RE: Hindi Sex Kahaniya अनौखी दुनियाँ चूत लंड की
एक हल्की सी आह निकली थी रमा के मुख से और उसके होंठों ने फिर से रवि के होंठों पर कब्जा जमा लिया था हर धक्का अब उसके अंदर तक उतर रहा था और धक्के के साथ ही एक हल्की सी आहह भी रवि के मुख में कही गुम हो जाती थी पर रमा को कोई दिक्कत नहीं थी वो और भी आ करके उसके ऊपर चढ़ गई थी ताकि उसकी चोट ठीक से और सटीक लगे रवि भी अपनी बाहों में रमा को कसे हुए धीरे-धीरेधक्के लगाता जा रहा था और अपने लिंग को अंदर और अंदर तक उतारता जा रहा था उसे बहुत मजा आने लगा था जिस शरीर की उसने इतने साल तम्माना की थी आज उसका भाग्य जाग उठा था उसी शरीर को वो जैसे चाहे वैसे भोग सकता था और जितना चाहे वो उसके साथ खेल सकता था वो उत्तेजित तो था पर वो इंतजार करना चाहता था बहुत देर तक वो रमा के अंदर रहना चाहता था और वैसे ही उसके नरम और कोमल शरीर को अपने शरीर के साथ जोड़े रखना चाहता था वो अपने माथे को रमा के कंधे पर ले गया था और रमा ने भी अब रवि के सिर को कस्स कर पकड़ रखा था पता नहीं कहाँ से इतना जोर आ गया था कि वो अपनी बाहों से उसके सिर को जाने ही नहीं देना चाहती थी उसकी पकड़ में इतनी मजबूती थी कि रवि को ही अपना चेहरा हाथ कर या फिर इधर उधर करते हुए सांस लेने के लिए जगह बनानी पड़ रही थी पर वो खुश था और अपने माथे को उसके कंधे पर रखे हुए धीरे-धीरे अपनी कमर को चला रहा था उसका हर धक्का रमा के अंतर मन को झंझोर देती थी थकि हुई रमा के अंदर का हर हिस्सा झलक जाता था हर अंग में एक नई उर्जा उत्पन्न हो जाती थी वो रवि को और भी कस्स कर पा लेती थी और अपने कमर को अऔर भी आगे करते हुए उसकी चोट को अंदर तक उतार लेने की कोशिश करती थी रवि को भी रमा का इस तरह से साथ देना बहुत अच्छा और परम सुख दाईं लग रहा था वो जानता था कि रमा एक अंदर जो आग है वो उसके हाथों से ही भुझेगी पर कब यह वो नहीं जानता था पर हाँ… एक बात तो साफ थी कि रमा हर दम तैयार मिलेगी उसे
वो अपने दोनों हाथों से रमा की पीठ का हर कोना टटोल चुका था और अब अपने हाथों को उसके कंधों के ऊपर और एक हाथ को उसके नितंबो के ऊपर रखकर अपने तुमसे जोड़े रखा था और अपनी धक्कों की रफ़्तार को धीरे-धीरे बढ़ाने लगा था अब तो रमा की कमर को भी वो अपनी जाँघो पर टिकने नहीं दे रहा था और नहीं रमा ही उसकी जाँघो पर टिक रही थी उसकी भी हालत लगता था कि रवि के जैसी हो गई थी वो भी थोड़ा सा उठकर रवि के हर धक्के को उपने अंदर समा लेने को तैयार थी और रवि के कंधे पर लटकी हुई थी वो उसके माथे को कसकर पकड़े हुए अपनी कमर को थोड़ा सा उचका करके रवि को जगह बना के देना चाहती थी, कि करो और करो
रमा- आअह्ह प्लीज बस रुखना नहीं बस रुखना नहीं और जोर से और जोर से ....रवि ...
रवि- जान ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्बबब आआआआआआआआह्ह ....उफ्फ्फ....कितनी टाइट चूत है तेरी ....
रमा-- रुकना नहीं प्लीज थोड़ी देर और प्लीज ...और करो ...आह....ओह मां यह लन्ड नहीं अजगर है .....आह कितना अंदर है यह
रवि- जान कितनी खूबसूरत हो तुम्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प कितनी प्यारी हो तुम ....साली कायली जेनर के 1 करोड़ फैन हैं और तू तो उससे भी सेक्सी ....तुझे हर रोज़ चुदूँगा ....आह...आह
लगता था कि जैसे रवि अपने मन की बातें अभी ही रमा को बता देना चाहता था पर रमा के कानो में कोई बातें नहीं जा रही थी उसका तो पूरा ध्यान रवि के लन्ड की तरफ था जो कि अब तो दोगुनी रफ़्तार से उसके अंदर-बाहर हो रहा आता
रमा- बस स्बस सस्स्शह अह्हहहहहहहह उूुुुुुुुुुुुुुुुुउउम्म्म्ममममममममममम ...मर जाऊंगी....आह हाँ ऐसे ही .....
और रमा एक झटके से उसके गले में लटक गई और सांसों का चलना तो जैसे कई गुना बढ़ गया था वो स्थिर रहने की कोशिश कर रही थी पर रवि के धक्के पर हर बार काफी ऊपर उछल जाती थी अपनी पकड़ को बनाए रखने के लिए वो और भी जोर से रवि के गले के चारो और अपनी पकड़ बनाए हुए थी और उसको उसके मुकाम पर पहुँचाने की कोशिश करती जा रही थी ...
वो नहीं चाहती थी कि रवि को बीच में ही छोड़ दे पर हिम्मत और ताकत की कमी थी उसमें थकि हुई थी और हर एक धक्का जो कि रवि की कमर से लग रही थी हिल सी जाती थी वो हर धक्के पर उसकी पकड़ छूट जाती और बहुत रोकने पर भी वो उछल कर उसके सिर से ऊपर उछल जाती थी रवि को भी उसकी परिस्थिति समझ में आ रही थी पर वो अपने अंदर जाग उठे हैवान से लड़ रहा था और बहुत ही धीरज से काम ले रहा था पर रमा के झरने से और उसके निढाल हो जाने से उसके अंतर मन को शांति नहीं मिल रही थी वो जो चाहता था वो नहीं हो पा रहा था वो एक बार अपने होंठों को रमा के गालों से लेकर उसके होंठों तक घुमाकर रमा को फिर से उत्साहित करने की कोशिश करता रहा पर.........रमा तो जैसे धीरे-धीरे निढाल सी होती जा रही थी और अपना शरीर का पूरा भार रवि के ऊपर छोड़ कर अपनी ही दुनियां में कही खो जाना चाहती थी पर रवि अपने मन की किए बगैर कहाँ मानने वाला था ...उसने रमा की बाजुओं को पकड़ कर अपनी गर्दन को आज़ाद कर लिया ....रमा किसी लाश कि तरह हवा में झूल गयी पर इससे उसमे कुछ चेतना वापिस आ गयी वो बस अपनी टाँगों के सहारे रवि कि कमर पर झूल रही थी उसकी पीठ आधे वृत की तरह मुड़ी हुई थी । रवि ने उसको कमर से पकड़ लिया और बेहरमी से और बेहद तेज रफ्तार से चोदना शुरू कर दिया रवि के हर धक्के से उसकी जान हलक में आ जाती और रवि ने जैसे धक्कों कि रेल ही चला दी थी । रवि का लावा फूटने ही वाला था और वो बिना कुछ सोचते हुए वहशी ताकत के साथ रमा को चोदे जा रहा था आखिर उसने एक हुंकार भरी और एक जानलेवा धक्के के साथ रमा उसकी पकड़ से छूट कर जमीन पर जा गिरी वीर्य का एक अंतहीन झरना रमा के ऊपर गिरने लगा जिससे रमा ऐसे लथपथ हो गयी जैसे किसी ने उस पर क्रीम की बाल्टी उड़ेल दी हो । रवि की शक्ति भी निचुड़ चुकी थी वो भी किसी लाश की तरह रमा के ऊपर ढेर हो गया ।
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