Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
10-05-2019, 02:09 PM,
RE: Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
एक फूल से दूसरी दूसरी से तीसरा अपना तो ऐसे ही कुछ चल रहा था देहरादून से भी प्यार सा ही हो गया था काफ़ी अच्छा सहर था मन लग ता था यहाँ पर मेरा कभी कभी सोचता था कि कुछ पैसे होंगे तो यही कही एक घर खरीद लूँगा फिर पास ही हरिद्वार था , ऋषिकेश था महादेव जी का वास अपने को और क्या चाहिए पता नही क्यो आजकल मैं बस प्लॅन्स ही बनाता रहता था पर दिल मेरा भी घबराता था कि मिथ्लेश से ब्याह की गाड़ी किस तरह से पटरी पर आएगी क्योंकि भाग कर वो आएगी नही और ये जालिम समाज माने ना माने बस वो ही टेन्षन थी दिल मे बाकी तो लाइफ कट ही रही थी रात अपने शबाब पर अहिश्ता आहिश्ता से बढ़ रही थी पर मेरी आँखो मे नींद नही आ रही थी

हताश मन से मिथ्लेश का नंबर डाइयल किया पर उसका फोन बंद था थक कर सो रही होगी शायद तो मैं रूम से बाहर निकला और गॅलरी मे आकर खड़ा हो गया ठंडी हवा रूह बनकर मेरे जिस्म मे उतर ती चली गयी कॅंपस लाइट्स से रोशन था , कुछ खाती मीठी यादे लेकर चला जाउन्गा यहाँ से कुछ ही दिनो मे मैं सोचने लगा फ़ौजी लोगो की भी कोई ज़िंदगी होती है आज यहाँ कल यहाँ कंधे पर बिस्तर बाँधकर घूमते ही रहते है आप लोगो ने तो बसों मे , ट्रेन्स मे देखा ही होगा पर जब ये वर्दी बदन पर सजती है ना तो फिर कोई परेशानी याद नही रहती याद रहता है तो वो फ़र्ज़ जिसे निभाने मे पूरी जिंदगी बीत जाती है आज पता नही क्यो मेरे मन मे हज़ारो सवाल उमड़ आए थे एक बैचैनि सी मुझे भटका रही थी अगले दिन मुझे पद्मि नी से भी मिलना था अब आँखे भी भारी भारी होने लगी थी तो फिर आके बिस्तर मे पड़ गया और नींद ने किसी माँ के आँचल की तरह मुझे अपने आगोश मे ले लिया

अगले दिन जब मैं उठा तो मन कुछ ज़्यादा ही प्राफ़्फुलित सा हो रहा था फॉरमॅलिटीस को निपटा ते निपटाते 9 बज गये थे तो मैं वॉर्डन रूम मे गया और उस हवलदार को बता कर पद्मिमनी के घर की तरफ चल पड़ा दिसेंबर की वो सर्द सुबह थी और ठंड तो इतनी पड़ रही थी उस दिन की बस पूछो ही मत उपर से वो तेज हवा के झोंके जो पूरे बदन मे ठंड की लहर दौड़ाए जा रहे थे मैने अपनी जॅकेट की चैन उपर तक चढ़ा ली और अपने काँपते हाथो को आपस मे रगड़ते हुए एक गीत गुनगुनाते हुए पद्मिपनी के घर की ओर हौले हौले बढ़ रहा था दिल मे उमंग थी कि चलो कुछ टाइम तो अच्छे से मिलेगा पद्मिकनी के साथ बिताने को


मैं अपनी धुन मे चला जा रहा था कि तभी किसी ने पीछे से मेरे बिल्कुल पास मे स्कूटी रोकी मैने मूड के देखा तो जाटनी थी उसने पूछा कहाँ जा रहे हो तो मैने झूठ बोलते हुए कहा कि आउट ऑफ कॅंपस जा रहा हू कुछ पर्सनल काम है तो वो बोली है, तेरा पर्सनल काम हमें नही बताएगा कही गर्लफ्रेंड से तो मिलने नही जा रहा है तो मैने कहा जब तू ही गर्लफ्रेंड नही बनी तो और कोई क्यो बनेगी तू अपना रास्ता नाप तो वो बोली यार तुम हमेशा इतने उखड़े उखड़े क्यो रहते हो मैने कहा यार मैं किसी इंपॉर्टेंट काम से जा रहा हू तू अभी मस्ती ना कर

वो बोली लो जी कर लो बात !! एक तो लोगो की हेल्प करो और फिर उनकी जली कटी सुनो भलाई का तो जमाना ही नही रहा मैने कहा यार अब तू अपना रास्ता नाप और मुझे फ्री कर वो बोली आजा एक एक कप कोफ़ी पीते है वैसे भी ठंड बहुत ही ज़्यादा है आज कुछ गप्पे लड़ाते है फिर तू निकल जाना मैने सोचा कि ये ऐसे पीछा तो छोड़ेगी नही और उपर से कड़ाके की ठंड तो कोफ़ी तो बनती ही थी तो मैने हाँ कह दी मैने कहा आज तू पीछे बैठ स्कूटी मैं चलाउन्गा तो वो बोली आराम से चलाना कही गिरा ना दियो पता नही तुझे चलानी आती भी है या नही

तो मैने कहा घर पे बुलेट है बावली चोरी और जब पाछे तेरे जैसी हूर परी बैठी हो तो तू खुद ही समझ ले तो वो बोली बात ना कर अर चाल अब आगे नै जाटनी की ये ही तो बात बड़ी अच्छी लगती थी इतनी हाइ फॅशनबल लड़की थी वो पर जब कभी कभी इस तरह ठेठ देसी अंदाज मे बात करती थी तो दिल पे कटार ही चल जाया करती थी

कोई दस पंद्रह मिनट बाद हम दोनो कॉफी शॉप मे एक दूसरे के आमने सामने बैठे थे यहाँ आकर सर्दी से थोड़ी राहत मिली आज उसका गोरा मुखड़ा बड़ा ही चमक रहा था तो मैने कहा आज तो बड़ी चोखी लाग री सै किस पे बीजली गिरावे गी तो वो बोली तू रहण ही दे फालतू मे मक्खन ना लगा मैने कहा यार अब तारीफ भी ना करूँ तो वो बोली तेरी तारीफ़ ना चाहिए मन्ने तो मैं बोली फिर क्या चाहिए तुझे वो बोली कुछ ना चाहिए सै मैं जीसी सू बढ़िया सू तू तेरी देख मैने कहा यार करले ना दोस्ती , वो कहने लगी


तुझे बताया तो था ना कि नही करूँगी तो मैने कहा ईव यहा क्यो बैठी है मेरे साथ तो वो बोली वो तो मैं ऐसे ही आ गयी मैने उसका हाथ अपने हाथ मे ले लिया और कहा कि करलेणा दोस्ती तो वो बोली के करेगा मेरे से दोस्ती करके आज तू बता ही डाल मैं बोला दोस्ती करके क्या करते है तो वो बोली मैं अच्छे से जानती हू फ़ौजी लोगो की फ़ितरत को वो बस फ्रेंडशिप करते है खाली एंजाय करने के लिए और फिर पोस्टिंग का बहाना करके निकल लेते है

बता फेर के फ़ायदा दिल लगाने का जब मन्ने तेरे से घने ही सुथरे छोरे लाइन लगा के मिल रहे सै तो मैने कहा यार मैं दिल लगाने के लिए नही कह रहा हू दोस्ती के लिए कह रहा हू तो वो मेरी बात को काट ते हुए बोली कि ऐसा ही होता है कुछ दिन दोस्ती का नाटक होगा फिर हाथ पकड़ लेगा फिर चूमा चाटी फिर बात बिस्तर पे आ जाएगी कुछ झूठे वादे होने और फिर एक दिन खिसक जाएगा और मैं रह जाउन्गी खाली हाथ और फिर सारी जिंदगी सोच सोच के परेशान बस यही बात है बता के मैं ग़लत कह रही सूं
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