RE: Randi ki Kahani एक वेश्या की कहानी
राज:- बिल्कुल बना दूँगा, पर अभी थोड़ा टाइम लगेगा….एक काम करो तुम अपना पता यहाँ छोड़ जाओ…मैं थोड़ी देर मे आकर ठीक कर जाउन्गा.
राधा:- ठीक है…ये है मेरा पता…ज़रा जल्दी कर देना..घर पर कोई नही है और अंधेरे मे मुझे डर लगता है……..
राज:- (हस्ते हुए)- बस 15-20 मिनट. मे पहुचा…तुम जाओ.
राधा वापस अपने घर चली जाती है. करीबन आधे घंटे बाद राज उसके घर जाता है. सारी जाँच करने के बाद मे उसे फ्यूज़ उड़ा होने की अहसास होता है…..फ्यूज़ थोड़ा उपर होने के कारण वो राधा से टेबल या स्टूल माँगता है और उपर से चेक करता है…तो फ्यूज़ ही उड़ा हुआ होता है..
राज:- तुम्हारे यहाँ कोई तार होगा…मैं अपना बॅग भूल आया हू…नही तो मैं लगा देता.
राधा:- देखती हू….ये चलेगा क्या (वो कोई छोटा सा तार लाकर उसे देती है.)
राज उसे(राधा) देखते ही दंग रह जाता है…वो उपर से जैसे ही तार लेने की लिए नीचे देखता है…तो उसे राधा के बड़े-बड़े गोल-गोल फूले हुए स्तन दिखाई देते है…और वो थोड़ी देर भूल ही जाता है के वो कहाँ खड़ा है. जब राधा उसे हिलाती है तो वो टेबल से गिरते-गिरते बचता है..
राज:- गिराओगि क्या……
राधा:- अरे तुमने तार माँगा…अब ये दे रही हू तो तुम पता नही तुम किन ख़यालो मे खो गये हो.
राज तो जैसे उसके विशाल स्तनो मे फिर खो ही गया था क़ी…राधा चिल्ला कर ज़ोर से बोली...
राधा:- अरे थोड़ा जल्दी करो ना….सूरज ढाल रहा है…और बत्ती नही होगी तो मैं घर पर कैसे रहूंगी.
राज:- हां बस ये लो हो गया…..बत्ती जला कर देख लो…शुरू हो रही है या नही. और हां ये तार अभी तो चल जाएगा…बाद मे दूसरा बदली कर जाउन्गा.
राधा:- ठीक है…और तुम्हारे पैसे…..
राज:- वो मैं बाद मे जब आउन्गा तब ले लूँगा…
और राज राधा के वो विशाल स्तन और उसकी देह रूप को आँखो मे बसा कर ले गया. उसके दिल मे तभी से राधा के लिए कुछ-कुछ होने लगा था. राज तो बस मौके के इंतज़ार मे था, के कब दुबारा उसको राधा के घर जाने के मौका मिले. और फिर एक दिन वो राधा के घर यूँही चला गया.
राधा:- तुम यहाँ, मैने तो बिजली के शिकायत नही की…
राज:- नही, वो तो मैं यूही ही जाचने आ गया था..के सही चल रही है या नही..
राधा:- कभी-कभी वहाँ से चिंगारी निकलती है…जहाँ तुमने तार डाला था..
राज :- वोही तो बदलने आया हू….वो टेबल दे देना मुझे…
आज राज की नज़रे बिल्कुल वही पड़ी…जहाँ देखकर वो दंग रह गया था…मतलब के राधा के स्तनो पर..क्यूकी अब राज राधा के स्तनो का दीवाना जो हो चुका था. वो तो बस अब इन्हे कैसे भी करके अपना बनाने की फिराक मे था.
राज टेबल पे चढ़ कर फ्यूज़ बदलने लगा….और उधर राधा ने उसको कहा के मैं चाइ ले के आती हू..
राज ने सारी तारे चेक करके फ्यूज़ को लगाया ही था…के राधा ने कहा…गरमा-गरम चाइ लो…..
राज राधा की आवाज़ सुनकर पीछे की तरफ मुड़ा…टेबल थोड़ा सा तिरछा हुआ और अगले ही पल राज ज़मीन पर था…उसके गिरने की बहुत ज़ोर की आवाज़ हुई थी…..बहडमम्म्ममम………..
राधा का तो उसे देखते ही ज़ोर-ज़ोर से रोना शुरू हो गया, जैसे- तैसे राज उठा और कुर्सी पर बैठ गया, राधा भी दौड़ कर उसके पास गयी और उसकी टाँगो को देखने लगी.
राधा:- कहाँ लगी…इस पैर मे या उस मे.(वो सुबक्ते हुए बोली..)
राज :- पहले तुम ये रोना बंद करो…और अंदर से बाम या तेल ले आओ…शायद मोच आ गयी है…
राधा अंदर से तेल ले आती है..और उसे राज को दे देती है…राज तेल लगाने का भरसक प्रयास करता है पर लगा नही पाता…क्यूकी अब वो जगह करीबन 2 इंच फूल चुकी थी…और हल्की-हल्की नीली पड़ रही थी…राधा ने जब वो देखा…तो वो बोली..
राधा:- लाओ मैं लगा देती हू…हल्के हाथों से…
क्रमशः........................
|