चूत लंड की
रमा(रवि के इस जवाब से हैरान रह जाती है ,उसने ऐसे बेशर्म जवाब की उम्मीद नहीं कि थी , ऊपर से वो अपने घर के बाहर खड़ी थी इसलिए डर रही थी कि अगर किसी ने उसको रवि के साथ इस हालत में देख लिया तो न जाने क्या सोचेगा )- भाई साहब क्या कह रहें तुम कुछ तो शर्म की जिए , मेरे बच्चे है एक माँ के साथ तुमको ऐसी बात करते शर्म नहीं आती क्या ।
रवि-( रमा का यह जवाब सुनकर और निःचिन्त हो गया वो समझ गया कि रमा खुद डरी हुई है वो उसे कुछ नहीं कहेगी । यही सोचकर वो लन्ड को सहलाते हुए रमा के करीब आ गया और रमा का हाथ अपने लौड़े पर रखते हुए उसे कान में बोला)- रमा जी अब यह लन्ड तुमके हाथों से ही पैंट में जायेगा ।
रमा(गुस्से से)-क्या बकवास है यह ।
रवि(रमा के कान को चाटते हुए)- रमा जी इस लन्ड को तुम जैसी हुस्न परी की ज़रूरत है और तुमकी चूत को ऐसे ही जानदार लौड़े की तो इसे पकड़कर पैंट में डालिये यह हमारी दोस्ती की शुरूआत होगी ।
रमा( बेचारी रमा समझ नहीं पा रही थी इस स्थिति से बाहर कैसे निकले , उसका दिल तो यह सोचकर डर रहा था कि कहीं राहुल,गरिमा या तनु में से कोई बाहर न आ जाये )- रवि जी क्यों तंग कर रहे हैं , इसे अंदर कि जिये न पैंट में कोई देख लेगा ।
रवि- यही तो मैं कह रहा हूँ रमा जी कि तुम ही इस शुभ कार्य को करें कहीं अपकी बेटियों ने तुमको इस हालत में देख लिया तो न जाने क्या सोचेंगी ।
"यह मेरा मन कैसे पढ़ लेता है" रमा ने मन में सोचा और अपना हाथ आगे बढ़ाकर रवि का लन्ड थाम लिया ताकि वो उसे रवि की पैंट में डाल सके । वो लन्ड को ज़िप के अंदर करने ही जा रही थी कि रवि उसके हाथ को अपने हाथ में जकड़ते हुए बोला -रमा जी कैसा लगा औज़ार ?
रमा-मुझे नहीं पता ।
रवि(रमा की साड़ी के ऊपर से उसके स्तनों को मसलते हुए)- रमा जी तुम भूल गईं की तुमकी बेटियां घर पर ही हैं और कभी भी बाहर आ सकतीं है ।
रमा(मजबूर होते हुए)- अच्छा है ।
रवि -क्या ? मेरा तुम्हारा मम्में दबाना या मेरा लौड़ा ।
रमा-तुम्हारा वो ,अब छोड़ो मुझे।
रवि(अब तक रवि पूरी लय में आ चुका था ,हाथ आई इस बेशकीमती मछली को वो जाने नहीं देना चाहता था , वो रमा की चूची को ज़ोर से मसलते हुए बोला)- वो क्या रमा जी ? साफ साफ बोलिये ।
रमा(दर्द से तड़प उठी और रवि से पीछा छुड़ाने के लिए बोली)-तुम्हारा लन्ड ।
रवि(लौड़े को पैंट में डालते हुए)-आह जान खुश कर दिया तूने तो , तू लन्ड इतना अच्छा बोलती है चूसती कितना अच्छा होगी ।
रमा(शर्म के मारे उसके दोनों गाल लाल हो गए) - तुम तो कुछ भी बोलते है , मुझे मार्केट जाने दें वैसे भी मैं काफी लेट हो चुकी हूँ और मुझे मेट्रो शॉपिंग मॉल जाना है जो काफी दूर है ।
रवि(वैसे तो उसे भी शादी में जाना था और पिंकि के घर वो अपने कपड़े लेने आया था पर रमा का कामुक बदन देख उसे चुदाई के इलावा कुछ नहीं सूझ रहा था )-मैं भी वहीं जा रहा था मुझे भी अपने लिए एक कोट-पैंट खरीदना था तो चलिए साथ चलते हैं मेरी गाड़ी में ।
रमा-नहीं नहीं मैं चली जाऊंगी ।
रवि -रमा जी तुम भी न , इतनी दूर जाना है तुमको कम से कम भी 3 रिक्शा बदलने पड़ेगें और अगर स्पेशल रिक्शा करेंगी तो 200 से ज्यादा लग जाएंगे। इससे तो अच्छा है हम साथ-2 चलते हैं ।
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