RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
एक ही झटके से पूरा लंड लेने में सुषमा को नानी याद आ गई, धक्का ना झेल पाने की वजह से वो उंधे मुँह बिस्तर पर गिर पड़ी,
शंकर ने उसकी गान्ड को नीचे हाथ डालकर थोड़ा उपर उठाया और उसके गोल-गोल गान्ड के पाटों पर धप-धप अपनी जाघो से थप्पड़ जैसे मारने लगा,
दे दनादन उसका पिस्टन सुषमा के सिलिंडर में अंदर बाहर होने लगा..
सुषमा के मुलायम उभरे हुए चूतड़ शंकर की जांघों के पड़ते ही और ज़्यादा उभर कर उपर को उठ जाते,
धक्कों की मार से सुषमा का बुरा हाल था, उसका पूरा बदन भूकंप के झटकों की तरह हिलने लगा..वो ज़्यादा देर नही झेल पाई ये मार और एक बार फिर से झड गयी,
लेकिन अब वो असली चुदाई को समझ चुकी थी, आज उसे अपने जीवन की बगिया हरी भरी होती दिखाई दे रही थी,
वो जैसे तैसे करके अपने साथी के मज़े तक अपने आपको संभालना चाहती थी…
करीब आधे घंटे की ताबड-तोड़ चुदाई के बाद शंकर के अंदर का लावा उबलने लगा…,
वो किसी बिगड़ैल घोड़े की तरह हिन-हिनाकार सुषमा की गान्ड से अपने चौड़े कसरती जांघों के पाटों को चिपकाते हुए झड़ने लगा….
उसके गरम वीर्य की बौछार अपनी बच्चे दानी के अंदर महसूस करती सुषमा अपार सुख की अनुभूति कर रही थी…
छटांक भर देसी घी उसकी चूत में उडेल कर वो उसकी पीठ पर ही लद गया…!
सुषमा की चूत किसी राइफल की गोलियों की बौछार जैसी लंड की पिचकारियों को अपनी बच्चेदानी में महसूस करके एकदम से शांत पड़ गयी,
उसकी चूत ने आज इतने अंदर तक जिंदगी की पहली बरसात को महसूस किया था, वो खुशी के मारे फूलने-पिच्कने लगी,
उसकी फांकों ने शंकर के लंड को कस कर जकड लिया मानो अपने प्रियतम को खुश करने के लिए वो उसका चुंबन ले रही हो…!
एक असली मर्द के दमदार लंड की मार से वो बेहोशी जैसी हालत में पहुँच गयी थी, उसे होश ही नही रहा कि शंकर जैसा बलिष्ठ नौजवान कितनी ही देर से उसके उपर पड़ा हुआ है..
फिर शंकर ने साइड में लुढ़क कर उसे हिलाया, दो-चार बार हिलाने के बाद वो कुन्मुनाई, तो उसने पुछा – क्या हुआ भाभी..? आप ठीक तो हो ना..!
वो अपनी उसी खुमारी में बोली – हुउंम्म…मे ठीक हूँ, थोड़ा रूको..!
लगभग 15 मिनिट के बाद उसने अपनी आँखें खोली, पलट कर वो उसके सीने से लिपटकर फफक-फफक कर रोने लगी…!
शंकर की डर के मारे गान्ड फट गयी, वो सोचने लगा, कि साला कहीं ज़्यादा तो नही फट गयी इसकी चूत,
वो डरते हुए बोला – सॉरी भाभी, मुझे माफ़ करदो, मे अपने आप पर कंट्रोल नही कर पाया…!
सुषमा ने अपनी आँसुओं भरी आँखों से उसकी तरफ देखा, फिर उसके होंठों को चूमकर उसने अपना मुँह उसके सीने में छुपाकर बोली – थॅंक यू शंकर, मेरे शहज़ादे…
तुमने आज मेरे जीवन की सारी हसरतें पूरी करदी, मुझे एक संपूर्ण औरत होने का एहसास दिलाकर मेरे जीवन में फिर से हरियाली ला दी…,
तुम्हें सॉरी कहने की ज़रूरत नही है, तुम एक सच्चे जवा मर्द हो जो किसी भी औरत को अपनी मर्दानगी के बलबूते पर अपना बना सकते हो,
असली मर्द भी वही है, जो औरत को अपने लंड के दम पर कंट्रोल कर सके, आज ये सुषमा इस हवेली की होने वाली मालकिन तुम्हें वचन देती है, कि तुम जिस चीज़ पर अपना हाथ रख दोगे वो तुम्हारी हो जाएगी…!
शंकर ने उसकी गान्ड सहलाते हुए कहा – मुझे आपकी खुशी से बढ़कर और कुछ नही चाहिए भाभी..,
शंकर की ये बात सुनकर सुषमा उसके गले से लिपट गयी और गद गद होते हुए बोली – ओह्ह्ह…शंकर , तुम सच में बहुत नेक दिल हो, बस मुझे ऐसे ही प्यार करते रहना मेरे साजन…!
अभी वो दोनो और ना जाने कितनी देर ऐसे ही लिपटे हुए बातें करते रहते, कि तभी दरवाजे पर हल्की सी दुस्तक हुई, सुषमा समझ गयी कि ये रंगीली काकी का संकेत है..
सो वो झटपट उठ खड़ी हुई, अपने कपड़े पहने और शंकर को भी कपड़े पहनने को कहा…
गेट खोलते ही सामने गौरी को गोद में लिए रंगीली खड़ी मुस्करा रही थी, शंकर अपने कपड़े पहन चुका था..,
रंगीली गौरी को उसकी गोद में देते हुए उसके कान में फुसफुसा कर बोली – काम बना बहू रानी..?
सुषमा ने शरमा कर अपनी गार्डेन नीची करके हां में अपना सिर हिला दिया,
रंगीली की कौली भरकर वो फफक-फफक कर रो पड़ी, और सुबक्ते हुए बोली – धन्यवाद काकी, आपने मेरा जीवन संवार दिया…!
रंगीली ने उसकी पीठ सहलाते हुए कहा – बस अब खुस रहा करो बहू, एशावर ने चाहा तो जल्दी ही आपकी गोद में एक नन्हा मुन्ना राजकुमार खेलेगा…!
फिर शंकर को देख कर थोड़ी उँची आवाज़ में बोली – अब तू यहाँ कब तक खड़ा रहेगा नलायक, जा अपनी पढ़ाई कर सलौनी के साथ...
शंकर मुस्कराते हुए अपनी नज़र झुककर वहाँ से जाने लगा…,
वो दोनो भी कुछ देर और इधर-उधर की बातें करती रही, उसके बाद रंगीली भी अपने घर चली आई……….!
सुषमा को जन्नत की सैर कराकर आज शंकर को ना जाने क्यों बड़ी खुशी महसूस हो रही थी, सुषमा जैसी सुंदर और मस्त जवान प्यासी औरत के साथ चुदाई करने में उसे बहुत मज़ा आया था…!
चुदाई के वक़्त जो संकोच की दीवार वो अपनी माँ के साथ महसूस करता था, वैसी कोई दूबिधा सुषमा को चोदने में उसे पेश नही आई…,
कुछ देर पहले सुषमा के साथ बिताए हसीन लम्हों को याद कर-करके वो रोमांचित हो रहा था, पाजामा में उसका लंड अंडरवेर फाड़कर निकलने की कोशिश करने लगा…
रास्ते में उसे ये डर भी सता रहा था, की खुदा-ना-ख़स्ता सामने से कोई आते-जाते देखेगा तो क्या सोचेगा उसके बारे में..
इन्ही ख़यालों में खोया हुआ वो अपने घर सलौनी के पास पढ़ने के लिए जा रहा था…,
अपना तंबू छुपाने के लिए उसने उसके टोपे को पेट से सटा कर उसके उपर अपने अंडरवेर की एलास्टिक चढ़ा ली…
घर के बाहर सलौनी अपनी एक सहेली लल्ली के साथ गप्पें लगा रही थी, लल्ली स्कूल तो नही जाती थी, मात्र 8वी क्लास के बाद ही वो पढ़ाई छोड़ चुकी थी,
वैसे वो उम्र में सलौनी से एक साल बड़ी थी, लेकिन लंबाई में वो सलौनी से भी कुछ कम दिखती थी,
उसके शरीर के उठान सलौनी की तुलना में कुछ ज़्यादा ही थे, 5’2” की लल्ली का बदन 32-24-32 का था, बेहद पतली कमर के उपर और नीचे का हिस्सा किसी भी मर्द को चोदने का निमंत्रण देने को काफ़ी था…!
एक नयी जवान होती लल्ली ना ज़्यादा गोरी और ना ही ज़्यादा साँवली, मध्यम गेंहूआ रंग की वो ज़्यादातर घांघरा चोली में ही दिखाई देती थी…
घर का काम-काज निपटाने के बाद उसका ज़्यादा तर समय सहेलियों के साथ गप्पें मारना ही होता था, जिसमें ज़्यादातर बातें नयी उम्र के हिसाब से चुदाई से संबंधित क़िस्सों पर ही आधारित होती थी…
इस समय भी वो दोनो चबूतरे पर रास्ते की तरफ पैर लटकाए बैठी आपस में ऐसी ही कुछ बातें कर रही थी..,
लल्ली अपने काका-काकी की चुदाई के बारे में सलौनी को बता रही थी, जो उसने छुपकर उनके कोठे के रोशदान से देखी थी…
चुदाई का आँखों देखा हाल सुनकर और सुना कर दोनो की कोमल भावनाएँ भड़कने लगी थी, सलौनी की मुनिया अप्रत्याशित रूप से गीली होने लगी थी,
वहीं लल्ली जो पहले से ही अपनी उंगलियों का जादू चलाना सीख चुकी थी उसकी मुनिया में कुछ ज़्यादा ही गीलापन आ चुका था,
जिसे वो अपने लहंगे को चूत के मुँह पर दबाकर उसे टपकने से रोकने लगी…
तभी उन दोनो की नज़र शंकर पर पड़ी, जो अपनी ही धुन में सामने से चला आ रहा था…,
उसपर नज़र पड़ते ही लल्ली के मुँह से आअहह… निकल गयी, जिसे सुनते ही सलौनी ने उससे पूछा…
क्या हुआ लल्ली की बच्ची, तू ऐसे क्यों कर रही है…?
लल्ली – तेरे भाई को देख कर मेरी मुनिया फुदकने लगी है यार.., काश तेरे भाई का लंड मुझे मिल जाए, मे तुझे गॅरेंटी देती हूँ, सारी रात उसे अपनी टाँगों में जकड़े रहूंगी…!
सलौनी ने उसे झिड़कते हुए कहा – तू कोशिश भी मत करना, मेरा भाई ऐसा वैसा नही है…, मुँह नोच लूँगी तेरा अगर मन में ऐसा वैसा ख़याल भी लाई तो…!
लल्ली हँसते हुए बोली – क्यों री, तू तो ऐसे भड़क रही है जैसे तूने ही उसके लंड का बैनामा करा लिया हो..,
सलौनी उसे मारने झपट पड़ी – साली छिनाल, रंडी, कुतिया, क्या बकवास कर रही है, वो मेरा भाई है…,
लल्ली हँसते हुए अपनी जगह से उठ खड़ी हुई और उसे छेड़ने वाले अंदाज में बोली – भाई है तो क्या उसका लंड तेरी चूत के लिए मना थोड़ी कर देगा…!
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